STARTUP और उनके प्रमोटर को भी रिस्क के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए: पूर्व सेबी प्रमुख

हम डिजिटाइजेशन के बढ़ने पर जश्न मनाते है लेकिन हमे अपनी साइबर सिक्योरिटी को बढ़ाने पर भी काम करना चाहिए.

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Thursday, 24 November, 2022
Model risk code launch by ex Sebi Chief

नई दिल्ली: सेबी के पूर्व प्रमुख एम दामोदरन ने कहा है कि स्टार्टअप को ही नहीं बल्कि उनके प्रमोटर को भी अपनी रणनीति के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब वो कोई प्रोडक्ट मार्केट में लाते है तो उन्‍हें उसके हर तरह के रिस्क के बारे में सोचना चाहिए. ये बात उन्होंने नई दिल्ली में 'मॉडल रिस्क कोड' प्लेबुक को लॉन्च करने के बाद कही. मॉडल रिस्क कोड ग्लोबल रिस्क मैनेजमेंट एजेंसी की स्टडी है, जिसे 25000 से ज्‍यादा इंडस्‍ट्री से जुड़े लोगों के अनुभव के साथ बनाया गया है. यह इवेंट 24 नवंबर, 2022 को नई दिल्ली स्थित FICCI फेडरेशन हाउस में आयोजित किया गया.

क्‍या है मॉडल कोड रिस्‍क 
मॉडल कोड ऑफ रिस्‍क में ये बताने की कोशिश की गई है कि जब कंपनियों के सामने संकट आता है तो उन्‍हें उससे कैसे निपटना चाहिए. इसे बनाने वाली टीम ने अलग-अलग लोगों से बात करके कोरोना के दौरान बनाया है. इसे लॉन्‍च करने के बाद एम दामोदरन ने कहा कि हमें दुख है कि हम इस कोड को बनाते हुए लोगों से सीधे तौर पर नहीं मिल पाए.

इस प्लेबुक का लेखक कौन है?
'मॉडल रिस्क कोड' को GRMI के फाउंडर और CEO सुभाषीश नाथ ने लिखा है. उन्होंने इस प्लेबुक को सेबी के पूर्व अध्यक्ष एम. दामोदरन के नेतृत्व वाली एक 18 सदस्यीय रिस्क टास्कफोर्स के मार्गदर्शन में लिखा है. 'मॉडल रिस्क कोड' प्लेबुक को जारी करने के लिए FICCI और GRMI ने एक-दूसरे के साथ पार्टनरशिप की है.

कोरोना ने समझाया रिस्‍क का मतलब 
प्रोफेसर राजन सक्‍सेना ने कहा कि रिस्क के बारे में हमारे देश में तब समझ में आया जब कोरोना सामने आया. आज पैसा बड़ी संख्या में एजुकेशन कैंपस की बिल्डिंग को बनाने पर इन्वेस्ट किया जा रहा है. उसमें वो नहीं पढ़ाया जा रहा है, जिसकी आज इंडस्‍ट्री को जरूरत है. अच्‍छे टैलेंट के बाहर न आने की जिम्मेदारी इंडस्ट्री को भी लेनी पड़ेगी. आज इंडस्ट्री जिसे ले रही है क्या वो रिस्क मैनेजमेंट के बारे में जानता है. स्टूडेंट को भी डिमांड करनी पड़ेगी की उन्हें क्या जरूरत है. 

जियोपॉलिटिकल स्थिति जाने बिना रिस्‍क असेसमेंट नहीं 
कार्यक्रम में पहुंची अनीता जॉर्ज ने कहा कि जब मैं अपने करियर को देखती हूं तो समझ में आता है कि हम और अच्छा कर सकते थे. 80 प्रतिशत इंटेलीजेंस दूसरी चीजों में लग रही है. आज में ये नहीं सोच सकती कि कोई कंपनी बिना पर्यावरण आंकलन, सहित तमाम परिस्थितियों के बारे में सोचे बिना आगे बढ़ सकती है. आज जियोपॉलिटिकल लेवल पर क्या हो रहा है हम उसे जाने और समझे बिना रिस्क का आंकलन नहीं कर सकते है. 2017 में हमने पब्लिक में जाने का फैसला किया ये कहकर कि हम अपनी कमिटमेंट और ग्रीन अप्रोच को और बढ़ाए. हम डिजिटाइजेशन के बढ़ने पर जश्न मनाते है लेकिन हमें अपनी साइबर सिक्योरिटी को बढ़ाने पर भी काम करना चाहिए. 

GRMI के बारे में
GRMI (GLOBAL RISK MANAGEMENT INSTITUTE) एक विशेष संस्थान है, जो रिस्क मैनेजमेंट को सही दिशा देने के लिए दुनिया भर में रिस्क स्पेशलाइजेशन के अन्य केंद्रों के साथ मिलकर काम करता है. इस संस्थान ने एक ऐसा करिकुलम बनाया है जो इंटरप्राइस रिस्क, फाइनेंशियल और ऑपरेशन के सभी पहलुओं तक फैला हुआ है और सभी प्रमुख इंडस्ट्री वर्टिकल्स को इनसाइट्स प्रदान करता है. GRMI 5000 घंटे से भी ज्यादा समय के लिए क्लासेज ले चुका है. इनके पास 70 इंडस्ट्री और एकेडमिक एक्सपर्ट्स हैं. यह 60 सालों से रिस्क कंसल्टिंग कर रहा है. GRMI का विजन दुनिया का प्रमुख रिस्क मैनेजमेंट एजुकेशनल इंस्टीट्यूट बनना, टॉप के ग्लोबल टैलेंट को आकर्षित करना और भविष्य के कॉर्पोरेट और सार्वजनिक क्षेत्र के लीडर्स को दिशा देकर ग्लोबल इकोनॉमी को प्रभावित करना है.


भारत के ये बाजार दुनियाभर में बदनाम, जानते हैं इसका कारण?

अमेरिकी ट्रेड रेप्रेजेंटेटिव्स (USTR) ने बदनाम बाजारों की लिस्ट जारी की है. इनमें भारत के 3 ऑनलाइन मार्केट प्लेस और 3 ऑफलाइन बाजार भी शामिल हैं.

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Saturday, 04 May, 2024
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एक ओर भारत के कुछ बाजार दुनियाभर में मशहूर हैं, जहां देश-विदेश से लोग खरीदारी करने आते हैं. वहीं, यहां कुछ ऐसे बाजार भी हैं, जो दुनियाभर के बदनाम बाजारों की लिस्ट में आते हैं. दरअसल, अमेरिका में हर साल कुछ बदनाम बाजारों की लिस्ट तैयार की जाती है, जिसमें भारत के कुछ ऑनलाइन और कुछ ऑफलाइन बाजार शामिल हैं. वहीं, चीन बदनाम बाजारों की लिस्ट में नबर 1 पर है, तो चलिए जानते हैं भारत के ये कौन से बाजार हैं और इन्हें बदनाम बाजार क्यों कहा जाता है?

क्यों कहते हैं बदनाम बाजार
इन मार्केट्स को बदनाम इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यहां पर नकली और कॉपी किए हुए प्रोडक्ट्स की भरमार होती है. इसके साथ ही यहां कॉपीराइट्स कानून का उल्लंघन भी होता है. इन बाजारों में नकली जींस विदेशी ब्रैंड के स्टीकर लगाकर बेची जाती है. 

भारत के कौन से बाजार इसमें शामिल 
अमेरिकी ट्रेड रेप्रेजेंटेटिव्स (USTR) की ओर से जारी बदनाम बाजारों की लिस्ट में  भारत के 3 ऑनलाइन मार्केट प्लेस और 3 ऑफलाइन बाजार भी शामिल हैं, जिसमें मुंबई का हीरा पन्ना बाजार, नई दिल्ली के करोल बाग का टैंक रोड और बेंगलुरू के सदर पटरप्पा रोड मार्केट शामिल है. वहीं, ऑनलाइन मार्केट प्लेस में इंडियामार्ट, वेगामूवीज और डब्ल्यूएचएमसीएस स्मार्ट्स शामिल हैं. 

एशिया का सबसे बड़ा जींस का बाजार, फिर भी बदनाम
आपको बता दें, करोल बाग स्थित टैंक रोड बाजार 35 साल पुराना बाजार है. दिल्ली के इस बाजार को एशिया का सबसे बड़ा जींस का बाजार कहा जाता है. यहां पर आपको छोटे से लेकर बड़े तक हर ब्रांड की जींस सस्ते में मिल जाएगी. हालांकि, अमेरिका के अनुसार उनमें में कई जींस नकली होती हैं यानी कि उन जींस को बनाया तो यहां जाता है, लेकिन उनपर विदेशी कंपनी के स्टीकर लगे होते हैं. यहां 450 से लेकर 1200 रुपये कर की जींस मिलती है. हालांकि आपको यहां पर कम से कम 5 जींस खरीदनी पड़ेगी. यहां पर दिल्ली ही नहीं जम्मू से लेकर कन्याकुमारी तक से व्यापारी खरीदारी करने के लिए आते हैं. इसके साथ ही ये एक टूरिस्ट बाजार भी बन गया है. 

चीन से निकलता है सबसे ज्यादा नकली सामान
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिका के ट्रेड डेलीगेट्स की बदनाम बजारों (Notorious Markets) की लिस्ट में चीन अब भी नंबर 1 की पॉजीशन पर है. अमेरिका द्वारा तैयार सूची में दुनियाभर के 33 फीजिकल ऑफलाइन और 39 ऑनलाइन मार्केट प्लेस हैं. इसमें चीन सबसे आगे है, जिसमें चीन के ई-कॉमर्स एवं सोशल कॉमर्स मार्केट ताओबाओ (Taobao), वीचैट (WeChat), डीएच गेट (DHGate) और पिनडुओडुओ (Pinduoduo) के अलावा क्लाउड स्टोरेज सर्विस बाइडू वांगपान (Baidu Wangpan) शामिल हैं. इसके साथ ही चीन के 7 ऑफलाइन बाजारों को भी इस लिस्ट में शामिल किया गया है. ये सभी चाइनीज बाजार नकली सामानों की मैन्युफैक्चरिंग, डिस्ट्रीब्यूशन एवं सेल्स करते हैं.


क्यों जरूरी है बदनाम बाजारों की लिस्ट?
यूएसटीआर ने बताया कि चीन कई सालों से लगातार इस लिस्ट में पहले स्थान पर बना हुआ है. अमेरिकी कस्टम्स और बॉर्डर प्रोटेक्शन ने 2022 में जितना सामान जब्त किया उसमें चीन और हांगकांग से निकले नकली सामानों का हिस्सा लगभग 60 प्रतिशत है. ये सभी बाजार ट्रेडमार्क काउंटरफिटिंग और कॉपीराइट पायरेसी के लिए जाने जाते हैं और इससे कर्मचारियों, उपभोक्ताओं, छोटे बिजनेस और इकोनॉमी को भारी नुकसान होता है, इसलिए बदनाम बाजारों की यह लिस्ट बेहद जरूरी हो जाती है. इससे हमें नकली सामानों से लड़ने में मदद मिलती है. इकोनॉमी को बचाने के लिए इन सभी बाजारों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.
 


सॉवरेन बॉन्‍ड को लेकर RBI ने उठाया बड़ा कदम, जानिए क्‍या है ये पूरा मामला

कंपनी जब अपने ही शेयर निवेशकों से खरीदती है तो इसे बायबैक कहते हैं. बायबैक की प्रक्रिया पूरी होने के बाद इन शेयरों का वजूद खत्म हो जाता है.

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Saturday, 04 May, 2024
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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) कैश की कमी को पूरा करने के लिए एक बड़ा कदम उठाने जा रही है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया 40 हजार करोड़ रुपये की प्रतिभूतियों की फिर से खरीद करने जा रही है. आरबीआई इनकी खरीद के लिए नीलामी का रास्‍ता अपनाने जा रही है. ये खरीद नई तरह की नीलामी व्‍यवस्‍था के जरिए होगी. 

आखिर कौन से हैं ये सॉवरेन गोल्‍ड बॉन्‍ड 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई जिन बॉन्‍ड को बॉयबैक करने जा रहा है उनमें जिन प्रतिभूतियों का प्रस्‍ताव तैयार किया गया है उनमें 6.18 प्रतिशत जीएस 2024, 9.15 प्रतिशत जीएस 2024, 9.15 प्रतिशत जीएस 2024, 6.89 प्रतिशत जीएस 2025 शामिल है. ये प्रतिभूतियां 4 नवंबर, 14 नवंबर और 16 नवंबर को परिपक्‍व होने वाली हैं. 

कब होगी ये नीलामी 

आरबीआई की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, ये नीलामी भारतीय रिजर्व बैंक के ई-कुबेर प्रणाली पर इलेक्‍ट्रॉनिक तरीके से 9 मई को आयोजित की जाएगी. ये नीलामी सुबह 10.30 बजे से  11.30 बजे के बीच आयोजित होगी. नीलामी का परिणाम तो उसी दिन आ जाएगा लेकिन उसका निपटान 11 मई को किया जाएगा. दरअसल जानकारों का मानना है कि इस कदम का इस्‍तेमाल कर्ज चुकाने के लिए किया जा रहा है. जिस तरह से इसके लिए सॉवरेन बॉन्‍ड का चयन किया गया है वो बताता है कि ये लिक्विडिटी रिडिस्‍ट्रीब्‍यूसन का मामला है और आने वाले अल्‍पकालिक फंड को लेकर स्थिति साफ है.

क्या है बायबैक ?

कंपनी जब अपने ही शेयर निवेशकों से खरीदती है तो इसे बायबैक कहते हैं. आप इसे आईपीओ का उलट भी मान सकते हैं. बायबैक की प्रक्रिया पूरी होने के बाद इन शेयरों का वजूद खत्म हो जाता है. बायबैक के लिए मुख्यत: दो तरीकों-टेंडर ऑफर या ओपन मार्केट का इस्तेमाल किया जाता है.
 


लंबे समय बाद BYJU'S के कर्मचारियों को मिली खुशखबरी, देर से ही सही जेब में आया पैसा 

BYJU'S ने NCLT से राईट्स इश्‍यू के जरिए जुटाए गए 200 मिलियन डॉलर के इस्‍तेमाल करने को लेकर अनुमति मांगी है. लेकिन इस पर अभी निर्णय नहीं हुआ है. 

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Friday, 03 May, 2024
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सैलरी के लिए लंबे समय से इंतजार कर रहे BYJU'S के कर्मचारियों को आखिरकार अप्रैल महीने का वेतन मिल गया है. BYJU'S मौजूदा समय में लिक्विडिटी की समस्‍या से जूझ रही है. इससे पहले फरवरी और मार्च में कंपनी ने अपने केवल टीचिंग स्‍टॉफ से लेकर कम सैलरी वाले कर्मचारियों को ही पूरी सैलेरी दी थी. जबकि बाकी कर्मचारियों को आंशिक सैलेरी ही दी गई थी. 

कंपनी ने NCLT से भी ली थी अनुमति 
मीडिया‍ रिपोर्ट के अनुसार, BYJU'S की ओर से इस भुगतान को करने से पहले NCLT से भी अनुमति ली गई थी. NCLT से अपने कर्मचरियों को सैलरी और वेंडरों का बकाया चुकाने के लिए अनुमति ली थी. कंपनी ने राईट्स इश्‍यू के जरिए जुटाए गए 200 मिलियन डॉलर के इस्‍तेमाल की भी अनुमति मांगी है. हालांकि अभी तक इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई है और अगली सुनवाई 6 जून को होने की संभावना है. यही नहीं BYJU'S के चार निवेशकों पीक XV पार्टनर्स, जनरल अटलांटिक, चैन-जुकरबर्ग इनिशिएटिव और प्रोसस ने उस पर एनसीएलटी के आदेशों का उल्‍लंघन करते हुए अपने हालिया राईट्स इश्‍यू के तहत पूंजी बढ़ाने से पहले संस्‍थापकों को शेयर जारी करने का आरोप लगाया है. 

ये भी पढ़ें; भारत की Tesla के खिलाफ कोर्ट पहुंची मस्‍क की Tesla, ये लगाए आरोप

आखिर कैसे चुकायी जाएगी अगले महीने की सैलरी 
BYJU'S के मामले में कोर्ट की कोई स्‍पष्‍ट गाइडलाइन न आने के कारण अब सबसे बड़ा सवाल ये पैदा हो रहा है कि आखिर कंपनी कैसे सैलरी चुकाएगी. यही नहीं कंपनी पिछले कुछ सालों में 10 हजार से ज्‍यादा कर्मचारियों को निकाल चुकी है. कंपनी के फाइनेंशियल चैलेंज के कारण, बायजू ने दो टीमों में अपने सेल्‍स कर्मचारियों के वेतन को उनके द्वारा लगभग एक महीने के साप्ताहिक राजस्व से जोड़ दिया है.

OPPO ने भी NCLT में BYJU’s को लेकर दी याचिका 
 BYJU'S की परेशानियां खत्‍म होने का नाम नहीं ले रही हैं. कंपनी की स्थिति ये है कि एक के बाद एक नई कंपनी उसके खिलाफ दिवालिया मुकदमा दायर कर रही है. इस कड़ी में ओप्‍पो ने भी कंपनी के खिलाफ NCLT में दिवालिया याचिका दायर कर उसका बकाया चुकाने की अपील की है. इससे पहले बीसीसीआई से लेकर कई और कंपनियां BYJU'S के खिलाफ दिवालिया याचिका दायर कर अपने कर्ज की मांग कर चुके हैं. 
 


Raymond ने जारी किए वित्त वर्ष 2024 तिमाही के नजीते, इतना दर्ज हुआ रेवेन्यू

रेमंड (Raymond) ने शुक्रवार 3 मई को वित्त वर्ष 2024 के मार्च तिमाही के नतीजे जारी किए.

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Friday, 03 May, 2024
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रेमंड (Raymond) ने शुक्रवार 3 मई को वित्त वर्ष 2024 के मार्च तिमाही के नतीजे जारी किए. साथ ही कंपनी ने बताया कि उसके बोर्ड ने गौतम सिंघानिया को अगले 5 साल के लिए दोबारा मैनेजिंग डायरेक्टर नियुक्त करने की मंजूरी दी है. सिंघानिया का नया कार्यकाल 1 जुलाई 2024 से शुरू होगा. 

सालान राजस्व 9,286 करोड़ रुपये 
वित्त वर्ष 2024 में रेमंड ने 17 प्रतिशत के EBITDA (Net Income, Interest, Taxes, Depreciation, Amortisation) मार्जिन के साथ अपना अब तक का सबसे अधिक सालान राजस्व 9,286 करोड़ रुपये और EBITDA 1,575 करोड़ दिया. लाइफस्टाइल बिजनेस में उपभोक्ता मांग में कमी और चुनौतीपूर्ण बाजार स्थितियों के बावजूद रेमंड के ब्रैंडेड कपड़े, गारमेंटिंग और रियल एस्टेट क्षेत्रों में मजबूत वृद्धि हुई. रियल एस्टेट व्यवसाय ने 134 प्रतिशत की वृद्धि के साथ मजबूत बिक्री प्रदर्शन किया, जो पिछले वर्ष की समान तिमाही में ₹289 करोड़ से बढ़कर  677 करोड़ हो गया. इसके अलावा ब्रैंडेड कपड़ों के व्यवसाय में 23 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 409 करोड, ब्रैंडेड टेक्सटाइल सेगमेंट में 920 करोड़, गार्मेंटिंग सेगमेंट में 280 करोड़ और हाई वैल्यू कॉटन शर्टिंग की बिक्री में 213 करोड़, इंजीनियरिंग व्यवसाय ने 234 करोड़ रुपये रेवेन्यू दर्ज हुआ. 

ये व्यवसाय भविष्य के विकास के इंजन
कंपनी के अनुसार गौतम हरि सिंघानिया के नेतृत्व में कंपनी ने अच्छी प्रगति की है. उनका लक्ष्य रेमंड ब्रैंड को दुनिया के सबसे बेहतर भारतीय ब्रैंड्स में से एक बनाना है और इसे ग्लोबल स्तर पर पहचान दिलाना है. वहीं, रेमंड लिमिटेड के चेयपमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर गौतम हरि सिंघानिया ने कहा है कि वह सभी व्यवसायों के प्रदर्शन से संतुष्ट हैं और उन्होंने पूरे वर्ष लगातार वृद्धि का प्रदर्शन किया है. उनके लाइफस्टाइल व्यवसाय ने प्रतिकूल परिस्थितियों और उपभोक्ता मांग में कमी के बावजूद मजबूत वृद्धि दर्ज की. रियल एस्टेट व्यवसाय में विशेष रुप से मुंबई के बांद्रा में अपनी पहली जेडीए परियोजना के लॉन्च के साथ मजबूत बुकिंग फ्लो बनाए रखा है. उनके पास लाइफस्टाइल, रियल एस्टेट और इंजीनियरिंग व्यवसाय जैसे तीन कार्यक्षेत्र हैं जो भविष्य के विकास के इंजन हैं जो भारत के विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं.

एयरोस्पेस, रक्षा और ईवी के कारोबार में प्रवेश
कंपनी ने बताया कि तिमाही के दौरान रेमंड ने मैनी प्रिसिजन प्रोडक्ट लिमिटेड का व्यवसाय अधिग्रहण पूरा किया. इसके साथ ही रेमंड समूह ने एयरोस्पेस, रक्षा और ईवी घटकों के कारोबार के उभरते क्षेत्रों में प्रवेश किया. अब आगे बढ़ते हुए व्यवस्थाओं की एक समग्र योजना के माध्यम से दो सहायक कंपनियां बनाई जाएंगी. एक एयरोस्पेस और रक्षा पर ध्यान केंद्रित करेगा, जबकि दूसरा ईवी और इंजीनियरिंग उपभोग्य सामग्रियों के क्षेत्र के साथ ऑटो घटकों को पूरा करेगा.  

इस साल 200 से अधिक स्टोर खुले
इस वर्ष रेमंड ने 200 से अधिक स्टोर खोले हैं जिनमें 56 'एथनिक्स बाय रेमंड' स्टोर शामिल हैं. 31 मार्च 2024 तक कुल रीटेल स्टोर नेटवर्क अब 1,518 स्टोर है. 2024 में कंपनी ने 840 करोड़ रुपये का कुल बुकिंग मूल्य दर्ज किया, जो मुख्य रूप से 'द एड्रेस बाय जीएस, बांद्रा' के सफल लॉन्च से प्रेरित था, जिसे 40 दिनों के भीतर बेची गई लॉन्च की गई इन्वेंट्री का लगभग 62 प्रतिशत के साथ जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली.

9 मई को डिमर्जर की सुनवाई
रेमंड के अनुसार रणनीतिक पहलों के अनुरूप, लाइफस्टाइल बिजनेस का प्रस्तावित पृथक्करण योजना के अनुसार आगे बढ़ रहा है, जिसे सेबी, शेयरधारक और लेनदार की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है. इसके अलावा डिमर्जर की मंजूरी के लिए एनसीएलटी की सुनवाई 9 मई 24 को होनी है.


MRF ने इस बार नहीं किया 'मजाक', देश के सबसे महंगे शेयर पर मिलेगा इतना Dividend 

देश के सबसे महंगे शेयर वाली कंपनी MRF ने फाइनल डिविडेंड का ऐलान कर दिया है.

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Friday, 03 May, 2024
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शेयर बाजार (Stock Market) में कई महंगे शेयर हैं, लेकिन सबसे महंगे शेयर का रिकॉर्ड MRF के नाम है. टायर बनाने वाली इस कंपनी का एक शेयर 1,28,400 रुपए में मिल रहा है. हालांकि, इस साल जनवरी में यह डेढ़ लाख रुपए तक पहुंच गया था. पिछले कुछ समय से शेयर में गिरावट का रुख है. इसके बावजूद कंपनी ने अपने निवेशकों को डिविडेंड देने का ऐलान किया है. 

सोशल मीडिया पर खूब बने थे मीम्स 
MRF के डिविडेंड देने के फैसले से इन्वेस्टर्स में खुशी का माहौल है. हालांकि, पिछली बार जब कंपनी ने डिविडेंड देने की घोषणा की थी, तो उसे लोगों के तंज और आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. दरअसल, इतने महंगे शेयर वाली कंपनी से निवेशकों को उम्मीद थी कि वो डिविडेंड भी कुछ भारी-भरकम देगी, लेकिन हुआ उसके एकदम उलट. MRF ने लगातार 2 बार प्रति शेयर तीन-तीन रुपए डिविडेंड की घोषणा कर डाली. इसके बाद सोशल मीडिया पर कंपनी के खिलाफ मीम्स की बाढ़ आ गई थी. लोगों ने इसे मजाक करार दिया था. शायद यही वजह है कि अब कंपनी ने अपनी गलती सुधारने की कोशिश की है. 

अब इतना मिलेगा डिविडेंड
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, MRF ने फाइनेंशियल ईयर 2024 के लिए प्रति शेयर 194 रुपए का फाइनल डिविडेंड देने का ऐलान किया है. इस तरह कंपनी इस वित्तीय वर्ष में प्रति शेयर कुल 200 रुपए का डिविडेंड देगी. क्योंकि उसने दो बार तीन-तीन रुपए का अंतरिम डिविडेंड दिया था. बता दें कि मार्च तिमाही में कंपनी का कंसोलिडेटेड नेट प्रॉफिट 16% की तेजी के साथ 396 करोड़ रुपए रहा. जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह 341 करोड़ था. हालांकि तिमाही आधार पर इसमें 22 प्रतिशत की गिरावट आई है.

पिछले साल 1 लाख हुई थी कीमत
पिछले साल जून में MRF के Stock की कीमत एक लाख रुपए पहुंची थी और यह मुकाम हासिल करने वाला यह देश का पहला शेयर था. MRF दुनिया की टॉप-20 टायर कंपनियों में शामिल है. यह दोपहिया वाहनों से लेकर फाइटर विमानों के लिए भी टायर बनाती है. MRF का पूरा नाम मद्रास रबर फैक्ट्री है. अब जब MRF की बात निकली है, तो इसकी सक्सेस स्टोरी के बारे में जान लेते हैं. लेकिन पहले ये समझते हैं कि कंपनी का शेयर देश का सबसे महंगा शेयर कैसे बन गया.

शेयर इसलिए है इतना महंगा
कंपनी के शेयर के इतना महंगा होने की प्रमुख वजह ये है कि उसने कभी भी शेयर्स को स्प्लिट नहीं किया. रिपोर्ट्स की मानें, तो 1975 के बाद से MRF ने अभी तक अपने शेयरों को कभी स्प्लिट नहीं किया. स्टॉक स्प्लिट का फैसला कंपनी तब लेती हैं, जब शेयर की कीमत काफी ज्यादा हो जाती है. ऐसा करके वह छोटे खरीदारों की पहुंच में अपने शेयर ले आती हैं, लेकिन MRF ने ऐसा नहीं किया. कंपनी की मजबूत वित्तीय स्थिति के चलते उसके शेयर भी मजबूत होते गए और आज एक शेयर की कीमत एक लाख से भी ज्यादा है. साल 2000 में इस शेयर की कीमत महज 1000 रुपए थी.  

इस तरह अस्तित्व में आई MRF
MRF के फाउंडर केरल के एक ईसाई परिवार में जन्मे केएम मैमन मापिल्लई (K. M. Mammen Mappillai) हैं. उन्होंने 1946 में चेन्नई में गुब्बारे बनाने की एक छोटी यूनिट लगाई थी. सबकुछ बढ़िया चल रहा था, फिर मापिल्लई ने देखा कि एक विदेशी कंपनी टायर रीट्रेडिंग प्लांट को ट्रेड रबर की सप्लाई कर रही है. तब उनके दिमाग में भी ऐसा कुछ करने का आइडिया आया. बता दें कि रीट्रेडिंग पुराने टायरों को दोबारा इस्तेमाल करने लायक बनाने को कहा जाता है. जबकि ट्रेड रबर टायर का ऊपरी हिस्सा होती है. इसके बाद मापिल्लई ने अपनी सारी पूंजी ट्रेड रबर बनाने के बिजनेस में लगा दी और इस तरह मद्रास रबर फैक्ट्री (MRF) का जन्म हुआ.

इनसे है MRF का मुकाबला
MRF ट्रेड रबर बनाने वाली भारत की पहली कंपनी थी. केएम मैमन मापिल्लई ने हाई क्वालिटी टायर बनाये और विदेशी कंपनियों की बादशाहत खत्म कर दी. 1960 के बाद से कंपनी ने टायर बनाना शुरू कर किया और आज भारत में टायर की सबसे बड़ी टायर मैन्युफैक्चरर है. एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में टायर इंडस्ट्री का मार्केट करीब 60,000 करोड़ रुपए का है. MRF का असली मुकाबला जेके टायर एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड और सिएट टायर्स से है. कंपनी के देश में 2500 से ज्यादा डिस्ट्रीब्यूटर्स हैं. कंपनी दुनिया के 75 से ज्यादा देशों में एक्सपोर्ट भी करती है.

मापिल्लई ने सड़क पर बेचे थे गुब्बारे
केएम मैमन मापिल्लई का बचपन अभावों में गुजरा था. मापिल्लई के पिता स्वतंत्रता सेनानी थे और आजादी की लड़ाई के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. इसके बाद परिवार की पूरी जिम्मेदारी मापिल्लई के कन्धों पर आ गई. परिवार का पेट भरने के लिए उन्होंने सड़कों पर गुब्बारे बेचने का काम शुरू किया. 6 साल तक यह करने के बाद 1946 में उन्होंने बच्चों के लिए खिलौने और गुब्बारे बनाने की एक छोटी यूनिट लगाई, जो आगे चलकर MRF बन गई. उन्होंने कंपनी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया. साल 2003 में 80 साल की उम्र में मापिल्लई का निधन हो गया. मापिल्लई के दुनिया से जाने के बाद उनके बेटों ने बिजनेस संभाला और जल्द ही उनकी कंपनी नंबर-1 की पोजीशन पर आ गई.  


शेयर बाजार से भी खूब पैसा बना रहे हैं Rahul Gandhi, कुछ ऐसा है उनका पोर्टफोलियो

राहुल गांधी ने कई कंपनियों के शेयरों में पैसा लगाया हुआ है. इसमें पिडलाइट इंडस्ट्रीज, बजाज फाइनेंस और नेस्ले इंडिया भी शामिल हैं.

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Friday, 03 May, 2024
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शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश करने वालों में केवल आप और हम जैसे सामान्य निवेशक ही शामिल नहीं हैं. पॉलिटिकल लीडर्स ने भी उसमें जमकर इन्वेस्टमेंट किया हुआ है. देश के गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) के स्टॉक मार्केट पोर्टफोलियो से हमने आपको कुछ दिन पहले परिचित कराया था. अब हम आपको बताने जा रहे हैं कि कांग्रेस लीडर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने शेयर बाजार में कितना पैसा लगाया है. 

2 सीटों से लड़ रहे चुनाव 
राहुल गांधी केरल की वायनाड सीट के साथ ही उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट से भी चुनावी मैदान में उतर रहे हैं. यह सीट अब तक कांग्रेस के लिए लकी साबित होती आई है. पिछले लोकसभा चुनाव में यहां से सोनिया गांधी ने जीत हासिल की थी. राहुल गांधी ने वायनाड से नामांकन दाखिल करते हुए अपनी संपत्ति का ब्यौरा भी चुनाव आयोग को दिया था. इसके आधार पर यह बात सामने आई है कि कांग्रेस लीडर ने शेयर बाजार में कितना पैसा लगाया है.

ये हैं टॉप 5 स्टॉक
कांग्रेस लीडर के स्टॉक पोर्टफोलियो के टॉप 5 शेयर हैं - पिडलाइट इंडस्ट्रीज, बजाज फाइनेंस, नेस्ले इंडिया, एशियन पेंट्स और टाइटन. राहुल के पिडलाइट इंडस्ट्रीज के शेयरों की वैल्यू 42.27 लाख रुपए है. पिछले 1 साल में इस स्टॉक ने उन्हें 29.30% रिटर्न दिया है. उनके पास एशियन पेंट्स लिमिटेड, बजाज फाइनेंस लिमिटेड और नेस्ले इंडिया लिमिटेड के 35-36 लाख रुपए के शेयर हैं. मिड और स्मॉलकैप शेयरों में उनके पास 14 लाख रुपए की वैल्यू वाले GMM Pfaudler, 11.92 लाख रुपए के दीपक नाइट्राइट, ट्यूब इन्वेस्टमेंट्स के 12.10 लाख, फाइन ऑर्गेनिक्स के 8.56 लाख और Info Edge के 4.45 लाख रुपए के शेयर हैं.  

ये है पूरा पोर्टफोलियो
उनके पास एल्काइल अमाइंस केमिकल्स के 373, एशियन पेंट्स के 1231, बजाज फाइनेंस के 551, Deepak Nitrite के 568, डिविस लैब के 567, डॉ लाल पैथलैब्स के 516, फाइन आर्गेनिक इंडस्ट्रीज के 211, गरवारे टेक्निकल फाइबर्स के 508, GMM Pfaudler के 1121, हिंदुस्तान यूनिलीवर के 1161, ICICI बैंक के 2299, इन्फो ऐज इंडिया के 85, इंफोसिस के 870, ITC के 3093, LTI माइंडट्री के 407, मोल्ड टेक पैकेजिंग के 1953, नेस्ले इंडिया के 1370, पिडलाइट इंडस्ट्रीज के 1474, सुपराजित इंडस्ट्रीज के 4068, TCS के 234, टाइटन के 897, ट्यूब इन्वेस्टमेंट के 340, वेटरीज एडवरटाइजिंग के 260, विनाइल केमिकल्स के 960 और ब्रिटानिया के 52 शेयर हैं. इस तरह उनके पोर्टफोलियो में कुल 25169 शेयर हैं, जिनकी वैल्यू 4,33,60, 519 रुपए है.   


भारत की Tesla के खिलाफ कोर्ट पहुंची मस्‍क की Tesla, ये लगाए आरोप 

टेस्‍ला की ओर से दायर की गई इस याचिका की अगली सुनवाई अब 22 मई को होगी. उस सुनवाई तक हाईकोर्ट ने भारत की टेस्‍ला पर विज्ञापन देने पर रोक लगा दी है. 

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Friday, 03 May, 2024
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एलन मस्‍क की पीएम मोदी से होने वाली मुलाकात के फिलहाल स्‍थगित होने के बाद उनकी कंपनी ने टेस्‍ला ने भारत की एक कंपनी के खिलाफ ट्रेडमार्क एक्‍ट के तहत दिल्‍ली हाईकोर्ट में मुकदमा दाखिला कर दिया है. कंपनी ने हाईकोर्ट में लगाई अपनी याचिका में कहा है कि गुरुग्राम स्थित बैटरी कंपनी उसके नाम और लोगो का इस्‍तेमाल कर रही है, जिससे उसकी छवि प्रभावित हो रही है. 

दिल्‍ली हाईकोर्ट में टेस्‍ला ने कही क्‍या बात? 
दिल्‍ली हाईकोर्ट ने गुरुग्राम स्थित जिस कंपनी के खिलाफ याचिका दायर की है उसका नाम टेस्‍ला पावर इंडिया है. मस्‍क की कंपनी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि उस कंपनी को टेस्‍ला का नाम इसतेमाल करने से रोका जाए क्‍योंकि इससे ग्राहकों के बीच में भ्रम पैदा हो रहा है. टेस्‍ला की ओर से पेश हुए वकील चंदर कुमार ने कोर्ट को बताया कि टेस्‍ला पॉवर के द्वारा नाम इस्‍तेमाल किए जाने के कारण ग्राहकों में भ्रम पैदा हो रहा. 

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खुद को बता रही है इलेक्ट्रिक व्‍हीकल कंपनी 
मस्‍क की कंपनी टेस्‍ला की ओर से ये भी कहा गया है कि टेस्‍ला पावर इंडिया अखबारों में विज्ञापन देकर खुद को इलेक्ट्रिक व्‍हीकल कंपनी बता रही है. कंपनी टेस्‍ला के लोगो का भी इस्‍तेमाल कर रही है जिससे कंपनी की प्रतिष्‍ठा को छवि पहुंच रही है. याचिका में ये भी कहा गया है कि टेस्‍ला पावर की बैटरी में आने वाली समस्‍याओं के लिए अमेरिकी कंपनी ईवी मेकर टेस्‍ला इंक को रिडायरेक्‍ट कर दी जा रही हैं. क्‍योंकि ग्राहक समझ रहे हैं कि वो एलन मस्‍क की कंपनी का प्रोडक्‍ट है. 

22 मई को होगी अगली सुनवाई
अमेरिकी कंपनी की याचिका के बाद इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने गुरुग्राम स्थित कंपनी को नोटिस जारी कर दिया है. कंपनी को अगली सुनवाई तक ट्रेडमार्क इस्‍तेमाल करने और ईवी प्रोडक्‍ट के साथ विज्ञापन देने पर रोक लगा दी है. अब कोर्ट इस मामले की सुनवाई 22 मई को करेगी जब देखना होगा कि आखिर गुरुग्राम स्थि‍त कंपनी मस्‍क की कंपनी की इस याचिका पर क्‍या जवाब देती है. 


आखिर कौन है किशोरी लाल शर्मा, जिन्‍हें कहा जा रहा है गांधी परिवार का भरोसेमंद !

किशोरी लाल शर्मा वैसे तो मूल रूप से लुधियाना के रहने वाले हैं लेकिन 80 के दशक में जब राजीव गांधी उन्‍हें अमेठी लेकर आए तो उसके बाद वो यहीं के होकर रह गए. 

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लंबे समय से चले आ रहे संशय के बीच आखिरकार गांधी परिवार ने रायबरेली और अमेठी से अपने उम्‍मीदवारों का ऐलान कर दिया है. रायबरेली से जहां राहुल गांधी चुनाव लड़ने जा रहे हैं वहीं अमेठी से जिस शख्‍स पर गांधी परिवार ने भरोसा जताया है उसकी हर ओर चर्चा हो रही है. अमेठी से जिस शख्‍स पर पार्टी ने भरोसा जताया है उसका नाम है किशोरी लाल शर्मा. आखिर कौन है ये किशोरी लाल शर्मा आज अपनी इस स्‍टोरी में हम आपको यही इनसाइड स्‍टोरी बताने जा रहे हैं. 

गांधी परिवार से लंबे समय से जुड़े हैं किशोरी लाल 
किशोरी लाल शर्मा मूल रूप से लुधियाना पंजाब के रहने वाले हैं. कहा जाता है कि 1983 के आसपास राजीव गांधी उन्‍हें लुधियाना से अमेठी लेकर आए थे. तब से वो अमेठी में ही रह रहे हैं और यहीं के होकर रह गए. 1991 में राजीव गांधी की मौत के बाद वो लगातार पार्टी के लिए लगातार काम करते रहे. इसके बाद जब रायबरेली से जब सोनिया गांधी लगातार सांसद रही तो किशोरी लाल ही उनकी अनुपस्थिति में उनकी भूमिका निभाते थे. वो सोनिया गांधी के सांसद प्रतिनिधि थे. क्‍योंकि इस बार सोनिया गांधी ने रायबरेली के लोगों को भावनात्‍मक खत लिखकर चुनाव न लड़ने की बात कही थी तो ऐसे में कयास यही लगाए जा रहे थे कि पार्टी किशोरी लाल को यहां से अपना उम्‍मीदवार बनाएगी. लेकिन इस बीच राहुल के एक बार फिर अमेठी और प्रियंका के रायबरेली से चुनाव लड़ने की खबरों के बीच किशोरी लाल का नाम चर्चा से दूर हो गया. लेकिन पार्टी की रणनीति में बदलाव होते ही पार्टी ने रायबरेली से राहुल को तो अमेठी से किशोरी लाल को उम्‍मीदवार बना दिया है. 

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आज अमेठी और रायबरेली में होगा नामांकन 
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अमेठी और रायबरेली सीट में चुनाव लड़ने के लिए आज नामांकन प्रक्रिया का आखिरी दिन है. इसी कड़ी में राहुल गांधी भी आज नामांकन दाखिल करने जा रहे हैं. साथ ही कांग्रेस पार्टी की ओर से अमेठी से उम्‍मीदवार बनाए गए के एल शर्मा भी आज नामांकन दाखिल करने जा रहे हैं. केएल शर्मा के सामने बीजेपी की कद्दावर नेता स्‍मृति ईरानी चुनाव लड़ रही हैं. वो अमेठी से पिछले चुनाव में राहुल गांधी को हराकर चुनाव जीती थी. 

अमेठी, रायबरेली से रहा है गांधी परिवार का पुरान रिश्‍ता 
अमेठी और रायबरेली से गांधी परिवार का पुराना रिश्‍ता रहा है. इस सीट पर सबसे पहले फिरोज गांधी ने 1952 और 1957 में चुनाव लड़ा था. इसके बाद 1967 में हुए लोकसभा चुनावों में यहां से इंदिरा गांधी लड़ी और जीतकर लोकसभा में पहुंची. इसके बाद 1971 में भी वो रायबरेली से लड़ी और जीतीं लेकिन आपातकाल के बाद 1977 में वो इस सीट से चुनाव हार गई. ये वो दौर था जब कांग्रेस पार्टी ही चुनाव हार गई थी. लेकिन इसके बाद 1980 में हुए चुनावों में इंदिरा गांधी ने यहां से फिर चुनाव लड़ा और वो जीत गई. वहीं अमेठी सीट से कांग्रेस पार्टी का रिश्‍ता 1980 के दशक के जुड़ा, जब संजय गांधी इस सीट से जीतकर लोकसभा पहुंचे. संजय गांधी की मौत हो जाने के बाद 1981 में हुए चुनाव में राहुल गांधी ने यहां से चुनाव लड़ा और वो जीतकर लोकसभा पहुंचे. लेकिन उसके बाद 1991 से 1999 तक गांधी परिवार को कोई भी आदमी इस सीट पर नहीं रहा. लेकिन उसके बाद 2004 से राहुल गांधी इस सीट से लड़े और 2014 तक सांसद रहे. लेकिन 2019 में स्‍मृति ईरानी यहां से चुनाव जीत गई. अब 2024 में किशोरी लाल इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. 


राहुल गांधी को टक्‍कर देने वाले BJP उम्‍मीदवार को कितना जानते हैं आप? करोड़ों की है दौलत 

दिनेश प्रताप सिंह इससे पहले 2019 में भी सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं. 2019 में वो चुनाव जीत तो नहीं सके लेकिन 4 लाख वोट पाने में कामयाब जरूर रहे थे. 

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Friday, 03 May, 2024
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आखिरकार अमेठी और रायबरेली जैसी हाट सीटों से उम्‍मीदवारों के नामों का ऐलान हो चुका है. रायबरेली से जहां राहुल गांधी आज नामांकन कर चुके हैं वहीं दूसरी ओर अमेठी से कांग्रेस ने के एल शर्मा को मैदान में उतारा है. जबकि बीजेपी पहले ही रायबरेली से अपने उम्‍मीदवार के नाम का ऐलान कर चुकी है. बीजेपी वहां से अपने पुराने उम्‍मीदवार दिनेश प्रताप सिंह के नाम का ऐलान कर चुकी है. आज हम आपको दिनेश प्रताप सिंह के सफर से लेकर उनकी दौलत के बारे में विस्‍तार से जानकारी देने जा रहे हैं. 

आखिर कहां से शुरू हुआ राजनीतिक करियर 
दिनेश प्रताप सिंह का राजनीतिक करियर 2004 में हुआ जब उन्‍होंने समाजवादी पार्टी से विधान परिषद का चुनाव लड़ा. लेकिन इसके बाद 2007 में उन्‍होंने बीएसपी के टिकट पर तिलोई से चुनाव लड़ा और हार गए. इसके बाद दिनेश प्रताप सिंह पहुंचे कांग्रेस में और 2010 और 2016 में पार्षद बने. इसके बाद दिनेश प्रताप सिंह 2019 में बीजेपी में शामिल हो गए और पार्टी ने उन्‍हें रायबरेली से अपना उम्‍मीदवार बना दिया. हालांकि दिनेश प्रताप सिंह जीतने में कामयाब नहीं हो पाए लेकिन 4 लाख वोट पाकर सभी की नजरों में जरूर आ गए. 

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आखिर कितनी है दिनेश प्रताप सिंह के पास दौलत 
बीजेपी उम्‍मीदवार दिनेश प्रताप सिंह को पार्टी ने 2019 में भी यहां से अपना उम्‍मीदवार बनाया था. उस वक्‍त यहां से कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी चुनाव लड़ रही थी. 2019 में चुनाव आयोग को दिए अपने शपथ पत्र में दिनेश प्रताप सिंह ने जो जानकारी दी थी उसके अनुसार उन्‍होंने 2016-17 में अपनी आय 14,28,917 रुपये दिखाई थी जबकि 2017-18 में उसमें बेहद कम बदलाव दिखाई दिया. उनकी आय 1493722 रुपये रही. जबकि उन्‍होंने बताया था कि उनके पास 5 लाख रुपये हाथ में कैश है जबकि उनकी पत्‍नी के पास 3 लाख 40 हजार रुपये का कैश था. उनके आरबीएल बैंक में 525069 रुपये, ओबीसी बैंक में 2 लाख 50 हजार रुपये हैं. 

कहां किया है दिनेश प्रताप सिंह ने निवेश 
बीजेपी उम्‍मीदवार दिनेश प्रताप सिंह ने मालविका सीमेंट में 51 लाख का निवेश किया है जबकि बैंक ऑफ बड़ौदा के भी शेयर उनके पास हैं. इसी तरह से उन्‍होंने 41,54,743 लाख रुपये अलग-अलग पॉलिसी में जमा किए हैं. उनके पास एक फॉर्च्‍यूनर कार है जिसकी कीमत 14 लाख रुपये है. इसी तरह से एक टाटा सफारी भी है जिसकी कीमत 11 लाख से ज्‍यादा है. उन्‍होंने 2019 के शपथ पत्र में जो जानकारी दी है उसके अनुसार उनके पास 1 लाख 10 हजार की पिस्‍टल, 80 हजार की रायफल, और एक 14 हजार रुपये की डीबीबीएल गन मौजूद है. कुल मिलाकर उनके पास 1 करोड़ 39 लाख 34 हजार 980 रुपये की चल संपत्ति है. जबकि 1 करोड़ 40 लाख रुपये की अचल संपत्ति है. उनके उपर कुल 9 लाख 72 हजार 748 रुपये का कर्ज भी है. 
 


कर्ज में डूबी इस कंपनी को खरीदने के लिए अडानी, जिंदल भी कतार में, अब भागेंगे इसके शेयर?

कर्ज में डूबी 1,800 मेगावाट की केएसके महानदी थर्मल पावर प्रोजेक्ट को खरीदने के लिए 26 कंपनियां लाइन में लगी हैं. 

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Friday, 03 May, 2024
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छत्तीसगढ़ स्थित केएसके (KSK) महानदी थर्मल पावर इस समय राष्ट्रीय कंपनी कानून पंचाट (NCLT) में कॉरपोरेट दीवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) से गुजर रही है. वहीं, अब कई बड़ी कंपनियां इस कर्ज में डूबी कंपनी को खरीदना चाहती हैं. आपको ये जानकर हैरानी हो रही होगी, कि इस कंपनी को खरीदने के लिए गौतम अडानी से लेकर जिंदल, स्वान एनर्जी, वेदांता, कोल इंडिया और NTPC जैसी 26 कंपनियां लाइन में लगी हुई हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि इतने बड़े ग्रुप क्यों इस कंपनी को खरीदना चाहेंगे, तो चलिए आपको इसके पीछे का कारण भी बताते हैं.

32,000 करोड़ रुपये का लोन 
केएसके (KSK) महानदी थर्मल पावर साल 2018 में 20,000 करोड़ रुपये बैंक लोन का भुगतान करने से चूक गई थी. जिसके बाद इसे नीलामी के लिए रखा गया था, लेकिन अब नीलामी केनेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने इसकी नीलामी पर से लगी रोक हटा दी है, जिससे बोली के नए दौर का रास्ता साफ हो गया है. इस प्रोजेक्ट पर ऋणदाताओं का कुल दावा लगभग 32,000 करोड़ रुपये आंका गया है. यह प्रोजेक्ट इनसॉल्वेंसी प्रोसेस के तहत नीलामी के फ्रेश राउंड से गुजर रहा है. NCLT ने एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट सौंपने के लिए 26 अप्रैल तक का समय दिया था, लेकिन इसके लिए 18 जून तक रिजॉल्यूशन प्लान सौंपा जा सकता है.

इसलिए मची प्रोजेक्ट को खरीदने की होड़
जानकारी के अनुसार केएसके महानदी का पावर प्लांट चालू है और हाल में देश में थर्मल पावर कैपेसिटी को रिवाइव करने के प्रयास किए जा रहे हैं. यही कारण है कि कंपनियां ऐसे प्रोजेक्ट्स के लिए बोली लगाने में रुचि दिखा रही हैं. प्रोजेक्ट के स्टेकहोल्डर्स चाहते थे कि प्रोजेक्ट से जुड़ी दो कंपनियां केएसके महानदी वॉटर और रायगढ़ चंपा रेल को कंसोलिडेट किया जाए. केएसके महानदी वॉटर इस प्रोजेक्ट तक पानी की एक पाइपलाइन ऑपरेट करती है, जबकि रायगढ़ चंपा रेल प्रोजेक्ट तक कच्चा माल ले जाती है. लेकिन देरी होने के कारण NCLT ने केएसके महानदी प्रोजेक्ट को स्टैंडअलोन बेसिस पर इनसॉल्वेंसी में भेजने पर सहमति जताई है.

कंपनियां पहले भी लगा चुकी हैं बोली
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जिंदल पावर लिमिटेड बिजली क्षेत्र में संकटग्रस्त एसेट्स को खरीदने के अवसर तलाश रही है. छत्तीसगढ़ में स्थित 1,800 मेगावाट क्षमता वाला केएसके महानदी ऐसा ही एक प्लांट है, जिसे वो खरीदना चाहते हैं. एनसीएलटी ने केएसके महानदी और उसकी दो सहायक कंपनियों की बिक्री पर जून 2022 में रोक लगा दी थी. इंडस्ट्री के सूत्रों ने बताया कि इस दौर में प्रोजेक्ट को बेहतर वैल्यू मिलने की उम्मीद है. अडानी पावर, जिंदल पावर और वेदांता समेत कई कंपनियों ने पहले दौर की नीलामी में भी बोली लगाई थी.

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SBI ने दिया था लोन
इस प्रोजेक्ट को लोन देने वाला भारतीय स्टेट बैंक (SBI) सबसे बड़ा बैंक था. मार्च में 6 एसेट कंस्ट्रक्शन कंपनियों (ARC) ने 55 प्रतिशत कर्ज ले लिया था. इसमें आदित्य बिड़ला और कोटक महिंद्रा समर्थित एआरसी शामिल हैं. आदित्य बिड़ला एआरसी के पास केएसके महानदी पावर से प्राप्त दावों में सबसे अधिक 33.38 प्रतिशत हिस्सा है. एएसआरईसी (इंडिया) लिमिटेड की हिस्सेदारी 11.98 प्रतिशत है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार लेंडर्स के कुल 32,000 करोड़ रुपये के दावे में से पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन और आरईसी का दावा 5,500 करोड़ रुपये का है.