शेयर बाजार में आज गिरावट दिखाई दे रही है, लेकिन Paytm के शेयरों में तेजी बनी हुई है.
रिजर्व बैंक ऑफ (RBI) की कार्रवाई के बाद से Paytm के शेयरों में सुनामी देखने को मिली. कंपनी के शेयर लगातार गिरते रहे और निवेशकों के आंसू बहते रहे. अब Paytm के शेयरों में कुछ मजबूती नजर आ रही है. आज यानी सोमवार को कंपनी के शेयर ग्रीन लाइन पकड़कर आगे बढ़ रहे हैं. खास बात ये है कि बाजार में गिरावट है, इसके बावजूद Paytm के शेयरों में तेजी आई है. ऐसे में यह सवाल लाजमी हो जाता है कि क्या इसे कंपनी के शेयरों में निवेश का सही मौका माना जाए?
EBITDA इतना होगा प्रभावित
RBI ने 31 जनवरी को पेटीएम पेमेंट बैंक पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए थे. इससे पेटीएम की आर्थिक सेहत बुरी तरह प्रभावित हुई है. One97 Communications के शेयरों में इस दौरान बड़ी गिरावट आई है. Paytm स्टॉक मार्केट में One97 Communications से ही लिस्टेड है. कंपनी का कहना है कि आरबीआई के कदमों का उसके EBITDA पर 300 से 500 करोड़ रुपए का असर पड़ सकता है. पेटीएम को लेकर हर रोज कोई न कोई नई खबर सुनने को मिल रही है. ऐसे में निवेशक घबराए हुए हैं, उनके मन में एक सवाल यह भी चल रहा है कि स्टॉक का भविष्य क्या होगा.
दूरी में ही है समझदारी
गिरकर संभले पेटीएम के शेयर भले ही निवेश के लिए आकर्षक लग रहे हों, लेकिन फिलहाल इसमें जोखिम ज्यादा है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि कंपनी के कई बिजनेस के भविष्य को लेकर अभी कुछ भी ठीक से नहीं कहा जा सकता. एक और नेगेटिव खबर आते ही स्टॉक फिर से गोता लगाने लगेंगे. दूसरे शब्दों में कहें तो Paytm के शेयर की कीमत फेयर वैल्यू से कम बनी रहने की आशंका हमेशा रहेगी. लिहाजा, इसे खरीदारी के मौके के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. फिलहाल, इससे दूरी बनाए रखने में ही समझदारी है.
ऐसी रही है शेयरों की चाल
खबर लिखे जाने तक Paytm के शेयर डेढ़ प्रतिशत से अधिक की उछाल के साथ 426.35 रुपए पर कारोबार कर रहे थे. पिछले 5 दिनों में ये सरे 3.05% और एक महीने में 38.43% नीचे आ चुका है. जबकि बीते छह महीने में इसने 50.64% की डुबकी लगाई है. यदि इस साल अब तक इसकी चाल की बात करें, तो कंपनी के शेयर 34.01% लुढ़क चुके हैं. Paytm के शेयर का 52 वीक का हाई लेवल 998.30 रुपए है. लिहाजा अंदाजा लगा सकते हैं कि शेयर कहां से कहां आ गया है.
इसी अवधि के दौरान टाटा सन्स के कर्मचारियों के वेतन और पारिश्रमिक में 2.5% की बढ़ोतरी हुई और यह 441 करोड़ रुपए हो गया.
टाटा समूह (Tata Sons) की होल्डिंग कंपनी टाटा संस का वित्त वर्ष 2023-24 में कंसोलिडटेड शुद्ध मुनाफा 74 प्रतिशत बढ़कर 49,000 करोड़ रुपये रहा. यह जानकारी कंपनी की 106वीं वार्षिक रिपोर्ट से सामने आई है. कुल मुनाफे में से शेयरधारकों को दिया जाने वाला हिस्सा 34,625 करोड़ रुपये रहा, जो वित्त वर्ष 2023 में दर्ज 16,847.79 करोड़ रुपये के दोगुने से भी अधिक है. वित्त वर्ष 2024 में कंपनी का कंसोलिडेटेड रेवेन्यू 14.64 प्रतिशत बढ़कर 4.76 लाख करोड़ रुपये हो गया. वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, टाटा ग्रुप ने कंपनी के प्रदर्शन के आधार पर अब तक का सबसे अधिक 35,000 रुपये का डिविडेंड दिया. वित्त वर्ष 2023 के लिए डिविडेंड के तौर पर 17,500 रुपये का भुगतान किया गया था.
टाटा संस का रेवेन्यू 25% बढ़ा
वित्त वर्ष 2023-24 में, टाटा सन्स के रेवेन्यू में 25% की बढ़ोतरी हुई और यह 43,893 करोड़ रुपए हो गया. टाटा संस की इनकम में TCS का सबसे बड़ा योगदान है. टाटा ट्रस्ट्स की टाटा संस में 66% हिस्सेदारी है, जबकि मिस्त्री परिवार की हिस्सेदारी 18.4% है, बाकी हिस्सेदारी टाटा ग्रुप की कंपनियों के पास है. IT कंपनी विप्रो के पूर्व CEO थिएरी डेलापोर्ट को वित्त वर्ष 2023-24 में 167 करोड़ रुपए मिले. फ्रांस के डेलापोर्ट ने कंपनी में अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा किए बिना ही इस्तीफा दे दिया. वित्त वर्ष 2023 में उन्हें 83 करोड़ रुपए मिले थे जबकि चंद्रशेखरन का कंपनसेशन 113 करोड़ रुपए था.
एन चंद्रशेखरन की सैलरी में भी हुई बढ़ोतरी
टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन को वित्त वर्ष 2024 में 135 करोड़ रुपए की सैलरी मिली, जो पिछले वित्त वर्ष के वेतन से 20% ज्यादा है. एन चंद्रशेखरन किसी भारतीय कंपनी के सबसे अधिक वेतन पाने वाले प्रोफेशनल चीफ हैं. वहीं टाटा सन्स के सभी डायरेक्टर्स की कुल सैलरी में 16% की बढ़ोतरी हुई. कंपनी ने अपने टॉप डायरेक्टर्स को 200 करोड़ रुपए का पेमेंट किया, जो वित्त वर्ष 2022-23 (FY23) में 172.5 करोड़ रुपए था. इसी अवधि के दौरान टाटा सन्स के कर्मचारियों के वेतन और पारिश्रमिक में 2.5% की बढ़ोतरी हुई और यह 441 करोड़ रुपए हो गया.
टाटा संस के CFO को 30 करोड़ रुपए मिले
टाटा संस के CFO सौरभ अग्रवाल को वित्त वर्ष 2024 में 30 करोड़ रुपए मिले. वह टाटा ग्रुप में सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाले दूसरे एग्जीक्यूटिव रहे. उनकी कमाई टीसीएस, टाटा स्टील और आईएचसीएल के प्रमुखों से ज्यादा रही. अग्रवाल की कमाई वित्त वर्ष 2022-23 के वेतन से लगभग 9% अधिक रही. टीसीएस के CEO के कृतिवासन, IHCL के प्रमुख पुनीत छतवाल और टाटा स्टील के प्रमुख टीवी नरेंद्रन को वित्त वर्ष 2024 में क्रमशः 25 करोड़ रुपए, 19 करोड़ रुपए और 17 करोड़ रुपए सैलरी मिली. कृतिवासन की कुल सैलरी में 1 अप्रैल, 2023 से 31 मई, 2023 तक TCS के BFSI के ग्लोबल हेड और 1 जून, 2023 से 31 मार्च, 2024 तक कंपनी के CEO के रूप में वेतन शामिल है. राजेश गोपीनाथन के अचानक कंपनी छोड़ने के बाद कृतिवासन को TCS का CEO बनाया गया था.
RIL के सभी पक्षों में मूल्य निर्माण की परंपरा के तहत शेयरधारकों के लिए एक जल्दी दिवाली का उपहार.
Reliance Industries Limited (RIL) के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने आज 1:1 के अनुपात में बोनस शेयर जारी करने की मंजूरी दी है. इसका मतलब है कि जो भी शेयरधारक एक पूरी तरह से भुगतान की गई इक्विटी शेयर (Rs. 10/- प्रत्येक) रिकॉर्ड तिथि पर रखता है, उसे एक पूरी तरह से भुगतान की गई इक्विटी शेयर (Rs. 10/- प्रत्येक) और मिलेगा. रिकॉर्ड तिथि बाद में बताई जाएगी.
यह भारतीय शेयर बाजार में अब तक का सबसे बड़ा बोनस शेयर जारी करने का मामला होगा. बोनस शेयर जारी होने और सूचीबद्ध होने का समय भारत के आगामी त्योहारों के मौसम से मेल खाएगा और यह हमारे सम्मानित शेयरधारकों के लिए एक जल्दी दिवाली का उपहार होगा.
यह RIL की आईपीओ के बाद छठी बोनस इश्यू है और इस गोल्डन दशक में दूसरी बार है. यह बोनस इश्यू Reliance के 2017 से 2027 तक के गोल्डन दशक के दौरान शेयरधारकों को पुरस्कृत करने की निरंतर प्रतिबद्धता का प्रमाण है.
• 2017 में, Reliance ने 1:1 के अनुपात में बोनस शेयर जारी किए थे.
• इसके बाद 2020 में एक राइट्स इश्यू हुआ, जिसमें शेयरधारकों का निवेश अब 2.5 गुना बढ़ चुका है.
• जुलाई 2023 में, Jio Financial Services Limited का विभाजन हुआ, जो आज अपनी सूचीकरण के समय से 35% अधिक मूल्यवान है.
Reliance अपने ‘We Care’ दर्शन की सच्ची भावना में आने वाले वर्षों में सभी स्टेकहोल्डर्स के लिए व्यापक मूल्य बनाने के अपने मिशन के प्रति प्रतिबद्ध है.
Reliance Industries Limited भारत की सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की कंपनी है. इसके पास 10,00,122 करोड़ रुपये (119.9 बिलियन डॉलर) की कुल आय, 1,41,969 करोड़ रुपये (17.0 बिलियन डॉलर) का नकद लाभ और 79,020 करोड़ रुपये (9.5 बिलियन डॉलर) का शुद्ध लाभ है, जो 31 मार्च 2024 को समाप्त वर्ष के लिए है. Reliance के कामों में हाइड्रोकार्बन खोज और उत्पादन, पेट्रोलियम रिफाइनिंग और मार्केटिंग, पेट्रोकेमिकल्स, उन्नत सामग्री और कंपोजिट्स, रिन्यूएबल एनर्जी (सौर और हाइड्रोजन), रिटेल और डिजिटल सेवाएं शामिल हैं.
वर्तमान में 86वीं रैंक पर, Reliance 2024 के लिए Fortune की 'विश्व की सबसे बड़ी कंपनियों' की ग्लोबल 500 सूची में शामिल होने वाली भारत की सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की कंपनी है. कंपनी Forbes की 'विश्व की सबसे बड़ी सार्वजनिक कंपनियां' की ग्लोबल 2000 रैंकिंग में 45वीं रैंक पर है, जो भारतीय कंपनियों में सबसे उच्च स्थान है. Reliance को Time की 100 सबसे प्रभावशाली कंपनियों की 2024 की सूची में शामिल किया गया है, और यह एकमात्र भारतीय कंपनी है जिसे यह सम्मान दो बार मिला है. Reliance Forbes की 'विश्व के सर्वश्रेष्ठ नियोक्ता' 2023 की सूची में शीर्ष भारतीय कंपनी है और शीर्ष 100 में एकमात्र है. इसके अलावा, इसे LinkedIn की 'Top Companies 2023: The 25 Best Workplaces To Grow Your Career In India' सूची में भी शामिल किया गया है.
केंद्र सरकार ने किसानों के लिए डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन की घोषणा की है. इस योजना का उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना और कृषि उत्पादकता में सुधार करना है.
किसानों को डिजिटल सेवाओं से जोड़ने और उनकी इनकम में इजाफा करने के लिए सरकार डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन (Digital Agriculture Mission) लेकर आई है. इस योजना का उद्देश्य किसानों को कृषि संबंधी जानकारियां और तरह-तरह की सेवाएं प्रदान करना है. इसके लिए सरकार ने 2,817 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी भी दे दी है. तो आइए जानते हैं क्या है डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन और इससे किसानों को कैसे फायदा होगा?
क्या है डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन?
केंद्र सरकार ने किसानों की इनकम को बढ़ाने के उद्देश्य से डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन की घोषणा की है. डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में डिजिटल तकनीकों का इस्तेमाल करके किसानों की आय बढ़ाना और कृषि उत्पादकता में सुधार करना है. इस मिशन के तहत सरकार ने कृषि क्षेत्र में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए 2,817 करोड़ रुपये के बजट को भी मंजूरी दे दी है.
किसानों को मिलेगी ये सुविधा
इस मिशन के माध्यम से भारत के किसानों को कृषि से संबंधित अलग अलग जानकारियां जैसे मौसम की भविष्यवाणी, बीज की गुणवत्ता, कीटनाशकों का उपयोग और बाजार की जानकारी ऑनलाइन प्राप्त कराई जाएगी. वहीं, किसान ID के माध्यम से किसानों का एक केंद्रीकृत डेटाबेस तैयार किया जाएगा, जिसमें उनकी जमीन, फसल और लाभार्थी योजनाओं की जानकारी शामिल होगी. इससे किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ आसानी से मिल सकेगा और उन्हें किसी प्रकार की कागजी कार्रवाई की जरूरत नहीं होगी.
किसानों को ऐसे होगा फायदा
1. डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिये किसानों को उनकी फसलों, मिट्टी की गुणवत्ता, और मौसम की जानकारी वास्तविक समय में मिलेगी.
2. बेहतर डेटा और डिजिटल साधनों के माध्यम से फसल बीमा दावों का निपटान अधिक सटीक और तेजी से हो सकेगा.
3. इसके अलावा, किसान आसानी से क्रेडिट कार्ड-लिंक्ड फसल ऋण प्राप्त कर सकेंगे.
4. इस योजना के माध्यम से किसानों का पूंजी निवेश बढ़ेगा, रोजगार पैदा होगा, आयात पर निर्भरता कम होगी और किसानों की आय में वृद्धि होगी.
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यहां से होगी किसान आईडी बनाने की शुरुआत
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार किसान ID के निर्माण के लिए पायलट परियोजनाएं छह जिलों, फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश), गांधीनगर (गुजरात), बीड (महाराष्ट्र), यमुनानगर (हरियाणा), फतेहगढ़ साहिब (पंजाब), और वीरुधुनगर (तमिलनाडु) में की गई हैं. सरकार का लक्ष्य 11 करोड़ किसानों के लिए डिजिटल पहचान बनाने का है, जिनमें से 6 करोड़ किसान वर्तमान (2024-25) वित्तीय वर्ष में शामिल किए जाएंगे, अगले 3 करोड़ किसान 2025-26 में, और शेष 2 करोड़ किसान 2026-27 में शामिल किए जाएंगे.
ग्लोबल ऑडिट फर्म BDO ने पारदर्शिता में कमी का आरोप लगाते हुए बायजू के ऑडिटर पद से इस्तीफा दे दिया है.
एडटेक स्टार्टअप बायजू (Byju's) की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. कंपनी के एक और ऑडिटर ने उसका साथ छोड़ दिया है. ऑडिट फर्म BDO ने कंपनी के ऑडिटर पद से इस्तीफा दे दिया है. BDO को जून 2023 में 5 साल की अवधि के लिए Byju’s और आकाश एजुकेशनल सर्विसेज का ऑडिटर नियुक्त किया गया था. बता दें कि इससे पहले डेलॉयट ने अनियमितताओं का हवाला देते हुए Byju’s के ऑडिटर के तौर पर इस्तीफा दे दिया था.
लगाया ये आरोप
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, BDO (Binder Dijker Otte) ने Byju’s के दिवालिया घोषित होने के एक दिन बाद 17 जुलाई को फोरेंसिक ऑडिट के लिए अनुरोध किया था. BDO का कहना है कि उसने पारदर्शिता पर चिंता और धोखाधड़ी के जोखिम को ध्यान में रखते हुए इस्तीफा दिया है. जबकि Byju’s के फाउंडर और सीईओ बायजू रवींद्रन ने इसे ब्लैकमेल करने की रणनीति करार दिया है.
ईमेल से दिया जवाब
रवींद्रन ने 6 सितंबर की देर रात BDO के एक शीर्ष अधिकारी को भेजे अपने ईमेल में कहा कि जैसा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं, Byju’s ने BDO द्वारा किए गए हर अनुरोध को माना है. हमने केवल उन अनुरोधों को स्वीकार नहीं किया है, जिनके लिए हमें नैतिकता और वैधता की सीमाओं को पार करना होगा. बायजू रवींद्रन ने BDO पर अनुचित दबाव डालने का आरोप लगाते हुए कहा कि कंपनी को कारोबारी रिपोर्ट को पिछली तारीख में बदलने के लिए मजबूर करने का प्रयास किया गया.
आंशिक भुगतान किया
Byju’s सीईओ ने यह भी कहा है कि आर्थिक कठनाइयों के बावजूद कंपनी BDO को आंशिक भुगतान करने में कामयाब रही है, जो मुश्किल समय में साथ मिलकर काम करने की हमारी इच्छा को दर्शाता है. उन्होंने अपने ईमेल में आगे लिखा है कि ऐसा लगता है कि BDO के इस्तीफे का असली कारण मैनेजमेंट द्वारा बैक-डेट डॉक्युमेंट्स और फाइलिंग्स के अनुरोध को स्वीकारने से इनकार करना है.
सबूतों का दिया हवाला
बायजू रवींद्रन ने यह भी कहा है कि हमारे पास सबूत के रूप में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्डिंग मौजूद हैं, जहां BDO के वरिष्ठ पार्टनर्स स्पष्ट रूप से हमारी टीम से कई बैकडेटेड रिपोर्ट सबमिट करने के लिए कह रहे हैं. मुझे तो यहां तक पता चला है कि BDO के सीनियर पार्टनर ने इस अवैध गतिविधि के लिए खुद ही वैल्यूएशन फर्म की सिफारिश भी की थी.
इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर मेकर एथर एनर्जी अपने आईपीओ के जरिए 4,500 करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी कर रही है. हीरो मोटोकॉर्प इस कंपनी के निवेशकों में से एक है.
अगर आप इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी आईपीओ (IPO) के जरिए निवेश करके पैसा कमाने चाहते हैं तो आपके लिए मौका हो सकता है. दरअसल, इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर मेकर एथर एनर्जी अपने आईपीओ (Ather Energy) से 4,500 करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी में है. कंपनी के पब्लिक इश्यू में नए शेयरों को जारी करने के साथ-साथ ऑफर फॉर सेल (OFS) भी रहेगा. सोर्सेज का कहना है कि कंपनी अगले सप्ताह मार्केट रेगुलेटर सेबी के पास अपने IPO के डॉक्युमेंट्स जमा कर सकती है. यह भी पता चला है कि एथर एनर्जी लगभग 2.5 अरब डॉलर की वैल्यूएशन को टारगेट कर रही है.
हीरो मोटोकॉर्प भी है शेयरहोल्डर
एथर एनर्जी 2023 के अंत से कई राउंड की फंडिंग जुटा चुकी है. इस साल मई में इसने डेट और इक्विटी के कॉम्बिनेशन से 286 करोड़ रुपये जुटाए थे. यह फंडिंग मुख्य रूप से वेंचर डेट और को-फाउंडर्स के माध्यम हासिल की गई. वेंचर डेट फर्म स्ट्राइड वेंचर्स ने डिबेंचर के जरिए एथर एनर्जी में करीब 200 करोड़ रुपये का निवेश किया है. वहीं स्टार्टअप के को-फाउंडर तरुण संजय मेहता और स्वप्निल जैन ने सीरीज एफ प्रेफरेंस शेयरों के जरिए 43.28 करोड़ रुपये का निवेश किया है. पिछले साल सितंबर में हीरो मोटोकॉर्प ने एथर एनर्जी में 550 करोड़ रुपये के निवेश के लिए अपने बोर्ड की मंजूरी की घोषणा की थी.
तरुण मेहता और स्वप्निल जैन हैं एथर एनर्जी के प्रमोटर
एथर एनर्जी (Ather Energy) के प्रमोटर-फाउंडर IIT मद्रास के ग्रेजुएट तरुण मेहता और स्वप्निल जैन ने साल 2013 में कंपनी को लॉन्च किया था. तरुण मेहता और स्वप्निल जैन ने सीरीज एफ प्रेफरेंस शेयरों के जरिए 43.28 करोड़ रुपये का निवेश किया है. पिछले महीने एथर एनर्जी ने अपने मौजूदा निवेशक, नेशनल इनवेस्टमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (NIIF) की अगुवाई में एक नए फंडिंग राउंड में 7.1 करोड़ डॉलर जुटाए थे. इस फंडिंग राउंड के बाद इसकी वैल्यूएशन 1.3 अरब डॉलर हो गई और यह यूनिकॉर्न स्टार्टअप की कैटेगरी में पहुंच गई.
कॉम्पिटीटर ओला इलेक्ट्रिक हो चुकी है लिस्ट
एथर एनर्जी (Ather Energy) की करीबी प्रतिद्वंद्वी ओला इलेक्ट्रिक (Ola Electric) ने इस साल अगस्त में IPO के जरिए 6,146 करोड़ रुपये जुटाए थे. यह अगस्त में ही शेयर बाजार में लिस्ट हो गई. ओला इलेक्ट्रिक (Ola Electric) शेयर 9 अगस्त को लिस्टिंग डे पर बीएसई पर 91.18 रुपये पर क्लोज हुआ था. तब से लेकर अब तक इसकी कीमत 20 प्रतिशत चढ़ चुकी है. कंपनी का मार्केट कैप 48,300 करोड़ रुपये से ज्यादा है.
RBI ने हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (HUDCO) सहित तीन हाउसिंग कंपनियों पर जुर्माना लगाया है. इस कार्रवाई के बाद मल्टीबैगर HUDCO के शेयर में 3 प्रतिशत की गिरावट आई.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (HUDCO) सहित तीन हाइसिंग कंपनियों पर भारी जुर्माना लगाया है. इन कंपनियों के खिलाफ ये कार्रवाई आरबीआई की गाइडलाइन का पालन नहीं करने को लेकर की गई है. इस कार्रवाई का असर हुडको के शेयर पर भी देखने को मिला और यह शेयर 3 प्रतिशत तक टूट गया. बता दें इस शेयर ने निवेशकों को मल्टीबैगर रिटर्न दिया है. तो चलिए जानते हैं मल्टीबैगर रिटर्न देने वाली इस कंपनी पर आरबीआई ने क्यों और कितना जुर्माना लगाया है ?
इसलिए हुई कार्रवाई
आरबीआई द्वारा हुडको पर ये कार्रवाई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी-आवास वित्त कंपनी निर्देशों के कुछ प्रावधानों के उल्लंघन को लेकर की गई है. बता दें, कंपनी को इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (एनबीएफसी) के रूप में रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट के लिए आरबीआई की मंजूरी भी मिल गई है. यह दर्जा कंपनी को हाउसिंग के अलावा अलग-अलग इंफ्रा सेक्टर के फंडिंग को हाई रिस्क लिमिट की अनुमति देता है.
हाल में कंपनी ने 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर जुटाए
हाल ही में हुडको ने लोन मार्केट में कदम रखते हुए 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर (30 अरब जापानी येन) जुटाए हैं. इसकी व्यवस्था करने वाली जापान की सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉरपोरेशन (एसएमबीसी) ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की संस्था ने अपने पहले सामाजिक ऋण के हिस्से के रूप में पांच साल के लिए यह धनराशि जुटाई है. एसएमबीसी की सिंगापुर शाखा के नेतृत्व में हुए इस सौदे को कुल नौ ऋणदाताओं से अधिक सब्सक्रिप्शन मिला और ग्रीनशू विकल्प का इस्तेमाल करने के बाद इसकी मूल आरंभिक राशि 15 अरब येन से बढ़ाकर 30 अरब येन कर दी गई.
शेयर में आई गिरावट
आरबीआई की इस कार्रवाई का असर कंपनी के शेयर पर भी देखने को मिला है. शुक्रवार को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में यह 3 प्रतिशत टूट गया और सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन शेयर 254.15 रुपये पर बंद हुआ. वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर 2.52 प्रतिशत की गिरावट के साथ 255.40 रुपये पर बंद हुआ. बता दें कि इस शेयर ने निवेशकों को मल्टीबैगर रिटर्न दिया है. सितंबर 2023 में 67.70 रुपये का यह शेयर जुलाई 2024 में 353.95 रुपये के स्तर तक पहुंच गया था.
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2 और कंपनियों पर हुआ एक्शन
हुडको के अलावा आरबीआई ने गोदरेज हाउसिंग पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. वहीं, आधार हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड पर भी 5 लाख रुपये का मौद्रिक जुर्माना लगा है. इन तीनों ही मामले में आरबीआई ने कहा कि यह दंड, नियामकीय अनुपालन में कमियों के कारण लगाया गया हैं और इसका उद्देश्य कंपनियों के किसी भी लेन-देन या समझौते की वैधता को प्रभावित करने का नहीं है.
अनिल अंबानी की रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर अब इलेक्ट्रिक कार मैन्युफैक्चरिंग में उतरने की तैयारी कर रही है. कंपनी इसके लिए जरूरी तैयारी भी कर रही है.
अनिल अंबानी बड़े भाई मुकेश अंबानी समेत टाटा और महिंद्रा को टक्कर देने जा रहे हैं. दरअसल, अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर इलेक्ट्रिक कार और बैटरी बनाने की योजना पर विचार कर रही है. मीडिया रिपोर्ट्स मुताबिक कंपनी ने अपनी योजनाओं पर सलाह देने के लिए चीन की BYD कंपनी में भारत के पूर्व हेड संजय गोपालकृष्णन को नियुक्त किया है. अनिल अंबानी की इस कंपनी ने प्रति वर्ष लगभग 2.50 लाख वाहन की क्षमता वाले ईवी प्लांट की स्थापना के लिए बाहरी सलाहकारों को नियुक्त किया है. कंपनी का प्लान आने वाले कुछ वर्षों में इस प्लांट की क्षमता बढ़ाकर 7.50 लाख वाहन प्रति वर्ष करना है.
क्या है अनिल अंबानी की प्लानिंग?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने प्रति वर्ष लगभग 250,000 वाहनों की प्रारंभिक क्षमता वाले ईवी प्लांट की स्थापना करनी है, जिसकी “कॉस्ट फिलिबिलिटी” स्टडी करने के लिए बाहर के सलाहकारों को नियुक्त किया है. बाद में इस कैपेसिटी को 750,000 तक बढ़ाया जाएगा. वहीं रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी 10 गीगावाट घंटे के बैटरी प्लांट की फिजिबिलिटी पर भी विचार किया जाएगा, जिसकी कैपेसिटी को आने सालों में बढ़ाया जा सकता है. रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और पूर्व बीवाईडी एग्जीक्यूटिव संजय गोपालकृष्णन का कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है.
मुकेश अंबानी भी कर रहे हैं बैटरी सेल पर काम
अनिल अंबानी एशिया के सबसे अमीर आदमी और रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख मुकेश अंबानी के छोटे भाई हैं, जिनकी तेल और गैस से लेकर टेलीकॉम और रिटेल सेक्टर में रुचि है. दोनों भाइयों के बीच साल 2005 में फैमिली बिजनेस का बंटवारा हो गया था. मुकेश की कंपनी पहले से ही लोकल लेवल पर बैटरी बनाने के लिए काम कर रही है और इस सप्ताह 10 गीगावॉट बैटरी सेल प्रोडक्शन के लिए सरकारी इंसेंटिव के लिए बिड हासिल की है. यदि अनिल अंबानी का ग्रुप अपनी योजनाओं को आगे बढ़ाने का फैसला करता है, तो भाई एक ऐसे बाजार में आगे बढ़ेंगे जहां ईवी की काफी कम उपस्थिति है लेकिन वे तेजी से बढ़ रहे हैं.
सरकार की 5 बिलियन डॉलर की पीएलआई स्कीम
पिछले साल भारत में बेची गई 4.2 मिलियन कारों में इलेक्ट्रिक मॉडल की हिस्सेदारी 2 फीसदी से भी कम थी, लेकिन सरकार 2030 तक इसे 30 फीसदी तक बढ़ाना चाहती है. इसने स्थानीय स्तर पर ईवी और उनके कंपोनेंट और बैटरीज का निर्माण करने वाली कंपनियों के इंसेंटिव के लिए 5 बिलियन डॉलर से अधिक का बजट रखा है. भारत में बैटरी निर्माण अभी शुरू नहीं हुआ है, लेकिन एक्साइड और अमारा राजा जैसे कुछ लोक मेकर्स ने देश में लिथियम-आयन बैटरी सेल बनाने की तकनीक के लिए चीन कगी कंपनियों के साथ डील की है.
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने बनाई दो कंपनियां
गोपालकृष्णन दो साल से ज्यादा समय बीवाईडी बिताने, कंपनी का लोकल बिजनेस स्थापित करने, तीन ईवी लॉन्च करने और डीलरशिप नेटवर्क स्थापित करने के बाद इस साल बीवाईडी से रिटायर हो गए. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जून में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने ऑटो से जुड़ी दो नई पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों का गठन किया. एक का नाम रिलायंस ईवी प्राइवेट लिमिटेड है, जिसका “मुख्य उद्देश्य” किसी भी प्रकार के फ्यूल का उपयोग करके ट्रांसपोर्ट और कंवेंस के लिए हर तरह के व्हीकल और कंपोनेंट का निर्माण, डील करना है.
अडानी समूह अभी तक बंदरगाह, ट्रांसमिशन, सीमेंट और कोयला कारोबार में हैं. चिप निर्माण के क्षेत्र में कदम रखना उनके समूह के लिए बिल्कुल नया अनुभव होगा.
गौतम अडानी की अगुवाई वाला अडानी समूह (Adani Group) अब सेमीकंडक्टर क्षेत्र में एंट्री करेगा.अडानी समूह इजरायल के टावर सेमीकंडक्टर के साथ मिलकर महाराष्ट्र में 10 अरब डॉलर (83 हजार करोड़ रुपये) की लागत से सेमीकंडक्टर प्लांट लगाएगा. महाराष्ट्र सरकार ने उच्च-प्रौद्योगिकी वाली चार विशाल परियोजनाओं को मंजूरी दी है जिनमें अडानी समूह की टावर सेमीकंडक्टर के साथ साझेदारी वाली परियोजना भी शामिल है. इन परियोजनाओं में कुल 1.17 लाख करोड़ रुपये का निवेश होने की उम्मीद है.
अडानी का सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट
अडानी ग्रुप इजराइली कंपनी टावर सेमीकंडक्टर के साथ मिलकर एक विशाल सेमीकंडक्टर विनिर्माण परियोजना स्थापित करेगा. परियोजना के पहले चरण में 58,763 करोड़ रुपये और दूसरे चरण में 25,184 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा. इस परियोजना पर कुल निवेश 83,947 करोड़ रुपये का होगा जिससे 15,000 लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है. विविध कारोबारों में सक्रिय अडानी ग्रुप का सेमीकंडक्टर विनिर्माण के क्षेत्र में यह पहला कदम होगा.
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा कि अडानी-टावर गठजोड़ मुंबई के बाहरी इलाके तलोजा में यह चिप निर्माण संयंत्र लगाएगा. उन्होंने कहा कि पहले चरण में प्रति माह 40,000 चिप बनाए जाएंगे जबकि दूसरे चरण में यह क्षमता प्रति माह 80,000 हो जाएगी.
ये कंपनियां भी कर रही हैं निवेश
इसके अलावा स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन इंडिया 12,000 करोड़ रुपये के निवेश से पुणे में एक इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण परियोजना स्थापित करेगी जिससे 1,000 लोगों को रोजगार मिलेगा. आधिकारिक बयान के मुताबिक, छत्रपति संभाजीनगर में टोयोटा किर्लोस्कर मोटर कंपनी अपनी विशाल इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण परियोजना लेकर आएगी. इस परियोजना में 21,273 करोड़ रुपये का निवेश होगा और करीब 12,000 नौकरियां पैदा होंगी.
इसके अलावा अमरावती में रेमंड लग्जरी कॉटन्स एक विशाल परियोजना लगाएगी जहां कताई, धागा रंगाई, जूट बुनाई, कपास, जूट, मेस्टा और कपास बुनाई के माध्यम से उत्पादों का निर्माण किया जाएगा. इस परियोजना पर 188 करोड़ रुपये का निवेश होगा और 550 लोगों को रोजगार मिलेगा. इससे पहले मंत्रिमंडलीय उप-समिति की जुलाई में हुई बैठक में 80,000 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी. पिछले दो महीनों में दो लाख करोड़ रुपये के निवेश वाली परियोजनाओं को मंजूरी दी गई जिससे 35,000 नौकरियां पैदा होंगी.
मुख्यमंत्री ने क्या कहा?
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि ये परियोजनाएं स्थानीय आपूर्ति शृंखला को मजबूत बनाने में मदद करेंगी. शिंदे ने कहा- इन परियोजनाओं से सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्योग (एमएसएमई) से जुड़े हितधारकों को मदद मिलेगी और स्थानीय श्रम शक्ति को प्रशिक्षण एवं कौशल विकास के अवसर मिलेंगे. इसके साथ ही अधिकारियों ने कहा कि राज्य मंत्रिमंडल की उद्योग विभाग संबंधी उप-समिति की बैठक में इन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई. मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि इन परियोजनाओं के तहत सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रिक वाहन (EV) विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में निवेश होगा.
भारत ने पहली बार MSCI इमर्जिंग मार्केट और इन्वेस्टेबल मार्केट इंडेक्स (IMI) में चीन को पछाड़ा है. इसके साथ ही भारत इस इंडेक्स में टॉप वेटेज वाला देश बन गया है.
भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार की तेज रफ्तार पूरी दुनिया देख रही है. हिंदुस्तान की इस तरक्की को देख चीन के पसीने छूट रहे हैं. क्योंकि, मॉर्गन स्टेनली (Morgan Stanley) अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत पहली बार MSCI इमर्जिंग मार्केट और इन्वेस्टेबल मार्केट इंडेक्स (IMI) में चीन को पछाड़कर टॉप वेटेज वाला देश बन गया है. इन इंडेक्स में भारतीय इक्विटी का कुल भार 22.27 प्रतिशत है, जो चीनी शेयरों से आगे है, जिनका ज्वाइंट वेटेज अब गिरकर 21.58 प्रतिशत हो गया है.
इसमें लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां शामिल
MSCI आईएमआई में 3,355 स्टॉक शामिल हैं. इनमें लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां शामिल की जाती हैं. यह उभरते बाजारों वाले 24 देशों के स्टॉक को कवर करता है. प्रत्येक देश में निवेशकों के लिए उपलब्ध लगभग 85 फीसदी (फ्री फ्लोट एडजस्टेड) मार्केट कैप को कवर करता है. MSCI ईएम इंडेक्स (स्टैंडर्ड इंडेक्स) में लार्ज कैप और मिड कैप कंपनियां शामिल रहती हैं. वहीं, आईएमआई को लार्ज, मिड और स्मॉल कैप स्टॉक के साथ बनाया गया है. MSCI आईएमआई में चीन के मुकाबले भारत का यह शानदार प्रदर्शन स्मॉल कैप कंपनियों की वजह से रहा है.
भारत में बढ़ा FDI, FPI में भी आया उछाल
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, इस रिपोर्ट से मार्केट ट्रेंड समझ में आ रहा है. चीन में आर्थिक स्थितियां अच्छी न होने के चलते वहां के मार्केट भी संघर्ष कर रहे हैं. इधर, भारत की इकोनॉमी में आए उछाल और भारतीय कंपनियों के अच्छे प्रदर्शन से इक्विटी मार्केट में लगातार उछाल आया है. इसके अलावा भारतीय इक्विटी बाजार में लार्ज कैप के साथ-साथ मिड कैप और स्मॉल कैप इंडेक्स ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है. भारत में साल 2024 में एफडीआई (FDI) 47 फीसदी बढ़ा है. साथ ही क्रूड ऑयल की कीमतों में कमी और डेट मार्केट में फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टमेंट (FPI) से भी स्थितियां बेहतर हुई हैं.
भारतीय इक्विटी में आ सकता है 5 अरब डॉलर का निवेश
इसके चलते एमएससीआई ने अपने इंडेक्स में भारतीय शेयरों का भार बढ़ा दिया है. मार्च, 2024 से अगस्त, 2024 के दौरान एमएससीआई ईएम में भारत का भार 18 फीसदी से बढ़कर 20 फीसदी हो गया. इसी अवधि में चीन का भार 25.1 फीसदी से घटकर 24.5 फीसदी हो गया है. विश्लेषकों के अनुमान के अनुसार, एमएससीआई आईएमआई में हुए इस बदलाव के बाद भारतीय इक्विटी में लगभग 4 से 4.5 अरब डॉलर का निवेश आ सकता है. भारत को तेजी से आगे बढ़ने के लिए न सिर्फ घरेलू बल्कि विदेशी निवेश की बहुत जरूरत है. इस ग्लोबल इंडेक्स में ऊपर जाने से भारतीय इकोनॉमी को फायदा होगा.
बेंगलुरु मुख्यालय वाली स्विगी देश के 500 से ज्यादा शहरों में सेवाएं देती है. फूड डिलीवरी और हाइपरलोकल मार्केटप्लेस सेगमेंट में इसकी टक्कर Zomato से है.
आईपीओ लाने की तैयारी में जुटी ऑनलाइन फूड डिलीवर करने वाली कंपनी स्विगी (Swiggy) को तगड़ा झटका लगा है. कंपनी के साथ 33 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी हुई है. स्विगी ने इस मामले में अपने एक पूर्व कर्मचारी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बेंगलुरु स्थित इस कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए अपनी सालाना रिपोर्ट में इस घटना का खुलासा किया है. साथ ही मामले की जांच के लिए एक बाहरी टीम की नियुक्ति भी की है.
सालों से हुआ गबन
स्विगी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि चालू वर्ष के दौरान उसे अपनी एक सब्सडियरी में करीब 32.67 करोड़ रुपए के गबन का पता चला. मामले की जांच में मिले तथ्यों की समीक्षा करने पर यह सामने आया कि 31 मार्च 2024 को खत्म हुए वित्तीय वर्ष के दौरान उक्त राशि को एक खर्चे के रूप में दर्ज किया. कंपनी के अनुसार, इस रकम को एक पूर्व जूनियर कर्मचारी ने पिछले सालों में गबन किया है.
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बेहतर हुई आर्थिक सेहत
स्विगी की आर्थिक स्थिति की बात करें, तो वित्त वर्ष 2024 में कंपनी का रिवेन्यु 36% बढ़कर 11247 करोड़ रुपए हो गया. जबकि कंपनी के घाटे में 44 प्रतिशत की कमी आई है. बता दें कि स्विगी अपना आईपीओ लाने की तैयारी में जुटी हुई है. कंपनी आईपीओ के जरिए 10,414 करोड़ रुपए जुटाएगी. कंपनी को इसी साल अप्रैल में आईपीओ के लिए शेयरधारकों की मंजूरी मिली थी. IPO में नए इक्विटी शेयर जारी कर 3,750 करोड़ रुपए जुटाए जाएंगे. इसके अलावा, 6,664 करोड़ रुपए का बिक्री पेशकश (OFS) के माध्यम से जुटाए जाएंगे. फूड डिलीवरी और हाइपरलोकल मार्केटप्लेस सेगमेंट में इसकी टक्कर Zomato से है.