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विपक्ष के आरोपों में कितना दम, मोदी राज में कितनी बढ़ी अंबानी-अडानी की संपत्ति?
विपक्ष कहता रहा है कि मोदी सरकार उद्योगपतियों को फायदा पहुंचा रही है. खासकर मुकेश अंबानी और गौतम अडानी पर वो ज्यादा मेहरबान है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
आम आदमी के हित की बात करके सत्ता में आई मोदी सरकार अब पूरी तरह से आर्थिक सुधारों पर फोकस हो गई है. इन सुधारों के नाम पर सरकारी संपत्तियों को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है. कुछ सरकारी कंपनियां बिक चुकी हैं और कुछ कतार में है. तमाम विरोध के बावजूद सरकार पीछे हटने को तैयार नहीं है. इस वजह से उस पर कई गंभीर आरोप भी लगते हैं. यह भी कहा जाता रहा है कि मोदी सरकार उद्योगपतियों को फायदा पहुंचा रही है. खासकर मुकेश अंबानी और गौतम अडानी पर वो ज्यादा मेहरबान है. जिस तरह से अडानी ग्रुप को एक के बाद एक एयरपोर्ट लीज पर मिले हैं, उससे इन आरोपों को और बल मिलता है.
मजबूत हुई फाइनेंशियल नींव
फिलहाल अडानी ग्रुप के पास 7 एयरपोर्ट्स का मैनेजमेंट आ गया है. वैसे बात केवल इतनी ही नहीं है,यदि दोनों अरबपतियों की संपत्ति के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो साफ नजर आता है कि 2014 के बाद से इनकी तरक्की का ग्राफ एकदम से खड़ा हो गया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 के बाद से अडानी की संपत्ति करीब 230 गुना बढ़ी है. इससे पहले, अडानी समूह की स्थिति अच्छी नहीं थी. शेयर बाजार पर समूह की कंपनियों के शेयरों को देखा जाए, तो समझ आ सकता है कि ग्रुप की फाइनेंशियल नींव कितनी मजबूत गई है.
22वें नंबर से सीधे 11 पर
फोर्ब्स की 2013 की अरबपतियों की सूची में मुकेश अंबानी की नेट वर्थ 21000 मिलियन USD थी. जबकि गौतम अडानी 2650 मिलियन USD की नेट वर्थ के साथ 22वें नंबर पर थे. इसी तरह 2014 की लिस्ट में अंबानी की नेट वर्थ 23.6 बिलियन USD बताई गई और अडानी 22वें नंबर से सीधे 11वें पर आ गए. इस दौरान उनकी नेटवर्क 7.1 बिलियन USD हो गई.
2 साल कम रही चाल
फोर्ब्स की इंडिया रिच लिस्ट 2015-16 के अनुसार, अंबानी-अडानी की नेट वर्थ में इन दो सालों में कुछ कमी देखने को मिली, लेकिन इसके बाद यानी 2017 में दोनों ने लंबी छलांग लगाई. रिलायंस इंडस्ट्री के चेयरमैन अंबानी की नेट वर्थ 2017 में बढ़कर 38 बिलियन डॉलर पहुंच गई, जबकि अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी की नेट वर्थ का आंकड़ा 11 बिलियन डॉलर पहुंच गया. इसके साथ ही लिस्ट में वह 11वें नंबर से 10वें स्थान पर आ गए.
सभी रह गए हैरान
साल 2018 भी दोनों अरबपतियों के लिए काफी अच्छा गया. अंबानी की नेट वर्थ 47.3 बिलियन डॉलर हो गई और अडानी की 11.9 बिलियन USD. लेकिन 2019 में गौतम अडानी की नेटवर्थ में ऐसा उछाल आया कि सभी हैरान रह गए. इस साल Forbes India Rich List में कई उद्योगपतियों को पछाड़ते हुए 2 नंबर पर आ गए और अंबानी के बाद देश के दूसरे सबसे अमीर शख्स बन गए. 2019 में उनकी नेटवर्थ का आंकड़ा 15.7 बिलियन USD को गया.
और चढ़ा दौलत का ग्राफ
साल 2018 भी दोनों अरबपतियों के लिए काफी अच्छा गया. अंबानी की नेट वर्थ 47.3 बिलियन डॉलर हो गई और अडानी की 11.9 बिलियन USD. लेकिन 2019 में गौतम अडानी की नेटवर्थ में ऐसा उछाल आया कि सभी हैरान रह गए. इस साल Forbes India Rich List में कई उद्योगपतियों को पछाड़ते हुए 2 नंबर पर आ गए और अंबानी के बाद देश के दूसरे सबसे अमीर शख्स बन गए. 2019 में उनकी नेटवर्थ का आंकड़ा 15.7 बिलियन USD हो गई. इसी दौरान, अंबानी की नेट वर्थ भी 51.4 बिलियन डॉलर हो गई. यानी उनकी दौलत का ग्राफ भी काफी चढ़ा.
अंबानी से ज्यादा इजाफा
इस दौरान,लक्ष्मी मित्तल और कुमार मंगलम बिडला जैसे उद्योगपतियों की नेटवर्थ में उतार देखने को मिला, लेकिन अंबानी-अडानी लगातार तरक्की करती रहे. यह कहना गलत नहीं होगा कि 2019 से गौतम अडानी की सफलता को पंख लग गए. साल 2020 में उनकी नेट वर्थ 22.2 बिलियन डॉलर जा पहुंची और अंबानी की 88.7 बिलियन USD. इसी तरह, 2021 की रिपोर्ट में मुकेश अंबानी की नेट वर्थ 92.7 बिलियन डॉलर बताई गई है, जबकि अडानी की 74.8 बिलियन डॉलर. अब 2020 और 2021 में दोनों अरबपतियों की नेटवर्थ की तुलना करें, तो इस एक साल में अडानी की नेटवर्थ करीब 52.6 बिलियन बढ़ी. वहीं, अंबानी के मामले में यह आंकड़ा 4 बिलियन डॉलर का रहा.
लगा था ये गंभीर आरोप
हाल ही में आई 2022 की फोर्ब्स की भारत के अरबपतियों की लिस्ट में मुकेश अंबानी भले ही पहले स्थान पर कायम रहे, लेकिन नेट वर्थ 90.7 बिलियन डॉलर रह गई. जबकि गौतम अडानी की नेट वर्थ 90 बिलियन डॉलर हो गई. ऐसे में कहा जा सकता है कि मोदी राज में अंबानी-अडानी दोनों ने खूब तरक्की की, लेकिन इस ‘खूब’ में अडानी का हिस्सा ज्यादा रहा. विपक्ष लगातार यह कहता आ रहा है कि मोदी सरकार अडानी-अंबानी को फायदा पहुंचा रही है. हाल ही में यह खबर भी सामने आई थी कि मोदी सरकार ने अडानी समूह को परियोजना देने के लिए श्रीलंका पर दबाब डाला था. हालांकि, श्रीलंका ने बाद में इस रिपोर्ट को गलत करार दे दिया.
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