माननीय राज्य मंत्री संजय सिंह गंगवार, गन्ना विकास एवं चीनी मिल, उत्तर प्रदेश सरकार व फ़िल्म स्टार संगीता बिजलानी के कर कमलों से वितरित हुए अवार्ड्स.
आगरा: शनिवार को ताज होटल एंड कन्वेंशन सेंटर में टेफ्लाज द्वारा सुगर समिट 2022 कांफ्रेंस एवं अवार्ड्स का आयोजन हुआ. उत्कृष्टता का सम्मान करने और चीनी और इथेनॉल व्यवसाय में शामिल भविष्य और वर्तमान व्यापारिक समुदायों को प्रेरित करने के लिए सम्मानित किया गया.
माननीय राज्य मंत्री संजय सिंह गंगवार, गन्ना विकास एवं चीनी मिल, उत्तर प्रदेश सरकार व फ़िल्म स्टार संगीता बिजलानी ने शुगर समिट अवार्ड्स की विभिन्न श्रेणी के विजेताओं को सम्मानित किया. शुगर समिट अवार्ड्स 2022 के विजेता वे व्यक्ति और कंपनियां हैं, जिन्होंने उत्कृष्टता, नैतिक मानकों और कॉर्पोरेट प्रशासन में मानक स्थापित किए हैं. साथ ही चीनी उद्योग के विशेषज्ञों द्वारा वैश्विक चीनी बाजारों में चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा भी हुई.
श्री कैलाश सिंह, मैनेजिंग डायरेक्टर, टेफ्लाज और आयोजक शुगर समिट 2022 ने कहा, "शुगर समिट दुनिया भर में चीनी और इथेनॉल उद्योग के खिलाड़ियों के लिए पसंदीदा वार्षिक बैठक है. आयोजन के दौरान, चीनी और इथेनॉल उद्योग के प्रमुख और भारत और विदेशों के व्यापार, निवेश और प्रौद्योगिकी पर व्यापक ध्यान देने के साथ चीनी और इथेनॉल बाजार के भविष्य पर चर्चा को प्रोत्साहित करने के लिए एकत्र हुए. इस मंच के माध्यम से उद्योग की बड़ी कंपनियों के साथ उत्कृष्ट नेटवर्किंग अवसर भी मिला."
शनिवार की शाम ताज होटल एंड कंवेंशन सेंटर में शुगर समिट अवार्ड्स का वितरण रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के बीच हुआ. इस अवसर पर दर्शकों ने दिलकश फैशन शो का आनंद भी लिया. कार्यक्रम की मुख्य आकर्षण थीं बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा संगीता बिजलानी जिन्होंने मॉडल्स के साथ रैंप वॉक किया. रियलिटी शो विजेता बंधुओं शारिब और तोषी ने भी अपनी गायकी से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.
इससे पहले शुगर समिट 2022 कांफ्रेंस के उद्घाटन सत्र में श्री गैरेथ फोर्बर, डायरेक्टर ऑफ शुगर , एलएमसी इंटरनेशनल लंदन, श्री यतिन वाधवामा, डायरेक्टर, ग्रेडिएंट कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड व रॉबिन शॉ, सलाहकार, मारेक्स ने विश्व में चीनी आपूर्ति और मांग विषय पर चर्चा करते हुए ब्राजील द्वारा अधिकतम चीनी उत्पादन और यूरोपीय संघ में बीट (चुकंदर) की फसल पर ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव की चर्चा की.
दूसरे सत्र में भारत में चीनी की आपूर्ति और मांग पर चर्चा हुई. इस दौरान श्री हर्ष सोनी, फाउंडर ग्रीन लीफ कारपोरेशन ने भारत द्वारा सुक्रोज का उत्पादन चार करोड़ टन तक पहुंचने और इससे अधिक उत्पादन क्षमता पर चर्चा की. चर्चा के दौरान भविष्य में भी भारत के सुक्रोज निर्यातक बने रहने पर भी प्रकाश डाला गया.
तीसरे सत्र में ब्रांडेड चीनी के विकास पर चर्चा करते हुए श्री रवि गुप्ता, डायरेक्टर, श्री रेणुका शुगर्स लिमिटेड ने कमोडिटी ब्रांड्स के विकास पर चर्चा की. उन्होंने इस दौरान उत्पादकों द्वारा ब्रांडेड चीनी के बाजार से कैसे फायदा उठा कर कौन अग्रणी होगा, इस विषय पर चर्चा की.
चौथे सत्र में श्री विजय सरदाना अधिवक्ता, सर्वोच्च न्यायालय, तकनीकी-कानूनी, आईपीआर और अनुबंध मामलों में विशेषज्ञ, श्री प्रकाश बी, मैनेजिंग डायरेक्टर भारत एनर्जी स्टोरेज टेक्नोलॉजी प्रा. लिमिटेड, कर्नल मनीष आहूजा, मैनेजिंग डायरेक्टर, पंजाब रिन्यूएबल एनर्जी सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड व श्री बिमल जिंदल, हेड-ग्रीन एनर्जी डेवलपमेंट, लार्सन एंड टर्बो के पैनल ने ग्रीन हाइड्रोजन के ईंधन के विकल्प के रूप में प्रगोग पर चर्चा की.
पांचवें सत्र में चीनी उद्योग के तकनीकी पहलू व विश्व के किन हिस्सों में चीनी और कच्चे तेल की कीमतें बढ़ रही हैं विषय पर श्री नागराज मेदा, मैनेजिंग डायरेक्टर ट्रांसग्राफ कंसल्टिंग प्रा. लिमिटेड ने जानकारी दी.
छठे सत्र में चीनी उद्योग को सरकार से क्या उम्मीदें हैं, इस विषय पर पैनल डिस्कशन का आयोजन हुआ. इस चर्चा में विशिष्ट अतिथि माननीय राज्य मंत्री श्री संजय सिंह गंगवार, गन्ना विकास एवं चीनी मिल, उत्तर प्रदेश सरकार थे व केंद्र सरकार की तरफ से सुबोध सिंह आईएएस, संयुक्त सचिव चीनी खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग, भारत सरकार उपस्थित थे.
चर्चा में भाग लेते हुए श्री सुबोध सिंह ने कहा, "वर्ष 2022-23 के दौरान देश में गन्ने का उत्पादन रिकॉर्ड 465.05 मिलियन टन अनुमानित है. 2022-23 के दौरान गन्ने का उत्पादन, 373.46 मिलियन टन औसत गन्ना उत्पादन की तुलना में 91.59 मिलियन टन अधिक है. एथनॉल के उत्पादन में गन्ने का उपयोग भी 2022-23 में मौजूदा सत्र के मुकाबले अधिक होने की संभावना है. अगले सत्र में करीब 45-50 लाख टन गन्ना एथनॉल के लिये इस्तेमाल किये जाने की संभावना है, जबकि मौजूदा सत्र में 35 लाख टन गन्ने का इस्तेमाल किया गया है."
इस पैनल डिस्कशन में चीनी उद्योग के विशेषज्ञों श्री अतुल चतुर्वेदी, एग्जीक्यूटिव चेयरमैन, श्री रेणुका शुगर्स लिमिटेड, श्री आदित्य झुनझुनवाला, मैनेजिंग डायरेक्टर, के एम शुगर मिल्स लिमिटेड और प्रेसिडेंट इस्मा व श्री रवि गुप्ता, डायरेक्टर, श्री रेणुका शुगर्स लिमिटेड ने प्रतिभाग किया. सातवें सत्र में घरेलू संस्थागत खपत विषय पर श्री सोमनाथ चटर्जी, वाईस प्रेसिडेंट ( हेड ऑफ प्रोक्योरमेंट एंड लॉजिस्टिक्स) · आईटीसी लिमिटेड ने प्रकाश डाला.
अंतिम सत्र में शुगर इंडस्ट्री मूल्य के प्रभाव पक्ष पर पैनल डिस्कशन हुआ. इस पैनल डिस्कशन के मॉडरेटर श्री अतुल चतुर्वेदी, एग्जीक्यूटिव प्रेसिडेंट, श्री रेणुका शुगर्स लिमिटेड थे. इस पैनल डिस्कशन में श्री रवि गुप्ता, डायरेक्टर, श्री रेणुका शुगर्स लिमिटेड, श्री राहिल शेख, मैनेजिंग डायरेक्टर, एमईआईआर कमोडिटीज, श्री प्रफुल्ल विठलानी, प्रेसिडेंट आईएएसटीए, श्री हर्ष सोनी, ग्रीन लीफ कॉर्पोरेशन, श्री पंकज कसेरा, चेयरमैन शुगरकार्ट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, श्री अनिल कपूर, पार्टनर एसडीओपी, श्री अनूप कुमार, एमडी और सीईओ सुकडेन इंडिया ने प्रतिभाग किया.
अनिल अग्रवाल ने बताया कि वो आने वाले समय में उनकी कंपनी मनोरंजन के क्षेत्र में भी निवेश करने की तैयारी कर रही है. इस क्षेत्र में अभी बहुत कम जानकारी है.
भारत की तेजी से ग्रो करती अर्थव्यवस्था में एक ओर जहां विदेशी कंपनियां निवेश करने के लिए भारतीय साथी की तलाश कर रही हैं वहीं भारतीय कंपनियां भी अपनी निवेश लागत को लगातार बढ़ा रही हैं. इसी कड़ी में माइनिंग से लेकर पॉवर तक कई क्षेत्रों में काम करने वाली कंपनी के मालिक अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता लिमिटेड आने वाले 10 सालों में 2000 करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही है. कंपनी इस पैसे को जिन क्षेत्रों में निवेश करने जा रही है उनमें सेमीकंडक्टर, टेक्नोलॉजी और ग्लॉस जैसे सेक्टर सबसे अहम हैं.
किन क्षेत्रों में काम करने की हो रही है तैयारी
मुंबई में एक कार्यक्रम में बात करते हुए वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा कि उनकी कंपनी आने वाले 10 सालों में 2000 करोड़ रुपये का निवेश करने की तैयारी कर रही है. उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में ग्लास का कारोबार और तेजी से बढ़ने वाला है. मोबाइल से लेकर लैपटॉप और दूसरे उपरणों की मांग बढ़ने के कारण आने वाले समय में इस क्षेत्र की बड़ी मांग पैदा होने वाली है. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में उनकी कंपनी ताइवान में ये काम कर रही है लेकिन भविष्य में इसे भारत लाने की तैयारी भी कर रही है.
ये भी पढ़ें: Zomato वाले दीपेन्दर गोयल ने 79 करोड़ में खरीदी जमीन, जानिए किस पॉश इलाके में है प्लॉट
सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में काम कर रही है बीजेपी
वेदांता मौजूदा समय में सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भी उतरने की तैयारी कर रही है. कंपनी ने गुजरात में जमीन भी इस प्रोजेक्ट के लिए ले ली है. अनिल अग्रवाल का कहना है कि आने वाले 4 सालों में होने वाले इस 2000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ रोजगार के अवसर भी पैदा होने वाले हैं. अनिल अग्रवाल ने ये भी कहा कि वो आने वाले समय में मनोरंजन व्यवसाय में भी निवेश करने की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने ये भी कहा कि मौजूदा समय में मनोरंजन के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. अनिल अग्रवाल ने ये भी कहा कि उनका समूह नंद घरों की संख्या को अगले दो सालों में 6000 से 25 हजार तक करने की तैयारी कर रही है.
कर्ज को लेकर क्या बोले अनिल अग्रवाल?
वेदांता के प्रमुख अनिल अग्रवाल ने कर्ज के मामले को लेकर भी अपनी बात कही. उन्होंने कहा कि अभी कंपनी पर 12 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कर्ज है. लेकिन इसे लेकर उन्होंने कहा कि इसे प्रबंधित किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अब तक कभी भी समूह ने किसी भी कर्ज को लेकर अपनी प्रतिबद्धताओं को लेकर कोई चूक नहीं की है. उन्होंने कहा कि अगर किसी भी कारोबार की शुरूआत से शुरू करना है तो उसमें बड़े पैमाने पर पूंजी की जरूरत होती है. उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि भारत में पर्यावरण के मामलों को लेकर बड़े पैमाने पर चिंताए हैं. उन्होंने कहा कि आज निवेशक भारत में निवेश करने को लेकर उत्सुक हैं.
अनिल अग्रवाल फाउंडेशन (Anil Agarwal Foundation) ने नंद घर प्रोजेक्ट के तहत देश के करोड़ों बच्चों और महिलाओं के लिए गुणवत्तापूर्ण पोषण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से #KhanaKhayakya मुहिम शुरू की गई है.
अनिल अग्रवाल फाउंडेशन (Anil Agarwal Foundation) ने नंद घर प्रोजेक्ट (Nand Ghar Project) की ओर से देशभर के करोड़ों बच्चों की भूख मिटाने के लिए एक मुहिम (Movement) की शुरुआत की गई है. बॉलीवुड अभिनेता मनोज बाजपेयी भी इस मुहिम का हिस्सा बन गए हैं, जिसका उद्देश्य देश के करोड़ों बच्चों को अच्छा स्वास्थ्य और पोषण देना है. इस मुहिम का नाम 'अगर बचपन से पूछा खाना खाया, तो देश का कल बनाया-खाना खाया क्या?’ रखा गया है.
ये है इस मुहिम का लक्ष्य
नंद घर मुहिम का लक्ष्य देशभर में 14 लाख आंगनवाड़ियों को बदलना है. ये एक नेशनल मूवमेंट है, जिसका उद्देश्य समग्र स्वास्थ्य देखभाल, गुणवत्तापूर्ण पोषण और बच्चों के लिए सर्वोत्तम प्री-स्कूल शिक्षा सुनिश्चित करके भारत की भावी पीढ़ी का पोषण करना है.
राष्ट्रीय आंदोलन है नंद घर
वेदांता (Vedanta) के चेयरमैन अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) ने कहा कि प्रोजेक्ट नंद घर एक राष्ट्रीय आंदोलन है, जो स्वास्थ्य और पोषण पर ध्यान देने के साथ बच्चों और महिलाओं के समग्र विकास के लिए काम करता है. उन्हें खुशी है कि अभिनेता मनोज बाजपेयी उनकी इस मुहिम का हिस्सा बने हैं. उन्होंने बताया कि वर्तमान में वाराणसी में नंद घर प्रोजेक्ट के तहत 1364 आंगनबाड़ियों में 3-6 साल के बीच के 50,000 बच्चों को रोजाना प्रोटीन, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर भोजन दिया जा रहा है.
सपने पूरे करने के लिए पेट भरा होना जरूरी
मनोज बाजपेयी ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को अपने सपनों को पूरा करने और आगे बढ़ाने की ताकत उसके भरे पेट और पौष्टिक भोजन से ही आती है. यानी जब व्यक्ति का पेट भरा होगा, तभी वह उसे किसी भी काम को करने की ताकत मिलती है. मनोज बाजपेयी ने कहा कि भूख की पीड़ा से गुजरने वाले व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है. इसी कारण प्रोजेक्ट नंद घर जैसी पहल की जा रही है.
अभिनेता ने की प्रोजेक्ट से जुड़ने की अपील
मनोज बाजपेयी ने कहा कि यह मुहिम न केवल यह सुनिश्चित करेगी कि बच्चों को उचित पोषण मिले, बल्कि यह उनके उज्जवल भविष्य के लिए आशा और अवसर भी प्रदान करेगी. उन्होंने लोगों से नंद घर की इस मुहिम के लिए दान करने और वालंटियर के रूप में जुड़कर काम बनने का आग्रह किया.
अच्छा स्वास्थ्य और पोषण जरूरी
मैककैन वर्ल्डग्रुप इंडिया (McCann Worldgroup India) के सीईओ, सीसीओ और एशिया पैसिफिक (Asia Pacific) के चेयरमैन प्रसून जोशी ने कहा कि अगर हम अपने बच्चों को उनकी वास्तविक क्षमता का एहसास कराने और समग्र विकास के लिए पहले उन्हें अच्छा स्वास्थ्य और पोषण देना होगा.
जोमैटो के मालिक दीपेन्दर गोयल ने दिल्ली के एक पॉश इलाके में जमीन खरीदी है. उनकी इस डील की जानकारी जैसे ही सोशल मीडिया पर आई तो उनके फैन्स ने उन्हें बधाई देने में देर नहीं लगाई.
Zomato के मालिक दीपेन्दर गोयल ने साउथ दिल्ली में जमीन खरीदी है. दीपेन्दर ने मेहरौली के छतरपुर इलाके में ये जमीन खरीदी है वो पॉश इलाके में स्थित है. उनके इस जमीन के सौदे की खबर आते ही सोशल मीडिया पर मैसेज की झड़ी लग गई है. कोई जहां इस पर खुशी जता रहा है तो कोई नाराजगी जता रहा है. एक यूजर ने तो ये तो ये तक लिख दिया कि मुझे इसमें हिस्सा चाहिए. इस यूजर ने ये क्यों लिखा वो आपको स्टोरी में बताएंगे. दीपेन्दर मलिक ने इस डील के लिए 79 करोड़ रुपये चुकाए हैं और इसकी रजिस्ट्री भी हो गई है.
आखिर क्या है इस डील की पूरी जानकारी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, CRE Matrix की रिपोर्ट कहती है कि दीपेन्दर गोयल ने जो जमीन खरीदी है वो 2.5 एकड़ के दो प्लॉट हैं. ये दोनों सौदे अलग-अलग तारीख पर हुए हैं. दीपेन्दर गोयल की इस जमीन की पहली डील 28 मार्च 2023 को हुई है. जबकि दूसरी डील 1 सितंबर 2023 को हुई है. दोनों प्लॉट छत्तरपुर के डेरा मंडी गांव मे हैं. पहली जमीन दीपेन्दर गोयल ने लक्जलॉन बिल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड से खरीदी है जबकि दूसरी जमीन रवि कपूर नाम के प्लॉट होल्डर से खरीदी है. इस जमीन के लिए दीपेन्दर गोयल ने 3.5 करोड़ रुपये की स्टॉम्प ड्यूटी चुकाई है. हालांकि इस बारे में जमीन खरीदने वाले और बेचने वालों से संपर्क नहीं हो पाया है.
ये भी पढ़ें: खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं Byju’s की समस्या, अब इस कंपनी ने दायर की याचिका
सोशल मीडिया पर लोगों ने कही ये बात
Zomato के मालिक दीपेन्दर गोयल सोशल मीडिया पर बड़े सक्रिय हैं. इस जमीन सौदे की जानकारी जैसे ही उनके फैंश को मिली उसके बाद तुरंत कई लोगों ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देने में देरी नहीं लगाई. कई लोगों ने जहां उन्हें इस सौदे के लिए बधाई दी तो वहीं कई सोशल मीडिया फैंश ने लिखा कि इनको देखकर प्रेरणा मिलती है. एक अन्य यूजर ने लिखा ‘बधाई हो मिस्टर जोमैटो’. जबकि कई लोग उनसे डिलीवरी के लिए एक्सट्रा चार्ज न करने का अनुरोध कर रहे हैं. एक यूजर ने लिखा कि कल ही आपके एक राइडर ने मेरे 600 रुपये ले लिए और खाना भी नहीं दिया. अब मुझे आपसे जमीन में हिस्सा चाहिए.
जानते हैं कितनी है दीपेन्दर गोयल की नेटवर्थ?
वहीं अगर दीपेन्दर गोयल की नेटवर्थ पर नजर डालें तो उनके पास 2570 करोड़ रुपये की संपत्ति है. वहीं गुरुवार को जोमैटो के शेयर की स्थिति पर नजर डालें तो शेयर 193.60 रुपये पर खुला जबकि दोपहर में खबर लिखे जाने तक ये शेयर 195 रुपये पर ट्रेड कर रहा था. इस शेयर का 52 हफ्तों का सबसे अधिकतम मूल्य 199.70 रुपये था जबकि 52 हफ्तों का सबसे कम मूल्य 60.30 रुपये था. जोमैटो के तीसरी तिमाही के नतीजों पर नजर डालें तो उसके रेवेन्यू में 69 प्रतिशत का इजाफा हुआ था, जिसके बाद ये 3288 करोड़ रुपये रहा है. जोमैटो ने एक साल में 63 प्रतिशत का रिटर्न दिया है.
Google ने अपनी कोर टीम से लगभग 200 कर्मचारियों के पदों में कटौती की है. इससे पहले गूगल पूरी पायथन टीम को नौकरी से निकालने को लेकर चर्चा में था.
दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन और टेक दिग्गज कंपनी Google में हड़कंप मचा है. Google के कर्मचारी पिछले काफी समय से छंटनी की मार झेल रहे हैं. बीते दिनों पूरी पायथन टीम को निकालने के बाद एक बार फिर से कंपनी में छंटनी की खबर आ रही है. इस बार गूगल की कोर टीम में छंटनी की तलवार चल रही है. इस छंटनी में 200 कर्मचारियों को निकाला गया है.
तिमाही नतीजों से ठीक पहले ऐलान
Google ने बीते 25 अप्रैल को अपनी पहली तिमाही की धमाकेदार इनकम रिपोर्ट करने से ठीक पहले अपनी कोर टीम में बड़ी छंटनी की थी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इसके तहत कंपनी ने कम से कम 200 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया है. गूगल में ये नई छंटनी बीते दिनों फ्लटर, डार्ट और पायथन टीमों से कर्मचारियों को निकालने के बाद देखने को मिली है.
कर्मचारियों को E-Mail भेज दी जानकारी
रिपोर्ट के मुताबिक, Layoff का ऐलान Google डेवलपर इकोसिस्टम के वाइस प्रेसिडेंट असीम हुसैन ने किया और बीते सप्ताह कोर टीम में काम करने वाले अपने कर्मचारियों को इस संबंध में एक ईमेल भेजकर जानकारी दी थी. इसके अलावा उन्होंने एक टाउन हॉल में भी छंटनी और बदलाव को लेकर बात की थी. हुसैन ने कहा था कि यह इस साल उनकी टीम के लिए सबसे बड़ी नियोजित कटौती है.
कैसे भारत को होगा फायदा
सनीवेल, कैलिफोर्निया में कम से कम 50 इंजीनियरिंग पद समाप्त कर दिए गए. जबकि इंटरनल डॉक्यूमेंट्स बताते हैं कि कोर टीम्स के कई पदों को मैक्सिको और भारत में शिफ्ट कर दिया जाएगा. गूगल के सर्च बॉस प्रभाकर राघवन ने कहा कि वह भारत और ब्राजील जैसे प्रमुख बाजारों में यूजर्स के करीब टीम्स बनाने की योजना बना रहे हैं, जहां श्रम लागत कम है.
गूगल में इस साल और भी हुईं छंटनी
गूगल ने इन छंटनियों की पुष्टि पिछले हफ्ते ही कर दी थी. 2024 में एक झटके में इतने लोगों को एक साथ गूगल ने पहली बार बाहर किया गया है. इससे पहले इजराइल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष में इजराइल की टेक्नीकल मदद करने को लेकर कंपनी का उसके कुछ कर्मचारियों ने विरोध किया था. कंपनी ने उन सभी कर्मचारियों को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया है. गूगल साल 2023 की शुरुआत से ही अपने वर्कफोर्स में कमी ला रहा है. कंपनी ने तब अपने कर्मचारियों की संख्या में 6 प्रतिशत तक कमी लाने का ऐलान किया था. कंपनी ने तब 12,000 लोगों को नौकरी से निकालने की घोषणा की थी.
127 साल पुराने गोदरेज समूह का हाल ही में बंटवारा हो गया है. समूह की प्रॉपर्टी को दो हिस्सों में बांटा गया है.
गोदरेज समूह (Godrej Group) का हाल ही में बंटवारा हुआ है. 27 साल पुराने गोदरेज समूह को संस्थापक परिवार की दो शाखाओं के बीच बांटा गया है. एक हिस्सा 82 वर्षीय आदि गोदरेज और उनके 73 साल के भाई नादिर को मिलेगा. दूसरा हिस्सा उनके चचेरे भाई-बहन जमशेद गोदरेज और स्मिता गोदरेज को मिलेगा. गोदरेज समूह की 5 कंपनियां शेयर बाजार में लिस्टेड हैं. जबकि गोदरेज एंड बॉयस फिलहाल बाजार में सूचीबद्ध नहीं है. बंटवारे की खबर का असर समूह की लिस्टेड कंपनियों पर भी पड़ा है.
इनमें आई इतनी गिरावट
समूह की प्रमुख कंपनी Godrej Industries को शायद बंटवारा रास नहीं आया है. कंपनी के शेयरों में आज जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है. शुरुआती कारोबार में कंपनी के शेयर सात प्रतिशत से ज्यादा लुढ़क चुके हैं. खबर लिखे जाने तक गोदरेज इंडस्ट्रीज के शेयर करीबी 68 रुपए के नुकसान के साथ 892.90 रुपए पर कारोबार कर रहे थे. जबकि बीते 5 सत्रों में यह शेयर 4.67% और इस साल अब तक 15.01% का रिटर्न दे चुका है. इसी तरह, Godrej Properties के शेयरों में भी गिरावट आई है. आज दोपहर साढ़े 12 बजे तक यह 4 प्रतिशत से अधिक की नरमी के साथ 2,520.60 रुपए पर पहुंच गए थे. इस साल अब तक ये शेयर 25.90% चढ़ चुका है.
इन्हें मिला बंटवारे से बूस्ट
गोदरेज समूह की Astec LifeSciences भी स्टॉक मार्केट में लाल निशान पर कारोबार कर रही है. कंपनी के शेयर करीब 3% की गिरावट के साथ 1,253.50 रुपए पर कारोबार कर रहे हैं. इस साल अब तक इस शेयर ने अपने निवेशकों को 16.28% का रिटर्न दिया है. इसका 52 वीक का हाई लेवल 1,541.65 रुपए है. हालांकि, समूह की दो कंपनियों को बंटवारे से बूस्ट मिलता नजर आ रहा है. Godrej Consumer Products के शेयरों में अब तक 1.01% की तेजी आ चुकी है. 1,231.80 रुपए के भाव वाले इस शेयर ने पिछले पांच सत्रों में 2 प्रतिशत से अधिक की छलांग लगाई है. इसी तरह, Godrej Agrovet के शेयर भी मजबूती के साथ कारोबार कर रहे हैं. खबर लिखे जाने तक यह शेयर 3.65% चढ़कर 564 रुपए पर पहुंच गया था.
यह अभी भी एक सवाल है
बंटवारे के तहत आदि गोदरेज और नादिर के हिस्से में जहां गोदरेज इंडस्ट्रीज आई है. वहीं, आदि गोदरेज के चचेरे भाई-बहन जमशेद और स्मिता को नॉन-लिस्टेड कंपनी गोदरेज एंड बॉयस का मालिकाना हक मिला है. जमशेद और स्मिता के हिस्से में गोदरेज एंड बॉयस से जुड़ी कंपनियों के साथ ही मुंबई में एक प्लॉट और दूसरी महत्वपूर्ण संपत्ति भी मिलेगी. गोदरेज ग्रुप का कारोबार साबुन, होम अप्लायंस से लेकर रियल एएस्टेट तक फैला हुआ है. हालांकि, अभी यह साफ नहीं है कि गोदरेज एंड बॉयस के तहत समूह की 3000 करोड़ रुपए से अधिक की रियल एस्टेट संपत्ति को दोनों पक्षों के बीच कैसे विभाजित किया जाएगा.
कंपनी के लिए संकट का दौर सिर्फ एक फ्रंट पर नहीं है बल्कि कर्मचारियों की सैलरी से लेकर लगातार दायर होती दिवालिया याचिकाएं उसकी सबसे बड़ी समस्या हैं.
Byju’s की समस्याओं का फिलहाल अंत होता नहीं दिख रहा है. अब तक कई कंपनियों की दिवालिया याचिका के बाद कंपनी के खिलाफ अब चीनी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी ओप्पो (OPPO) ने NCLT में याचिका दायर कर दी है. OPPO ने दिवालिया याचिका पर नोटिस जारी किया है. गर्मियों की छुटिटयों के कारण कोर्ट के बंद होने के चलते अब इस पर मई के आखिर सप्ताह में सुनवाई होने की उम्मीद है.
आखिर क्या है ये पूरा मामला?
दरअसल Byju’s के खिलाफ ओप्पो (OPPO) से पहले कई कंपनियां अपने कर्ज को लेकर एनसीएलटी में घसीट चुकी हैं. जिन कंपनियों ने Byju’s के खिलाफ एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) में याचिका दायर की है उनमें बीसीसीआई, टर्म बी लोन प्रोवाइडर, फ्रांस स्थित टर्म लोन बी प्रोवाइडर और आईटी सर्विसेज देने वाली सर्फर शामिल है. अब इस कड़ी में ओप्पो का नाम भी शामिल हो गया है. यही नहीं टाइगर ग्लोबल, आउल वेंचर्स, सहित कई अन्य कंपनियां हैं जिन्होंने एनसीएलटी में Bayju’s के खिलाफ याचिका दी है.
ये भी पढ़ें: देश और विदेश में निवेश करेगा Jindal Stainless, कंपनी ने बनाया फ्यूचर प्लान
कंपनी के खिलाफ 6 ऑपरेशनल क्रेडिटर्स ने दायर की है याचिका
Byju’s के खिलाफ 6 ऑपरेशनल क्रेडिटर्स और एक फाइनेंशियल क्रेडिटर्स ने याचिका दायर की है. ऑपरेशनल क्रेडिटर्स वो होते हैं जो किसी भी कंपनी को कोई सर्विस मुहैया कराते हैं जबकि फाइनेंशियल क्रेडिटर्स वो होते हैं जो किसी भी कंपनी को कर्ज मुहैया कराते हैं. Byju’s के खिलाफ दिवालिया याचिका दायर करने वालों में ऑपरेशनल क्रेडिटर्स ज्यादा हैं. हालांकि ओप्पो की ओर से अपने कर्ज को लेकर किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं दी गई है.
कई तरह की परेशानियों से जूझ रही है कंपनी
Byju’s की परेशानियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं. सबसे बड़ी समस्या यही नहीं हैं कि उसके कर्जदार उसके खिलाफ दिवालिया याचिका दायर कर रहे हैं. बल्कि कंपनी को अपने कर्मचारियों के स्तर पर भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जहां अब तक कई कर्मचारियों को निकाला जा चुका है वहीं दूसरी ओर जो लोग काम कर रहे हैं उनकी सैलरी को लेकर भी कंपनी को संकट का सामना करना पड़ रहा है.
Jindal Stainless ने रणीतिक निवेश और क्षमता विस्तार के लिए 3 बड़े एलान किए है. कंपनी ने इंडोनेशिया की एक कंपनी के साथ भी जॉइंट वेंचर का एलान किया है.
देश की बड़ी स्टील मैन्युफैक्चरिंग कंपनी Jindal Stainless ने आज बड़े स्तर पर विस्तार और अधिग्रहण योजना का एलान किया. कंपनी ने यह एलान मेल्टिंग और डाउनस्ट्रीम क्षमता को बढ़ावा देने के लिए किया है. इसे योजना के लागू करने के बाद ये कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है. Jindal Stainless ने इसके लिए इंडोनेशिया की स्टेनलेस स्टील मेल्ट शॉप (SMS) के साथ जॉइंट वेंचर का एलान किया है. दोनों कंपनियों की इस JV का कुल प्रोडक्शन सालाना स्तर पर करीब 12 लाख टन (MTPA) होगा. इसके बाद कंपनी नेट मेल्टिंग क्षमता 40% बढ़कर 42 लाख तक पहुंचा जाएगा. इसके लिए करीब ₹700 करोड़ का निवेश होगा.
इंफ्रा फैसिलिटी में भी करेगी विस्तार
इसके साथ ही कंपनी ने जयपुर, ओडिशा में डाउनस्ट्रीम लाइन के विस्तार के लिए ₹1,900 करोड़ का निवेश करेगी ताकि मेल्टिंग क्षमता के प्रोसेस को बढ़ाया जा सके. साथ ही कंपनी रेलवे साइडिंग, स्टेनेबिलिटी प्रोजेक्ट्स और रिन्युएबल एनर्जी जेनरेशन जैसी इंफ्रास्ट्रक्चरल फैसिलिटी से जुड़े काम पर ₹1,450 करोड़ खर्च करेगी.
इस कंपनी में 54% हिस्सा खरीदेगी
कंपनी ने एक्सचेंज फाइलिंग में यह भी बताया कि वो Chromeni Steels (CSPL) में 54% हिस्सा का अधिग्रहण करेगी, जिसके पास गुजरात के मुंद्रा में 0.6 MTPA कोल्ड रोलिंग मिल है. इस लेनदेन में ₹1,340 करोड़ का निवेश होगा, जिसमें मौजूदा समय का ₹1,295 करोड़ के कर्ज का टेकओवर है. इक्विटी पर्चेज भी ₹45 करोड़ भी शामिल है.
कंपनी ने विकास योजना की तैयार
Jindal Stainless के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर से मंजूरी प्राप्त ऐतिहासिक फैसलों को लेकर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए Jindal Stainless के मैनेजिंग डायरेक्टर अभ्युदय जिंदल ने कहा कि इन अधिग्रहणों और निवेशों के साथ हमने अग्रणी कंपनियों में शुमार होने के लिए एक स्पष्ट विकास योजना तैयार की है. इंडोनेशियाई जेवी (JV) संयुक्त उद्यम से हमें सर्वोतम गति और कच्चे माल की सुरक्षा मिलेगी. जाजपुर लाइनों के विस्तार से घरेलू व विदेशी ग्राहकों को बेहतर मूल्य मिलेगा. क्रोमेनी की कोल्ड रोलिंग मिल से भारत के साथ विदेश में भी हमारी पहुंच बढ़ेगी. लॉन्ग टर्म वैल्यू एडेड सेगमेंट में हमारी उपस्थिति मजबूत होगी.
इंडोनेशिया में निवेश जल्द
इस अवसर पर सीईओ और होल टाइम डायरेक्टर तरुण खुल्बे ने कहा कि इंडोनेशिया में अपस्ट्रीम सुविधाओं में निवेश जल्द होगा. इसकी साइट पर मौजूदा औद्योगिकी पार्क सुविधाओं को देखते हुए अगले 24 महीने में संचालन शुरू होने की उम्मीद की जा सकती है. लॉजिस्टिक्स और ऊर्जा लागत इंडोनेशिया को ऐसे निवेश के लिए और अधिक अनुकूल बनाती है. इसके अलावा, इंडोनेशिया सरकार ने निकेल धातु के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है. वह लॉन्ग टर्म टैक्स छूटों के माध्यम से डाउनस्ट्रीम सुविधाओं में निवेश को बढ़ावा दे रही है. क्रोमेनी का अधिग्रहण हमारे अलग-अलग उत्पादों में कोल्ड रोल उत्पादों को विस्तार देने की हमारी रणनीति के अनुरूप है.
इसके साथ ही इस बारे में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और ग्रुप सीएफओ अनुराग मंत्री ने कहा कि यह निवेश विशेष रूप से हमारी डाउनस्ट्रीम कोल्ड रोल्ड क्षमताओं को संतुलित करने में योगदान देकर इन्हें वैश्विक मानकों के करीब ले जाएगा. इंडोनेशिया में उत्पादन का वैकल्पिक मार्ग खुलने से कच्चे माल को लेकर जोखिम में कमी आएगी. हम इन निवेशों को आंतरिक संसाधनों और ऋण के संयोजन के माध्यम से वित्तपोषित करेंगे और लीवरेज अनुपात पर नजर रखेंगे.
क्या आप जानते हैं दुनिया का सबसे अमीर कैदी कौन है? अगर नहीं आइए आज हम आपको बताते हैं उस अमीर कैदी के बारे में और कितनी उसके पास दौलत है.
क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज बाईनेंस (Binance) के पूर्व सीईओ चेंगपेंग झाओ को चार महीने की कैद हो गई. दुनिया के सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज के फाउंडर चेंगपेंग को पिछले साल अमेरिकी एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और सैंक्शंस से जुड़े कानूनों के उल्लंघन के लिए दोषी ठहराया गया था. अब इस मामले में उन्हें चार महीने की कैद हुई है तो वह न सिर्फ अमेरिका के बल्कि दुनिया के सबसे अमीर कैदी हो गए हैं. एफटीएक्स (FTX) के सैम बैंकमन-फ्रायड (Sam Bankman-Fried) के बाद जेल जाने वाले किसी क्रिप्टो एक्सचेंज के दूसरे अहम मालिक हैं.
कई मामलों में हैं आरोपी
Binance के संस्थापक चांगपेंग झाओ पर साइबर क्रिमिनल्स, टेररिस्ट ग्रुप्स और चाइल्ड एब्यूजर्स को अपने प्लेटफॉर्म से ट्रेड करने की इजाजत देने जैसे कई अन्य आरोप भी हैं. बता दें कि अमेरिकी कोर्ट के जज रिचर्ड जोन्स ने यह सजा सुनाई है सजा सुनाए जाने से पहले कोर्ट में झाओ ने कहा कि मैं यहां विफल रहा, मुझे अपनी नाकामी पर गहरा अफसोस और इस बात का खेद है. अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि झाओ ने जानबूझकर बाल यौन शोषण, अवैध नशीली दवाओं के व्यापार और आतंकवाद का समर्थन करने वाले लोगों को अपने प्लेफार्म से व्यापार करने की अनुमति दी.
कितनी दौलत के मालिक हैं चैंगपेंग झाओ
चैंगपेंग झाओ दुनिया के सबसे अमीर कैदी के रूप में दर्ज हो चुके हैं. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक सजा के बावजूद उनके पास अभी भी 4300 करोड़ डॉलर (3.6 लाख करोड़ रुपये) की दौलत है. खास बात ये है कि क्रिप्टो मार्केट में तेजी आती है तो चेंगपेंग की दौलत और बढ़ेगी यानी कि वह और अमीर होते जाएंगे. 47 वर्षीय चेंगपेंग ने पिछले साल बाईनेंस के सीईओ का पद छोड़ दिया था. हालांकि कंपनी पर उनका प्रभाव बना हुआ है. बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में उनके करीबी दोस्तों का वर्चस्व है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक बाईनेंस में उनकी करीब 90% हिस्सेदारी भी बरकरार है.
तीन साल की सजा की उठाई गई थी मांग
सिएटल में अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट जज रिचर्ड जोन्स ने चेंगपेंग झाओ को चार महीने की कैद सुनाई है. अभियोजकों (प्रॉसिक्यूटर्स) ने तीन साल के सजा की मांग की थी. इसके अलावा चेंगपेंग की कैद फेडरल गाइडलाइंस के मुताबिक एक से डेढ़ साल की सजा से भी काफी कम है. वहीं दिवालिया हो चुकी FTX के ग्राहकों के 800 करोड़ डॉलर चुराने के मामले में मार्च में सैम-बैंकमन- फ्रायड को 25 साल की सजा हुई थी. सैम अपने ऊपर लगे आरोपों और सजा के खिलाफ अपील कर रहे हैं.
2017 में की थी बाइनेंस की शुरुआत
चांगपेंग झाओ ने बाइनेंस की शुरुआत 2017 में की थी. यह दुनिया का सबसे बड़ा क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज है. बाइनेंस की स्थापना के बाद झाओ ने कई क्रिप्टोएक्सचेंज का अधिग्रहण किया. अब वे सब इसके इकोसिस्टम का हिस्सा है. इसके अलावा बायनेंस के पास खुद की क्रिप्टोकरेंसी, कई क्रिप्टो वॉलेट और नई क्रिप्टोकरेंसी को लॉन्च करने वाला एक लॉन्चपैड भी है.
गूगल के शेयरों के भारी उछाल ने सुंदर पिचाई को दुनिया के सबसे ज्यादा कमाई वाले सीईओ की लिस्ट में शामिल कर दिया है.
गूगल के इंडियन बॉस सुंदर पिचाई (Google Boss Sundar Pichai) ने अपने टैलेंट का ऐसा जलवा बिखेरा है कि कंपनी सफलता की नई ऊंचाई पर पहुंच गई है. पिचाई के कार्यकाल में गूगल के शेयरों में 400 फीसदी से अधिक की वृद्धि दर्ज हुई है. कंपनी की आर्थिक सेहत भी पहले से बेहतर हुई है. जाहिर है, इसका फायदा सुंदर पिचाई को भी हुआ है. उनकी दौलत का पहाड़ अब और भी ज्यादा ऊंचा हो गया है. पिचाई दुनिया के सबसे ज्यादा कमाई करने वाले सीईओ में शुमार हैं.
AI को दिया है बढ़ावा
पिचाई ने गूगल में AI को बढ़ावा दिया है, जिसकी वजह से कंपनी की आर्थिक ग्रोथ तेज हो गई है. निवेशक कंपनी पर पहले से ज्यादा विश्वास करने लगे हैं. सुंदर पिचाई अगस्त 2015 में गूगल के सीईओ बने थे. तब से अब तक कंपनी के शेयरों में 400 फीसदी से अधिक उछाल आ गया है. Google का शेयर एसएंडपी 500 और नैस्डैक से बेहतरीन प्रदर्शन कर रहा है. शेयरों के भारी उछाल ने सुंदर पिचाई को दुनिया के सबसे ज्यादा कमाई करने वाले सीईओ की लिस्ट में शामिल कर दिया है. उनकी संपत्ति लगभग एक अरब डॉलर हो गई है.
पिचाई के पास इतने शेयर
पिचाई की कुल संपत्ति में मौजूदा शेयरों का मूल्य 424 मिलियन डॉलर है. उन्होंने CEO बनने के बाद जो शेयर बेचे थे उनका मूल्य लगभग 600 मिलियन डॉलर था. माना जाता है कि बेचे गए शेयरों पर टैक्स चुकाने के बाद उन्हें फिर से शेयर बाजार में निवेश कर दिया गया. पिचाई के CEO बनने के बाद से Google के प्रोडक्ट पोर्टफोलियो में लगातार विस्तार हुआ है. इसमें Google Assistant, Google Home, Google Pixel और Google Workspace शामिल हैं. सुंदर AI को अपनाने वालों में सबसे आगे रहे हैं, जिसका फायदा कंपनी को मिला है. हालांकि, उनके AI प्रोजेक्ट की आलोचना भी हुई है और OpenAI के साथ प्रतिस्पर्धा करने की उनकी काबिलियत पर सवाल भी उठे हैं. लेकिन पिछले हफ्ते की कमाई ने संकेत दिया कि कंपनी को AI में किए गए निवेश का अब फायदा मिलना शुरू हो गया है.
आलीशान घर के मालिक
भारतीय मूल के सुंदर पिचाई का वास्तविक नाम सुंदरराजन है. तमिलनाडु के मदुरै में 1972 में जन्मे पिचाई चेन्नई में पले-बढ़े. उनकी मां लक्ष्मी एक स्टेनोग्राफर और पिता रघुनाथ पिचाई इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे. उनका परिवार एक छोटे से दो कमरों वाले अपार्टमेंट में रहता था. उनके पास टेलीविजन या कार जैसी सुविधाएं नहीं थीं. कभी-कभी उनके घर में पानी भी नहीं होता था. आज उनके पास दौलत की कोई कमी नहीं है. वह कैलिफोर्निया के लॉस अल्टोस में सांता क्लारा की पहाड़ी पर स्थित आलीशान घर में रहते हैं. करीब 31.17 एकड़ में फैले इस घर का शानदार इंटीरियर सभी को आकर्षित करता है. घर का इंटीरियर उनकी पत्नी अंजलि पिचाई द्वारा डिजाइन किया गया था. एक अनुमान के मुताबिक, पिचाई के घर की कीमत 40 मिलियन डॉलर के आसपास है.
लग्जरी कारों का कलेक्शन
सुंदर पिचाई के पास कई लग्जरी कारें हैं. इसमें Mercedes-Maybach S650 भी शामिल है, जिसकी कीमत 3.21 करोड़ है. इसके अलावा उनकी कारों के कलेक्शन में पोर्श, बीएमडब्ल्यू और रेंज रोवर भी शामिल हैं. बता दें कि IIT खड़गपुर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद, सुंदर पिचाई को अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से स्कॉलरशिप मिली थी. उन्होंने पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल से MBA किया है. मैककिन्से में सलाहकार के रूप में काम करने के बाद 2004 में पिचाई प्रोडक्ट मैनेजर के रूप में Google से जुड़े और यहां से उनकी जिंदगी बदलती चली गई. अपने इस प्रोफाइल में उन्होंने Google टूलबार और Google Chrome के लिए काम किया था.
देश इस समय लोकसभा चुनाव से गुजर रहा है. 7 चरणों के इस चुनाव के 2 चरण हो चुके हैं. इसके नतीजे 4 जून को आएंगे.
मोदी सरकार (Modi Govt) की वापसी यानी Modi 3.0 की आस केवल बीजेपी या उसके समर्थकों को ही नहीं है, बल्कि तमाम एक्सपर्ट्स और वैश्विक संस्थाएं मानते हैं कि भारत के आर्थिक विकास के लिए मोदी का सत्ता में लौटना जरूरी है. उन्हें लगता है कि आर्थिक सुधारों की दिशा में मोदी सरकार ने अब तक जो काम किए हैं, उन्हें गति देने के लिए उनका सत्ता में लौटना जरूरी है.
इस तरह मिलेगा फायदा
मोदी सरकार भारत को मैन्युफैक्चरिंग बनाने की दिशा में काम कर रही है. विदेशी कंपनियों को लुभाने के साथ ही सरकार स्थानीय कंपनियों के हितों का भी ख्याल रख रही है और उसमें उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI Scheme) योजना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. तमाम निवेशकों को लगता है कि इस योजना को और बेहतर ढंग से क्रियान्वित करने के लिए मोदी को तीसरा कार्यकाल मिलना चाहिए. फ्रांस के बैंकिंग समूह सोसियाते जेनेराली (Societe Generale) ने एक रिपोर्ट में कहा है कि पीएलआई बेहतर ढंग से लागू होने पर भारत एक्सपोर्ट हब बन सकेगा. साथ ही सार्वजनिक पूंजीगत व्यय में वृद्धि होगी और सरकार संचालित उद्यमों का निजीकरण होगा.
...तो आ सकती है गिरावट
सोसियाते जेनेराली को भी लगता है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को जीत मिलेगी. उसकी रिपोर्ट में कहा गया है कि जनमत सर्वेक्षणों में आम सहमति से BJP के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की उम्मीद जताई गई है. शेयर बाजार भी इसी उम्मीद के साथ आगे बढ़ रहा है. लेकिन यदि सरकार में बदलाव होता है, तो 2004 की तरह अल्प अवधि में शेयर बाजार में गिरावट आ सकती है. ऐसे में महत्त्वपूर्ण यह है कि मध्यम अवधि के लिए सरकार स्थिर रहे.
सरकार की महत्वपूर्ण उपलब्धि
फ्रांस के बैंकिंग समूह ने कहा कि 2018-19 के बाद निवेश चक्र में बदलाव जारी है. हालांकि, कोरोना महामारी के दौरान 2020 और 2021 में इसमें जरूर बाधा आई थी. Societe Generale में कहा गया है कि यह मोदी सरकार की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है कि उसने पिछले चार साल में पूंजीगत व्यय को करीब 100% बढ़ा दिया है. आने वाले समय में सरकार को राजकोषीय घाटे को 3% के दायरे में रखने के लिए वृद्धि की दर को कम करना पड़ सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक, पीएलआई योजना से करीब 100 अरब डॉलर की बिक्री की गई है. हालांकि, यह बिक्री इस योजना की शुरुआत के अनुमान से करीब 20 फीसदी कम है. वैसे Apple आईफोन के अच्छे निर्यात और टेस्ला से संभावित बातचीत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरकार की कुछ उल्लेखनीय सफलताएं हैं.
2020 में हुई थी शुरुआत
बता दें कि भारत एक इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग के प्रमुख स्थान के रूप में उभर रहा है. इस क्षेत्र से जुड़ीं दुनियाभर की कंपनियां भारत आ रही हैं. मोबाइल फोन के लिए PLI योजना की सफलता को देखते हुए पिछले साल आईटी हार्डवेयर के लिए पीएलआई 2.0 को मंजूरी दी गई थी. देश में मोबाइल फोन उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने पहली बार 2020 में PLI योजना की शुरुआत की थी. इससे इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र को बड़े पैमाने पर बढ़ावा मिला है. भारत आज दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता है और इसमें PLI योजना का बड़ा योगदान है. मोबाइल फोन का निर्यात इस साल 11 अरब अमेरिकी डॉलर यानी करीब 90 हजार करोड़ रुपए के आंकड़े को पार कर गया है.
आखिर क्या है PLI योजना?
मोदी सरकार ने घरेलू उत्पादन को बढ़ाने और आयात बिल कम करने के लिए 2020 में प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम यानी PLI योजना की शुरुआत की गई थी. इस योजना के तहत सरकार कंपनियों को भारत में बने उत्पाद की बिक्री के आधार पर इंसेंटिव देती है. योजना का उद्देश्य घरेलू कंपनियों को देश में अपना उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना है. इस योजना के तहत विदेशी कंपनियों को भारत में अपना कारोबार स्थापित करने के लिए विशेष रियायत दी जाती है. विदेशी कंपनियों को कैश इंसेंटिव प्राप्त होता है.