Sagility India IPO की मार्केट में हुई फीकी लिस्टिंग, मजह 3.53% प्रीमियम पर हुआ लिस्ट

सैजिलिटी इंडिया का आईपीओ केवल 3.20 गुना ही सब्सक्राइब हो सका और अभी लिस्टिंग पर भी निवेशकों को निराशा हाथ लगी है.

Last Modified:
Tuesday, 12 November, 2024
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सैजिलिटी इंडिया लिमिटेड (Sagility India Limited) के आईपीओ (IPO) की स्टॉक एक्सचेंज पर बेहद फीकी लिस्टिंग हुई है. सैजिलिटी इंडिया के शेयर एनएसई और बीएसई पर 31.06 रुपये के लेवल पर धीमी शुरुआत, जो 30 रुपये के इश्यू प्राइस से मजह 3.53 प्रतिशत अधिक है. बता दें कि यह आईपीओ 5 नवंबर को ओपन हुआ था, जबकि इसमें 7 नवंबर तक बोली लगाई गई थी.

5 नवंबर को ओपन हुआ था आईपीओ

इस आईपीओ की वैल्यू 2,106.60 करोड़ रुपये थी और तीन दिनों तक बोली के बाद 3.2 गुना बिड मिली थी और यह मजबूत मांग के साथ बंद हुआ था. आईपीओ को 38.7 करोड़ शेयरों के मुकाबले 123.99 करोड़ शेयरों के लिए बोलियां मिलीं. रेटल इंवेस्टर की ओर से 4.16 गुना बुक किया गया, जबकि नॉन-इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर्स (NII) कैटेगरी में 1.93 गुना सब्सक्रिप्शन मिला. इसके अलावा, योग्य संस्थागत खरीदारों (QIB) का हिस्सा भी 3.52 गुना बोलियों के साथ पूरी तरह से सब्सक्राइब हुआ,जबकि कंपनी के कर्मचारियों के कोटे में भी 3.75 गुना बोलियां मिली थीं. बता दें कि इस आईपीओ का इश्यू प्राइस 28-30 रुपये प्रति शेयर था.

लिस्टिंग से पहले ग्रे मार्केट में इतना था GMP

शेयर बाजार में कदम रखने से पहले सैगिलिटी इंडिया के शेयरों में ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) में तेज गिरावट देखी गई. कंपनी के शेयर आज ग्रे मार्केट में 1 रुपये से भी कम के प्रीमियम पर ट्रेड कर रहे थे. बता दें कि आईपीओ ओपन होने से ठीक पहले सैगिलिटी इंडिया की पैरेंट कंपनी ने इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर्स को अपने 2.61 प्रतिशत शेयरों को बेच दिया था, जिसकी कीमत 366 करोड़ रुपये थी. हालांकि, सैगिलिटी इंडिया को इस पब्लिक ऑफर से कोई रकम नहीं मिली. दरअसल, यह पूरी तरह से ऑफर फॉर सेल (OFS) था. कंपनी ने फाइनेंशियल ईयर 2024 की पहले क्वार्टर में 47.5% की गिरावट के साथ 22.3 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया था, जबकि उसकी कुल इनकम 1,223 करोड़ रुपये थी, जो बीते साल से 9.6% अधिक थी.

क्या करती है कंपनी?

सैजिलिटी इंडिया अमेरिकी हेल्थकेयर बीमा कंपनियों को सोल्यूशंस और सर्विसेज प्रदान करती है. कंपनी पेयर्स और प्रोवाइडर्स दोनों ही के कोर बिजनेस को सपोर्ट करती है. सैजिलिटी इंडिया के वित्तीय प्रदर्शन को देखें तो वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान कंपनी के रेवेन्यू में 13 फीसदी और नेट प्रॉफिट में 59 फीसदी का उछाल देखने को मिला है. वित्त वर्ष 2023-24 में सैजिलिटी इंडिया का रेवेन्यू13% बढ़कर 4,781.5 करोड़ रुपये रहा है जो इससेपहले वित्त वर्ष में 4,236.06 करोड़ रुपये रहा था. कंपनी का नेट प्रॉफिट 59% बढ़कर 228.27 करोड़ रुपये रहा है जो वित्त वर्ष 2022-23 में 143.57 करोड़ रुपये रहा था. मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही अप्रैल-जून में रेवेन्यू 1,247.76 करोड़ रुपये रहा है जबकि 22.29 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है.
 


ग्राहकों की शिकायतों पर सरकार ने इन 10 कंपनियों को दी चेतावनी, जानिए क्या है पूरा मामला?

कंपनियों के पास ग्राहकों की आने वाली शिकायतों की संख्या बढ़ती जा रही है. ऐसे में इन शिकायतों का समाधान काफी धीमी गति से हो रहा है. 

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Wednesday, 11 December, 2024
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Wednesday, 11 December, 2024
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ग्राहक कंपनियों के पास अपनी शिकायतें लेकर तो जाते हैं, लेकिन कुछ कंपनियां इन शिकायतों पर कार्रवाई नहीं कर पा रही हैं, ऐसी ही 10 कंपनियों को कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री ने  कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है. दरअसल, इन कंपनियों के खिलाफ इस वित्त वर्ष में नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन (NCH) पर सबसे ज्यादा शिकायतें आई हैं. तो आइए जानते हैं ये पूरा मामला क्या है? 

सरकार ने दी ये चेतावनी

मिनिस्ट्री ने कंपनियों से कहा है कि या तो वे NCH पर कन्वर्जेस पार्टनर बन जाएं, जिससे शिकायतों का समयवद्ध तरीके से निपटारा हो सके या फिर विस्तृत जांच का सामना करने के लिए तैयार रहें. बात दें, जो कंपनियां NCH पर कन्वर्जेस पार्टनर हैं, उनके बारे में शिकायतों को उनके पास रियल टाइम बेसिस पर भेजा जाता है, जिससे 30 दिनों में निपटारा हो सके. अभी 1009 कंपनियां कन्वर्जेस पार्टनर हैं.

इन कंपनियों के खिलाफ आई शिकायतें
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कई कंपनियां शिकायतों का निपटारा बिना उन्हें क्लोज कर देती हैं. कुछ कह देती हैं कि यह चीज उनकी पॉलिसी में कवर नहीं होती. कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री ने ऐसी 10 कंपनियों की लिस्ट बनाई थी, जिनके खिलाफ इस सबसे अधिक शिकायतें आई हैं. उनमें Delhivery Limited, Electronicscomp.com, डोमिनोज पिज्जा, हायर अप्लायंसेज, फर्स्टक्रायडॉटकॉम, थॉमसन इंडिया, M&M, रैपिडो, ओरिएंट इलेक्ट्रिक और सिंफनी लिमिटेड शामिल हैं.

कैसे दर्ज कराएं शिकायत?

अगर आपको भी कंपनी की किसी सर्विस को लेकर शिकायत है तो उसे ऑनलाइन दर्ज करा सकते हैं. इसके लिए आप नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन का वॉट्सऐप नंबर मौजूद है.
नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन का वॉट्सऐप नंबर 8800001915 है. इस नंबर पर आप मैसेज के जरिए घर बैठे किसी भी कंपनी की खराब सर्विस की शिकायत कर सकते हैं. अगर शिकायत से संबंधित कोई फोटो या वीडियो है तो उसे भी इस नंबर पर वॉट्सऐप किया जा सकता है.


Blinkit और Zepto को टक्कर देने की तैयारी में Amazon, क्विक कॉमर्स में करने जा रहा एंट्री

ई-कॉमर्स सेक्टर की दिग्गज कंपनी एमेजॉन ने आखिरकार भारत के क्विक कॉमर्स मार्केट में एंट्री का ऐलान कर दिया है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Wednesday, 11 December, 2024
Last Modified:
Wednesday, 11 December, 2024
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भारत में तेजी से बढ़ते क्विक कॉमर्स बाजार में अमेजन भी एंट्री लेने की तैयारी कर रहा है. ई-कॉमर्स दिग्गज अमेजन दिसंबर में जल्द ही 15 मिनट या उससे कम समय में दैनिक आवश्यक वस्तुओं की फास्ट डिलीवरी का पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहा है. अमेजन इंडिया के कंट्री मैनेजर समीर कुमार ने पीटीआई को ये जानकारी दी. हालांकि, इस इंडस्ट्री में पहले से ही ब्लिंकिट और जेप्टो जैसी कंपनियों ने शानदार सफलता का स्वाद चखा है.

ग्राहकों को मिलेगी 15 मिनट में डिलीवरी!

मीडिया को समीर कुमार ने बताया कि कंपनी 'सिलेक्शन विद स्पीड' को अपने फायदे के तौर पर देख रही है. देशभर में हर एक पिन-कोड में ग्राहकों को 15 मिनट या उससे कम समय में अपनी रोजमर्रा की जरूरत के सामानों को प्राप्त करने का ऑप्शन देने के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने को लेकर उत्साहित हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि अमेजन की रणनीति "सिलेक्शन, वैल्यू और कॉन्विनिएंस" पर केंद्रित है.

बेंगलुरू से शुरू होगी पायलट प्रोजेक्ट

मनीष तिवारी के इस्तीफे के बाद अब देश के प्रबंधक के रूप में भारत में ऑपरेशन को लीड करने वाले अमेज़न के दिग्गज ने कहा कि कंपनी के देश भर में लाखों ग्राहक हैं, जो अमेज़न पर भरोसा करते हैं और इस सुविधा का इंतज़ार कर रहे हैं. कंपनी के अनुसार, पायलट बेंगलुरु से शुरू होगा. अमेज़न का ये कदम इसलिए अहम है क्योंकि भारत में क्विक कॉमर्स बाज़ार में तेज़ी से वृद्धि हो रही है और उपभोक्ता व्यवहार में बड़े बदलाव हो रहे हैं.

तेजी से बढ़ रहा क्विक कॉमर्स मार्केट

डेटाम इंटेलिजेंस की एक हालिया रिपोर्ट के हवाले से बनी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, क्विक कॉमर्स बाज़ार का आकार 2030 तक 40 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जो 2024 में 6.1 बिलियन अमरीकी डॉलर से ज़्यादा है. अनुमान है कि क्विक कॉमर्स बाज़ार 2024 तक किराना बिक्री में लगभग 1.28 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच जाएगा, जो इन प्लेटफार्मों पर कुल बिक्री का 21 प्रतिशत होगा.
 


अनिल अंबानी ने बनाई एक और कंपनी, इस सेक्टर पर रहेगा फोकस, जानिए क्या है प्लान?

रिलायंस पावर भारत की बड़ी बिजली उत्पादन कंपनियों में से एक है, जो 5,300 मेगावाट की क्षमता के साथ मध्य प्रदेश की 4,000 मेगावाट की सासन अल्ट्रा मेगा पावर परियोजना को मैनेज करती है.

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Published - Wednesday, 11 December, 2024
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Wednesday, 11 December, 2024
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अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस पावर (Reliance Power) लिमिटेड ने एक बड़ा फैसला किया है. कंपनी ने रिन्यूएबल एनर्जी (Renewable Energy) क्षेत्र में अपने विस्तार का ऐलान किया है. दरअसल, कंपनी ने एक नई सब्सिडियरी, रिलायंस एनयू एनर्जीज प्राइवेट लिमिटेड के गठन की घोषणा की है. यह सब्सिडियरी सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बैटरी भंडारण प्रणाली और पंप स्टोरेज हाइड्रोपावर परियोजनाओं पर काम करेगी. इसके जरिए कंपनी न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी रिन्यूएबल एनर्जी की बढ़ती मांग को पूरा करने का काम करेगी.

नई कंपनी का नेतृत्व करेंगे ये लोग

आर पावर ने अपनी नई पहल को सफल बनाने के लिए अनुभवी एक्सपर्ट्स की नियुक्ति की है. मयंक बंसल को मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) और राकेश स्वरूप को मुख्य परिचालन अधिकारी (COO) बनाया गया है. दोनों अधिकारी ऊर्जा सेक्टर के दिग्गज माने जाते हैं. कंपनी ने कहा कि ये दोनों नेता रिलायंस एनयू एनर्जीज के मैनेजमेंट और विकास को गति देंगे.

रिलायंस पावर का कहना है कि यह नई सब्सिडियरी कंपनी स्वच्छ, किफायती और विश्वसनीय ऊर्जा समाधान प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करेगी. इसके अलावा, कंपनी सौर, पवन, हाइब्रिड ऊर्जा प्रणाली और हाईटेक ऊर्जा भंडारण तकनीकों पर काम करेगी. यह पहल भारत और दुनिया में बढ़ती रिन्यूएबल एनर्जी की मांग को पूरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम है.

थर्मल पावर से रिन्यूएबल एनर्जी की ओर रुख

आपको बता दें, रिलायंस पावर भारत की बड़ी बिजली उत्पादन कंपनियों में से एक है, जो 5,300 मेगावाट की स्थापित क्षमता के साथ मध्य प्रदेश की 4,000 मेगावाट की सासन अल्ट्रा मेगा पावर परियोजना को मैनेज करती है. यह परियोजना दुनिया का सबसे बड़ा एकीकृत थर्मल पावर प्लांट है. अब कंपनी ने थर्मल पावर से आगे बढ़कर रिन्यूएबल एनर्जी पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया है.

रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में संभावनाएं

अनिल अंबानी का यह कदम रिलायंस पावर को नए बाजारों और निवेश के अवसरों तक पहुंचाने की दिशा में अहम साबित हो सकता है. नई कंपनी का फोकस स्वच्छ और स्थायी ऊर्जा समाधानों पर है, जिससे भारत के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा बाजारों में इसकी हिस्सेदारी बढ़ने की संभावना है.

रिन्यूएबल एनर्जी (renewable energy) के इस नए कदम और समालकोट पावर द्वारा लोन में चूक के निपटान की घोषणा के चलते सोमवार को रिलायंस पावर (R Power) के शेयरों में तेजी देखने को मिली. शुरुआती कारोबार में शेयर 3% से अधिक उछले और 45.94 रुपये तक पहुंच गए. हालांकि, यह तेजी लंबे समय तक बरकरार नहीं रह सकी और स्टॉक गिरकर 43 रुपये की रेंज में आ गया.
 


Stock Market: बाजार खुलने से पहले ही जान लें, आज कहां बन सकती है कमाई की गुंजाइश!

शेयर बाजार में मंगलवार को मिक्स-अप क्लोजिंग हुई. निफ्टी 9 अंक टूटकर बंद हुआ, जबकि सेंसेक्स 1.59 अंक बढ़कर बंद हुआ.

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Published - Wednesday, 11 December, 2024
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Wednesday, 11 December, 2024
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उतार-चढ़ाव कारोबार के बाद सेंसेक्स और निफ्टी कल यानि 10 दिसंबर को लगभग सपाट बंद हुए. हालांकि मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में पिछले 11 दिनों से चली आ रही तेजी जारी रही. बीएसई के मिडकैप इंडेक्स 0.30 और स्मॉलकैप इंडेक्स 0.33 फीसदी की बढ़त के साथ बंद हुए. कल के ट्रेडिंग सेशन में बीएसई बेंचमार्क सेंसेक्स 1.59 प्रतिशत बढ़कर 81,510.05 के लेवल पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 9 अंक गिरकर 24,610.05 के लेवल पर बंद हुआ. इसके चलते बीएसई पर निवेशकों की संपत्ति करीब 30,000 करोड़ रुपये बढ़ गई, तो चलिए जानते हैं आज कैसा रहेगा शेयर मार्केट का हाल...

इन शेयरों में दिख रही खरीदारी

चलिए जानते हैं कि उन शेयरों के बारे में जानते हैं जिनमें मजबूत खरीदारी देखने को मिल रही है. इस लिस्ट में Raymond, Nippon Life AMC, Varroc Engineering, Triveni Engineering & Industries, Clean Science & Technology, JBM Auto और Intellect Design शामिल हैं. दरअसल, इन शेयरों ने अपना 52 वीक का हाई लेवल पार कर लिया है, जो इनमें तेजी के संकेत देता है. इसलिए आज इन शेयरों पर भी नज़र बनाए रखें.

इन स्टॉक्स में मंदी के संकेत

चलिए अब जानते हैं कि मोमेंटम इंडिकेटर, मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डिवर्जेंस (MACD) ने आज के लिए क्या संकेत दिए हैं. एमएसीडी (MACD) ने Life Insurance Corporation, Ceat, C.E. Info Systems, VIP Industries, Just Dial, Route Mobile और HEG के शेयर में मंदी का संकेत दिया है. इसका मतलब है कि अब इन शेयरों में गिरावट शुरू हो गई है.

इन शेयरों में दिख सकता है एक्शन

आज यानी 10 दिसंबर 2024 को कुछ शेयर (Stocks in News) एक्शन दिखाने को तैयार हैं. पॉजिटिव ट्रिगर के चलते ये शेयर आज बाजार में फोकस (Stocks to Watch) में रह सकते हैं. अगर इंट्राडे में बेहतर शेयरों की तलाश है तो इन पर नजर (Stock in Focus) रख सकते हैं. आज की इस लिस्ट में Asian Paints, Asian Granito India, CCL PRODUCTS, LTIMindtree Ltd, Hinduja Global Solutions, HG Infra Engineering, Biocon, BEML Limited, Vraj Iron and Steel Ltd जैसे नाम शामिल हैं.

(डिस्क्लेमर: शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन है. 'BW हिंदी' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. सोच-समझकर, अपने विवेक के आधार पर और किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह के बाद ही निवेश करें, अन्यथा आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है).
 


भारत में स्टेनलेस स्टील की खपत FY23 की तुलना में 11 प्रतिशत बढ़ी: ISSDA

भारत में स्टेनलेस स्टील की प्रति व्यक्ति खपत वित्तीय वर्ष 2019 (FY19) में 2.25 किलोग्राम (kg) से बढ़कर FY24 में 3.1 किलोग्राम हो गई है.

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Published - Tuesday, 10 December, 2024
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Tuesday, 10 December, 2024
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स्वास्थ सुधार को दर्शाते हुए, भारत में स्टेनलेस स्टील (Stainless Steel) की खपत वित्तीय वर्ष 2023 (FY23) में 4.02 मिलियन टन (MT) से बढ़कर FY24 में 4.46 मिलियन टन (MT) हो गई है, जो FY23 की तुलना में लगभग 11 प्रतिशत की वृद्धि है. यह जानकारी भारतीय स्टेनलेस स्टील विकास संघ (ISSDA) द्वरा साझा की गई है. इसमें फ्लैट्स और लॉन्ग्स दोनों शामिल हैं. 

प्रति व्यक्ति खपत में हुई 3.1 किलोग्राम की वृद्धि  

भारत में स्टेनलेस स्टील की प्रति व्यक्ति खपत FY19 में 2.25 किलोग्राम (kg) से बढ़कर FY24 में 3.1 किलोग्राम हो गई है. ISSDA के अनुसार, यह आंकड़ा इस बात को दर्शाता है कि स्टेनलेस स्टील की बढ़ती पसंद संरचनात्मक क्षेत्र, प्रसंस्करण उद्योग और रेलवे जैसे क्षेत्रों में बढ़ रही है, जो धातु की समग्र स्थिरता, जंग प्रतिरोध, दीर्घायु और मजबूती की वजह से है. पिछले दो दशकों में, स्टेनलेस स्टील की मांग कई क्षेत्रों में विविधित हो गई है, हालांकि देश की प्रति व्यक्ति खपत वैश्विक औसत 6.5 किलोग्राम से कम है. भारत में 7.5 मिलियन टन की स्थापित क्षमता है, जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार उत्पादों की विविध रेंज का उत्पादन करने में सक्षम है. हमारे क्रिसिल के साथ किए गए शोध के अनुसार, भारत की स्टेनलेस स्टील की खपत FY2040 तक 12.5-12.7 मिलियन टन और FY2047 तक 19-20 मिलियन टन तक पहुंचने का अनुमान है.

2047 तक भारत के 40 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की आकांक्षा

कृष्णमूर्ति ने कहा कि उद्योग विशेष रूप से चीन से घटिया स्टेनलेस स्टील की लगातार डंपिंग से उत्पन्न चुनौतियों से जूझ रहा है, जिससे घरेलू निर्माताओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. वर्तमान परिचालन क्षमता उपयोग केवल 60 प्रतिशत के साथ, हम सरकार से समान अवसर सुनिश्चित करने, घरेलू उत्पादकों को उनकी पूरी क्षमता पर काम करने के लिए सशक्त बनाने और वैश्विक स्टेनलेस स्टील परिदृश्य में भारत की स्थिति को और मजबूत करने का दृढ़ता से आग्रह करते हैं. भारत के 2047 तक 40 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की आकांक्षा के साथ, निर्माण, बुनियादी ढांचा और विनिर्माण जैसे क्षेत्र – जो सकल घरेलू उत्पाद में प्रमुख योगदानकर्ता हैं – स्टेनलेस स्टील की मांग वृद्धि को प्रेरित करने की उम्मीद है. 


डोनाल्ड ट्रंप ने Crypto समर्थक पॉल एटकिंस को सिक्योरिटीज रेगुलेटर (SEC) का चुना प्रमुख

पॉल एटकिंस डिजिटल ऐसेट्स के मजबूत समर्थक हैं और इससे पहले वो जॉर्ज डब्ल्यू बुश एडमिनिस्ट्रेशन में साल 2002 से 2008 तक एसईसी कमिश्नर के तौर पर काम कर चुके हैं.

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Published - Tuesday, 10 December, 2024
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Tuesday, 10 December, 2024
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ट्रंप की सोच क्रिप्टोकरेंसी के पक्ष में रही है, इसका सबूत ये है कि उन्होंने अमेरिका के मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) की कमान संभालने के लिए पॉल एटकिंस को चुना है. एटकिंस को क्रिप्टोकरेंसी का हिमायती माना जाता है, वो इसकी जमकर वकालत करते हैं. अभी गैरी जेंसलर SEC के मुखिया हैं, जेंसलर को SEC के चेयरमैन पद से हटाना ट्रंप के चुनावी मुद्दों में से एक था.

SEC के नए चेयरमैन की इस शख्स को मिली जिम्मेदारी

पॉल एटकिंस SEC के चेयरमैन पद के उत्तराधिकारी के रूप में ट्रंप की पसंद हैं. एटकिंस क्रिप्टो फर्म्स के हेज फंड्स के लिए बतौर सलाहकार काम करते हैं. ट्रंप ने 4 दिसंबर बुधवार को कहा कि पॉल 'कॉमन सेंस' रेगुलेशन के लिए एक शानदार लीडर हैं, जो एक मजबूत, इनोवेटिव कैपिटल मार्केट के वादे पर भरोसा करते हैं, जो निवेशकों की जरूरतों के प्रति उत्तरदायी हैं जो हमारी अर्थव्यवस्था को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए पूंजी देते हैं.

डिजिटल ऐसेट्स के समर्थक हैं एटकिंस

पॉल एटकिंस क्रिप्टोऔर वर्चुअल करेंसी के समर्थक हैं, और यही वजह है की ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से बिटक्वाइन लगातार रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड बना रहा है. इससे पहले एटकिंस जॉर्ज बुश एडमिनिस्ट्रेशन में साल 2002 से 2008 तक SEC के कमिश्नर के पद पर काम कर चुके हैं. ट्रंप ने खुद को क्रिप्टो-फ्रेंडली उम्मीदवार के रूप में पेश करते हुए खुले तौर पर अमेरिका को क्रिप्टोकरेंसी इनोवेशन का केंद्र बनाने का वादा किया है. इसलिए ये उम्मीद जताई जा रही है कि एटकिंस के पदभार संभालने के बाद क्रिप्टों के नियमों और नीतियों और आसान बनाने के लिए बदलाव किया जाएगा.

20 जनवरी को इनकी जगह लेंगे एटकिंस

ट्रंप के अनुसार, एटकिंस 20 जनवरी को गैरी जेंसलर की जगह लेंगे. जेंसलर ने पिछले महीने अपने इस्तीफे की घोषणा की थी, यह अनुमान लगाते हुए कि ट्रंप उन्हें निकाल देंगे, जैसा कि उन्होंने चुनाव अभियान के दौरान वादा किया था. एटकिंस 2017 से डिजिटल चैंबर ऑफ कॉमर्स के सह-अध्यक्ष हैं, जो डिजिटल परिसंपत्तियों के उपयोग को बढ़ावा देता है.

ट्रंप ने सोशल मीडिया पर कहा, 'पॉल सामान्य ज्ञान विनियमों के लिए एक सिद्ध नेता हैं. वह निवेशकों की जरूरतों के प्रति उत्तरदायी मजबूत, नवाचारी पूंजी बाजारों के वादे में विश्वास करते हैं. वह यह भी मानते हैं कि डिजिटल संपत्तियां और अन्य नवाचार अमेरिका को पहले से कहीं अधिक महान बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं.

केली लोफ्लर को दी ये जिम्मेदारी

इसके अलावा, नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने पूर्व सीनेटर केली लोफ्लर को लघु व्यवसाय प्रशासन का नेतृत्व करने के लिए चुना. उन्होंने कहा कि केली व्यवसाय और वाशिंगटन में अपने अनुभव का इस्तेमाल लालफीताशाही को कम करने और हमारे लघु व्यवसायों को बढ़ने, नवाचार करने और फलने-फूलने के अवसर प्रदान करने के लिए करेंगी. ट्रंप ने यह भी कहा कि वह उनकी उद्घाटन समिति की सह-अध्यक्षता भी करेंगी.
 


Supriya Lifescience को मिली बड़ी उपलब्धि, एक दवा को ब्राजील में मिली मंजूरी, दूसरी के लिए दायर किया पेटेंट

CADIFA मंजूरी के बाद, Supriya Lifescience अब LATAM के तेजी से बढ़ते बाजार में कदम रखने के लिए तैयार है.

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Published - Tuesday, 10 December, 2024
Last Modified:
Tuesday, 10 December, 2024
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ग्लोबल फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री की बड़ी कंपनी Supriya Lifescience Ltd. ने दो बड़े उपलब्धियां हासिल की हैं. इससे इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्थिति और मजबूत हो गई है. पहली उपलब्धि यह है कि, कंपनी को ब्राज़ील की हेल्थ अथॉरिटी ANVISA (एजेंसी नैशनल डी विजिलेंसिया सैनिटेरिया) से Esketamine Hydrochloride के लिए मंजूरी मिली है. यह दवा मानसिक रोगों के इलाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. Supriya Lifescience ब्राज़ील की पहली कंपनी है जिसने इस खास दवा के लिए यह मंजूरी हासिल की है. यह कदम ब्राज़ील और बाकी LATAM (लैटिन अमेरिका) में कंपनी के प्रोडक्ट्स का दायरा बढ़ाने में मदद करेगा.

Esketamine Hydrochloride एक महत्वपूर्ण दवाई है जो मानसिक बीमारियों के इलाज में उपयोग होती है और LATAM बाजार में इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की उम्मीद है. यह मंजूरी कंपनी को ऐसे बाजार में अत्याधुनिक, उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने का अवसर देगी, जहां नई और सस्ती दवाइयों की मांग बढ़ रही है.

साथ ही दूसरी उपलब्धि, कंपनी ने Atorvastatin के निर्माण के लिए एक नए और कम लागत वाले तरीके का पेटेंट आवेदन किया है. यह नई तकनीक दवाओं को ज्यादा प्रभावी और सस्ता बनाती है. Atorvastatin एक महत्वपूर्ण दवा है जो कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करती है और हृदय रोगों से बचाव में मदद करती है. इस उपलब्धि से Supriya Lifescience ने मरीजों के लिए सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के अपने वादे को पूरा किया है. 

कंपनी के चेयरमैन और डायरेक्टर डॉ. सतीश वाघ ने इस मौके पर कहा कि हम फार्मास्युटिकल मैन्युफैक्चरिंग में बदलाव लाने और दवाओं को सस्ता बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. Atorvastatin के निर्माण में हमारी नई तकनीक और CADIFA की मंजूरी हमारी वैश्विक उपस्थिति को और मजबूत करती है. इससे हम ब्राज़ील जैसे महत्वपूर्ण देशों में Esketamine Hydrochloride जैसी उन्नत दवाएं पेश कर सकते हैं.  

CADIFA मंजूरी के साथ, Supriya Lifescience Ltd. अब तेजी से बढ़ते LATAM बाजार में अपने कदम बढ़ाने के लिए तैयार है. कंपनी की इनोवेशन, रेग्युलेटरी नियमों का पालन और विश्व स्तर पर सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सुविधाएं देने की प्रतिबद्धता इसे एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय फार्मास्युटिकल कंपनी के रूप में स्थापित करती है.
 


RBI गवर्नर शक्तिकांत दास आज हो रहे हैं रिटायर, PM सहित इन लोगों को किया धन्यवाद

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास आज रिटायर हो रहे हैं. सोशल मीडिया साइट एक्स (X) पर पोस्ट में उन्होंने प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और वित्तीय क्षेत्र के हितधारकों से मिले समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया है.

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Published - Tuesday, 10 December, 2024
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Tuesday, 10 December, 2024
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) गवर्नगर शक्तिकांत दास आज यानी 10 दिसंबर को अपने पद से रिटायर हो रहे हैं. उर्जित पटेल के अचानक पद छोड़ने के बाद उन्हें 12 दिसंबर 2018 को गवर्नर नियुक्त किया गया था. इस बीच उन्होंने अपनी विदाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण सहित तमाम लोगों को धन्यवाद दिया है. शक्तिकांत दास की जगह अब राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा रिजर्व बैंक के नए गवर्नर होंगे. वह 11 दिसंबर को वो नए गवर्नर का पदभार संभाल लेंगे.

एक्स पर प्रधानमंत्री के लिए लिखी ये पोस्ट
शक्तिकांत दास ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा है कि आज आरबीआई गवर्नर के रूप में पद छोड़ दूंगा. आप सभी के समर्थन और शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद. मुझे RBI गवर्नर के रूप में देश की सेवा करने का अवसर देने और उनके मार्गदर्शन और प्रोत्साहन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बहुत-बहुत आभार. उनके विचारों और सोच से बहुत लाभ हुआ.

वित्त मंत्री का भी जताया आभार
उन्होंने आगे लिखा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को उनके निरंतर समर्थन और समर्थन के लिए हार्दिक धन्यवाद. राजकोषीय-मौद्रिक समन्वय अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर था और इसने हमें पिछले छह सालों के दौरान कई चुनौतियों से निपटने में मदद की. मैं वित्तीय क्षेत्र और अर्थव्यवस्था के सभी हितधारकों; विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों; उद्योग निकायों और संघों; कृषि, सहकारी और सेवा क्षेत्रों के संगठनों को उनके इनपुट और नीतिगत सुझावों के लिए धन्यवाद देता हूं. अपने मैसेज के अंत में दास ने कहा है कि आरबीआई की पूरी टीम को बहुत-बहुत धन्यवाद. साथ मिलकर हमने अभूतपूर्व वैश्विक झटकों के असाधारण कठिन दौर को सफलतापूर्वक पार किया. आरबीआई एक भरोसेमंद और विश्वसनीय संस्थान के रूप में और भी ऊंचाई हासिल करे, यही कामना है. आप सभी को मेरी शुभकामनाएं.

इन पदों पर रह चुके हैं शक्तिकांत दास
दास ने अपने छह साल के कार्यकाल के आखिरी 4 सालों में आर्थिक वृद्धि को 7 प्रतिशत से अधिक बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 1980 बैच के आईएएस अधिकारी दास राजस्व विभाग और आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव रह चुके हैं. सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें 15वें वित्त आयोग का सदस्य और भारत का जी20 शेरपा नियुक्त किया गया. दास को पिछले 38 वर्षों में शासन के तमाम क्षेत्रों में व्यापक अनुभव है. उन्होंने वित्त, कराधान, उद्योग और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में केंद्र और राज्य सरकारों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है.


RBI को अलविदा कहने जा रहे हैं शक्तिदास दास, कैसा रहा उनका 6 साल का कार्यकाल?

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकान्‍त दास के कार्यकाल का आज आखिरी दिन है. बुधवार 11 दिसंबर को संजय मल्‍होत्रा ये पदभार ग्रहण करेंगे.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Tuesday, 10 December, 2024
Last Modified:
Tuesday, 10 December, 2024
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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर शक्तिकान्‍त दास के कार्यकाल का आज आखिरी दिन है. 12 दिसंबर 2018 को RBI गवर्नर बने शक्तिकान्‍त दास का कार्यकाल कुल 6 साल तक रहा. उनके कार्यकाल को 3 साल के लिए एक्‍सटेंड किया गया था. आज मंगलवार को उनका आखिरी दिवस है. बुधवार 11 दिसंबर को संजय मल्‍होत्रा ये पदभार ग्रहण करेंगे. कार्यकाल के आखिरी दिन गवर्नर शक्तिकान्‍त दास ने पीएम नरेंद्र मोदी, वित्‍त मंत्री नरेंद्र मोदी और पूरी आरबीआई की टीम को शुक्रिया कहा है. आइए जानते हैं कैसा रहा उनका 6 साल का कार्यकाल...

6 साल रहे आरबीआई गवर्नर

दास को ऊर्जित पटेल के अचानक गवर्नर पद छोड़ने के बाद पहली बार 12 दिसंबर, 2018 को आरबीआई की कमान सौंपी गई थी. बीते छह वर्षों में उन्हें अमेरिका स्थित ‘ग्लोबल फाइनेंस’ पत्रिका ने दो बार सर्वश्रेष्ठ केंद्रीय बैंकर भी घोषित किया. दास ने आरबीआई गवर्नर के तौर पर पिछले हफ्ते मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक की अध्यक्षता भी की. बैठक खत्म होने के बाद दास ने कहा था कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था ने निरंतर उथल-पुथल और झटकों का सफलतापूर्वक सामना किया है.

कई मुद्दों को चतुराई से किया हल

शक्तिकांत दास को आरबीआई मुख्यालय में अपना कार्यभार संभालने के साथ ही सरप्लस ट्रांसफर के मुद्दे पर पैदा हुए विवाद को निपटाना पड़ा था. उन्होंने न केवल बाजार की चिंताओं को दूर किया बल्कि सरकार को सरप्लस ट्रांसफर से संबंधित मुद्दों को चतुराई से हल भी किया. उसके एक साल बाद ही भारत समेत पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी के चंगुल में फंस गई थी. एक प्रमुख आर्थिक नीति निर्माता के रूप में दास को लॉकडाउन से उपजे व्यवधानों के प्रबंधन की चुनौती का भी सामना करना पड़ा. उस समय दास ने रेपो दर को 4 प्रतिशत के ऐतिहासिक निचले स्तर पर लाने का विकल्प चुना. हालांकि, महामारी से उबरने के बाद दास की अगुवाई वाली MPC ने आर्थिक वृद्धि को तेज करने के लिए ब्याज दरें बढ़ाने की तेजी दिखाई.

सरकार के साथ बेहतर तालमेल

उनके कुशल प्रबंधन को देखते हुए सरकार ने 2021 में उन्हें एक बार फिर आरबीआई का गवर्नर नियुक्त किया. दास ने यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई कि उनके कार्यकाल के अंतिम 4 वर्षों में आर्थिक वृद्धि 7 प्रतिशत से अधिक रहे. आरबीआई गवर्नर के तौर पर दास का नरेंद्र मोदी सरकार के साथ तालमेल अच्छा रहा. उनके गवर्नर बनने के बाद से एक बार भी आरबीआई की स्वायत्तता का मुद्दा नहीं उठा. वह सहयोगियों और मीडिया के लिए स्पष्टवादी और सुलभ रहे, उन्होंने आम सहमति का रास्ता अपनाते हुए सरकार के साथ संवाद बनाए रखा. इस दौरान आरबीआई ने 2024 की शुरुआत में 2.11 लाख करोड़ रुपये का अबतक का सबसे अधिक लाभांश सरकार को दिया.

कई प्रमुख पद पर रहे दास

आरबीआई की कमान संभालने के पहले दास 2016 की नोटबंदी के समय भी प्रमुख भूमिका में थे. भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1980 बैच के अधिकारी दास ने राजस्व विभाग और आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव के रूप में कार्य किया था. रिटायरमेंट के बाद उन्हें 15वें वित्त आयोग का सदस्य और जी20 समूह में भारत का शेरपा भी नियुक्त किया गया था. दास को पिछले 38 वर्षों में शासन के विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक अनुभव है. उन्होंने वित्त, कराधान, उद्योग और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में केंद्र और राज्य सरकारों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है, वह दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से पोस्टग्रेजुएट हैं.
 


कंपनी का ये कैसा फरमान, कर्मचारियों से पूछा- टेंशन है? हां, बोलने वालों को नौकरी से निकाला

शार्क टैंक इंडिया में आ चुका होम सलून सर्विस वाला स्टार्टअप यस मैडम (YesMadam) तो आपको याद ही होगा. इस वक्त यस मैडम विवादों में फंस गया है.

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Published - Tuesday, 10 December, 2024
Last Modified:
Tuesday, 10 December, 2024
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सोशल मीडिया पर इन दिनों नोएडा बेस्ड एक स्टार्टअप कंपनी का ईमेल चर्चा का हॉट टॉपिक बना हुआ है, जिस पर लोगों के तरह-तरह के रिएक्शन देखने को मिल रहे हैं. दरअसल, स्टार्टअप कंपनी 'यस मैडम' इन दिनों इंटरनेट पर सुर्खियों में है. कंपनी पर एक पूर्व कर्मचारी ने गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया है कि एक मेंटल हेल्थ सर्वे के आधार पर करीब 100 लोगों को नौकरी से निकाल दिया गया है. इस घटना ने सोशल मीडिया पर बड़ा बवाल खड़ा कर दिया है और लोग अब कंपनी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं.

मेंटल हेल्थ सर्वे बना छंटनी का आधार? 

पूर्व कर्मचारी ने बताया कि कंपनी ने एक आंतरिक मेंटल हेल्थ सर्वे कराया, जिसका उद्देश्य कर्मचारियों की मानसिक स्थिति और काम के दबाव को समझना था, लेकिन इस सर्वे के परिणामों को आधार बनाकर उन कर्मचारियों को निकाल दिया गया, जिन्होंने काम के दबाव की शिकायत की थी. कंपनी के इस कदम को कर्मचारियों और इंटरनेट यूजर्स ने अमानवीय करार दिया है. उनका कहना है कि मेंटल हेल्थ पर बातचीत को प्रोत्साहित करने के बजाय, इसे कर्मचारियों के खिलाफ इस्तेमाल करना गलत है.

मेल में क्या लिखा था?

यस मैडम की HR टीम ने मेल में लिखा कि हमने कार्यस्थल पर तनाव का पता लगाने के लिए एक सर्वे किया. आपकी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए और एक स्वस्थ कार्य वातावरण सुनिश्चित करने के लिए, हमने उन कर्मचारियों को अलग करने का निर्णय लिया है, जिन्होंने अपने तनाव की बात कही. यह कदम तुरंत प्रभाव से लागू होगा. सबसे बड़ी बात कि इस मेल में कंपनी के सह-संस्थापक मयंक आर्या को भी शामिल किया गया था. मयंक आर्या ने सिंगापुर पॉलिटेक्निक से नॉटिकल स्टडीज में डिप्लोमा किया है. 2016 में उन्होंने यस मैडम की स्थापना की. कंपनी का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाते हुए ब्यूटी और वेलनेस सेवाओं को घर-घर पहुंचाना है. वर्तमान में यस मैडम 50 से अधिक शहरों में सक्रिय है.

लोग क्या कह रहे हैं?

कई लिंक्डइन यूजर्स ने इस कदम की कड़ी आलोचना की. एक यूजर ने लिखा, "तनावग्रस्त कर्मचारियों को निकालना उनकी समस्याओं का समाधान नहीं है." अनुष्का दत्ता ने लिखा, "यस मैडम में कर्मचारियों को ऐसे निकाला गया जैसे वे इंसान नहीं, केवल आंकड़े हैं." वहीं कुछ लोग इसे पीआर स्टंट बता रहे हैं, जबकि, अन्य इसे 'टॉक्सिक वर्क कल्चर' का उदाहरण मानते हैं. हालांकि, अभी तक यस मैडम की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.