डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति बन गए हैं. यह पहले से ही माना जा रहा था कि ट्रंप की जीत पर शेयर बाजार में उछाल देखने को मिलेगा.
शेयर बाजार कल गिरावट को पीछे छोड़ते हुए तेजी के साथ बंद हुआ. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत से हमारा बाजार भी उत्साहित नज़र आया. खासकर, आईटी और फार्मा कंपनियों के शेयरों में अच्छी-खासी बढ़त दर्ज हुई. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का 30 शेयरों सेंसेक्स 901.50 अंकों के उछाल के साथ 80,378.13 और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 270.75 अंक बढ़कर 24,484.05 पर पहुंच गया. हालांकि, इस तेजी के बावजूद कुछ शेयर ऐसे भी रहे जिनमें गिरावट देखने को मिली. इसमें हिंदुस्तान यूनिलीवर, टाइटन, इंडसइंड बैंक, एक्सिस बैंक और HDFC बैंक शामिल हैं. चलिए जानते हैं कि आज कौनसे शेयर ट्रेंड में रह सकते हैं.
इनमें दिख सकती है तेजी
मोमेंटम इंडिकेटर मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डिवर्जेंस (MACD) ने आज के लिए Gopal Snacks, VST Tillers Tractors, Anant Raj, ADF Foods और eClerx Services में तेजी के संकेत दिए हैं. इसका मतलब है कि इन शेयरों में तेजी देखने को मिल सकती है. ऐसे में यदि आप दांव लगाते हैं तो मुनाफा कमाने की गुंजाइश भी बन सकती है. हालांकि, BW हिंदी आपको सलाह देता है कि शेयर बाजार में निवेश से पहले किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से परामर्श ज़रूर कर लें, अन्यथा आपको नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.
इनमें मंदी के हैं आसार
इसी तरह, MACD ने Himatsingka Seide, Max Financial Services, EPL, Varun Beverages और Prime Securities पर मंदी का रुख दर्शाया है. इसका मतलब है कि इन शेयरों में गिरावट आ सकती है. लिहाजा इनमें निवेश को लेकर सावधान रहें. वैसे, Himatsingka Seide के शेयर कल तेजी के साथ 161.65 रुपए पर बंद हुए थे. इस दौरान, EPL में 2.52%, Varun Beverages में 2.52% और Prime Securities में 3.26% का उछाल दर्ज हुआ. जबकि Max Financial Services में करीब दो प्रतिशत की गिरावट आई.
इन पर भी रखें नज़र
अब उन शेयरों के बारे में भी जान लेते हैं जिनमें मजबूत खरीदारी देखने को मिल रही है. इस लिस्ट में आज EClerx Services, Piramal Pharma, Rainbow Kaynes Technology, Nuvama Wealth Management, Nalco, Coforge और Deepak Fertilisers का नाम शामिल है. दरअसल, इन शेयरों ने अपना 52 वीक का हाई लेवल पार कर लिया है, जो इनमें तेजी का संकेत देता है. इसलिए आज इन शेयरों पर भी नज़र रखें.
(डिस्क्लेमर: शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन है. 'BW हिंदी' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. सोच-समझकर, अपने विवेक के आधार पर और किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह के बाद ही निवेश करें, अन्यथा आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है).
त्यौहारी सीजन के बाद नवंबर में उपभोक्ताओं की भावना में गिरावट दर्ज हुई है. ये गिरावट अर्थव्यवस्था, व्यक्तिगत वित्त, निवेश और नौकरियों के प्रति धारणा में आई है.
भारत ने नवंबर 2024 में 29 देशों के सर्वेक्षण में राष्ट्रीय सूचकांक स्कोर में दूसरे स्थान पर अपनी स्थिति बनाए रखी है. हालांकि उपभोक्ता भावना (Consumer Sentiments) में त्योहारों के बाद की मंदी के कारण 5.3 प्रतिशत अंक की गिरावट आई है. यह जानकारी LSEG-Ipsos द्वारा जारी किए गए प्राथमिक उपभोक्ता भावना सूचकांक (PCSI) पर आधारित है. वैश्विक उपभोक्ता विश्वास सूचकांक सभी सर्वेक्षणित देशों के समग्र या "राष्ट्रीय" सूचकांकों का औसत होता है. इस महीने का सर्वेक्षण 29 देशों के 21,000 से अधिक वयस्कों पर किया गया था, जिनमें भारत में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह के सर्वेक्षण शामिल थे. सर्वेक्षण 25 अक्टूबर से 8 नवंबर 2024 तक हुआ.
ऐसे तय होती है उपभोक्ता भावना
LSEG-Ipsos PCSI के अनुसार उपभोक्ता भावना चार प्रमुख क्षेत्रों में मापी जाती है और नवंबर में इन सभी क्षेत्रों में गिरावट देखी गई. PCSI वर्तमान व्यक्तिगत वित्तीय स्थिति (Current Personal Financial Condition) उप-सूचकांक (Current Conditions) में 7.7 प्रतिशत अंक की गिरावट आई है. वहीं PCSI आर्थिक अपेक्षाएं ( Economic Expectations) (Expectations) उप-सूचकांक में 6.5 प्रतिशत अंक की कमी आई. इसके अलावा PCSI निवेश वातावरण (Investment Climate) (Investment) उप-सूचकांक में 7.3 प्रतिशत अंक की गिरावट और PCSI रोजगार आत्मविश्वास (Employment Confidence) (Jobs) उप-सूचकांक में 2.2 प्रतिशत अंक की कमी आई है. Ipsos के CEO अमित आदरकर ने कहा है कि भारत ने राष्ट्रीय सूचकांक स्कोर में अपनी आशावादी स्थिति बनाए रखी है, लेकिन नवंबर में उपभोक्ता भावना में महत्वपूर्ण गिरावट आई है. दिवाली सहित त्यौहारी सीजन में खरीदारी के कारण नागरिकों ने काफी खर्च किया, लेकिन इसके बाद के खर्च और चिंता ने उपभोक्ता भावना को प्रभावित किया. अधिकांश वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं मंदी का सामना कर रही हैं और भारत भी इस पर काफी प्रभावी है. वर्ष के अंत के पास, भर्ती और नौकरियों में कमी आई है, जिससे चिंता बढ़ी है.
सबसे ज्यादा स्कोर इंडोनेशिया का रहा
वैश्विक स्तर पर इंडोनेशिया (64.3) ने सबसे उच्चतम राष्ट्रीय सूचकांक स्कोर हासिल किया है. इसके बाद केवल भारत (61.0) एकमात्र देश है जिसका राष्ट्रीय सूचकांक स्कोर 60 से अधिक है. इसके अलावा, आठ अन्य देशों का राष्ट्रीय सूचकांक 50 अंक से अधिक है, जिनमें मेक्सिको (59.5), मलेशिया (56.9), और अमेरिका (55.7) प्रमुख हैं. वहीं, केवल तीन देशों का राष्ट्रीय सूचकांक 40 अंक से कम है, जिनमें जापान (37.8), हंगरी (33.9), और तुर्की (29.8) शामिल हैं. बता दें, यह निष्कर्ष Ipsos द्वारा किए गए मासिक सर्वेक्षणों से प्राप्त किए गए हैं, जो दुनिया भर के 29 देशों में किए गए थे और भारत में यह सर्वेक्षण इंडियाBus प्लेटफार्म पर किया गया. इस सर्वेक्षण में 21,200 से अधिक वयस्कों की राय शामिल थी.
इस साल ओर्कला के शेयरों में लगभग 30% की तेजी आई है, इससे कंपनी की मार्केट वैल्यू लगभग 9.2 अरब डॉलर हो गई है.
नॉर्वे की Orkla ASA साल 2025 में अपने भारतीय कारोबार का IPO लाने पर विचार कर रही है, इससे $400 मिलियन (लगभग ₹3,300 करोड़) तक की राशि जुटाई जा सकती है. मीडिया रिपोर्ट ने बताया कि ओर्कला अगली तिमाही में मुंबई में IPO के लिए आवेदन कर सकती है. कंपनी संभावित शेयर बिक्री पर एडवायजर्स के साथ काम कर रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सोर्सेज का कहना है कि कंपनी अपने इंडिया बिजनेस के लिए 2 अरब डॉलर से अधिक की वैल्यूएशन मांग सकती है, बातचीत जारी है और IPO का साइज और इसकी टाइमिंग जैसी डिटेल्स बदल सकती हैं.
इस साल ओर्कला के शेयरों में लगभग 30% की तेजी
ओर्कला भारत की MTR Foods और Eastern Condiments का मालिकाना हक रखती है, MTR Foods रेडी मील्स और मसाले बनाती है. Eastern Condiments में ओर्कला ने साल 2021 में कंट्रोलिंग स्टेक खरीदा था. ओर्कला के प्रवक्ता का कहना है कि कंपनी भारतीय पूंजी बाजार तक पहुंचने की संभावना पर विचार कर रही है. IPO की तैयारियों के नतीजे उत्साहजनक हैं. कंपनी विकल्पों का आकलन कर रही है और उम्मीद है कि 2025 के दौरान इस मामले पर फाइनल फैसला सामने आ जाएगा. इस साल ओर्कला के शेयरों में लगभग 30% की तेजी आई है, इससे कंपनी की मार्केट वैल्यू लगभग 9.2 अरब डॉलर हो गई है.
विदेशी कंपनियां उठाना चाहती हैं भारत की हाई वैल्यूएशंस का फायदा
कई विदेशी कंपनियां भारत की हाई वैल्यूएशंस का फायदा उठाने के लिए अपनी इंडिया यूनिट्स का IPO लाकर उन्हें शेयर बाजार में लिस्ट करा रही हैं. इस साल अक्टूबर में दक्षिण कोरिया की हुंडई मोटर कंपनी की इंडियन सब्सिडियरी हुंडई मोटर इंडिया देश का अब तक का सबसे बड़ा IPO लेकर आई. इसका साइज 27,870.16 करोड़ रुपये रहा और यह 2 गुना से ज्यादा सब्सक्राइब हुआ. कंपनी BSE, NSE पर 22 अक्टूबर को लिस्ट हुई. मीडिया रिपोर्ट का कहना है कि एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंक अपनी इंडियन यूनिट से 1.5 अरब डॉलर तक जुटाने की तैयारी कर रही है.
शेयर बाजार रेगुलेटरी SEBI ने बाजार मानदंडों के साथ-साथ शेयर ब्रोकरों के नियमों का उल्लंघन करने के लिए रिलायंस सिक्योरिटीज पर 9 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.
आर्थिक संकटों से जूझ रहे रिलायंस ग्रुप (Reliance Group) के मालिक बिजनेसमैन अनिल अंबानी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. अब मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने उनकी कंपनी रिलायंस सिक्योरिटीज (Reliance Securities) पर नौ लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. कंपनी पर बाजार मानदंडों के साथ-साथ शेयर ब्रोकरों के नियमों का उल्लंघन करने के लिए यह कार्रवाई की गई है. बता दें, यह आदेश नियामक और शेयर बाजारों, एनएसई और बीएसई द्वारा सेबी-पंजीकृत शेयर ब्रोकर रिलायंस सिक्योरिटीज लिमिटेड (RSL) के अधिकृत व्यक्तियों के खातों, रिकॉर्ड और अन्य दस्तावेजों की विषयगत ऑनसाइट जांच के बाद आया है.
ये है पूरा मामला
सेबी द्वारा यह निरीक्षण यह पता लगाने के लिए किया गया था कि क्या शेयर ब्रोकर नियमों, एनएसईआईएल पूंजी बाजार विनियमों और एनएसई वायदा एवं विकल्प कारोबार मानदंडों के प्रावधानों के संबंध में आरएसएल द्वारा अपेक्षित तरीके से इनका रखरखाव किया जा रहा है. यह निरीक्षण अप्रैल, 2022 से दिसंबर, 2023 की अवधि के लिए किया गया था. निरीक्षण में यह पाया गया कि आरएसएल अपने अधिकृत व्यक्तियों- जितेंद्र कंबाद और नैतिक शाह से जुड़े ऑफलाइन ग्राहकों के लिए आवश्यक ऑर्डर नियोजन रिकॉर्ड बनाए रखने में विफल रही. सेबी ने पारदर्शिता सुनिश्चित करने और अनधिकृत कारोबारों को रोकने के लिए ब्रोकरों को ग्राहक ऑर्डर के सत्यापन योग्य साक्ष्य बनाए रखने का आदेश दिया है.
जारी किया कारण बताओ नोटिस
निरीक्षण के निष्कर्षों के अनुसार सेबी ने 23 अगस्त, 2024 को आरएसएल को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया. सेबी ने 47 पन्नों के आदेश में आरएसएल और उसके अधिकृत व्यक्तियों द्वारा किए गए कई उल्लंघन पाए. इनमें ग्राहक ऑर्डर नियोजन को रिकॉर्ड करने के लिए पर्याप्त तंत्र का रखरखाव न करना, टर्मिनल स्थानों में विसंगतियां और अन्य ब्रोकरों के साथ साझा किए गए कार्यालयों में अलगाव की कमी शामिल है.
NPCI ने ऑनलाइन पेमेंट को और भी आसान बनाने के लिए एक योजना तैयार की है. इसमें बैंकों कोआपस में जोड़ा जाएगा, जिससे ग्राहकों कोऑनलाइन पेमेंट में आसानी हो.
अगर आप भी नेट बैंकिंग का इस्तेमाल करते हैं, तो आपके लिए एक अच्छी खबर है. दरअसल, नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) नेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग पेमेंट में इंटरऑपरेबिलिटी शुरू करने की तैयारी कर रहा है. यह काम अगले कुछ महीनों में शुरू हो जाएगा. योजना के तहत इसमें शुरुआी तौर पर पांच-छह बैंकों को जोड़ा जाएगा और बाकी बैंक बाद के चरणों में जुड़ेंगे. इस सर्विस के शुरू होने से ग्राहकों के लिए ऑनलाइन पेमेंट करना पहले से सुविधाजनक हो जाएगा. तो आइए जानते हैं इससे ग्राहकों को कैसे फायदा होगा?
बैंक मिलकर शुरू करेंगे इंटरऑपरेबिलिटी सर्विस
पांच-छह बैंकों के साथ मिलकर नेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग पेमेंट में आपस में जुड़ाव (इंटरऑपरेबिलिटी) शुरू करने की तैयारी कर रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अभी पहले चरण की शुरुआत की तारीख तय नहीं हुई है, लेकिन ये काम अगले कुछ महीनों में शुरू हो जाएगा. पहले चरण में ICICI बैंक और HDFC बैंक के अलावा तीन-चार और बैंक जुड़ रहे हैं. बता दें, ये पहल NPCI Bharat BillPay द्वारा चलाई जा रही है, जो मुंबई स्थित NPCI की एक सब्सिडियरी कंपनी है.
मिलेगा ये फायदा
जब नेट बैंकिंग का आपस में जुड़ाव हो जाएगा, तो ग्राहक ई-कॉमर्स वेबसाइट से सामान खरीदते वक्त किसी भी बैंक के नेट बैंकिंग से पेमेंट कर सकेंगे. अभी बैंकों को पेमेंट एग्रीगेटर्स से करार करना पड़ता है, जो फिर व्यापारियों को नेट बैंकिंग पेमेंट के लिए जोड़ते हैं. जब आपस में जुड़ाव हो जाएगा, तो ये समस्या खत्म हो जाएगी. फिर हर बैंक का पेमेंट हर जगह पर मान्य होगा. इससे UPI पेमेंट पर भी दबाव कम होगा. पिछले कुछ सालों में UPI बहुत तेजी से बढ़ा है, जिससे डेबिट कार्ड और नेट बैंकिंग पेमेंट कम हुए हैं. दूसरी बात, जब बड़े बैंक इस सर्विस को शुरू कर देंगे, तो लोग इसका इस्तेमाल करना शुरू कर देंगे. फिर धीरे-धीरे छोटे बैंक भी इसमें शामिल होंगे. एक्सपर्ट्स के अनुसार बीमा प्रीमियम या टैक्स जैसे बड़े पेमेंट के लिए लोग अपने बैंक के ऐप या वेबसाइट से पेमेंट करना पसंद करते हैं. इनसे ट्रांजेक्शन सफल होने की दर ज्यादा है, इसलिए बड़े पेमेंट के लिए ये तरीका अधिक भरोसेमंद माना जाता है.
कारोबारी और एग्रीगेटर्स ऐसे करते हैं नेट बैंकिंग
अभी नेट बैंकिंग से पेमेंट के लिए कारोबारी और एग्रीगेटर्स मुंबई की बिलडेस्क जैसी पेमेंट गेटवे कंपनियों के जरिए बड़े बैंकों की नेट बैंकिंग सिस्टम से जुड़ते हैं. कार्ड या UPI पेमेंट के उलट, नेट बैंकिंग आमतौर पर बहुत बड़े लेन-देन के लिए होती है. सेंट्रल बैंक के आंकड़ों के अनुसार सिर्फ अक्टूबर में ही करीब 420 मिलियन पेमेंट ट्रांजेक्शन हुए.इनसे कुल 100 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का लेन-देन हुआ, यानी हर लेन-देन की औसत राशि 2.5 लाख रुपये से अधिक थी.
पिछले वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी 8.1 प्रतिशत रही थी. इतना ही नहीं, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश का जीडीपी 6.7 प्रतिशत रहा था.
अर्थव्यवस्था की रफ्तार पर थोड़ा ब्रेक लगता हुआ दिखाई दे रहा है. वित्त वर्ष 2025 के दूसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार थोड़ी धीमी रही है और यह 18 महीने या 6 तिमाही के निचले स्तर पर पहुंच गई है. भारत की GDP ग्रोथ दूसरी तिमाही में 5.4 फीसदी रही है. नेशनल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (NSO) की ओर से यह डाटा जारी किया गया.
अनुमान से कम जीडीपी ग्रोथ की रफ्तार
यह आंकड़ा रॉयटर्स पोल के 6.5% के अनुमान से काफी कम है और अप्रैल-जून तिमाही में 6.7% और पिछले साल की समान अवधि में 8.1% से भारी गिरावट को दर्शाता है. ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को मापता है, इसमें 5.6% की वृद्धि हुई है. यह 6.5% के पूर्वानुमान से भी कम है. यह पिछले वर्ष की तुलना में 7.7% की बढ़ोतरी और पिछली तिमाही में 6.8% की बढ़ोतरी से काफी कम है.
कई सेक्टर्स के खराब प्रदर्शन
सेक्टर्स के प्रदर्शन की बात करें तो मिला-जुला ग्रोथ दिखाई दिया है. दूसरी तिमाही में एग्रीकल्चर सेक्टर का ग्रोथ 3.5 फीसदी, जो पिछले तिमाही के 2 फीसदी और सालाना 1.7 फीसदी के रीकवरी को दर्शाता है. हालांकि माइनिंग सेक्टर में ग्रोथ -0.1% रही है. यह सालाना आधार पर पिछले इसी तिमाही में 11.1% था. वहीं वित्त वर्ष 2025 के पहली तिमाही में 7.2% था.
मैन्यूफैक्चरिंग ग्रोथ इस तिमाही में 2.2% रहा है, जो पिछले साल इसी अवधि में 14.3% था. इलेक्ट्रिकसिटी सेगमेंट में ग्रोथ 3.3% रहा है, जो पिछले साल की इसी तिमाही में 10.5% था. कंस्ट्रक्शन इकोनॉमिक ग्रोथ का मुख्य सेक्टर रहा है, जिसने इस अवधि में रिकॉर्ड 7.7% ग्रोथ दर्ज की है. हालांकि ये पिछले साल की इस तिमाही में 13.6% और पिछली तिमाही के 10.5% से कम है.
ट्रांसपोर्ट सेक्टर में सुधार के संकेत
ट्रेड, होटल्स और ट्रांसपोर्ट सेक्टर्स में इकोनॉमिक ग्रोथ को लेकर सुधार दिखा है. इसने इकोनॉमी 6 फीसदी ग्रोथ का योगदान दिया है, जो पिछले साल की इस अवधि में 4.5% और पिछली तिमाही में 5.7% थे. वित्तीय, रियल एस्टेट और सर्विस में 6.7% की वृद्धि हुई, जो एक साल पहले के 6.2% से थोड़ा बेहतर है, लेकिन पिछली तिमाही में दर्ज 7.1% से कम है. सार्वजनिक प्रशासन और अन्य सर्विस, जिनमें सरकारी खर्च शामिल है, में 9.2% की वृद्धि हुई, जो पिछले साल के 7.7% से अधिक है, लेकिन Q1FY25 में 9.5% से थोड़ा कम है.
अपेक्षा से कम जीडीपी वृद्धि आर्थिक सुधार की स्थिरता के बारे में चिंताएं पैदा करती है, खासकर जब विनिर्माण और खनन जैसे प्रमुख क्षेत्र चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. विश्लेषकों का सुझाव है कि कृषि और सार्वजनिक व्यय ने कुछ सहायता प्रदान की, लेकिन निजी खपत और औद्योगिक उत्पादन में समग्र गति धीमी बनी हुई है.
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बीते 8 सप्ताह से लगातार इसमें गिरावट ही हो रही है. बीते 22 नवंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान भी इसमें 1.3 अरब डॉलर की कमी हुई.
भारतीय शेयर बाजारों (Share Market) में इन दिनों भारी उठापटक देखने को मिल रही है. किसी किसी दिन बाजार में बड़ी गिरावट भी दिख रही है. इसकी वजह विदेशी निवेशकों का भारतीय शेयर बाजार से पैसे निकालना है. तभी तो बीते 22 नवंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान भी भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में $1.3 बिलियन की तेज गिरावट हुई है. यह लगातार आठवां सप्ताह है, जबकि अपना भंडार घटा है.
लगातार 8वें सप्ताह हुई गिरावट
भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) से जारी आंकड़ों के मुताबिक 22 नवंबर 2024 को समाप्त सप्ताह के दौरान भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में $1.310 बिलियन की गिरावट हुई है. इसी के साथ अपना विदेशी मुद्रा भंडार अब घट कर $656.582 बिलियन रह गया है, यह पांच महीने का न्यूनतम स्तर है. इससे एक सप्ताह पहले यानी 15 नवंबर को समाप्त सप्ताह में यह 17.76 अरब डॉलर घटा था. इसी साल 27 सितंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान अपना विदेशी मुद्रा भंडार $704.885 बिलियन पर था, यह अब तक का सर्वकालिक उच्चतम स्तर है.
फॉरेन करेंसी एसेट्स में भी कमी
रिजर्व बैंक की तरफ से जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार आलोच्य सप्ताह के दौरान भारत की विदेशी मुद्रा आस्तियां (Foreign Currency Asset) भी घटी हैं. 22 नवंबर 2024 को समाप्त सप्ताह के दौरान अपने Foreign Currency Assets (FCAs) में $3.043 बिलियन की कमी हुई है. अब अपना एफसीए भंडार घट कर USD 566.791 बिलियन रह गया है. उल्लेखनीय है कि कुल विदेशी मुद्रा भंडार में विदेशी मुद्रा आस्तियां या फॉरेन करेंसी असेट (FCA) एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. डॉलर में अभिव्यक्त किये जाने वाले विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो, पौंड और येन जैसे गैर अमेरिकी मुद्राओं में आई घट-बढ़ के प्रभावों को भी शामिल किया जाता है.
गोल्ड रिजर्व बढ़ा लेकिन एसडीआर में गिरावट
बीते सप्ताह देश का गोल्ड रिजर्व या स्वर्ण भंडार बढ़ गया है. रिजर्व बैंक के मुताबिक 22 नवंबर 2024 को समाप्त सप्ताह के दौरान भारत के स्वर्ण भंडार (Gold reserves) में $1.828 बिलियन की बढ़ोतरी हुई है. इसी के साथ अब अपना सोने का भंडार बढ़ कर USD 67.573 बिलियन का हो गया है. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, बीते सप्ताह भारत के स्पेशल ड्रॉइंग राइट या विशेष आहरण अधिकार (SDR) में कमी हुई है. समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान एसडीआर में 79 मिलियन डॉलर की कमी हुई है. अब यह घट कर 17.985 बिलियन डॉलर का रह गया है. इसी सप्ताह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास रखे हुए देश के रिजर्व मुद्रा भंडार में में भी कमी हुई है. इस सप्ताह इसमें $15 मिलियन की कमी हुई है. अब यह घट कर $ 4.232 बिलियन का रह गया है.
अडानी ग्रुप के शेयरों में पिछले तीन ट्रेडिंग सेशन में सुधार देखने को मिल रहा है. दोपहर तक ग्रुप की सभी 11 लिस्टेड अडानी शेयरों का संयुक्त मार्केट कैप 1.37 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया था.
अडानी ग्रुप (Adani Group) के शेयरों में अब तेजी देखने को मिल रही है. शेयरों में पिछले तीन ट्रेडिंग सेशन में सुधार देखने को मिल रहा है. साथ ही अमेरिकी न्याय विभाग और US सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) द्वारा रिश्वत के आरोपों के बाद हुए नुकसान का अधिकांश हिस्सा पुनः प्राप्त कर लिया है. दोपहर तक, सभी 11 लिस्टेड अडानी शेयरों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण 1.37 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया था. वहीं, अब 21 नवंबर को निवेशकों द्वारा अनुभव किए गए नुकसान की भरपाई के लिए अतिरिक्त 60,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता है.
अडानी ग्रीन के शेयरों में 18 प्रतिशत की वृद्धि
20 नवंबर को अमेरिकी अदालत में जारी अभियोग और दीवानी शिकायत के बाद अडानी के शेयरों का बाजार मूल्य 2.2 लाख करोड़ रुपये तक गिर गया. हालांकि, जीक्यूजी पार्टनर्स (GQS Partners) जैसे प्रमुख निवेशकों के समर्थन से निवेशकों का भरोसा फिर से लौट आया है. अडानी ग्रीन के शेयरों में 18 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जबकि अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस के शेयरों में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई, क्योंकि तीन जापानी बैंकों—मिज़ूहो फाइनेंशियल, सुमितोमो मित्सुई फाइनेंशियल और मित्सुबिशी UFJ फाइनेंशियल—ने समूह के साथ अपने संबंधों को जारी रखने का संकेत दिया.
GQS नहीं बेचेगा हिस्सेदारी
अडानी ग्रुप के सबसे बड़े विदेशी निवेशक जीक्यूजी पार्टनर्स ने अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए कहा कि वह अपनी हिस्सेदारी नहीं बेचेगा. फर्म ने कहा, "हमारा मानना है कि अदानी समूह के शेयरों में उतार-चढ़ाव को देखते हुए भी जोखिम का यह स्तर प्रबंधनीय है. इस बीच, क्रिसिल रेटिंग्स ने बताया कि चल रहे घटनाक्रमों के कारण नकारात्मक कार्रवाई नहीं हुई है, जैसे कि ऋण चुकौती में तेजी, इसने कहा कि अदानी समूह अपने ऋण दायित्वों और प्रतिबद्ध पूंजीगत व्यय योजनाओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त तरलता और परिचालन नकदी प्रवाह बनाए रखता है.
अडानी ग्रुप पर लगे ये आरोप
अबू धाबी की इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी (आईएचसी) ने भी अपना सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखा, जिससे हरित ऊर्जा और स्थिरता क्षेत्रों में अडानी समूह की भूमिका में विश्वास मजबूत हुआ. भारतीय अधिकारियों को 265 मिलियन अमेरिकी डॉलर की रिश्वत दिए जाने के दावों सहित ये आरोप अडानी ग्रीन के इर्द-गिर्द केंद्रित हैं, जिस पर आकर्षक सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल करने का आरोप है. हालांकि, कंपनी ने स्पष्ट किया है कि उसके चेयरमैन गौतम अडानी पर केवल प्रतिभूति कानून के कथित उल्लंघन के लिए अमेरिका में आरोप लगाए गए हैं और उन पर अमेरिकी विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम के तहत कोई आरोप नहीं है.
अडानी ग्रुप पर लगे हालिया आरोपों के बाद ग्रुप कंपनियों के स्टॉक में बड़ा उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. हालांकि, ग्रुप ने सभी आरोपो को नकार दिया है.
अमेरिका में रिश्वतखोरी के आरोपों के बीच अडानी ग्रुप को अब केरल सरकार से एक बड़ा ठेका मिला है. बता दें, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने गुरुवार को राज्य सरकार और अडानी विझिंजम पोर्ट प्राइवेट लि. विझिंजम अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह प्रोजेक्ट के लिए पूरक रियायत समझौता (supplemental concession agreement) पर हस्ताक्षर करने की घोषणा की. इसके पहले चरण के अगले महीने चालू होने की उम्मीद है. समझौते के अनुसार, केरल के समुद्री बुनियादी ढांचे में इस परियोजना का दूसरा और तीसरा चरण 2028 तक पूरा हो जाएगा. इन चरणों में 10,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश शामिल होगा, जिससे बंदरगाह की क्षमता 30 टीईयू (20 फुट समतुल्य इकाई) तक बढ़ जाएगी.
इन देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मिलेगी मदद
केरल के दक्षिणी सिरे पर स्थित विजिन्जम पोर्ट अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्गों के पास होने के कारण रणनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है और यह दुबई, सिंगापुर और श्रीलंका के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मदद करेगा. यह समझौता राज्य पोर्ट प्राधिकरण द्वारा अडानी पोर्ट्स के खिलाफ शुरू किए गए लंबित मध्यस्थता मामले को खत्म करता है, जिसमें परियोजना के पहले चरण को पूरा करने में पांच साल की देरी का आरोप था.
दिसंबर तक पोर्ट चालू करने की योजना
केरल के मुख्यमंत्री विजयन ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (X) पर लिखा है कि हमने विझिंजम बदंरगाह पर अडानी विझिंजम पोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक पूरक रियायत समझौता किया है, जिससे प्रोजेक्ट की अवधि पांच साल के लिए बढ़ाई जा सके और दिसंबर तक बंदरगाह चालू हो सके. चूंकि 2028 तक दूसरे और तीसरे चरण का काम पूरा होने वाला है, इसलिए 10,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा, जिससे बंदरगाह की क्षमता 30 लाख टीईयू तक बढ़ जाएगी. उन्होंने कहा है कि यह उपलब्धि व्यापक वृद्धि और वैश्विक संपर्क के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को बताती है.
आरोपों के घेरे में अदाणी ग्रुप
केरल सरकार ने अडानी पोर्ट्स के साथ समझौते पर हस्ताक्षर ऐसे समय में किए हैं, जब अडानी ग्रुप के प्रमुख गौतम अडानी पर अमेरिकी अभियोजकों ने सौर ऊर्जा ठेकों के लिए अनुकूल शर्तों के बदले भारतीय अधिकारियों को 26.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर (करीब 2,200 करोड़ रुपये) की रिश्वत देने की साजिश का हिस्सा होने का आरोप लगाया है. इसके आरोप के चलते अडानी की 10 लिस्टेड कंपनियों का मार्केट वैल्यू 34 बिलियन डॉलर घट गया. हालांकि, अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को "बिना आधार" करार दिया है. अडानी ग्रुप का कहना है कि गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी पर कथित रिश्वतखोरी के मामले में अमेरिका के विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (एफसीपीए) के उल्लंघन का कोई आरोप नहीं लगाया गया है, बल्कि उन पर प्रतिभूति धोखाधड़ी के तहत आरोप लगाया गया है जिसमें मौद्रिक दंड का प्रावधान है.
SEBI में फिर से एक बाहरी उम्मीदवार को कार्यकारी निदेशक (ED) के रूप में नियुक्त किए जाने को लेकर असंतोष बढ़ रहा है.
हिंदुस्तान यूनिलीवर (Hindustan Unilever) की पूर्व टैक्सेशन प्रमुख शिखा गुप्ता (47 वर्ष) को अगला सेबी (SEBI) का अगला कार्यकारी निदेशक (ED नियुक्त किए जाने की संभावना है. उधर, SEBI के अधिकारी इस पोस्ट के लिए बाहरी उम्मीदवार के चयन को लेकर नाखुश हैं, क्योंकि कई आंतरिक उम्मीदवार पहले से ही इस पद के लिए इच्छुक हैं. सूत्रों के अनुसार अगर शिखा गुप्ता को ईडी नियुक्त किया गया है, तो SEBI कर्मचारी विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं. इसके लिए उन्होंने पूरी योजना भी बना ली है.
ये भी है सेबी में ईडी के संभावित उम्मीदवार
इससे पहले, 2022 में SEBI के ED के रूप में नियुक्त प्रमोद राव ICICI बैंक से आए थे, वही संगठन जहां वर्तमान SEBI प्रमुख माधबी पुरी बुच ने अपने करियर का सबसे लंबा समय बिताया था. शिखा गुप्ता यूनिलीवर से आती हैं, वही संगठन जहां SEBI प्रमुख के पति धवल बुच ने अपने करियर का अधिकांश समय बिताया था. धवल बुच हिंदुस्तान यूनिलीवर के बोर्ड पर ED थे, जो उन्होंने 1984 में जॉइन किया था. वे 2019 में यूनिलीवर से वैश्विक खरीदारी प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं. रिपोर्ट के अनुसार प्रमोद राव को लेकर ऑनलाइन विवाद समाधान (ODR) प्लेटफॉर्म के लिए अनुबंध और Bayside Tech के प्रमोटर सचिन मल्हान के साथ उनके संबंधों को लेकर विवाद उठे थे. ODR को सुगम बनाने के लिए एक उन्नत प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म के रूप में दावा करने वाले SAMA ने प्रमुख नियामक संस्थाओं से अनुबंध प्राप्त किए और मल्हान को अपने सलाहकार के रूप में रखा. मल्हान और राव दोनों एक कंपनी "कीप लर्निंग" में माइनॉरिटी शेयरहोल्डर थे. राव इससे पहले ICICI बैंक में सामान्य कानूनी सलाहकार थे. SEBI ED के अन्य संभावित उम्मीदवारों में SEBI के मुख्य महाप्रबंधक राकेश श्रीवास्तव और DIPAM निदेशक (निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन निदेशालय) रोजमैरी अब्राहम शामिल हैं.
SEBI में असंतोष क्यों?
वरिष्ठ पदों पर बाहरी उम्मीदवारों की नियुक्ति ने अक्सर संगठन के भीतर असंतोष उत्पन्न किया है. 2020 में जीपी गर्ग की SEBI के ED के रूप में नियुक्ति ने कर्मचारियों संघ के बीच मजबूत विरोध को जन्म दिया था. बाहरी उम्मीदवारों के अलावा उन्होंने ED स्तर पर पदोन्नति में सामान्य श्रेणी के अधिकारियों को दरकिनार करके गैर-कोर धाराओं से नियुक्तियों पर भी आपत्ति जताई थी. SEBI कर्मचारियों के अनुसार, गर्ग गैर-कोर धारा से थे और RTI और निवेश सहायता विभाग के CGM थे. पिछली घटनाओं को देखते हुए, 1998 में SEBI कर्मचारियों ने भारतीय राजस्व सेवा (IRS) अधिकारी विवेक वाडेकर की नियुक्ति का विरोध किया था, जिन्हें वापस जाना पड़ा क्योंकि SEBI कर्मचारियों ने उन्हें उनके कार्यस्थल पर स्थायी रूप से बसने की अनुमति नहीं दी थी.
सेबी कर्मचारियों ने अजय त्यागी को भी लिखा पत्र
SEBI कर्मचारियों ने पहले अजय त्यागी को पत्र लिखा था जब वे प्रमुख थे, जिसमें पदोन्नतियों से संबंधित दो मुद्दों को उठाया था: आंतरिक बनाम बाहरी और कोर बनाम गैर-कोर, कर्मचारियों ने वरिष्ठ पदों के लिए मूल्यांकन प्रक्रिया से संबंधित मानकों का खुलासा करके पारदर्शिता की मांग की थी, ताकि वे एक बेहतर करियर पथ का चयन कर सकें. SEBI अधिकारियों को लगता था कि सामान्य श्रेणी के अधिकारियों के लिए उच्च स्तर पर रिक्तियां कम हैं, जो SEBI में अधिकांश कार्यबल का गठन करते हैं, इसके कारण यह एक बड़ी समस्या बन गई थी. 9 ED पदों में से दो बाहरी उम्मीदवारों के लिए और दो विशेषज्ञों के लिए आरक्षित हैं, जिससे सामान्य श्रेणी के अधिकारियों के लिए केवल 5 पद रिक्त रहते हैं.
आज से 45 नए स्टॉक एफएंडओ लिस्ट में जोड़े गए हैं. एफएंडओ ऐसी सिक्योरिटीज़ हैं जिनका स्टॉक एक्सचेंज के फ्यूचर एंड ऑप्शन सेगमेंट में कारोबार किया जाता है.
पेटीएम, जोमैटो, जियो फाइनेंशियल, एलआईसी और डीमार्ट समेत 52 शेयरों में आज से कमाई का नया जरिया मिलने जा रहा है. दरअसल इन स्टॉक्स को फ्यूचर एंड ऑप्शन सेगमेंट में शामिल कर लिया गया है. ऐसे में अब आप इन शेयरों में कैश के साथ-साथ F&O सेगमेंट में भी ट्रेड कर सकते हैं. फ्यूचर एंड ऑप्शन सेगमेंट में कम पूंजी में बड़े सौदे बनाए जाते हैं. हालांकि, यह पूरी तरह जोखिम आधारित ट्रेडिंग होती है.
F&O के नए खिलाड़ी
फ्यूचर एंड ऑप्शन सेगमेंट में शामिल हुए नए शेयर्स में जोमैटो, पेटीएम, जियो फाइनेंशियल, एलआईसी, अडानी टोटल, एंजेल वन, डीमार्ट, साइएंट, पीबी फिनटेक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, आईआरबी इंफ्रास्ट्रक्चर, ऑयल इंडिया, इंडियन बैंक और जेएसडब्ल्यू एनर्जी के स्टॉक्स शामिल हैं. एफएंडओ में शामिल होने के बाद इन शेयरों के सर्किट फिल्टर भी बदले गए हैं. अब तक, बीएसई में ये शेयर 20%, 10%, 5% या 2% के डेली प्राइस बैंड के अंदर काम कर रहे थे. अब एफएंडओ के फ्रेमवर्क के तहत इन शेयरों की सर्किट लिमिट 20% के डेली प्राइस बैंड से लेकर वीकली 60% तक ऊपर या नीचे जा सकती है.
क्या होती है F&O ट्रेडिंग?
फ्यूचर एंड ऑप्शन सेगमेंट, डेरिवेटिव (वायदा बाजार) कैटेगरी में आता है. यहां एक्सपायरी कॉन्ट्रेक्ट के साथ स्टॉक के स्ट्राइक प्राइस पर ट्रेड किया जाता है. खास बात है इस सेगमेंट में किसी स्टॉक को खरीदने की जरूरत नहीं होती है. हालांकि, यह बहुत ही हाई रिस्क और रिवॉर्ड वाली ट्रेडिंग होती है. एफएंडओ स्टॉक आमतौर पर अत्यधिक लिक्विडेट होते हैं, जिससे उन्हें खरीदना और बेचना आसान हो जाता है. एफएंडओ स्टॉक अक्सर हाई वोलिटिलिटी प्रदर्शित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप प्राइस में बड़ा उतार-चढ़ाव हो सकता है.