अमेरिका में मंदी की आहट सुनाई देने लगी है. इस वजह से डरी कंपनियां अपने खर्चों में कटौती के लिए कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं.
IT सेक्टर से जुड़े लोगों के लिए बुरी खबर है. उनकी नौकरी पर संकट लगातार बरकरार है. माइक्रोसॉफ्ट ने एक बार 200 कर्मचारियों को निकालने का ऐलान किया है. गौर करने वाली बात ये है कि मुश्किल से एक महीने पहले ही इस दिग्गज कंपनी ने 1800 कर्मियों को बाहर करने की घोषणा की थी.
R&D पर गाज
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, माइक्रोसॉफ्ट इस बार कस्टमर फोक्स्ड रिसर्च एंड डवलेपमेंट डिपार्टमेंट (R&D Department) से कर्मचारियों की छंटनी कर रही है. बता दें कि पिछले कुछ समय से अलग-अलग सेक्टर्स से छंटनी की खबर सामने आ रही हैं. हाल ही में वॉलमार्ट ने भी ऐसा ही ऐलान किया था.
डरी हुई हैं कंपनियां
माना जा रहा है कि माइक्रोसॉफ्ट के इस फैसले की वजह से कॉन्ट्रैक्टर रिक्रूटर्स पर असर देखने को मिल सकता है. दरअसल, अमेरिका में मंदी की आहट सुनाई देने लगी है. इस वजह से डरी कंपनियां अपने खर्चों में कटौती के लिए कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं. आशंका जताई जा रही है कि यह सिलसिला आगे भी चलता रहेगा.
ऑरेकल में भी यही हाल
इससे पहले, दुनिया की टॉप IT कंपनियों में शुमार ऑरेकल कॉरपोरेशन द्वारा अमेरिका में छंटनी की बात सामने आई थी. ऑरेकल ने जुलाई में ग्लोबल वर्कफोर्स की संख्या कम करने की योजना बनाई थी. मौजूदा समय में ऑरेकल के पास दुनियाभर में 1.43 लाख फुल टाइम कर्मचारी हैं. कंपनी वर्कफोर्स पर होने वाले सालाना खर्चे को नीचे लाना चाहती है, इसलिए उसने छंटनी शुरू कर दी है.
भारत पर भी असर?
माना जा रहा है कि ऑरेकल भारत, कनाडा और यूरोप के कई देशों में भी छंटनी अभियान चला सकती है. ऑरेकल कॉरपोरेशन ने 2019 में भारत में अपने 100 कर्मचारियों की छुट्टी की थी. ऐसे में आशंका है कि अमेरिका में शुरू हुआ छंटनी अभियान भारत भी पहुंच सकता है. कंपनी के लिए यूएस से बाहर भारत सबसे बड़ा डिलीवरी सेंटर है. भारत में ऑरेकल के करीब 38,000 कर्मचारी हैं.
वोडाफोन-आइडिया (Vi) ने अपने 4जी नेटवर्क को अपग्रेड और 5G को रोलआउट करने के लिए यूरोपीय कंपनियों के साथ बातचीत तेज कर दी है. माना जा रहा है कि खरीद ऑर्डर जून-जुलाई में जारी हो सकता है.
वोडाफोन आइडिया (Vi) ने हाल ही में सफल फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) पूरा किया है और अब वह अपने 4G नेटवर्क को अपग्रेड करने की योजना बना रही है. इस अपग्रेड के लिए कंपनी ने नोकिया और एरिक्सन के साथ बातचीत तेज कर दी है. उम्मीद है कि जून-जुलाई 2024 में ही इन कंपनियों को नेटवर्क अपग्रेड का ऑर्डर दे दिया जाएगा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसी दौरान Vodafone-Idea, 5G नेटवर्क के लिए भी इन कंपनियों के साथ शुरुआती एग्रीमेंट कर सकती है.
चुनाव के बाद जारी हो सकता है पर्चेजिंग ऑर्डर!
इस टेलीकॉम कंपनी ने हाल ही में 18,000 करोड़ रुपये का फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) सफलता पूर्वक पूरा किया है. कंपनी इस फंड में से कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए लगभग 13,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी. इसमें से आधे से अधिक 4जी विस्तार के लिए होगा. उम्मीद है कि जून में स्पेक्ट्रम नीलामी और चुनाव समाप्त होने के बाद खरीद का ऑर्डर जारी किया जाए. एरिक्सन के एक प्रवक्ता ने कहा कि हम भारत में सभी ग्राहकों के साथ जुड़े हुए हैं, लेकिन हमारी व्यावसायिक चर्चाओं पर टिप्पणी नहीं करते हैं.
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₹25,000 करोड़ जुटा रही है कंपनी
FPO के जरिए फंड जुटाने के अलावा टेलीकॉम कंपनी कर्ज के जरिए ₹25,000 करोड़ जुटाने की कोशिश कर रही है. इसके अलावा कंपनी ने प्रेफरेंशियल शेयर इश्यू के जरिए प्रमोटर यूनिट से ₹2,075 करोड़ जुटाने की पहले ही मंजूरी दे दी थी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वोडाफोन-आइडिया को 5G शुरू करने से पहले 4 नेटवर्क को अपग्रेड करना होगा. वोडाफोन आइडिया के 4G नेटवर्क में चीनी वेंडर्स की बड़ी हिस्सेदारी है, लेकिन चीनी फर्म को 5G नेटवर्क के लिए अनुमति नहीं है. इसलिए टेलीकॉम कंपनी को पहले यूरोपीय वेंडर्स के माध्यम से 4G नेटवर्क को अपग्रेड करना होगा और फिर 5G रोलआउट की योजना बनानी होगी.
वोडाफोन-आइडिया पर 2,10,000 करोड़ का कर्ज
वोडाफोन आइडिया वित्तीय दिक्कतों से जूझ रही है, जिसपर 2,10,000 करोड़ का कर्ज है. वोडाफोन आइडिया अपने कॉम्पिटिटर्स (Jio और Airtel) के साथ कॉम्पिटिशन करने के लिए अपनी सर्विस और बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार करना चाहती है. कंपनी अभी रिलायंस जियो और भारती एयरटेल जैसे बड़े कॉम्पिटिटर्स से काफी पीछे है.
पतंजलि के विज्ञापनों को लेकर बाबा रामदेव को पिछले कुछ वक्त से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
विज्ञापनों में बड़े-बड़े दावे करने के चलते जहां बाबा रामदेव (Baba Ramdev) को सुप्रीम कोर्ट से कड़ी फटकार लगी थी. वहीं, उत्तराखंड सरकार ने भी उनकी कंपनी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की थी. राज्य सरकार ने पतंजलि की दिव्य फार्मेसी (Divya Pharmacy) के 14 उत्पादों पर बैन लगाते हुए उनके लाइसेंस रद्द कर दिए थे. इसके साथ ही उत्तराखंड की लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने बाबा की कंपनी के खिलाफ हरिद्वार की एक अदालत में कानूनी कार्यवाही भी शुरू कर दी है.
पीएमओ से मिले थे निर्देश
अब सवाल यह उठता है कि राज्य सरकार ने खुद ही रामदेव की कंपनी के बड़े-बड़े दावों पर आपत्ति जताते हुए कार्रवाई की या फिर इसके आदेश कहीं और से आए थे? एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय यानी PMO के निर्देश के बाद ही उत्तरखंड सरकार हरकत में आई थी. दरअसल, पीएमओ को भेजी गई एक शिकायत में कहा गया था पतंजलि आयुर्वेद आयुष उत्पादों के बारे में भ्रामक विज्ञापनों से जुड़े कानून का लगातार उल्लंघन कर रही है, लिहाजा कंपनी के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए.
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इन्होंने की थी शिकायत
इसके बाद PMO से कार्रवाई के निर्देश मिले और उत्तराखंड की लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने पतंजलि आयुर्वेद की दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों का लाइसेंस रद्द कर दिया. इसके अलावा, कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही भी शुरू कर दी है. रिपोर्ट में बताया गया है कि बाबा की कंपनी के खिलाफ दोनों एक्शन यानी पहले उत्पाद पर प्रतिबंध और फिर कानूनी कार्यवाही पीएमओ के निर्देश पर हुए हैं. आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. वी के बाबू ने पीएमओ से शिकायत में कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद बार-बार Drugs and Magic Remedies कानून 1954 का उल्लंघन कर रही है. अब उत्तराखंड की ड्रग्स लाइसेंस अथॉरिटी ने बाबू को भेजे जवाब में बताया कि PMO ने उनकी शिकायत की जांच और उचित कार्रवाई करने को कहा था.
कार्रवाई नहीं कर रही थी सरकार?
यह दावा भी किया जा रहा है कि बाबू पिछले दो साल से रामदेव की कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे, लेकिन राज्य सरकार कार्रवाई नहीं कर रही थी. इसके बाद उन्होंने पीएमओ के साथ ही सुप्रीम कोर्ट से इसमें हस्तक्षेप करने की मांग की थी. बता दें कि पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को जमकर फटकार लगाई थी. कोर्ट ने लगातार तीन बार बाबा की माफी को भी स्वीकार करने से इंकार कर दिया था. इसके बाद पतंजलि ने बड़े फॉन्ट में अख़बारों में माफीनामा प्रकाशित करवाया था.
इस मामले में कोर्ट की ओर से एक आरई की नियुक्ति की गई है. ये आरई इस बात की प्रमुखता से देखरेख करेंगे कि इसमें निवेश करने वालों को किसी तरह की परेशानी न हो.
रियल स्टेट सेक्टर में धीरे धीरे हो रही ग्रोथ के बीच नोएडा के एक लग्जरी प्रोजेक्ट के लिए बुरी खबर सामने आई है. दरअसल नोएडा के सेक्टर 124 में रियल स्टेट कंपनी ATS अपना लग्जरी प्रोजेक्ट बना रही है. एटीएस के इस लग्जरी प्रोजेक्ट पर भुगतान में देरी करने का आरोप है जिसके चलते एनसीएलटी ने बड़ी कार्रवाई की है. एनसीएलटी ने इस मामले में अंतरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल की नियुक्ति करने का निर्णय लिया है.
आखिर कौन सा है एटीएस का ये प्रोजेक्ट?
रियल स्टेट कंपनी एटीएस इस क्षेत्र की जानी मानी कंपनी है. एटीएस नोएडा के सेक्टर 124 में अपनी लग्जरी हाउसिंग योजना एटीएस नाइटब्रिज बना रही है. लेकिन अब एनसीएलटी ने इस कंपनी के खिलाफ आरई की नियुक्ति कर दी है जो इस मामले की निगरानी करेगा. दरअसल एटीएस हाईट्स प्राइवेट लिमिटेड पर कर्जदाताओं के 285 करोड़ रुपये और 47 करोड़ रुपये के भुगतान में डिफॉल्ट का आरोप है.
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इस कंपनी की शिकायत पर शुरू हुई है प्रक्रिया
एनसीएलटी में इस मामले की शिकायत एएसके इंडिया रियल एस्टेट स्पेशल अपॉर्च्यूनिटीज फंड प्राइवेट लिमिटेड, एएसके इन्वेसटमेंट मैनेजर्स लिमिटेड और एएसके ट्रस्टीशिप सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, ने की है. एएसके ट्रस्टीशिप सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के बारे में बताया गया है कि वह एएसके इंडिया रियल एस्टेट स्पेशल अपॉर्च्यूनिटीज फंड और एएसके इंडिया रियल एस्टेट स्पेशल अपॉर्च्यूनिटीज फंड-2 की इन्वेस्टमेंट मैनेजर है.
क्या प्रोजेक्ट पर लगाई गई है रोक?
एनसीएलटी ने इस मामले में गौरव कटियार को आरई नियुक्त किया है. एनसीएलटी ने इस प्रोजेक्ट पर किसी भी प्रकार की रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया है. एनसीएलटी की ओर से कहा गया है कि ना तो प्रोजेक्ट में देरी होनी चाहिए और न ही इस प्रोजेक्ट में निवेश करने वाले लोगों को किसी तरह की परेशानी होनी चाहिए. वहीं मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में एटीएस की प्रमोटर गीतांबर अंगद ने दलील दी है कि 285 करोड़ और 47 करोड़ रुपये के जिस डिफॉल्ट की बात की है वो डेट नहीं है बल्कि इक्विटी है. लेकिन एनसीएलटी ने इसे स्वीकार नहीं किया.
अधिकांश सरकारी बैंकों के शेयरों में आज अच्छी-खासी गिरावट देखने को मिली. PNB के शेयर सबसे ज्यादा लुढ़के.
शेयर बाजार (Stock Market) में आज भरी उतार-चढ़ाव देखने को मिला. सेंसेक्स लाल निशान पर खुला, लेकिन कारोबार की समाप्ति पर कुछ अंकों की मजबूती के साथ बंद हुआ. जबकि Nifty में लाल रंग बिखरा दिखाई दिया. सप्ताह के पहले दिन यानी सोमवार को BSE सेंसेक्स 17.39 अंकों की तेजी के साथ 73,895.54 और NSE निफ्टी 33.15 पॉइंट्स की गिरावट के साथ 22,442.70 पर बंद हुआ. खासकर, पब्लिक सेक्टर बैंकों के शेयरों में ज्यादा गिरावट देखने को मिली. SBI से लेकर यूनियन बैंक तक के शेयर नरमी के साथ बंद हुए.
किसमें, कितनी गिरावट?
आज भारतीय स्टेट बैंक यानी SBI के साथ-साथ पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, बैंक ऑफ बड़ौदा सहित अधिकांश सरकारी बैंकों के शेयर लाल निशान पर बंद हुए. एसबीआई का शेयर 2.64% की गिरावट के साथ 809.50 रुपए पर बंद हुआ. इसी तरह, PNB में सबसे ज्यादा 6.41%, केनरा बैंक में 5.38%, यूनियन बैंक में 2.62%, Bank of Baroda में 4.04% और बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 2.19% की गिरावट दर्ज हुई. इन शेयरों में PNB सबसे बड़ा लूजर रहा. इसके बाद केनरा बैंक को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ.
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RBI का ये प्रस्ताव बना वजह
अब यह भी जान लेते हैं कि PSU बैंकों के शेयरों में इतनी गिरावट आखिर क्यों आई? एक्सपर्ट्स के अनुसार, सरकारी बैंक स्टॉक में नरमी की वजह है भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का एक प्रस्ताव. दरअसल RBI ने अपने इस प्रस्ताव में क्रियान्वित हो रहे इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को लोन देने से संबंधित नियमों को सख्त बनाने की बात कही है. RBI के मसौदा नियमों में प्रोजेक्ट्स के चरण के हिसाब से उनका वर्गीकरण करने और निर्माण चरण के दौरान 5% तक का उच्च प्रावधान करने का प्रस्ताव रखा गया है. पिछली लोन साइकिल में प्रोजेक्ट्स लोन की वजह से बैंकों के बही-खातों पर दबाव बढ़ गया था.
इन कंपनियों को भी नुकसान
RBI के प्रस्तावित मानदंडों के अनुसार, बैंक को निर्माण चरण के दौरान कर्ज का 5% अलग रखना होगा. प्रस्ताव पर 15 जून तक संबंधित पक्षों से राय मांगी गई है. आरबीआई के इस प्रस्ताव का असर सरकारी बैंकों के शेयरों पर पड़ा है और उनमें आज अच्छी-खासी गिरावट देखने को मिली है. केवल बैंक ही नहीं, केंद्रीय रिजर्व बैंक के नए प्रस्ताव के चलते Power Finance Corporation (PFC), आरईसी लिमिटेड जैसी NBFC यानी नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों के शेयरों में भी गिरावट आई. PFC के शेयर जहां 8.95% लुढ़ककर 437.45 पर आ गए. वहीं, REC के शेयर 7.46% नीचे गिरकर 516.20 पर बंद हुए.
इंफ्रा प्रोजेक्ट (Infra Project) फाइनेंसिंग के लिए RBI के नए प्रस्ताव के बीच पावर फाइनेंस कॉर्पोर्शन (PFC), आरईसी (REC) और IREDA सहित कई सरकारी कंपनियों के शेयरों में गिरावट आई है.
सोमवार यानी 06 मई 2024 की सुबह सरकारी कंपनियों में निवेश करने वालों को बड़ा झटका लगा है. इन कंपनियों में निवेश करने वाले लोगों को बड़ा नुकसान हुआ है. यह गिरावट आरबीआई (RBI) द्वारा जारी एक ड्राफ्ट तैयार करने के बाद आई है. दरअसल, बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स डूबने के कारण बैंक को उनके कर्ज के बोझ से बचाने के लिए आरबीआई ने ये नया प्रस्ताव रखा है. इसमें इंफ्रा प्रोजेक्ट्स फाइनेंसिंग के नियमों में सख्त बदलाव किए गए हैं.
इतने गिरे शेयर
सोमवार को शेयर बाजार बंद होने के बाद पावर फाइनेंस कॉर्पोर्शन (PFC)के शेयर में 8.95 प्रतिशत, आरईसी (REC) के शेयर में 7.46 प्रतिशत और इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (IREDA) के शेयर में 4.01 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है. वहीं, भारतीय स्टेट बैंक(SBI) 2.64 ,पंजाब नेशनल बैंक (PNB) 6.41 , केनरा बैंक (Canara Bank)5.38, यूनियन बैंक (Union Bank) 2.62, बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB) 4.04 और बैंक ऑफ इंडिया (BOI) के शेयर 2.20, बैंक ऑफ महाराष्ट्र 2.19 से ज्यादा टूट गए. वहीं, निफ्टी पीएसयू इंडेक्स 3.66 प्रतिशत लुढ़ककर 7252.85 रुपये पर आ गया.
क्या है आरबीआई का नया प्रस्ताव?
आरबीआई के ड्राफ्ट के अनुसार बैंकों को प्रोजेक्ट के कंस्ट्रक्शन के दौरान लोन अमाउंट का 5 प्रतिशत हिस्सा अलग से रिजर्व रखना होगा. इसे प्रोजेक्ट के चालू हो जाने पर 2.5 प्रतिशत और रीपेमेंट की स्थिति में आ जाने के बाद 1 प्रतिशत पर भी लाया जा सकेगा. 2021 के सर्कुलर में इस रकम को फिलहाल 0.4 प्रतिशत रखा जाता है. आरबीआई ने कहा अगर कई बैंक मिलकर कंसोर्टियम बनाकर 15 अरब रुपये तक के प्रोजेक्ट की फाइनेंसिंग कर रहे हैं, तो उन्हें 10 प्रतिशत लोन अमाउंट रिजर्व रखना होगा.
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आरबीआई ने क्यों बनाया नया ड्राफ्ट?
बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर लोन डूबने के कारण आज कई बैंक मुसीबत में फंसे हुए हैं. इससे देश के बैंकिंग सिस्टम पर बुरा असर पड़ रहा है. ऐसे में आरबीआई ने क्रियान्वित हो रहे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को लोन देने से संबंधित नियमों को सख्त बनाने का प्रस्ताव रखा है. पिछली लोन साइकल में प्रोजेक्ट्स लोन की वजह से बैंकों के बही-खातों पर दबाव बढ़ गया था. हालांकि इन नए मानकों को लाने की घोषणा आरबीआई ने पहली बार सितंबर, 2023 में की थी. अब प्रस्तावों पर 15 जून तक संबंधित पक्षों से राय मांगी गई है. ऐसे में अभी ये ही सरकारी बैंक और कंपनियों के शेयर लुढ़कने लगे हैं.
जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल को जमानत भले ही मिली हो लेकिन उन पर कई तरह की पाबंदियां भी लगाई गई हैं, जिसमें पासपोर्ट जमा कराने और बाहर जाने से पहने अनुमति लेने की बात शामिल है.
मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना कर रहे जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल को बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है. नरेश गोयल को 2 महीने की अंतरिम जमानत दी गई है. अदालत ने उनकी जमानत के साथ कई तरह शर्तों को भी शामिल किया है जिसमें उन पर एक लाख रुपये के जुर्माने से लेकर पासपोर्ट जमा कराने और मुंबई से बाहर जाने से पहले ट्रायल कोर्ट की अनुमति लेने जैसी शर्तें शामिल हैं.
इस आधार पर मिली जमानत
जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल ने बॉम्बे हाईकोर्ट से खराब स्वास्थ्य और मानवीय आधार पर जमानत मांगी थी, क्योंकि वो और उनकी पत्नी अनीता गोयल दोनों ही कैंसर की बीमारी से जूझ रहे हैं. इससे पहले फरवरी में ट्रायल कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था. ट्रायल कोर्ट ने जमानत तो खारिज की थी लेकिन उन्हें उनके पसंदीदा अस्प्ताल में इलाज कराने की अनुमति दे दी थी. लेकिन स्वास्थ्य और मानवीयता को आधार बनाकर उनके वकील हरीश साल्वे की ओर से बॉम्बे हाईकोर्ट में जमानत के लिए आवेदन किया गया जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. हालांकि ईडी की ओर से उन्हें जमानत देने का विरोध किया गया था.
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अस्पताल में रहने का बढ़ाया जा सकता है समय
ईडी के वकील वेनेगांवकर ने जमानत का तो विरोध किया लेकिन कहा कि अगर उनकी अदालत में रहने की अवधि बढ़ाई जाती है तो उसे कोई समस्या नहीं है. ईडी ने कहा कि एक महीने बाद उनके स्वास्थ्य की स्थिति जानने के लिए नई मेडिकल रिपोर्ट की मांग कर सकती है. जेट एयरवेज के चेयरमैन नरेश गोयल के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि उनका मानसिक स्वास्थ्य भी सही नहीं है.
पिछले साल सितंबर में हुई थी शादी
जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल को ईडी ने पिछले साल सितंबर में गिरफ्तार किया था. उन पर केनरा बैंक की ओर से जेट एयरवेज को मिले 538.62 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगा था.इस आरोप में ईडी ने उनकी पत्नी अनीता गोयल को भी गिरफ्तार किया था. लेकिन खराब स्वास्थ्य के कारण अदालत ने उन्हें जमानत दे दी.
इस साझेदारी का मुख्य मकसद अलग-अलग कंपनियों को एआई सुविधा मुहैया कराने के साथ उनके बिजनेस को आगे बढ़ाना है, जिससे उनकी क्षमताओं में इजाफा हो सके.
भारत की टेक्नोलॉजी कंपनी HCL ने अमेजन की अलग-अलग कंपनियों में एआई डिजिटल ट्रांसफॉरमेशन करने के लिए हाथ मिलाया है. अमेजन वेब सर्विसेज ने अपनी कई कंपनियों को एआई टेक्नोलॉजी से लैस करने के लिए हाथ मिलाया है. कंपनी का मानना है कि ऐसा करने से जहां उसके बिजेनस की क्षमता को बढ़ाया जा सकेगा वहीं दूसरी ओर इससे ग्राहक को मिलने वाली सुविधाओं में भी इजाफा किया जा सकेगा.
इन कंपनियों को एआई तकनीक से किया जाएगा लैस
HCL और अमेजन वेब सर्विसेज मिलकर जिन कंपनियों में इसे तेजी से लागू करने की तैयारी कर रहे हैं उनमें अमेजन बेडरॉक (Amazon Bedrock), अमेजन कोड व्हिसपर (Amazon Code Whisper), अमेजन सेज मेकर(Amazon Saze Maker) और अमेजन टाइटल (Amazon Title) शामिल हैं. कंपनी की सीनियर वाइस प्रेसीडेंट प्रभाकर अपन्ना ने इस मौके पर कहा कि इस तकनीकी बदलाव से जहां बिजनेस की क्षमता में सुधार आएगा वहीं दूसरी ओर ग्राहक सेवा में भी तेजी से सुधार होगा. यही नहीं कंपनी की ग्रोथ में भी इजाफा देखने को मिलेगा.
इस साझेदारी का ये भी है मकसद
GenAI अपनाने में तेजी लाने के लिए HCLTech-AWS गठबंधन HCLTech सुरक्षित एप्लिकेशन बनाने और आंतरिक रूप से और ग्राहकों के लिए जिम्मेदारी से AI का लाभ उठाने के लिए 50,000 से अधिक HCLTech इंजीनियरों, क्लाउड प्रैक्टिशनरों और डेवलपर्स के साथ अमेजन कोडव्हिस्परर का उपयोग करने की योजना पर काम कर रहा है. दोनों कंपनियों के बीच हुई साझेदारी इंडस्ट्री में एआई सॉल्यूशन को मुहैया कराने को लेकर भी काम करेगी. एचसीएल टेक इससे पहले भी इस तरह से काम कर करते हुए फाइनेंशियल सेक्टर के लिए एआई पर आधारित एआई बॉट जीवा को विकसित कर चुका है.
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हर्षद मेहता देश की बैंकिंग व्यवस्था में खामियों का फायदा उठाकर स्टॉक मार्केट का बिग बुल बन गया था.
पिछले कुछ वक्त में शेयर बाजार (Stock Market) में जो तेजी आई है, उससे आरपीजी ग्रुप के चेयरमैन और मशहूर उद्योगपति हर्ष गोयनका को हर्ष मेहता के दिनों की याद आ गई है. उन्होंने शेयर बाजार में गड़बड़ी की आशंका जताई है. गोयनका ने चेतावनी देते हुए कहा है कि इस गड़बड़ी की वजह से छोटे निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. हर्ष गोयनका ने कहा कि तेजी से बढ़ते शेयर बाजार के साथ हर्षद मेहता और केतन पारेख युग की वापसी हो रही है.
इस तरह उठाया था फायदा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हर्ष गोयनका ने दावा किया कि कोलकाता से गड़बड़ी की जा रही है और इसमें गुजराती एवं मारवाड़ी दलालों का गठजोड़ काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि प्रमोटर्स मुनाफा बढ़ा रहे हैं और गुजराती-मारवाड़ी दलालों का गठजोड़ स्टॉक की कीमतों को अवास्तविक स्तर पर ले जा रहा है. इससे परिणामस्वरूप छोटे निवेशकों को भारी नुकसान हो सकता है. वक्त आ गया है, जब सेबी और वित्त मंत्रालय इसमें दखल दें. बता दें कि 90 के दशक में शेयर बाजार हर्षद मेहता के घोटाले से हिल गया था. मेहता शुरुआत में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में एक सामान्य स्टॉक ब्रोकर था, लेकिन देश की बैंकिंग व्यवस्था में खामियों का फायदा उठाकर वह स्टॉक मार्केट का बेताज बादशाह बन गया था.
खरीदने की मच गई थी होड़
हर्षद मेहता ने चुनिंदा शेयरों की कीमत को फर्जी तरीके से बढ़ाकर खूब मुनाफा कमाया था. मेहता सरकारी बैंकों से हुंडी पर पैसा उठाता और उसे शेयरों की कीमत बढ़ाने में इस्तेमाल करता. इससे लोगों में संबंधित शेयरों की खरीदने की होड़ मच गई और इससे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में भारी वृद्धि हुई. हालांकि, जब धांधली का खुलासा हुआ तो निवेशकों को भारी नुकसान भी उठाना पड़ा. इस घोटाले के बाद ही बाजार नियामक सेबी का गठन हुआ था. हर्षद मेहता घोटाले के लगभग दस साल बाद केतन पारेख पर भी ऐसा ही घोटाले का आरोप लगा था.
इतना चढ़ चुका है ACC
निश्चित तौर पर हर्षद मेहता ने गलत तरह से पैसा कमाया, लेकिन उसके बताए शेयरों पर दांव लगाकर लोगों ने भी जमकर झोली भरी थी. 1990 के दौर में हर्षद ने निवेशकों को कुछ शेयर सुझाए थे, जो आज भी अच्छा परफॉर्म कर रहे हैं. ये शेयर अपने निवेशकों को अच्छा-खासा रिटर्न दे चुके हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, हर्षद मेहता ने एसीसी सीमेंट, जिसे पहले Associated Cement Companies के नाम से जाना जाता था, के शेयरों पर दांव लगाया था. 1990 में इस शेयर की कीमत 59.64 रुपए थी और आज इसका भाव 2,487.20 रुपए है. बीते 5 सालों में ही ये शेयर 2,742.15% चढ़ चुका है. ACC सीमेंट का मालिकाना हक अब अडानी समूह के पास है.
इन पर भी लगाया था दांव
Reliance Industries का शेयर भी हर्षद की फेवरेट लिस्ट में था. 1990 के दौर में मुकेश अंबानी के इस शेयर की कीमत महज 11.74 रुपए थे और आज यह 2,846.45 रुपए पर ट्रेड कर रहा है. बीते 5 सालों में ही इस शेयर ने 129.66% का रिटर्न दिया है. इसी तरह, मेहता ने टाटा स्टील पर भी दांव लगाया था. उस समय इसका नाम टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड (टिस्को) था और इसके स्टॉक की कीमत 6 रुपए थी. अब इसके भाव 168.15 रुपए पहुंच चुके हैं. अपोलो टायर्स लिमिटेड भी हर्षद मेहता की स्टॉकलिस्ट में शुमार था. 1990 में 4.60 रुपए के भाव पर मिलने वाले ये शेयर आज 483.55 रुपए की कीमत पर मिल रहा है.
अब इतना है Hero MotoCorp का भाव
हीरो मोटोकॉर्प (Hero MotoCorp) को पहले हीरो होंडा के नाम से जाना जाता था. इस कंपनी का शेयर भी मेहता की लिस्ट में शामिल था. उस समय इसकी कीमत 6.75 रुपए के आसपास थी और अब इसका भाव 4,489.20 रुपए है. इया लिहाज से यदि देखें, तो जिसने मेहता काल में इन स्टॉक्स में दांव लगाया और अभी तक उन्हें अपने पोर्टफोलियो में शामिल रखा, उन्हें बंपर प्रॉफिट हुआ होगा. गौरतलब है कि हर्षद मेहता ने करीब 4000 करोड़ का घोटाला किया था, जिसका खुलासा 1992 में हुआ. हर्षद की 2001 में पुलिस कस्टडी में मौत हो गई थी. करीब 27 साल की कानूनी लड़ाई के बाद इनकम टैक्स ट्रिब्यूनल ने 2019 में मेहता परिवार से की गई 2014 करोड़ रुपए की टैक्स डिमांड को खारिज कर दिया था.
Muthoot Finance की माइक्रो फाइनेंस यूनिट जल्द ही IPO के जरिए 1300 करोड़ रुपए जुटाएगी. इसके लिए मार्केट रेगुलेटर सेबी के पास ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस फाइल कर दिया है.
मुथूट फाइनेंस की माइक्रोफाइनेंस आर्म बेलस्टार माइक्रोफाइनेंस अपना IPO लाने जा रही है. कंपनी ने इसके लिए मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) के पास ड्राफ्ट पेपर दाखिल कर दिए हैं. कंपनी का इरादा इश्यू के जरिए 1300 करोड़ रुपये जुटाने का है. ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) के अनुसार चेन्नई स्थित एंटिटी के इस IPO के तहत 1,000 करोड़ रुपये के फ्रेश शेयर जारी किए जाएंगे. इसके अलावा इनवेस्टर शेयरहोल्डर्स द्वारा 300 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री ऑफर फॉर सेल (OFS) के तहत की जाएगी
आईपीओ की डिटेल
बेलस्टार माइक्रोफाइनेंस के DRHP के मुताबिक ऑफर फॉर सेल के जरिए डेनिश एसेट मैनेजमेंट कंपनी MAJ इनवेस्ट का टारगेट 175 करोड़ रुपए का निवेश करेगी. वहीं, Arum Holdings 97 करोड़ रुपए और अगस्ता इनवेस्टमेंट्स जीरो पीटीई लिमिटेड 28 करोड़ रुपए का निवेश करेगी. आपको बता दें कि मुथुट फाइनेंस की बेलस्टार में 66 फीसदी की हिस्सेदारी है. वह बेलस्टार की प्रमोटर कंपनी भी है. वहीं, MAJ Invest ने 2018 और 2022 में भी निवेश किया था.
IPO फंड का कहां होगा इस्तेमाल
कंपनी के DRHP के मुताबिक IPO के जरिए जुटाई गई एक हजार करोड़ रुपए की रकम में 760 करोड़ रुपए का इस्तेमाल भविष्य में उधार चुकाने और फ्यूचर कैपिटल की जरूरतों को पूरा करने में किया जाएगा. इसके अलावा बाकी बची हुई रकम का इस्तेमाल कंपनी की कारोबारी जरूरतों को पूरा किया जाएगा. बेलस्टार ने आईपीओ के लिए ICICI सिक्योरिटीज, एक्सिस बैंक, HDFC बैंक और SBI कैपिटल मार्केट को बुक रनिंग लीड मैनेजर (BRLM) नियुक्त किया है.
मुथूट फाइनेंस की है कंपनी बेलस्टार
बेलस्टार, गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी-माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशन (NBFC-MFI) है. यह कंपनी मुथूट फाइनेंस की सब्सिडयरी है. मुथूट फाइनेंस बतौर प्रमोटर बेलस्टार माइक्रोफाइनेंस में 66 प्रतिशत से अधिक का हिस्सेदार है. इस कंपनी का लोन मॉडल मुख्य रूप से 'स्वयं सहायता समूह' (SHG) मॉडल पर केंद्रित है. दिसंबर 2023 को समाप्त नौ महीनों तक माइक्रोफाइनेंस फर्म ने 1,283 करोड़ रुपये के राजस्व के साथ 235 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है.
राजनाथ सिंह के बयान के जवाब में फारूक अब्दुल्ला का कहना है कि पाकिस्तान ने भी चूड़ियां नहीं पहनी हैं.
जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) एक बार फिर खबरों में आ गए हैं. बड़बोले अब्दुल्ला पाकिस्तान को लेकर कुछ ऐसा कह गए हैं, जिस पर विवाद जल्द थमने वाला नहीं है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) के एक बयान का जिक्र करते हुए पूर्व CM ने कहा कि पाकिस्तान ने भी चूड़ियां नहीं पहन रखी हैं. उसके पास परमाणु बम हैं, जो हम पर गिरेंगे.
क्या कहा था राजनाथ ने?
पिछले महीने एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि भारत में हो रहे विकास को देखते हुए पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) के लोग खुद भारत के साथ रहने की मांग करेंगे. सिंह ने आगे कहा था कि चिंता न करें, POK हमारा था, है और हमेशा रहेगा. भारत की ताकत बढ़ रही है, दुनिया भर में हमारी प्रतिष्ठा बढ़ रही है, हमारी अर्थव्यवस्था तेजी से मजबूत हो रही है. अब पीओके में हमारे भाई-बहन खुद भारत के साथ आने की मांग करेंगे.
हमारा ही है POK
राजनाथ के इसी बयान पर बोलते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि यदि रक्षा मंत्री कह रहे हैं, तो कहें. हम उन्हें रोकने वाले कौन होते हैं? लेकिन याद रखें कि पाकिस्तान ने भी चूड़ियां नहीं पहनी हैं. उनके पास भी एटम बम है और दुर्भाग्य से वो एटम बम हम पर गिरेगा. गौरतलब है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर भारत का वह हिस्सा है, जो पाकिस्तानी सीमा से लगता है. 1947 में बंटवारे के बाद पाकिस्तान ने विद्रोहियों की मदद से जम्मू-कश्मीर के इस भाग पर कब्जा कर लिया था. भारतीय सेना इस हिस्से को पाकिस्तान से वापस लेने के लिए लड़ रही थी, लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) ने दखल देकर दोनों देशों के बीच युद्ध विराम करवा दिया और हमारे कश्मीर का ये हिस्सा पाकिस्तान के पास रह गया.
पहले से कम हुई दौलत
अब जब बात फारूक अब्दुल्ला की निकली है, तो यह भी जान लेते हैं कि उनके पास कितनी दौलत है. नेताओं की जन्मकुंडली बताने वाली वेबसाइट myneta के अनुसार, 2019 के लोकसभा चुनाव में अब्दुल्ला ने चुनाव आयोग में दाखिल हलफनामे में बताया था कि उनके पास 12 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति है. जबकि 2014 में उन्होंने 13 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति की बात कही थी. फारूक पहली बार 1980 में श्रीनगर सीट से सांसद चुने गए थे. इसके बाद वह 2009, 2017 (उपचुनाव) और 2019 में भी श्रीनगर सीट से जीतकर संसद पहुंचे.
रिलायंस के इतने शेयर
अब्दुल्ला ने 2017 - 2018 में इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में अपनी इनकम 28 लाख 60 हजार दर्शाई थी. 2016 - 2017 में 17 लाख, 22 हजार, 2015 - 2016 में 21 लाख, 20 हजार, 2014 - 2015 में 13 लाख, 72 हजार और 2013 - 2014 में उनकी आय 13 लाख 49 हजार थी. 2019 के हलफनामे के अनुसार, उनके पास एक लाख रुपए कैश था. इसके अलावा, उनकी J&K बैंक में करीब 67 लाख रुपए की FD थीं. इसी तरह SBI में भी उन्होंने 20,66,708 रुपए और HDFC बैंक में 30,41,670 की FD कराई थी. फारूक अब्दुल्ला ने अपने पास रिलायंस के 6,63,964 रुपए के शेयर होने की भी जानकारी दी थी. उनके नाम पर मारुति और महिंद्रा की दो गाड़ियां हैं.
करोड़ों की बिल्डिंग है नाम
अब्दुल्ला के पास 2 करोड़ से अधिक मूल्य वाली एक कृषि भूमि है. इसी तरह, 60 लाख मूल्य की गैर-कृषि भूमि, 2 करोड़ की कमर्शियल बिल्डिंग, 4 करोड़ रुपए से अधिक कीमत वाली एक रेजिडेंशियल बिल्डिंग भी उनके नाम पर है. उनके ऊपर कोई देनदारी नहीं है. उन्होंने किसी भी बैंक से कोई लोन नहीं लिया है. अब्दुल्ला को श्रीनगर संसदीय सीट से 2014 में हार का सामना करना पड़ा था. उन्हें पीडीपी के तारिक हमीद ने शिकस्त दी थी. फारूक अब्दुल्ला ने सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली है. उन्होंने सेहत का हवाला देते हुए इस बार का लोकसभा चुनाव न लड़ने का ऐलान किया है.