पिछले कुछ वक्त से सरकारी बैंकों के शेयरों में तेजी का दौर देखने को मिल रहा है. इसकी वजह है बैंकों की सुधरती आर्थिक सेहत.
सरकारी बैंक (PSU Banks) पिछले कुछ समय से काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. इन बैंकों की आर्थिक सेहत सुधर रही है और NPA घट रहा है. यही वजह है कि स्टॉक मार्केट (Stock Market) में इन बैंकों के शेयर भी निवेशकों को खुश कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकारी बैंकों के इंडेक्स यानी Nifty PSU Bank में तेजी का दौर जारी है. इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन 12 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंच चुका है. 2023 में अब तक निफ्टी पीएसयू बैंकिंग इंडेक्स में करीब 23% की तेजी देखने को मिली है.
चढ़ रहे बैंकों के शेयर
रिपोर्ट्स में बताया गया है कि सरकारी बैंकों के बेहतर नतीजों और आकर्षक वैल्युएशन के चलते Nifty PSU Bank में तेजी आ रही है. कई सरकारी बैंकों के शेयरों में इस साल अब तक (YTD) अच्छा-खासा उछाल आया है. उदाहरण के तौर पर Bank of Maharashtra का स्टॉक 50.08% चढ़ चुका है. इसी तरह, Central Bank 49.54%, PNB 46.72%, Union Bank 40.17%, Indian Bank 38.56%, Canara Bank 27.32% और Punjab and Sind Bank के शेयर 32.56% की तेजी दिखा चुके हैं. इन बैंकों ने अपने निवेशकों को शानदार रिटर्न देकर खुश कर दिया है.
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आकर्षक वैल्यूएशन
एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी बैंक वैल्युएशन के लिहाज से भी आकर्षक स्थिति में हैं. बैंक ऑफ महाराष्ट्र का Price to Earnings Ratio (P/E) 9.4 गुना है. बैंक वैल्यू की तुलना में यह स्टॉक लगभग 94% ऊपर है. इसी तरह, Central Bank का P/E 18.9 गुना, PNB Bank का P/E 15.6 गुना, Indian Bank का P/E 7.40 गुना, Union Bank का P/E7.06 गुना और Canara Bank का P/E 8.3 गुना पर है. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि Nifty PSU Bank में बढ़त का दौर अभी कायम रह सकता है, क्योंकि बाजार इस समय पॉजिटिव मूड में है. 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजों से बाजार उत्साहित है. सोमवार को मार्केट ने तूफानी तेजी दर्ज की है.
ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म की इस राय का शेयर पर क्या असर पड़ेगा ये तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा. लेकिन पिछले पांच दिनों में कंपनी के शेयर में बढ़त दिख रही है.
क्या आप भी उन निवेशकों में है जिन्होंने वोडाफोन आईडिया के शेयरों में निवेश किया है. अगर हां तो आपके लिए खबर ये है कि ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म बोफा ने वोडा आईडिया की रैंकिंग में सुधार कर दिया है. वोडा आईडिया को इस फर्म की ओर से अंडरपरफॉर्म से न्यूट्रल कर दिया है. कंपनी ने वोडा आईडिया के मार्केट शेयर को लेकर भी कई घोषणाएं की है जिनके बाद अंदाजा लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में कंपनी का शेयर और तेजी पकड़ सकता है.
ब्रोकरेज फर्म ने किस आधार पर की है घोषणा
ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म ने इसे पहले अंडरपरफॉर्मर की श्रेणी में रखा था, लेकिन अब इसे वहां से निकालकर न्यूट्रल कर दिया है. यही नहीं सबसे खास बात ये है कि पहले फर्म ने इसे सेल कैटेगिरी में रखा था. फर्म की राय में ये बदलाव कंपनी की हालिया परफॉर्मेंस से हुई है. हालिया समय में कंपनी की ओर से जुटाए गए फंड ने उसकी रैंकिंग में बदलाव किया है. अब फर्म ने इसका टारगेट 9 रुपये से बढ़ाकर 14.5 रुपये तक कर दिया है. लेकिन फर्म ने ये भी कहा है कि इसके आगे जाने में उसे परेशानी हो सकती है.
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क्यों नहीं की है खरीदने की सिफारिश?
सबसे ध्यान देने योग्य बात ये है कि रैंकिंग में बदलाव के बावजूद अभी भी फर्म ने इसे लेकर खरीदने की सिफारिश नहीं की है. फर्म ने 2025/26 के लिए अपने ईपीएस अनुमान को क्रमश: 2.7 रुपये और 1.5 रुपये पर समायोजित किया है. पहले फर्म ने इसे लेकर 10प्रतिशत से लेकर 15 प्रतिशत का अनुमान जताया था लेकिन अब उसे बढ़ाकर 20 प्रतिशत से लेकर 25 प्रतिशत कर दिया है.
आज क्या रही है शेयर की स्थिति?
वोडाफोन आईडिया के शेयर की गुरुवार की स्थिति पर नजर डालें तो दिखता है कि आज कंपनी का शेयर 13.25 रुपये पर खुला था जबकि 13.20 रुपये पर बंद हो गया. इसी तरह से पिछले पांच दिन की स्थिति पर नजर डालें तो ये शेयर 12.90 रुपये का था. जबकि आज 13.20 रुपये पर पहुंचा है. वहीं अगर इस शेयर के 52 हफ्ते के हाई लेवल पर नजर डालें तो ये 18.40 रुपये था जबकि 52 वीक का लो 6.55 रुपये रहा है.
नोट- BW HINDI की इस खबर का मकसद आपको जानकारी मुहैया कराना है. शेयर बाजार में कोई भी निवेश करने से पहले अपने फाइनेंशियल एक्सपर्ट से राय जरूर लें.
दुनियाभर में लगातार बदलते मौसम के बीच चर्चा ये हो रही है कि आखिर क्लाइमेट रिस्क से कैसे बचा जा सकता है. इसी को लेकर दुनियाभर की वित्तिय संस्थाएं काम कर रही हैं.
इस साल फरवरी में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से जारी की किए गए क्लाइमेट रिस्क ड्राफ्ट को लेकर अब द सेंटर फॉर फाइनेंशियल अकाउंटेबिलिटी की ओर से आरबीआई को सुझाव दिया है. सीएफए ने कहा है कि इस मामले में आरबीआई को जलवायु जोखिम के बारे में अपनी समझ को और बढ़ाने के साथ फाइनेंशियल संस्थानों द्वारा होने वाले खुलासे के स्तर को बढ़ाने और व्यापक जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त निरीक्षण तंत्र का पता लगाने की जरूरत है.
आखिर क्या है ये पूरा मामला?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दरअसल आरबीआई की ओर से इस साल फरवरी में क्लाइमेट रिस्क को लेकर ड्रॉफ्ट रिपोर्ट जारी की गई थी. इस रिपोर्ट के अनुसार, वित्तिय संस्थानों को अपनी गवर्नेंस स्ट्रक्चर, रणनीति, जोखिम प्रबंधन को लेकर रेग्यूलर तरीके से रिपोर्ट देनी होती है. इसका मकसद उनके द्वारा किए गए निवेश की गई राशि की जलवायु आपातकाल में सुरक्षा करना है. आरबीआई ने जब ये ड्रॉफ्ट रिपोर्ट बनाई गई थी उसके बाद इस पर फीडबैक मांगा गया था. अब इसी मामले को लेकर उस पर सीएफए ने अपनी राय दी है.
सीएफए ने अपने फीडबैक में क्या कहा है
CFA की ओर से अपने फीडबैक को लेकर कई अहम बातें कही है. सीएफए ने कहा है कि जबकि ये ड्राफ्ट सभी वित्तिय संस्थानों को स्किल्स, क्षमता, डेटा की उपलब्धता, के बारे में जानकारी मांगता है लेकिन इसमें जानकारियों को देने की आवश्यकता के बारे में स्थिति साफ नहीं है, न ही इसमें ये बताया गया है कि आखिर उन्हें दूर करने का उपाय क्या है. सीएफए की ओर से ये भी कहा गया है कि अगर इसका प्रभावी तरीके से लागू करना है तो उसके लिए जरूरी है कि डिस्क्लोजर की जरूरतों के बारे में विस्तार से बताया जाए. सीएफए ने इस मामले में स्पष्ट निवेश मानकों, लक्ष्यों, सीमाओं, और निवारण तंत्रों को स्थापित करने के महत्व पर भी जोर दिया है.
जलवायु जोखिम क्या है?
जलवायु जोखिम, जलवायु परिवर्तन के कारण अलग-अलग उद्योगों को होने वाले नुकसान और हानि की तरह हैं. इंडस्ट्री पर ये प्रभाव बाढ़, जंगल की आग, अत्यधिक गर्मी, सूखे और तटीय बाढ़ जैसी लॉन्ग टर्म जलवायु घटनाओं के कारण होते हैं. मौजूदा समय में अब इंडस्ट्री को इसी रिस्क को पहचानने और उससे निपटने के लिए तैयार करने को हो रही है. कई कई बार जलवायु परिवर्तन इंडस्ट्री के लिए बेहद खतरनाक हो सकते हैं. ऐसे में इसके प्रभाव को समझने के लिए आरबीआई की ओर से ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार की गई है.
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भाजपा ने कैसरगंज लोकसभा सीट से करण भूषण सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. यह उनका पहला चुनाव है.
भाजपा ने विवादों में घिरे सांसद बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) का टिकट काट दिया है. पार्टी ने उत्तर प्रदेश की कैसरगंज लोकसभा सीट से उन्हें मैदान में नहीं उतारने का फैसला लिया है. हालांकि, BJP के इस फैसले से बात-बात पर नाराज होने वाले बृजभूषण के नाराज होने की कोई गुंजाइश नहीं है. क्योंकि पार्टी ने उनकी जगह उनके बेटे करण भूषण को टिकट दिया है. अब करण कैसरगंज लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे.
नेशनल खिलाड़ी हैं करण
करण भूषण सिंह (Karan Bhushan Singh) बीजेपी के मौजूदा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के छोटे बेटे हैं. 13 दिसंबर 1990 को जन्मे करण एक बेटी और एक बेटे के पिता हैं. वह डबल ट्रैप शूटिंग के नेशनल खिलाड़ी भी रह चुके हैं. करण ने डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय से BBA और LLB की डिग्री लेने के बाद ऑस्ट्रेलिया से बिजनेस मैनेजमेंट में डिप्लोमा किया है. वर्तमान में वह उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के साथ ही सहकारी ग्राम विकास बैंक (नवाबगंज, गोण्डा) के अध्यक्ष हैं. यह करण भूषण का पहला चुनाव है.
चलाते हैं कई स्कूल-कॉलेज
माना जा रहा है कि करण कल अपना नामांकन दाखिल कर सकते हैं. प्रत्याशियों को नामांकन के साथ एक हलफनामा भी दाखिल करना पड़ता है, जिसमें उनकी संपत्ति का विवरण होता है. लिहाजा, कल यह पता चलेगा कि करण के पास कुल कितनी संपत्ति है. वैसे, कुछ रिपोर्ट्स में बताया गया है कि करण अपने पिता के 50 से अधिक स्कूल-कॉलेज संभालते हैं. इनमें से कुछ स्कूल-कॉलेज देवी पाटन मंडल के चारों जिले - गोंडा, बलरामपुर, बहराइच और श्रावस्ती में हैं. यहां से उन्हें मोटी कमाई होती है.
पिता के पास अकूत दौलत
वहीं, उनके पिता बृजभूषण शरण सिंह की बात करें, तो उनके पास दौलत का पहाड़ है. साल 2019 में दाखिल चुनावी हलफनामे में बृजभूषण ने बताया था कि उनके पास 10 करोड़ से अधिक की संपत्ति है. BJP सांसद लग्जरी कारों के भी शौकीन हैं. उनके कारों के कलेक्शन में Endevo, महिंद्रा स्पोर्पिंयो जैसी गाड़ियां शामिल हैं. बृजभूषण सिंह की पत्नी के पास 63,444,541 की संपत्ति है. वाइफ के नाम पर 18 लाख की टोयोटा और 20 लाख की फॉर्च्यूनर भी है. बृजभूषण सिंह के पास 1 पिस्टल, 1 राइफल, 1 रैपिटर है. जबकि पत्नी के नाम पर 1 राइफल और 1 रैपिटर है. करण के पिता के पास करीब 1 करोड़ की खेतीहर जमीन और 2 करोड़ की गैर-कृषि भूमि है. उनके नाम पर 25 लाख की एक कॉर्मिशियल बिल्डिंग और 2 करोड़ की रेजिडेंशियल बिल्डिंग भी है.
ईडी ने गेमिंग घोटाले के मामले में ईडी ने कुल 163 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त और कुर्क की है, जिसमें नकदी, क्रिप्टोकरेंसी, बैंक खाते की शेष राशि और कुछ कार्यालय शामिल हैं.
प्रवर्तन निदेशालय (ED) कोलकाता ने 'ई-नगेट' नामक एक प्रमुख 'ऑनलाइन गेमिंग ऐप घोटाले' के खिलाफ सफल ऑपरेशन को अंजाम दिया है. गेमिंग प्लेटफॉर्म के रूप में पेश किए गए ई-नगेट ऐप ने उपयोगकर्ताओं को उनके निवेश पर रिटर्न का वादा किया था. चलिए जानते हैं क्या है ये पूरा मामाल?
ज्यादा मुनाफे के झांसे में आए यूजर्स
यह जांच एक ई-नगेट नाम के एक फर्जी गेमिंग ऐप से संबंधित है. खुद को एक गेमिंग मंच बताने वाली ई-नगेट ने वास्तविक पैसे पर दांव लगाने और भारी कमीशन देने का वादा किया था. हालांकि, निवेश किए जाने के बाद ऐप बंद हो गया और निवेशकों को अपने धन को वापस पाने का कोई रास्ता नहीं मिला. इस संबंध में कोलकाता के पार्क स्ट्रीट थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी. उसी के आधार पर धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों तहत ईडी ने यह कार्रवाई की है.
2022 में हुआ खुलासा
जानकारी के अनुसार ईजी ने 2022 में इस घोटाले का खुलासा किया. इस दौरान पता चला कि गलत तरीके से कमाए गए लाभ का एक हिस्सा डिजिटल संपत्तियों में निवेश किया गया था. जांच के दौरान लगभग 2,500 डमी बैंक खातों की पहचान की गई और उनका विश्लेषण किया गया.
19 करोड़ की नकद राशि हुई थी जब्त
इस मामले में घोटाले के मास्टरमाइंड आमिर खान और रोमेन अग्रवाल को भी गिरफ्तार किया गया और वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है. ईडी ने कई एक्सचेंजों से विशेष रूप से बिनेंस, जेबपे और वजीरएक्स के कई क्रिप्टो वॉलेट का विवरण मांगा. बिनेंस और अन्य एक्सचेंजों से इकट्ठा जानकारी के कारण 70 खातों में 90 करोड़ की धनराशि रोक दी गई. बिनेंस, जेबपे और वजीरएक्स के पास रखे गए 70 खातों में 90 करोड़ रुपये उपलब्ध हैं, जो घोटाले से जुड़े थे. इन क्रिप्टो संपत्तियों को ईडी ने अपने कब्जे में लेकर ईडी के क्रिप्टो वॉलेट में स्थानांतरित कर दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 90 करोड़ क्रिप्टो करेंसी सहित ईडी ने कुल 163 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त और कुर्क की है, जिसमें नकदी, बैंक खाते की शेष राशि और कुछ कार्यालय शामिल हैं.
अनिल अग्रवाल ने बताया कि वो आने वाले समय में उनकी कंपनी मनोरंजन के क्षेत्र में भी निवेश करने की तैयारी कर रही है. इस क्षेत्र में अभी बहुत कम जानकारी है.
भारत की तेजी से ग्रो करती अर्थव्यवस्था में एक ओर जहां विदेशी कंपनियां निवेश करने के लिए भारतीय साथी की तलाश कर रही हैं वहीं भारतीय कंपनियां भी अपनी निवेश लागत को लगातार बढ़ा रही हैं. इसी कड़ी में माइनिंग से लेकर पॉवर तक कई क्षेत्रों में काम करने वाली कंपनी के मालिक अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता लिमिटेड आने वाले 10 सालों में 2000 करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही है. कंपनी इस पैसे को जिन क्षेत्रों में निवेश करने जा रही है उनमें सेमीकंडक्टर, टेक्नोलॉजी और ग्लॉस जैसे सेक्टर सबसे अहम हैं.
किन क्षेत्रों में काम करने की हो रही है तैयारी
मुंबई में एक कार्यक्रम में बात करते हुए वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा कि उनकी कंपनी आने वाले 10 सालों में 2000 करोड़ रुपये का निवेश करने की तैयारी कर रही है. उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में ग्लास का कारोबार और तेजी से बढ़ने वाला है. मोबाइल से लेकर लैपटॉप और दूसरे उपरणों की मांग बढ़ने के कारण आने वाले समय में इस क्षेत्र की बड़ी मांग पैदा होने वाली है. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में उनकी कंपनी ताइवान में ये काम कर रही है लेकिन भविष्य में इसे भारत लाने की तैयारी भी कर रही है.
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सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में काम कर रही है बीजेपी
वेदांता मौजूदा समय में सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भी उतरने की तैयारी कर रही है. कंपनी ने गुजरात में जमीन भी इस प्रोजेक्ट के लिए ले ली है. अनिल अग्रवाल का कहना है कि आने वाले 4 सालों में होने वाले इस 2000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ रोजगार के अवसर भी पैदा होने वाले हैं. अनिल अग्रवाल ने ये भी कहा कि वो आने वाले समय में मनोरंजन व्यवसाय में भी निवेश करने की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने ये भी कहा कि मौजूदा समय में मनोरंजन के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. अनिल अग्रवाल ने ये भी कहा कि उनका समूह नंद घरों की संख्या को अगले दो सालों में 6000 से 25 हजार तक करने की तैयारी कर रही है.
कर्ज को लेकर क्या बोले अनिल अग्रवाल?
वेदांता के प्रमुख अनिल अग्रवाल ने कर्ज के मामले को लेकर भी अपनी बात कही. उन्होंने कहा कि अभी कंपनी पर 12 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कर्ज है. लेकिन इसे लेकर उन्होंने कहा कि इसे प्रबंधित किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अब तक कभी भी समूह ने किसी भी कर्ज को लेकर अपनी प्रतिबद्धताओं को लेकर कोई चूक नहीं की है. उन्होंने कहा कि अगर किसी भी कारोबार की शुरूआत से शुरू करना है तो उसमें बड़े पैमाने पर पूंजी की जरूरत होती है. उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि भारत में पर्यावरण के मामलों को लेकर बड़े पैमाने पर चिंताए हैं. उन्होंने कहा कि आज निवेशक भारत में निवेश करने को लेकर उत्सुक हैं.
अनिल अग्रवाल फाउंडेशन (Anil Agarwal Foundation) ने नंद घर प्रोजेक्ट के तहत देश के करोड़ों बच्चों और महिलाओं के लिए गुणवत्तापूर्ण पोषण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से #KhanaKhayakya मुहिम शुरू की गई है.
अनिल अग्रवाल फाउंडेशन (Anil Agarwal Foundation) ने नंद घर प्रोजेक्ट (Nand Ghar Project) की ओर से देशभर के करोड़ों बच्चों की भूख मिटाने के लिए एक मुहिम (Movement) की शुरुआत की गई है. बॉलीवुड अभिनेता मनोज बाजपेयी भी इस मुहिम का हिस्सा बन गए हैं, जिसका उद्देश्य देश के करोड़ों बच्चों को अच्छा स्वास्थ्य और पोषण देना है. इस मुहिम का नाम 'अगर बचपन से पूछा खाना खाया, तो देश का कल बनाया-खाना खाया क्या?’ रखा गया है.
ये है इस मुहिम का लक्ष्य
नंद घर मुहिम का लक्ष्य देशभर में 14 लाख आंगनवाड़ियों को बदलना है. ये एक नेशनल मूवमेंट है, जिसका उद्देश्य समग्र स्वास्थ्य देखभाल, गुणवत्तापूर्ण पोषण और बच्चों के लिए सर्वोत्तम प्री-स्कूल शिक्षा सुनिश्चित करके भारत की भावी पीढ़ी का पोषण करना है.
राष्ट्रीय आंदोलन है नंद घर
वेदांता (Vedanta) के चेयरमैन अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) ने कहा कि प्रोजेक्ट नंद घर एक राष्ट्रीय आंदोलन है, जो स्वास्थ्य और पोषण पर ध्यान देने के साथ बच्चों और महिलाओं के समग्र विकास के लिए काम करता है. उन्हें खुशी है कि अभिनेता मनोज बाजपेयी उनकी इस मुहिम का हिस्सा बने हैं. उन्होंने बताया कि वर्तमान में वाराणसी में नंद घर प्रोजेक्ट के तहत 1364 आंगनबाड़ियों में 3-6 साल के बीच के 50,000 बच्चों को रोजाना प्रोटीन, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर भोजन दिया जा रहा है.
सपने पूरे करने के लिए पेट भरा होना जरूरी
मनोज बाजपेयी ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को अपने सपनों को पूरा करने और आगे बढ़ाने की ताकत उसके भरे पेट और पौष्टिक भोजन से ही आती है. यानी जब व्यक्ति का पेट भरा होगा, तभी वह उसे किसी भी काम को करने की ताकत मिलती है. मनोज बाजपेयी ने कहा कि भूख की पीड़ा से गुजरने वाले व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है. इसी कारण प्रोजेक्ट नंद घर जैसी पहल की जा रही है.
अभिनेता ने की प्रोजेक्ट से जुड़ने की अपील
मनोज बाजपेयी ने कहा कि यह मुहिम न केवल यह सुनिश्चित करेगी कि बच्चों को उचित पोषण मिले, बल्कि यह उनके उज्जवल भविष्य के लिए आशा और अवसर भी प्रदान करेगी. उन्होंने लोगों से नंद घर की इस मुहिम के लिए दान करने और वालंटियर के रूप में जुड़कर काम बनने का आग्रह किया.
अच्छा स्वास्थ्य और पोषण जरूरी
मैककैन वर्ल्डग्रुप इंडिया (McCann Worldgroup India) के सीईओ, सीसीओ और एशिया पैसिफिक (Asia Pacific) के चेयरमैन प्रसून जोशी ने कहा कि अगर हम अपने बच्चों को उनकी वास्तविक क्षमता का एहसास कराने और समग्र विकास के लिए पहले उन्हें अच्छा स्वास्थ्य और पोषण देना होगा.
जोमैटो के मालिक दीपेन्दर गोयल ने दिल्ली के एक पॉश इलाके में जमीन खरीदी है. उनकी इस डील की जानकारी जैसे ही सोशल मीडिया पर आई तो उनके फैन्स ने उन्हें बधाई देने में देर नहीं लगाई.
Zomato के मालिक दीपेन्दर गोयल ने साउथ दिल्ली में जमीन खरीदी है. दीपेन्दर ने मेहरौली के छतरपुर इलाके में ये जमीन खरीदी है वो पॉश इलाके में स्थित है. उनके इस जमीन के सौदे की खबर आते ही सोशल मीडिया पर मैसेज की झड़ी लग गई है. कोई जहां इस पर खुशी जता रहा है तो कोई नाराजगी जता रहा है. एक यूजर ने तो ये तो ये तक लिख दिया कि मुझे इसमें हिस्सा चाहिए. इस यूजर ने ये क्यों लिखा वो आपको स्टोरी में बताएंगे. दीपेन्दर मलिक ने इस डील के लिए 79 करोड़ रुपये चुकाए हैं और इसकी रजिस्ट्री भी हो गई है.
आखिर क्या है इस डील की पूरी जानकारी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, CRE Matrix की रिपोर्ट कहती है कि दीपेन्दर गोयल ने जो जमीन खरीदी है वो 2.5 एकड़ के दो प्लॉट हैं. ये दोनों सौदे अलग-अलग तारीख पर हुए हैं. दीपेन्दर गोयल की इस जमीन की पहली डील 28 मार्च 2023 को हुई है. जबकि दूसरी डील 1 सितंबर 2023 को हुई है. दोनों प्लॉट छत्तरपुर के डेरा मंडी गांव मे हैं. पहली जमीन दीपेन्दर गोयल ने लक्जलॉन बिल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड से खरीदी है जबकि दूसरी जमीन रवि कपूर नाम के प्लॉट होल्डर से खरीदी है. इस जमीन के लिए दीपेन्दर गोयल ने 3.5 करोड़ रुपये की स्टॉम्प ड्यूटी चुकाई है. हालांकि इस बारे में जमीन खरीदने वाले और बेचने वालों से संपर्क नहीं हो पाया है.
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सोशल मीडिया पर लोगों ने कही ये बात
Zomato के मालिक दीपेन्दर गोयल सोशल मीडिया पर बड़े सक्रिय हैं. इस जमीन सौदे की जानकारी जैसे ही उनके फैंश को मिली उसके बाद तुरंत कई लोगों ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देने में देरी नहीं लगाई. कई लोगों ने जहां उन्हें इस सौदे के लिए बधाई दी तो वहीं कई सोशल मीडिया फैंश ने लिखा कि इनको देखकर प्रेरणा मिलती है. एक अन्य यूजर ने लिखा ‘बधाई हो मिस्टर जोमैटो’. जबकि कई लोग उनसे डिलीवरी के लिए एक्सट्रा चार्ज न करने का अनुरोध कर रहे हैं. एक यूजर ने लिखा कि कल ही आपके एक राइडर ने मेरे 600 रुपये ले लिए और खाना भी नहीं दिया. अब मुझे आपसे जमीन में हिस्सा चाहिए.
जानते हैं कितनी है दीपेन्दर गोयल की नेटवर्थ?
वहीं अगर दीपेन्दर गोयल की नेटवर्थ पर नजर डालें तो उनके पास 2570 करोड़ रुपये की संपत्ति है. वहीं गुरुवार को जोमैटो के शेयर की स्थिति पर नजर डालें तो शेयर 193.60 रुपये पर खुला जबकि दोपहर में खबर लिखे जाने तक ये शेयर 195 रुपये पर ट्रेड कर रहा था. इस शेयर का 52 हफ्तों का सबसे अधिकतम मूल्य 199.70 रुपये था जबकि 52 हफ्तों का सबसे कम मूल्य 60.30 रुपये था. जोमैटो के तीसरी तिमाही के नतीजों पर नजर डालें तो उसके रेवेन्यू में 69 प्रतिशत का इजाफा हुआ था, जिसके बाद ये 3288 करोड़ रुपये रहा है. जोमैटो ने एक साल में 63 प्रतिशत का रिटर्न दिया है.
Google ने अपनी कोर टीम से लगभग 200 कर्मचारियों के पदों में कटौती की है. इससे पहले गूगल पूरी पायथन टीम को नौकरी से निकालने को लेकर चर्चा में था.
दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन और टेक दिग्गज कंपनी Google में हड़कंप मचा है. Google के कर्मचारी पिछले काफी समय से छंटनी की मार झेल रहे हैं. बीते दिनों पूरी पायथन टीम को निकालने के बाद एक बार फिर से कंपनी में छंटनी की खबर आ रही है. इस बार गूगल की कोर टीम में छंटनी की तलवार चल रही है. इस छंटनी में 200 कर्मचारियों को निकाला गया है.
तिमाही नतीजों से ठीक पहले ऐलान
Google ने बीते 25 अप्रैल को अपनी पहली तिमाही की धमाकेदार इनकम रिपोर्ट करने से ठीक पहले अपनी कोर टीम में बड़ी छंटनी की थी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इसके तहत कंपनी ने कम से कम 200 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया है. गूगल में ये नई छंटनी बीते दिनों फ्लटर, डार्ट और पायथन टीमों से कर्मचारियों को निकालने के बाद देखने को मिली है.
कर्मचारियों को E-Mail भेज दी जानकारी
रिपोर्ट के मुताबिक, Layoff का ऐलान Google डेवलपर इकोसिस्टम के वाइस प्रेसिडेंट असीम हुसैन ने किया और बीते सप्ताह कोर टीम में काम करने वाले अपने कर्मचारियों को इस संबंध में एक ईमेल भेजकर जानकारी दी थी. इसके अलावा उन्होंने एक टाउन हॉल में भी छंटनी और बदलाव को लेकर बात की थी. हुसैन ने कहा था कि यह इस साल उनकी टीम के लिए सबसे बड़ी नियोजित कटौती है.
कैसे भारत को होगा फायदा
सनीवेल, कैलिफोर्निया में कम से कम 50 इंजीनियरिंग पद समाप्त कर दिए गए. जबकि इंटरनल डॉक्यूमेंट्स बताते हैं कि कोर टीम्स के कई पदों को मैक्सिको और भारत में शिफ्ट कर दिया जाएगा. गूगल के सर्च बॉस प्रभाकर राघवन ने कहा कि वह भारत और ब्राजील जैसे प्रमुख बाजारों में यूजर्स के करीब टीम्स बनाने की योजना बना रहे हैं, जहां श्रम लागत कम है.
गूगल में इस साल और भी हुईं छंटनी
गूगल ने इन छंटनियों की पुष्टि पिछले हफ्ते ही कर दी थी. 2024 में एक झटके में इतने लोगों को एक साथ गूगल ने पहली बार बाहर किया गया है. इससे पहले इजराइल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष में इजराइल की टेक्नीकल मदद करने को लेकर कंपनी का उसके कुछ कर्मचारियों ने विरोध किया था. कंपनी ने उन सभी कर्मचारियों को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया है. गूगल साल 2023 की शुरुआत से ही अपने वर्कफोर्स में कमी ला रहा है. कंपनी ने तब अपने कर्मचारियों की संख्या में 6 प्रतिशत तक कमी लाने का ऐलान किया था. कंपनी ने तब 12,000 लोगों को नौकरी से निकालने की घोषणा की थी.
127 साल पुराने गोदरेज समूह का हाल ही में बंटवारा हो गया है. समूह की प्रॉपर्टी को दो हिस्सों में बांटा गया है.
गोदरेज समूह (Godrej Group) का हाल ही में बंटवारा हुआ है. 27 साल पुराने गोदरेज समूह को संस्थापक परिवार की दो शाखाओं के बीच बांटा गया है. एक हिस्सा 82 वर्षीय आदि गोदरेज और उनके 73 साल के भाई नादिर को मिलेगा. दूसरा हिस्सा उनके चचेरे भाई-बहन जमशेद गोदरेज और स्मिता गोदरेज को मिलेगा. गोदरेज समूह की 5 कंपनियां शेयर बाजार में लिस्टेड हैं. जबकि गोदरेज एंड बॉयस फिलहाल बाजार में सूचीबद्ध नहीं है. बंटवारे की खबर का असर समूह की लिस्टेड कंपनियों पर भी पड़ा है.
इनमें आई इतनी गिरावट
समूह की प्रमुख कंपनी Godrej Industries को शायद बंटवारा रास नहीं आया है. कंपनी के शेयरों में आज जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है. शुरुआती कारोबार में कंपनी के शेयर सात प्रतिशत से ज्यादा लुढ़क चुके हैं. खबर लिखे जाने तक गोदरेज इंडस्ट्रीज के शेयर करीबी 68 रुपए के नुकसान के साथ 892.90 रुपए पर कारोबार कर रहे थे. जबकि बीते 5 सत्रों में यह शेयर 4.67% और इस साल अब तक 15.01% का रिटर्न दे चुका है. इसी तरह, Godrej Properties के शेयरों में भी गिरावट आई है. आज दोपहर साढ़े 12 बजे तक यह 4 प्रतिशत से अधिक की नरमी के साथ 2,520.60 रुपए पर पहुंच गए थे. इस साल अब तक ये शेयर 25.90% चढ़ चुका है.
इन्हें मिला बंटवारे से बूस्ट
गोदरेज समूह की Astec LifeSciences भी स्टॉक मार्केट में लाल निशान पर कारोबार कर रही है. कंपनी के शेयर करीब 3% की गिरावट के साथ 1,253.50 रुपए पर कारोबार कर रहे हैं. इस साल अब तक इस शेयर ने अपने निवेशकों को 16.28% का रिटर्न दिया है. इसका 52 वीक का हाई लेवल 1,541.65 रुपए है. हालांकि, समूह की दो कंपनियों को बंटवारे से बूस्ट मिलता नजर आ रहा है. Godrej Consumer Products के शेयरों में अब तक 1.01% की तेजी आ चुकी है. 1,231.80 रुपए के भाव वाले इस शेयर ने पिछले पांच सत्रों में 2 प्रतिशत से अधिक की छलांग लगाई है. इसी तरह, Godrej Agrovet के शेयर भी मजबूती के साथ कारोबार कर रहे हैं. खबर लिखे जाने तक यह शेयर 3.65% चढ़कर 564 रुपए पर पहुंच गया था.
यह अभी भी एक सवाल है
बंटवारे के तहत आदि गोदरेज और नादिर के हिस्से में जहां गोदरेज इंडस्ट्रीज आई है. वहीं, आदि गोदरेज के चचेरे भाई-बहन जमशेद और स्मिता को नॉन-लिस्टेड कंपनी गोदरेज एंड बॉयस का मालिकाना हक मिला है. जमशेद और स्मिता के हिस्से में गोदरेज एंड बॉयस से जुड़ी कंपनियों के साथ ही मुंबई में एक प्लॉट और दूसरी महत्वपूर्ण संपत्ति भी मिलेगी. गोदरेज ग्रुप का कारोबार साबुन, होम अप्लायंस से लेकर रियल एएस्टेट तक फैला हुआ है. हालांकि, अभी यह साफ नहीं है कि गोदरेज एंड बॉयस के तहत समूह की 3000 करोड़ रुपए से अधिक की रियल एस्टेट संपत्ति को दोनों पक्षों के बीच कैसे विभाजित किया जाएगा.
कंपनी के लिए संकट का दौर सिर्फ एक फ्रंट पर नहीं है बल्कि कर्मचारियों की सैलरी से लेकर लगातार दायर होती दिवालिया याचिकाएं उसकी सबसे बड़ी समस्या हैं.
Byju’s की समस्याओं का फिलहाल अंत होता नहीं दिख रहा है. अब तक कई कंपनियों की दिवालिया याचिका के बाद कंपनी के खिलाफ अब चीनी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी ओप्पो (OPPO) ने NCLT में याचिका दायर कर दी है. OPPO ने दिवालिया याचिका पर नोटिस जारी किया है. गर्मियों की छुटिटयों के कारण कोर्ट के बंद होने के चलते अब इस पर मई के आखिर सप्ताह में सुनवाई होने की उम्मीद है.
आखिर क्या है ये पूरा मामला?
दरअसल Byju’s के खिलाफ ओप्पो (OPPO) से पहले कई कंपनियां अपने कर्ज को लेकर एनसीएलटी में घसीट चुकी हैं. जिन कंपनियों ने Byju’s के खिलाफ एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) में याचिका दायर की है उनमें बीसीसीआई, टर्म बी लोन प्रोवाइडर, फ्रांस स्थित टर्म लोन बी प्रोवाइडर और आईटी सर्विसेज देने वाली सर्फर शामिल है. अब इस कड़ी में ओप्पो का नाम भी शामिल हो गया है. यही नहीं टाइगर ग्लोबल, आउल वेंचर्स, सहित कई अन्य कंपनियां हैं जिन्होंने एनसीएलटी में Bayju’s के खिलाफ याचिका दी है.
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कंपनी के खिलाफ 6 ऑपरेशनल क्रेडिटर्स ने दायर की है याचिका
Byju’s के खिलाफ 6 ऑपरेशनल क्रेडिटर्स और एक फाइनेंशियल क्रेडिटर्स ने याचिका दायर की है. ऑपरेशनल क्रेडिटर्स वो होते हैं जो किसी भी कंपनी को कोई सर्विस मुहैया कराते हैं जबकि फाइनेंशियल क्रेडिटर्स वो होते हैं जो किसी भी कंपनी को कर्ज मुहैया कराते हैं. Byju’s के खिलाफ दिवालिया याचिका दायर करने वालों में ऑपरेशनल क्रेडिटर्स ज्यादा हैं. हालांकि ओप्पो की ओर से अपने कर्ज को लेकर किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं दी गई है.
कई तरह की परेशानियों से जूझ रही है कंपनी
Byju’s की परेशानियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं. सबसे बड़ी समस्या यही नहीं हैं कि उसके कर्जदार उसके खिलाफ दिवालिया याचिका दायर कर रहे हैं. बल्कि कंपनी को अपने कर्मचारियों के स्तर पर भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जहां अब तक कई कर्मचारियों को निकाला जा चुका है वहीं दूसरी ओर जो लोग काम कर रहे हैं उनकी सैलरी को लेकर भी कंपनी को संकट का सामना करना पड़ रहा है.