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‘मैं हूं ना’ और ‘मैं ही हूं’ के बीच बस एक छोटी सी लाइन का फर्क है: डॉ. अनुराग बत्रा
प्रीतम सिंह मेमोरियल का ये तीसरा कांफ्रेंस है. दिल्ली में शुरू हुए तीन दिन के इस इवेंट का विषय रिइमेजिनिंग द फ्यूचर ऑफ बिजनेस: लीडरशिप, डिजिटाइजेशन, और सस्टेनेबिलिटी की चुनौती रखा गया है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 6 months ago
प्रीतम सिंह मेमोरियल के तीसरे संस्करण में देशभर के अलग-अलग क्षेत्रों के कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने भाग लिया. उन सभी के बीच बिजनेस वर्ल्ड के चेयरमैन, एडिटर इन चीफ और एक्सचेंज फॉर मीडिया के संस्थापक डॉ. अनुराग बत्रा ने कई अहम बातें कहीं. उन्होंने कांफ्रेंस के बीच में सामने आई ‘मैं हूं ना’ की बात पर अपनी बात जोड़ते हुए कहा इन दिनों मैं हूं ना ज्यादा सुनाई देता है. उन्होंने कहा कि इन दोनों के बीच में बहुत पतली लाइन है. उडॉ. बत्रा ने कई और अहम विषयों पर भी अपनी बात रखी.
प्रीतम सिंह एक लाइट हाउस की तरह हैं
डॉ. अनुराग बत्रा ने प्रीतम सिंह के बारे में अपनी बात रखते हुए कहा कि मैं जब भी उनसे मिलता था तो वो हमेशा ऊर्जावान और सकारात्मक ऊर्जा से भरे हुए नजर आते थे. उन्होंने बताया कि कई बार अगर मैं उनसे पूछता कि सर आखिर ये काम कैसे होगा तो वो मुझसे कहते थे कि चिंता मत करो हो जाएगा. डॉ. अनुराग बत्रा ने कहा कि मैंने हमेशा उन्हें एक लाइटहाउस की तरह महसूस किया जिसने सभी को प्रेरणा दी है.
प्रीतम सिंह की ये थी सबसे बेहतरीन स्किल
डॉ. अनुराग बत्रा ने प्रीतम सिंह के बारे में कई बातों को रखते हुए कहा कि उनके अंदर ऐसी प्रतिभा थी कि वो हर क्षेत्र के लोगों के साथ बेहद आसानी से घुल मिल जाते थे. उन्होंने कहा कि किसी भी आदमी के लिए ये बेहद मुश्किल होता है लेकिन उन्हें मैने जब भी देखा उनका दायरा बेहद विशाल नजर आता था. डॉ. अनुराग बत्रा ने कहा कि हमारे बीच कुछ ही लोग ऐसे होते हैं तो जो कुछ खास काम करते हैं. उनका व्यक्तित्व ऐसा होता है कि पूरी दुनिया उनको और उनकी बातों को फॉलो करती है. उन्होंने कहा कि उनकी कई क्वॉलिटी में सबसे बड़ी क्वॉलिटी ये भी थी कि वो हमेशा ही बड़ा सोचते थे.
सबसे बड़ी समस्या क्या है?
डॉ. अनुराग बत्रा ने इस कार्यक्रम में मौजूदा दौर की सबसे बड़ी चुनौती को लेकर भी सभी के सामने अपनी बात रखी. उन्होंने इजराइल के एक युवक की बात को सभी के सामने रखा जिसने दोस्त की जान की खातिर एवरेस् ट के टॉप से वापस आने को ज्यादा वरीयता दी. उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया में क्लॉइमेट चेंज एक बड़ी समस्या बनकर सामने आया है. आज अफ्रीका में चार महीने पहले गर्मियों का मौसम आ जाता है. उन्होंने इंसान के जीवन में ज्यादा सोने की अहमियत को भी सामने रखा.
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