होम / बिजनेस / महंगाई में आई नरमी, क्या ब्याज दरों पर नरम होगा RBI? इस दिन चल जाएगा पता
महंगाई में आई नरमी, क्या ब्याज दरों पर नरम होगा RBI? इस दिन चल जाएगा पता
महंगाई को नियंत्रित करने के लिए RBI नीतिगत ब्याज दरों में इजाफे को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करता है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 5 months ago
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अगले हफ्ते समीक्षा बैठक करने जा रहा है, जिसमें आपकी EMI पर फैसला होगा. कहने का मतलब है कि RBI तय करेगा कि रेपो रेट (Repo Rate) में इजाफा करना है या नहीं. अगर इजाफा होता है, तो कर्ज महंगा होगा और आपकी EMI भी बढ़ जाएगी. हालांकि, इस बात की संभावना ज्यादा है कि RBI रेपो रेट में कोई बदलाव न करे. पिछली बार भी केंद्रीय बैंक ने नीतिगत ब्याज दरों को यथावत रखा था.
कटौती के लिए इंतजार
मीडिया रिपोर्ट्स में एक पोल के हवाले से बताया गया है कि रिजर्व बैंक के लगातार पांचवी समीक्षा बैठक में दरों को स्थिर रखने के संभावना है. दरअसल, महंगाई में राहत दिख रही है, ऐसे में दरों में बढ़ोतरी की आशंका लगभग न के बराबर है. हालांकि, दरों में कटौती के लिए अभी इंतजार करना होगा. रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 6 दिसंबर को शुरू होगी और 8 दिसंबर को खत्म होगी. इसी दिन ये साफ हो जाएगा कि महंगाई के दौर में आपकी EMI का बोझ बढ़ेगा या फिर राहत मिलेगी.
ये भी पढ़ें - अभी से जान लीजिए सोमवार को कैसी रहेगी बाजार की चाल, Bull हावी रहेगा या Bear करेगा वार?
अर्थशास्त्रियों का ये है कहना
17 से 30 नवंबर के बीच आयोजित एक पोल में 64 अर्थशास्त्रियों से उनकी राय पूछी गई थी, जिनमें से अधिकांश ने कहा कि RBI रेपो दरों को 6.5 फीसदी पर स्थिर रख सकता है. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि महंगाई दर में गिरावट देखने को मिल रही है और ये अक्टूबर में 5 प्रतिशत से नीचे आ गई है. हालांकि, इसके रिजर्व बैंक की 4% की तय सीमा से ऊपर बने रहने की संभावना है. लिहाजा इसे देखते हुए रिजर्व बैंक अपनी मौजूदा रणनीति में कोई बदलाव न करे. यानी कि भले ही ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी न हो, इनमें कटौती भी नहीं की जाएगी. पोल में शामिल में सभी अर्थशास्त्रियों का औसत अनुमान कहता है कि रेपो रेट में कटौती 2024 की तीसरी तिमाही (सितंबर तिमाही) से शुरू हो सकती है.
क्या है RBI की जिम्मेदारी?
मालूम ही कि RBI के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि उसे महंगाई को नियंत्रित करने में अपनी असफलता पर सरकार को स्पष्टीकरण देने पड़ा है. दरअसल, रिजर्व बैंक अधिनियम के तहत अगर महंगाई के लिए तय लक्ष्य को लगातार तीन तिमाहियों तक हासिल नहीं किया जाता, तो RBI को केंद्र सरकार के समक्ष स्पष्टीकरण देना होता है. मौद्रिक नीति रूपरेखा के 2016 में प्रभाव में आने के बाद से ऐसा पहली बार हुआ जब RBI को इस संबंध में केंद्र को रिपोर्ट भेजनी पड़ी. आरबीआई को केंद्र की तरफ से खुदरा महंगाई दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बनाए रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद आरबीआई मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने में नाकाम रहा था.
टैग्स