TATA Motors के चौथी तिमाही के नतीजों में कंपनी को अच्छा फायदा हुआ है. जहां एक ओर कंपनी का राजस्व बढ़ा है वहीं दूसरी ओर ऑपरेशनल आय भी बेहतर रही है.
ऑटोमोबाइल सेक्टर की बड़ी कंपनी टाटा मोटर्स ने अपने ग्राहकों की सुविधा के लिए फाइनेंस सेक्टर की बड़ी कंपनी बजाज फाइनेंस के साथ हाथ मिलाया है. दोनों कंपनियों के बीच हुए इस एमओयू में टाटा मोटर्स की सब्सिडियरी कंपनियां टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल और टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी जैसी कंपनियां अपन ग्राहकों को आसानी से फाइनेंस की सुविधा उपलब्ध करा पाएंगी. वही बजाज फाइनेंस भी टाटा मोटर्स की सप्लाई चेन को बाजार से उचित दामों में कर्ज मुहैया कराएगा.
दोनों के बीच हुआ करार क्या कहता है?
दोनों कंपनियों के बीच हुए इस समझौते के बाद टीपीईएम के चीफ फाइनेंस ऑफिसर और टीएमपीवी के निदेशक धीमान गुप्ता ने कहा कि बजाज फाइनेंस के साथ साझेदारी डीलरों की कार्यशील पूंजी तक पहुंच को और आसान बनाएगी. इस साझेदारी के बाद बजाज फाइनेंस न्यूनतम गारंटी में टाटा मोटर्स की सब्सिडियरी कंपनियों के ग्राहकों को कर्ज मुहैया करा पाएगी.
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बजाज फाइनेंस सह प्रबंध निदेशक ने कही ये बात
टाटा मोटर्स और बजाज फाइनेंस के बीच हुई इस साझेदारी के बाद बजाज फाइनेंस के सह प्रबंध निदेशक अनूप साहा ने कहा कि हम इस साझेदारी के बाद टीएमपीवी और टीपीईएम के ग्राहकों और इलेक्ट्रिक वाहन डीलरों को और सशक्त करने का काम करेंगे. उन्होंने कहा कि इससे सिर्फ डीलरों को ही फायदा नहीं होगा बल्कि ये पूरी इंडस्ट्री को फायदा करेगा. उन्होंने कहा कि हमने हमेशा ही भारत स्टैक का फायदा उठाकर व्यवसायियों से लेकर ग्राहकों को फायदा पहुंचाने की कोशिश की है.
कैसे रहे हैं टाटा मोटर्स के Q4 के नतीजे?
टाटा मोटर्स के चौथी तिमाही के नतीजे 10 मई को जारी कर दिए हैं. कंपनी की ओर से जारी किए गए इन आंकड़ों के अनुसार, कंपनी के मुनाफे में 221.89 प्रतिशत और राजस्व में 13.27 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. वहीं क्वॉर्टर आय में 16.2 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला है जबकि सालाना आधार पर ये ग्रोथ 80.94 प्रतिशत रही है. कंपनी का मार्केट कैप 377663.8 करोड़ रहा है जिसका 52 हफ्तों हाई 1065.6 रुपये और 52 हफ्तों का लो 504.75 रुपये रहा है.
विदेशी निवेशक लगातार भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे हैं. इस वजह से हमारे मार्केट में कमजोरी दिखाई दे रही है.
शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव जारी है. मंगलवार यानी कल बाजार बड़ी गिरावट के साथ बंद हुआ और निवेशकों के करीब 5.29 लाख करोड़ रुपए डूब गए. इस गिरावट की एक वजह विदेशी निवेशकों द्वारा बाजार से लगातार पैसा निकालना भी रही. इस दौरान बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 820.97 अंकों के नुकसान के साथ 78,675.18 और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 257.85 अंक फिसलकर 23,883.45 पर बंद हुआ. चलिए जानते हैं कि आज किन कंपनियों के शेयर फोकस में रह सकते हैं.
MACD के ये हैं संकेत
सबसे पहले बात करते हैं मोमेंटम इंडिकेटर MACD के संकेतों की. मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डिवर्जेंस (MACD) ने आज के लिए Apl Apollo Tubes Ltd, HCL Technologies और Nalwa Sons Investments पर तेजी का रुख दर्शाया है. इसका मतलब है कि इन शेयरों में तेजी देखने को मिल सकती है. ऐसे में यदि आप दांव लगाते हैं तो मुनाफा कमाने की गुंजाइश भी बन सकती है. हालांकि, BW हिंदी आपको सलाह देता है कि शेयर बाजार में निवेश से पहले किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से परामर्श ज़रूर कर लें, अन्यथा आपको नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. इसी तरह, MACD ने केयर रेटिंग्स, बंगाल एंड असम कंपनी, पॉली मेडिक्योर, नियोजन केमिकल्स, बॉम्बे बुमराह ट्रेडिंग कॉरपोरेशन, जेन टेक्नोलॉजीज और गोपाल स्नैक्स में मंदी के संकेत दिए हैं. यानी इनमें आज गिरावट देखने को मिल सकती है. लिहाजा इनमें निवेश को लेकर सावधान रहें.
इन पर भी रखें नज़र
आज आप नैटको फार्मा और नायका के शेयरों पर भी नज़र रख सकते हैं. इन शेयरों में आज एक्शन देखने को मिल सकता है. दरअसल, नैटको फार्मा का चालू वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही का एकीकृत शुद्ध लाभ सालाना आधार पर 83% बढ़कर 676 करोड़ रुपए रहा है. जबकि कंपनी का पिछले वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में शुद्ध मुनाफा 369 करोड़ रुपए था. इस दौरान उसकी परिचालन आय सालाना आधार पर 1,031 करोड़ से बढ़कर 1,371 करोड़ रुपए हो गई. नतीजों से उत्साहित कंपनी के बोर्ड ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 2 रुपए मूल्य वाले प्रत्येक शेयर पर 1.5 रुपए का दूसरा अंतरिम लाभांश (Dividend) घोषित किया है. ऐसे ही फैशन एंड ब्यूटी रिटेलर नायका का दूसरी तिमाही में कंसोलिडेटेड नेट प्रॉफिट 66% की तेजी के साथ 13 करोड़ रुपए पहुंच गया. जबकि पिछले साल की इसी तिमाही में कंपनी को 7.8 करोड़ का प्रॉफिट हुआ था.
(डिस्क्लेमर: शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन है. 'BW हिंदी' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. सोच-समझकर, अपने विवेक के आधार पर और किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह के बाद ही निवेश करें, अन्यथा आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है).
दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी Bitcoin के दाम आज कारोबारी सत्र के दौरान 90 हजार डॉलर के पास पहुंच गए. सुबह के समय बिटकॉइन की कीमत में 10 प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा देखने को मिला था.
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की जीत के बाद डॉगेकॉइन (Dogecoin) के साथ ही अब बिटकॉइन (Bitcoin) की कीमत ने भी लंबी छलांग लगा दी है. दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत और मार्केट कैप रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गए हैं. बिटकॉइन के दाम कारोबारी सत्र के दौरान मंगलवार यानी 12 नवंबर 2024 को 87,208.15 यूएसडी (USD) पर बंद हुए, जबकि मार्केट कैप कई देशों की जीडीपी को भी पार कर गया है. असेट क्लास की बात करें तो बिटकॉइन ने सिल्वर को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की 8वीं सबसे बड़ी असेट क्लास हो चुकी है. इसके अलावा कई बड़ी कंपनियों के मार्केट कैप को भी इसने पीछे छोड़ दिया है. तो चलिए जानते हैं बिटकॉइन कीमत अब कितनी हो गई है?
90 हजार डॉलर के करीब बिटकॉइन
दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन के दाम 90 हजार डॉलर के करीब पहुंच गई है. कॉइन डेस्क के आंकड़ों के अनुसार बिटकॉइन की कीमत 89,995.12 डॉलर के साथ लाइफ टाइम हाई पर पहुंच गई. सुबह के समय बिटकॉइन की कीमत में 10 प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा देखने को मिल रहा था. शाम को 86,833.43 यूएसडी (USD) पर बंद हुआ. वैसे बीते एक हफ्ते यानी 5 सितंबर के बाद से बिटकॉइन की कीमत में 26 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिल चुकी है. वहीं एक साल में 136 प्रतिसत का इजाफा देखने को मिल है.
इतना हो गया मार्केट कैप
बिटकॉइन की कीमतों में लगातार तेजी की वजह से मार्केट कैप में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है. मौजूदा समय में बिटकॉइन का मार्केट कैप 1.75 ट्रिलियन डॉलर के पार चला गया है. खास बात तो ये है कि बिटकॉइन दुनिया की 8वीं सबसे बड़ी असेट बन चुकी है. मंगलवार को बिटकॉइन ने इस मामले में सिल्वर को पीछे छोड़ा है. जिसका मार्केट कैप 1.73 ट्रिलियन डॉलर का है. वैसे ओवरऑल क्रिप्टोकरेंसी का मार्केट कैप 2.94 ट्रिलियन डॉलर पर आ गया है. जिसमें पिछले 24 घंटे के मुकाबले में 5 प्रतिशत की तेजी देखने को मिली है.
इन देशों की जीडीपी को छोड़ा पीछे
बिटकॉइन ने कई देशों की जीडीपी को भी पीछे छोड़ दिया है. यूरोप की बड़ी इकोनॉमी में शुमार स्पेन की जीडीपी बिटकॉइन के मुकाबले कम हो गई है. दुनिया की 15वीं सबसे बड़ी इकोनॉमी स्पेन की जीडीपी मौजूदा समस में 1.73 ट्रिलियन डॉलर है. इंडोनेशिया और तुर्की जैसे देशों की जीडीपी भी बिटकॉइन के कुछ नहीं है. मौजूदा समय में इंडोनेशिया की जीडीपी 1.4 ट्रिलियन डॉलर देखने को मिल रही है. वहीं बात तुर्की की करें तो 1.34 ट्रिलियन डॉलर देखने को मिल रही है. एक्सपर्ट्स के अनुसार आने वाले दिनों में बिटकॉइन का मार्केट कैप ऑस्ट्रेलिया और मैक्सिको जैसे देशों की जीडीपी को भी पीछे छोड़ सकता है.
मेटा और टेस्ला जैसी दिग्गज कंपनियों से आगे पहुंचा बिटकॉइन
बिटकॉइन का मार्केट कैप दुनिया की टॉप कंपनियों के मार्केट कैप से बड़ा हो गया है. बिटकॉइन ने फेसबुक की पेरेंट कंपनी मेटा प्लेटफॉर्म्स को पीछे छोड़ दिया है, जिसका मार्केट कैप 1.472 ट्रिलियन डॉलर है. वहीं, दूसरी ओर दुनिया के सबसे अमीर कारोबारी एलन मस्क की कंपनी टेस्ला को भी पीछे छोड़ दिया है. मौजूदा समय में टेस्ला का मार्केट कैप 1.123 ट्रिलियन डॉलर को पीछे छोड़ा है. वहीं, दूसरी ओर दुनिया के सबसे बड़े इंवेस्टर वॉरेन बफे की कंपनी बर्कशायर हैथवे भी बिटकॉइन के पीछे है और कंपनी का कुल मार्केट कैप 1.007 ट्रिलियन डॉलर है.
Faridabad IEC LV मोटर मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट ने सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए सोलर पावर सौर रिन्यूएबल एनर्जी का उपयोग और विस्तार किया.
ABB इंडिया का IEC LV मोटर्स कारोबार अब देश में कंपनी की लंबे समय से स्थापित मैन्यूफैक्चरिंग फैसिलिटी का विस्तार कर रहा है. 1951 में शुरू हुआ यह प्लांट अब एक विस्तारित आधुनिक कार्यस्थल और अपग्रेड शॉपफ्लोर्स से लैस है. IEC LV मोटर्स भारतीय उद्योगों के मुख्य उपकरण माने जाते हैं और विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. दशकों से यह सुविधा IE3 और IE4 उच्च ऊर्जा दक्षता वाली मोटरों, साथ ही फ्लेमप्रूफ मोटर, स्मोक एक्सट्रैक्शन मोटर, क्रेन ड्यूटी मोटर, ब्रेक मोटर जैसी विशिष्ट मोटरों के मैन्यूफैक्चरिंग का केंद्र बन गई है.
स्थिरता के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता
36,000 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला फरीदाबाद प्लांट सस्टेनेबिलिटी से संबंधित प्रथाओं को बढ़ावा देने में अग्रणी रहा है. इसने रिन्यूएबल एनर्जी के उपयोग को अपनाया है और प्लांट में ऊर्जा दक्षता में सुधार किया है ताकि कम कार्बन संचालन को हासिल किया जा सके. इसके संचालन से संबंधित Scope 2 GHG उत्सर्जन को समाप्त करने के लिए वैश्विक RE100 प्रतिबद्धता का पालन करते हुए, प्लांट ने 2023 में 180 MWh का इनहाउस सौर ऊर्जा उत्पादन किया. प्लांट की पर्यावरण के प्रति समर्पण को भारतीय ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (IGBC) द्वारा 'प्लैटिनम लेवल ग्रीन फैक्ट्री बिल्डिंग्स' प्रमाणपत्र से सम्मानित किया गया है. इसके अलावा इस सुविधा ने अपने 99 प्रतिशत कचरे को लैंडफिल से दूर कर दिया है, जो कंपनी के लैंडफिल में शून्य अपशिष्ट के दीर्घकालिक सस्टेनेबिलिटी लक्ष्य के अनुरूप है.
संजीव अरोड़ा की प्रतिक्रिया
ABB इंडिया मोशन बिजनेस के अध्यक्ष संजीव अरोड़ा ने कहा है कि फरीदाबाद संयंत्र का हाल ही में उद्घाटन और इसका निरंतर उन्नयन न केवल हमारे दीर्घकालिक विरासत का महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, बल्कि यह टेक्नोलॉजी और सस्टेनेबिलिटी के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करता है. हमारी गहरी उपस्थिति हमारे आपूर्ति आधार के स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को समृद्ध करने के लिए हमारी साझेदारी में निहित है. यह स्थान हमारे ऊर्जा कुशल IE3 और IE4 मोटरों के उत्पादन में एक प्रमुख योगदानकर्ता है, जो अब हमारे मोटर आदेशों का आधा हिस्सा बन चुके हैं. फरीदाबाद में निर्मित फ्लेमप्रूफ मोटर जैसी विशिष्ट मोटरें भारत भर में अनगिनत स्थापना स्थलों की सुरक्षा बढ़ा रही हैं. हम सामुदायिक निर्माण और ऊर्जा कुशल समाधानों में निवेश कर रहे हैं ताकि हम अपने ग्राहकों की बदलती आवश्यकताओं को पूरा करते हुए पर्यावरण पर सकारात्मक योगदान दे सकें.
स्थानीय उत्पादन क्षमता में वृद्धि
ABB इंडिया का फोकस स्थानीय निर्माण क्षमताओं, उत्पादकता और गुणवत्ता को बढ़ाना है, जो वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए आवश्यक हैं. उच्च दक्षता वाली प्रौद्योगिकियों, डिजिटलीकरण और स्वचालन को अपनाने से लागत दक्षता और कुल प्रदर्शन में सुधार होगा. टेक्नोलॉजी अपनाने के लिए एक सहायक पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देकर, ABB विभिन्न क्षेत्रों में उभरते अवसरों को पकड़ने के लिए अच्छी स्थिति में है, जिसमें डेटा केंद्र, फार्मास्यूटिकल्स और बायोएथनॉल शामिल हैं.
ये परिणाम OnMobile की मोबाइल गेमिंग में निरंतर बढ़ोतरी और उन्नत नेटवर्क इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण की दिशा में की जा रही पहल को दर्शाते हैं.
दुनिया में मोबाइल गेमिंग और एंटरटेनमेंट की अग्रणी कंपनी OnMobile Global Limited ने वित्त वर्ष 2025 (FY25) की दूसरी तिमाही के नतीजों की घोषणा की है. Q2 FY25 में कंपनी की आय 1,319 मिलियन रुपये रही, जो पिछली तिमाही की तुलना में 4.7% बढ़ी है. कंपनी का EBITDA 18 मिलियन रुपये रहा, जो 1.4% के मार्जिन को दर्शाता है. मोबाइल गेमिंग से होने वाली आय में 27.3% की वृद्धि हुई और यह 322 मिलियन रुपये रही. Q2 FY25 में मोबाइल गेमिंग के सक्रिय सब्सक्राइबरों की संख्या 8.49 मिलियन हो गई, जिसमें 11.6% की वृद्धि हुई.
कंपनी की DeOSphere के साथ है साझेदारी
OnMobile ने DeOSphere के साथ एक रणनीतिक साझेदारी की है ताकि DeOS ऑपरेटिंग सिस्टम के माध्यम से एडवांस्ड गेमिंग और नेटवर्क सेवाएं प्रदान की जा सकें. इसमें स्ट्रीमिंग और एज कम्प्यूटिंग तकनीकें भी शामिल हैं, जो OnMobile के वैश्विक नेटवर्क इन्फ्रास्ट्रक्चर पर लागू की जाएंगी. इस साझेदारी के तहत, DeOSphere OnMobile से कम से कम 30 प्वाइंट्स ऑफ प्रेज़ेंस (POPs) लीज़ पर लेगा, ताकि एक उन्नत ग्लोबल गेमिंग और AI एज नेटवर्क बनाया जा सके. ये परिणाम OnMobile की मोबाइल गेमिंग में निरंतर बढ़ोतरी और उन्नत नेटवर्क इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण की दिशा में की जा रही पहल को दर्शाते हैं.
कंपनी परिणामों पर क्या कहा?
Q2 FY25 के परिणामों पर टिप्पणी करते हुए OnMobile के प्रेसिडेंट और COO बिक्रम सिंह शेरावत ने कहा कि हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारी मोबाइल गेमिंग आय तिमाही दर तिमाही बढ़ रही है. हमारे सक्रिय सब्सक्राइबरों की संख्या भी अच्छे से बढ़ी है, जो अब 8.49 मिलियन तक पहुँच चुकी है. हम इस साल के अंत तक गेमिंग को लाभदायक बनाने के लक्ष्य पर हैं और अब बड़े रणनीतिक सौदों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जो हमारे व्यवसाय को अगले स्तर पर ले जाएंगे.
OnMobile की ग्लोबल CFO राधिका वेणुगोपाल ने कहा कि हमारी आय में तिमाही आधार पर 4.7% की अच्छी वृद्धि हुई है, जिसमें हमारा गेमिंग व्यवसाय लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहा है. पिछले तिमाही के मुकाबले EBITDA मार्जिन में सुधार हुआ है, जिसका मुख्य कारण आय में हुई बढ़ोतरी है. हम लाभ को और बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.
Elon Musk की सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस Starlink भारत में जल्द शुरू हो सकती हैं. कंपनी ने डेटा स्टोरेज और सिक्योरिटी के बारे में भारत सरकार के नियमों का पालन करने पर सहमति जताई है.
भारतीय लोगों को जल्द ही सेटेलाइट इंटरनेट सर्विस का अनुभव मिल सकता है. दरअसल, एलन मस्क (Elon Musk) की सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस स्टारलिंक (Starlink) भारत में जल्द शुरू हो सकती हैं. कंपनी ने डेटा स्टोरेज और सिक्योरिटी से जुड़े भारत सरकार के नियमों का पालन करने पर सहमति जताई है. ये स्टारलिंक के लिए सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विसेस प्रदान करने के लिए आवश्यक लाइसेंस प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. तो आइए जानते हैं अब स्टारलिंक सर्विस शुरू होने में कितना समय लगेगा?
अभी इन सब पर भी करना होगा काम
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार स्टारलिंक ने सरकार के नियमों का पालन करने की अपनी इच्छा दिखाई है, लेकिन उसे अभी भी इन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आधिकारिक तौर पर अपना एग्रीमेंट प्रस्तुत करना होगा. भारत में काम करने के लिए, स्टारलिंक जैसी सैटेलाइट कम्युनिकेशन कंपनियों को देश के भीतर सभी यूजर डेटा स्टोर करना होगा. यह एक महत्वपूर्ण शर्त है जिसे सरकार से अपना लाइसेंस प्राप्त करने से पहले पूरा किया जाना चाहिए. स्टारलिंक को यह बताना पड़ सकता है कि जरूरत पड़ने पर सरकारी एजेंसियां डेटा तक कैसे पहुंच सकती हैं.
IN-SPACe कर रही निगरानी
स्टारलिंक का आवेदन इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड अथॉराइजेशन सेंटर (IN-SPACe) की निगरानी में आगे बढ़ रहा है, जो भारत में अंतरिक्ष गतिविधियों को नियंत्रित करता है. उन्होंने अपनी स्वीकृति को अंतिम रूप देने के लिए स्टारलिंक से अधिक जानकारी मांगी है. हाल ही में एक इंटरव्यू में, IN-SPACe के अध्यक्ष पवन कुमार गोयनका ने बताया कि उन्होंने स्टारलिंक और अमेजन दोनों के सैटेलाइट प्रोजेक्ट पर भी सवाल उठाए हैं और आवश्यक डिटेल जुटाने पर काम कर रहे हैं. बता दें, अक्टूबर 2022 में स्टारलिंक ने GMPCS (ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट सर्विसेज) लाइसेंस नाम के एक स्पेसिफिक लाइसेंस के लिए आवेदन किया था, जो उनकी सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस स्थापित करने का पहला कदम है, जिसमें आमतौर पर एक ट्रायल पीरियड शामिल होती है.
दिसंबर तक शुरू हो सकती है स्टारलिंक की सर्विस
स्टारलिंक सिक्योरिटी जब एक बार सरकार की सभी आवश्यकताओं को पूरा कर लेता है और टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) सैटेलाइट सर्विसेस के लिए प्राइसिंग और स्पेक्ट्रम एलोकेशन के नियमों को अंतिम रूप दे देता है, तो भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विसेस आधिकारिक रूप से शुरू हो सकती हैं. उम्मीद है कि ट्राई दिसंबर के अंत तक अपनी सिफारिशें पूरी कर लेगा, जिससे देश में स्टारलिंक के लॉन्च का रास्ता साफ हो जाएगा. वहीं, मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज ने हाल ही में भारत की टेलीकॉम रेगुलेटरी बॉडी से बिना नीलामी के सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटित करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आह्वान किया है. ऐसे में यह कदम एलन मस्क की स्टारलिंक के लिए एक नई चुनौती खड़ी कर सकता है.
ANAROCK की एक रिपोर्ट के अनुसार खरीदार 50 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये कीमत का मकान खरीदने का अंतिम निर्णय लेने में सबसे अधिक यानी 30 दिन का समय लगा रहे हैं.
अपने घर में रहना हर किसी का सपना होता है. ऐसे में हर कोई अपने बजट के हिसाब से छोटा या बड़ा मकान खरीदने का निर्णय लेता है. अब भारत में मकान खरीदना निवेश का भी सबसे अच्छा विकल्प उभरकर सामने आ रहा है. खरीदार अब मकान खरीदने का निर्णय लेने में भी कम समय ले रहे हैं. कोविड के बाद से मकान लेने की इच्छा को खरीदने में बदलने में लगने वाले दिनों की संख्या में कमी आई है. बहुत महंगे लग्जरी मकानों को खरीदने वाले लोग सबसे कम दिन का समय ले रहे हैं. ये खुलासा संपत्ति सलाहकार फर्म एनारॉक समूह की एक लेटेस्ट रिपोर्ट में हुआ है. तो आइए इस रिपोर्ट पर एक नजर डालते हैं.
अब कम समय में मकान खरीदने का निर्णय ले रहे लोग
एनारॉक की रिपोर्ट्स से मिले आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 में मकान लेने की सोच को मकान लेने के निर्णय में बदलने में 33 दिन लग रहे थे, जबकि वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में दिनों की संख्या घटकर 26 रह गई है. हालांकि मकान लेने की योजना को बुकिंग में बदलने के ये दिन पिछले वित्त वर्ष के 25 दिनों से एक दिन अधिक है.
50 लाख से एक करोड़ रुपये कीमत के मकान में अधिक समय
एनारॉक की रिपोर्ट के अनुसार खरीदार 50 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये कीमत का मकान खरीदने का अंतिम निर्णय लेने में सबसे अधिक यानी 30 दिन का समय लगा रहे हैं. खरीदारों ने एक करोड़ से 3 करोड़ रुपये कीमत के मकान खरीदने के निर्णय में इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में 27 दिन लगाए, दो से तीन करोड़ रुपये कीमत के मामले में इन दिनों की संख्या 26 रही. वहीं, खरीदारों ने पिछले वित्त वर्ष एक से दो करोड़ रुपये कीमत के मकान खरीदने का निर्णय लेने में सबसे अधिक 32 दिन का समय लिया. किफायती मकानों के संबंध में निर्णय लेने के दिनों की संख्या पिछले वित्त वर्ष की तुलना में चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में एक दिन घटकर 26 दिन रह गई. खरीदारों को वित्त वर्ष 2021 में मकान बुक करने में आज की तुलना में अधिक समय लगा, जो वर्तमान में मकानों की मजबूत मांग की गति को दर्शाता है. यह देखते हुए कि पिछले कुछ वर्षों में ब्रैंडेड डेवलपर्स द्वारा नई आपूर्ति में वृद्धि देखी गई है.
अल्ट्रा लग्जरी मकानों की बुकिंग में लग रहा कम समय
बजट श्रेणी के आंकड़ों के अनुसार खरीदार अल्ट्रा-लक्जरी मकानों (3 करोड़ रुपये से अधिक कीमत) को लेने की योजना को बुकिंग में तब्दील करने में सबसे कम समय लेते हैं. वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में खरीदारों ने इन मकानों को लेने के निर्णय में केवल 15 दिन का समय लिया, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में 22 दिन लिए थे. एनारॉक समूह के अध्यक्ष अनुज पुरी कहते हैं कि अल्ट्रा-लक्जरी घरों के खरीदार त्वरित निर्णय लेने के लिए वित्तीय रूप से सक्षम हैं. साथ ही हाई-एंड मकानों की वर्तमान में सबसे अधिक मांग भी है.
आवासीय क्षेत्र में किफायती और मध्यम श्रेणी के मकान खरीदारों की हिस्सेदारी ज्यादा
पुरी ने कहा कि मकान खरीदने का निर्णय लेने में दिनों की संख्या में आई इस कमी से उल्लेखनीय बदलाव दिखने की संभावना नहीं है क्योंकि भारतीय मकान खरीदार खरीदारी का निर्णय हल्के में नहीं लेते हैं. इसकी वजह उनकी अधिकांश या सारी बचत इसमें लग जाती है. लक्जरी और अल्ट्रा-लक्जरी मकान खरीदारों के साथ ऐसा नहीं है, लेकिन इनकी आवासीय क्षेत्र में हिस्सेदारी 10 से 11 प्रतिशत ही है. बड़ा हिस्सा किफायती और मध्यम श्रेणी के मकान खरीदारों का रहता है.
सैजिलिटी इंडिया का आईपीओ केवल 3.20 गुना ही सब्सक्राइब हो सका और अभी लिस्टिंग पर भी निवेशकों को निराशा हाथ लगी है.
सैजिलिटी इंडिया लिमिटेड (Sagility India Limited) के आईपीओ (IPO) की स्टॉक एक्सचेंज पर बेहद फीकी लिस्टिंग हुई है. सैजिलिटी इंडिया के शेयर एनएसई और बीएसई पर 31.06 रुपये के लेवल पर धीमी शुरुआत, जो 30 रुपये के इश्यू प्राइस से मजह 3.53 प्रतिशत अधिक है. बता दें कि यह आईपीओ 5 नवंबर को ओपन हुआ था, जबकि इसमें 7 नवंबर तक बोली लगाई गई थी.
5 नवंबर को ओपन हुआ था आईपीओ
इस आईपीओ की वैल्यू 2,106.60 करोड़ रुपये थी और तीन दिनों तक बोली के बाद 3.2 गुना बिड मिली थी और यह मजबूत मांग के साथ बंद हुआ था. आईपीओ को 38.7 करोड़ शेयरों के मुकाबले 123.99 करोड़ शेयरों के लिए बोलियां मिलीं. रेटल इंवेस्टर की ओर से 4.16 गुना बुक किया गया, जबकि नॉन-इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर्स (NII) कैटेगरी में 1.93 गुना सब्सक्रिप्शन मिला. इसके अलावा, योग्य संस्थागत खरीदारों (QIB) का हिस्सा भी 3.52 गुना बोलियों के साथ पूरी तरह से सब्सक्राइब हुआ,जबकि कंपनी के कर्मचारियों के कोटे में भी 3.75 गुना बोलियां मिली थीं. बता दें कि इस आईपीओ का इश्यू प्राइस 28-30 रुपये प्रति शेयर था.
लिस्टिंग से पहले ग्रे मार्केट में इतना था GMP
शेयर बाजार में कदम रखने से पहले सैगिलिटी इंडिया के शेयरों में ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) में तेज गिरावट देखी गई. कंपनी के शेयर आज ग्रे मार्केट में 1 रुपये से भी कम के प्रीमियम पर ट्रेड कर रहे थे. बता दें कि आईपीओ ओपन होने से ठीक पहले सैगिलिटी इंडिया की पैरेंट कंपनी ने इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर्स को अपने 2.61 प्रतिशत शेयरों को बेच दिया था, जिसकी कीमत 366 करोड़ रुपये थी. हालांकि, सैगिलिटी इंडिया को इस पब्लिक ऑफर से कोई रकम नहीं मिली. दरअसल, यह पूरी तरह से ऑफर फॉर सेल (OFS) था. कंपनी ने फाइनेंशियल ईयर 2024 की पहले क्वार्टर में 47.5% की गिरावट के साथ 22.3 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया था, जबकि उसकी कुल इनकम 1,223 करोड़ रुपये थी, जो बीते साल से 9.6% अधिक थी.
क्या करती है कंपनी?
सैजिलिटी इंडिया अमेरिकी हेल्थकेयर बीमा कंपनियों को सोल्यूशंस और सर्विसेज प्रदान करती है. कंपनी पेयर्स और प्रोवाइडर्स दोनों ही के कोर बिजनेस को सपोर्ट करती है. सैजिलिटी इंडिया के वित्तीय प्रदर्शन को देखें तो वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान कंपनी के रेवेन्यू में 13 फीसदी और नेट प्रॉफिट में 59 फीसदी का उछाल देखने को मिला है. वित्त वर्ष 2023-24 में सैजिलिटी इंडिया का रेवेन्यू13% बढ़कर 4,781.5 करोड़ रुपये रहा है जो इससेपहले वित्त वर्ष में 4,236.06 करोड़ रुपये रहा था. कंपनी का नेट प्रॉफिट 59% बढ़कर 228.27 करोड़ रुपये रहा है जो वित्त वर्ष 2022-23 में 143.57 करोड़ रुपये रहा था. मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही अप्रैल-जून में रेवेन्यू 1,247.76 करोड़ रुपये रहा है जबकि 22.29 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है.
रिलायंस इंडस्ट्रीज अगले 5 साल में 500 कम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट स्थापित करने के लिए आंध्र प्रदेश में 65,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी. ये उनका गुजरात के बाहर क्लीन एनर्जी का सबसे बड़ा निवेश होगा.
एशिया के दिग्गज कारोबारी मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीयल लिमिटिड (RIL) क्लीन एनर्जी क्षेत्र में हजारों करोड़ों रुपये निवेश करने जा रही है. दरअसल, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड आंध्र प्रदेश में अगले 5 साल में 500 कम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट स्थापित करने के लिए 65,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी. ये उनका गुजरात के बाहर क्लीन एनर्जी का सबसे बड़ा निवेश होगा. वहीं, इस निवेश से राज्य के लाखों लोगों को रोजगार भी मिलेगा. तो आइए जानते हैं क्या है रिलायंस और आंध्र प्रदेश सरकार की पूरी प्लानिंग?
आंध्र प्रदेश में होगा निवेश
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस समझौते को फाइनल आकार देने के लिए आय यानी 12 नवंबर 2024 को विजयवाड़ा में मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की उपस्थिति में रिलायंस और आंध्र प्रदेश उद्योग विभाग के बीच एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किए जाएंगे. आंध्र प्रदेश राज्य सरकार ने हाल ही में अधिसूचित एकीकृत स्वच्छ ऊर्जा नीति के तहत जैव ईंधन परियोजनाओं के लिए प्रोत्साहन पेश किया है. इनमें पांच साल के लिए कंप्रेस्ड बायोगैस पर निश्चित पूंजी निवेश पर 20 प्रतिशत की पूंजी सब्सिडी के साथ-साथ स्टेट GST और बिजली शुल्क की पांच साल की पूरी प्रतिपूर्ति शामिल है.
इतने करोड़ रुपये होंगे निवेश, लाखों लोगों मिलेगा रोजागार
जानकारी के अनुसार रिलांयस आंध्र प्रदेश में स्थापित होने वाले प्रत्येक प्लांट में 130 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बना रही है. इसे किसी बंजर भूमि पर स्थापित किया जाएगा. राज्य सरकार के अनुमान के अनुसार इनसे 250,000 लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होने की उम्मीद है. इस योजना को मुंबई में रिलासंय की स्वच्छ ऊर्जा पहल के प्रमुख अनंत अंबानी और आंध्र प्रदेश के आईटी मंत्री नारा लोकेश, जो रोजगार सृजन पर राज्य कैबिनेट की उप-समिति का नेतृत्व भी करते हैं, इन सभी के बीच अंतिम रूप दिया गया है.
किसानों को भी होगा फायदा
रिलायंस न केवल सरकारी बंजर भूमि का कायाकल्प करेगी बल्कि किसानों के साथ काम करेगी और उनकी आय बढ़ाने के लिए उन्हें ऊर्जा फसलों की खेती में प्रशिक्षित भी करेगी. किसान अपनी आय सालाना 30,000 रुपये प्रति एकड़ तक बढ़ाने में सक्षम होंगे. वहीं, बायोगैस प्लांट से राज्य में कई वित्तीय और गैर-वित्तीय लाभ भी होंगे.
इस साल एक अप्रैल से 10 नवंबर के बीच नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 15.41 प्रतिशत बढ़कर 12.11 लाख करोड़ रुपये हो गया है. इसमें नेट कॉरपोरेट टैक्स और नॉन-कॉरपोरेट टैक्स दोनों शामिल हैं.
अगर आप इनकम टैक्स जमा करते हैं, तो आपको ये जानकर खुशी होगी, कि इस बार देश के टैक्सपेयर्स ने एक बड़ा रिकॉर्ड बनाया है. दरअसल, टैक्सपेयर्स ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए मौजूदा वित्त वर्ष के 224 दिनों में हर घंटे औसतन 225 करोड़ रुपये जमा किया है. इसमें नेट कॉरपोरेट टैक्स और नॉन-कॉरपोरेट टैक्स मिलाकर टैक्सपेयर्स अब तक लाखों करोड़ रुपये का टैक्स जमा कर चुके हैं. तो चलिए जानते हैं टैक्सपेयर्स से हुई कमाई से सरकारी खजाने में कितने रुपये जमा हो गए हैं?
टैक्स कलेक्शन में हुई 15 प्रतिशत से ज्यादा इजाफा
इस साल एक अप्रैल से 10 नवंबर के बीच नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 15.41 प्रतिशत बढ़कर 12.11 लाख करोड़ रुपये हो गया है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के आंकड़ों के अनुसार इसमें 5.10 लाख करोड़ रुपये का नेट कॉरपोरेट टैक्स और 6.62 लाख करोड़ रुपये का गैर-कॉरपोरेट टैक्स (व्यक्तियों, एचयूएफ, फर्मों द्वारा भुगतान किए गए करों सहित) शामिल हैं. अन्य करों के मद में 35,923 करोड़ रुपये आए. आंकड़ों के अनुसार अप्रैल से 10 नवंबर के दौरान प्रत्यक्ष कर का सकल संग्रह 21.20 प्रतिशत बढ़कर 15.02 लाख करोड़ रुपये रहा.
रिफंड के समायोजन के बाद इतना हुआ टैक्स कलेक्शन
इस दौरान सरकार ने 2.92 लाख करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए गए, जो एक साल पहले की तुलना में 53 प्रतिशत अधिक है. रिफंड के समायोजन के बाद, नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन (जिसमें कॉरपोरेट, गैर-कॉरपोरेट और अन्य कर शामिल हैं) लगभग 12.11 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 10.49 लाख करोड़ रुपये से 15.41 प्रतिशत अधिक है. सरकार ने चालू वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष करों से 22.12 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य तय किया है, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 13 प्रतिशत अधिक है.
बजट में ये रखा है टारगेट
वहीं, सरकार ने वित्त वर्ष 2024 के लिए केंद्र के ग्रॉस टैक्स रेवेन्यू को रिवाइज्ड कर 34.4 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया था, जोकि वित्त वर्ष 2024 के बजट अनुमान से लगभग 1 लाख करोड़ रुपये ज्यादा है. वित्त वर्ष 2025 के अनुमानों के संबंध में, सरकार ने 11.7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 38.4 लाख करोड़ रुपये का बजट रखा है. टैक्सेशन से रेवेन्यू टारगेट को इनकम टैक्स में 16.1 प्रतिशत की वृद्धि, कॉरपोरेट टैक्स में 10.5 प्रतिशत और कस्टम ड्यूटी में 8.7 प्रतिशत का समर्थ प्राप्त है. वित्त वर्ष 2024 के संशोधित अनुमान की तुलना में जीएसटी कलेक्शन टारगेट को 11 प्रतिशत बढ़ाकर 10.6 लाख करोड़ रुपये कर दिया है.
अक्टूबर 2023 में एसआईपी के जरिए 16928 करोड़ रुपये का निवेश आया था जो अब 25323 करोड़ रुपये पर जा पहुंचा है.
म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए किया जाने वाला निवेश अक्टूबर 2024 में नए ऑलटाइम हाई पर जा पहुंचा है. अक्टूबर में एसआईपी निवेश का आंकड़ा 25000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार करते हुए 25323 करोड़ रुपये रहा है जो कि सितंबर 2024 में 24,509 करोड़ रुपये रहा था. जबकि एक साल पहले अक्टूबर 2023 में म्यूचुअल फंड्स में एसआईपी निवेश 16,928 करोड़ रुपये रहा था.
म्यूचुअल फंड में आए निवेश का डेटा जारी
म्यूचुअल फंड्स चलाने वाली एसेट मैनेजमेंट कंपनियों की संस्था एम्फी (Association of Mutual Funds in India) ने अक्टूबर 2024 के लिए म्यूचुअल फंड में आए निवेश का डेटा जारी किया है. इस डेटा के मुताबिक अक्टूबर महीने में इक्विटी म्यूचुअल फंड में इंफ्लो 21.69 फीसदी के उछाल के साथ 41,887 करोड़ रुपये रहा है. ये लगातार 44वां महीना है जब इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश पॉजिटिव जोन में रहा है. लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप तीनों ही सेगमेंट के फंड्स में जोरदार निवेश आया है.
हाईब्रिड फंड में सबसे ज्यादा निवेश
एम्फी के मुताबिक लार्ज-कैप फंड्स में 3452 करोड़ रुपये, मिड-कैप फंड्स में 4883 करोड़ रुपये, स्मॉल-कैप फंड्स में 3772 करोड़ रुपये का इंफ्लो आया है. अक्टूबर में हाईब्रिड फंड में सबसे ज्यादा 16863.3 करोड़ रुपये का निवेश आया है जो कि इसके पहले महीने में 4901 करोड़ रुपये रहा था. सेक्टरोल और थीमैटिक फंड्स में निवेश मामूली घटा है और सितंबर के 13255 करोड़ रुपये के मुकाबले अक्टूबर में 12,278 करोड़ रुपये का इंवेस्टमेंट आया है. सभी म्यूचुअल फंड का एसेट अंडर मैनेजमेंट अक्टूबर 2024 में 67.25 लाख करोड़ रुपये रहा है जो कि सितंबर 2024 में 67.09 करोड़ रुपये रहा था.
विदेशी निवेशकों की बिकवाली से बाजार में उठापटक
इक्विटी म्यूचुअल फंड को लेकर आए एम्फी के डेटा पर मोतीलाल ओसवाल एएमसी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और चीफ बिजनेस ऑफिसर अखिल चतुर्वेदी ने कहा, इक्विटी इंफ्लो 40000 करोड़ रुपये के आंकड़े के करीब स्थिन बना हुआ है. उन्होंने कहा, अमेरिकी चुनावों और दूसरे प्रमुख ग्लोबल इंवेट्स के चलते विदेशी निवेशकों की बिकवाली से बाजार में उठापटक देखी जा रही है. इसके बावजूद नेट इंफ्लो में उछाल घरेलू निवेशकों में भरोसे को साबित करता है जो इस उठापटक के बावजूद इक्विटी में निवेश लगातार किए जा रहे हैं.