जानिए डिजिटल करेंसी और पेमेंट्स एप में अंतर, क्‍या कहते हैं जानकार

डिजिटल करेंसी को इस्‍तेमाल करने के लिए 8 बैंकों को तय किया गया है.  इसके इस्‍तेमाल के लिए आपको वॉलेट को एक्टिवेट करना बेहद जरूरी है. 

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Saturday, 17 December, 2022
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हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने डिजिटल करेंसी लॉन्‍च की है. सेंट्रल बैंक द्वारा जारी की गई यह डिजिटल करेंसी एक तरह का कानूनी दस्‍तावेज है. डिजिटल करेंसी एक तरह की सामान्य करेंसी की तरह ही है और इसे एक दूसरे को ट्रांसफर भी किया जा सकता है. डिजिटल करेंसी भी ठीक उसी तरह काम करती है जैसे हम नोट या फिर अलग-अलग तरह की सिक्कों को इस्तेमाल करते हैं. लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि अगर डिजिटल करेंसी वैसी ही है तो फिर ये यूपीआई UPI, आरटीजीएस RTGS और नेफ्ट NEFT  से कैसे अलग है.


आखिर क्‍या है डिजिटल करेंसी
रिटेल डिजिटल करेंसी एक तरह का डिजिटल टोकन है, जिसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने जारी किया है. रिजर्व बैंक ने इस मुद्रा के परिचालन के लिए 2 फेस में 8 बैंकों को इसकी जिम्मेदारी दी है. इन बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया SBI, आईसीआईसीआई बैंक ICICI Bank, यस बैंक YES Bank, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक IDFC First Bank, यह चार बैंक ऐसे हैं जो इसके फर्स्ट फेस में काम कर रहे हैं. आरबीआई ने सेकंड फेस के लिए भी बैंकों का चयन कर लिया है, जिसमें बैंक ऑफ बड़ौदा BOB, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया UBI, एचडीएफसी बैंक HDFC Bank, कोटक महिंद्रा बैंक Kotak Mahindra, 2nd फेज में इस डिजिटल करेंसी के लेनदेन में शामिल होंगे. 


कैसे काम करेगी ये करेंसी 
डिजिटल करेंसी एक तरह से मौजूदा करेंसी की ही तरह काम करेगी, जिसमें आपके पास डिजिटल नोट करेंसी और डिजिटल कॉइन करेंसी शामिल होंगे. इसके इस्‍तेमाल के लिए ग्राहकों को बैंकों के द्वारा एक वॉलेट दिया जाएगा, जिसके जरिए इस डिजिटल करेंसी का लेनदेन हो सकेगा. इस डिजिटल वॉलेट को आप अपने एंड्रॉयड स्मार्टफोन से इस्तेमाल कर सकते हैं. मौजूदा समय में पहले चरण के चार बैंकों के साथ ग्राहक इन बैंकों द्वारा दिए गए डिजिटल वॉलेट के जरिए क्लोज यूजर ग्रुप, जिसमें कि कस्टमर और मर्चेंट दोनों शामिल हैं वो कुछ ही शहरों में इस्तेमाल कर पाएंगें. इसमें मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु, भुवनेश्वर जैसे शहर शामिल हैं. आप अगर इन शहरों में रहते हैं तो इन 4 बैंकों के जरिए ही डिजिटल करेंसी के लिए वॉलेट को लिंक कर सकते हैं और उसी के जरिए आप उस डिजिटल रूपी को अलग-अलग मरचेंट्स पर इस्तेमाल कर सकते हैं.  डिजिटल करेंसी के लेनदेन के लिए वॉलेट कंपलसरी है.


कैसे अलग है ये मौजूदा पेमेंट एप से 
जानकार बताते हैं कि डिजिटल करेंसी के परिचालन के लिए ना तो किसी तरह के बैंक सिस्टम की जरूरत होगी और ना ही इसके लिए आरबीआई को करेंसी छापनी पड़ेगी. मसलन नोट्स या फिर सिक्कों को नहीं छापना पड़ेगा.  इससे पैसों का इंस्‍टेंट ट्रांसफर भी हो जाएगा और आदमी को जल्दी से सुविधा भी मिलेगी.


आखिर UPI, RTGS और दूसरे पेमेंट ऑप्शन से कैसे अलग है डिजिटल करेंसी
जानकार कहते हैं कि डिजिटल करेंसी एक तरह से भारत की करेंसी है, जिसे आप सीधे इस्तेमाल कर सकते हैं. जबकि यूपीआई के तहत अलग-अलग एप्लीकेशंस का इस्तेमाल करना पड़ता है, जिसमें गूगल पे, फोन पे, नेफ्ट, और आरटीजीएस जैसे पेमेंट एप शामिल हैं. अलग-अलग तरीके से पेमेंट ट्रांसफर के लिए इस्तेमाल होते हैं सबसे बड़ा अंतर यह है कि यूपीआई ट्रांजैक्शन करने के लिए आपके खाते में पैसे होने जरूरी हैं जबकि डिजिटल करेंसी एक तरह का लीगल टेंडर है, जिसे आप सीधे इस्‍तेमाल कर सकते हैं. 
जानकार कहते हैं डिजिटल करेंसी केवल पेमेंट एप तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह एक तरह की करेंसी है. डिजिटल रुपया एक तरह से आप की स्टोर वैल्यू की तरह काम करता है जबकि यूपीआई के ट्रांजैक्शन करने के लिए आपके अकाउंट में पैसे होने जरूरी है, जिसके बाद ही आप यूपीआई और अलग-अलग तरह की ऐप जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर से अपने पैसे को ट्रांसफर करते हैं.


LIC को SEBI से ऐसी क्‍या मिली खुशखबरी कि झूम उठे कंपनी के शेयर? 

एलआईसी के शेयरों की स्थिति पर नजर डालें तो बुधवार को उनमें 5 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी देखने को मिली. बुधवार को कंपनी का शेयर 977.50 रुपये पर ट्रेड कर रहा है. 

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Wednesday, 15 May, 2024
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देश की सबसे बड़ी लाइफ इंश्‍योरेंस कंपनी एलआईसी(LIC) को MPC (Minimum Public Holding) को पाने के लिए सेबी की ओर से 3 साल का अतिरिक्‍त समय मिल गया है. इससे पहले भारत सरकार के इकोनॉमिक अफेयर्स से लेकर वित्‍त मंत्रालय तक ने 10 साल का समय दे दिया है. इस खबर के आने के बाद एलआईसी के शेयरों में जबरदस्‍त बढ़त देखने को मिल रही है. 

आखिर क्‍या है ये पूरा मामला? 
दरअसल नियम ये है कि किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र कंपनी में पब्लिक होल्डिंग 25 प्रतिशत तक होनी चाहिए. लेकिन मौजूदा समय में एलआईसी की स्थिति पर नजर डालें तो उसमें सरकार की हिस्‍सेदारी 96.5 प्रतिशत की है. सरकार ने आईपीओ के माध्‍यम से एलआईसी में 3.5 प्रतिशत यानी 22.13 करोड़ शेयरों को बेचा है. नियम के अनुसार सरकार को इसमें अपनी हिससेदारी को और कम करना है और पब्लिक यानी आम आदमी की हिस्‍सेदारी 25 प्रतिशत तक लानी है. सेबी ने इसी 25 प्रतिशत हिस्‍सेदारी को लाने के लिए एलआईसी को 3 साल का और समय दे दिया है. 

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इस खबर से झूम उठे एलआईसी के शेयर 
एलआईसी को 3 साल का समय दिए जाने की खबर जैसे ही सामने आई उसका सीधा असर कंपनी के शेयरों पर देखने को मिला. कंपनी का शेयर बुधवार को 934 रुपये पर खुला था. लेकिन खबर लिखे जाने तक कंपनी का शेयर 977.50 रुपये पर ट्रेड कर रहा था. कंपनी के शेयर में 4.99 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली. कंपनी का मार्केट कैप 6.18 लाख करोड़ रुपये रहा. एलआईसी के शेयर का 52 हफ्तों का हाई 1175 रुपये रहा है जबकि 52 हफ्तों का लो 561 रुपये रहा है. 

क्‍या है MPC का नियम? 
मिनिमम पब्लिक होल्डिंग का नियम कहता है कि किसी भी लिस्‍टेड कंपनी में आम निवेशक की हिस्‍सेदारी 25 प्रतिशत तक होनी चाहिए. दरअसल किसी भी कंपनी में दो तरह के निवेशक होते हैं. एक वो होते हैं जो कंपनी को शुरू करते हैं और उन्‍हें प्रमोटर कहते हैं. दूसरे आम निवेशक होते हैं जो कंपनी में पैसा लगाते हैं. सेबी का नियम कहता है कि किसी भी लिस्‍टेड कंपनी में प्रमोटर में अपनी हिस्‍सेदारी को 65 प्रतिशत से ज्‍यादा 75 प्रतिशत तक ले जा सकते हैं. लेकिन एलआईसी में ये हिस्‍सेदारी 96 प्रतिशत तक है. ऐसे में सरकार को अपनी हिस्‍सेदारी काफी और कम करनी है. सरकार उसके लिए आने वाले समय में क्‍या रास्‍ता अपनाती है ये आने वाला वक्‍त ही बताएगा. 
 


इस Bank ने लॉन्च किया अपना पहला वर्चुअल क्रेडिट कार्ड, ऐसे करें आवेदन

HDFC Bank ने नया वर्चुअल क्रेडिट कार्ड 'Pixel' लॉन्च किया है. यह 100 प्रतिशत डिजिटल है. इसके साथ यूजर्स को कई सुविधाओं का लाभ मिलेगा.

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Wednesday, 15 May, 2024
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देश के सबसे बड़े प्राइवेट बैंक एचडीएफसी (HDFC) बैंक ने अपना पहला वर्चुअल क्रेडिट कार्ड 'PIXEL' लॉन्च किया है. यह कार्ड वीजा नेटवर्क के साथ लॉन्च किया गया है. एचडीएफसी बैंक का यह वर्चुअल क्रेडिट कार्ड दो वैरिएंट्स में उपलब्ध है, पहला पिक्स्ल प्ले (PIXEL Play) और दूसरा पिक्स्ल गो (PIXEL Go), यूजर्स कार्ड में अपने हिसाब से ऑफर और बेनिफिट का विकल्प चुन सकते हैं, यह कार्ड ग्राहकों के लाइफस्टाइल के अनुकूल कस्टमाइज बेनेफिट्स प्रदान करता है. तो चलिए जानते हैं इस कार्ड के लिए आप आवेदन कैसे कर सकते हैं और इसमें क्या सुविधाएं मिलेंगी?

एनुअल फीस 500 रुपये
पिक्सल क्रेडिट कार्ड के दो वेरिएंट्स मिलेंगे, जिसमें पिक्सल प्ले (PIXEL Play) और पिक्सल गो (PIXEL GO) शामिल हैं. पिक्सल प्ले को पर्सनल लाभ के साथ खुद के कार्ड बनाने की अनुमति होती है. वहीं, पिक्सल गो को शुरुआती लोगों के लिए डिजाइन किया गया है, यह क्रेडिट स्कोर बनाने में मदद करता है. कार्ड की एनुअल फीस 500 रुपये होगी.

100 प्रतिशत डिजिटल होगा क्रेडिट कार्ड
बैंक के ऑफिशियल वेबसाइट के अनुसार पिक्सल क्रेडिट कार्ड 100 प्रतिशत डिजिटल है. इसमें डॉक्यूमेंट्स, ईमेल और कॉलिंग की जरूरत भी नहीं पड़ती है. इस डिजिटल कार्ड में स्पाइप और स्वाइप के जरिए भी भुगतान किया जा सकता है. बैंक ने कहा है कि अभी ये कार्ड वीजा नेटवर्क के साथ लॉन्च किया गया है, बाद में अन्य नेटवर्क के साथ भी लॉन्च किया जाएगा. ग्राहक Payzapp के जरिए ईएमआई रिपेमेंट कर सकते हैं. बैंक की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि पेजैप ऐप के जरिए क्रेडिट कार्ड यूजर्स को कार्ड कंट्रोल, रिवॉर्ड, ईएमआई डैशबोर्ड, नोटिफिकेशन, स्टेटमेंट, रीपेमेंट, हाटलिस्टिंग, विवाद आदि सुविधाएं मिल सकती हैं. 

ऐसे करें इस्तेमाल
सबसे पहले ग्राहक को बैंक का PayZapp ऐप इन्स्टॉल करना होगा. इसके बाद ‘Apply Now For PIXEL Play’ के लिंक पर क्लिक करें और रजिस्ट्रेशन करें. इस प्रक्रिया के बाद आपको डिजिटल क्रेडिट कार्ड मिल जाएगा. आपको इसी ऐप पर ही रिवार्ड्स, ईएमआई, स्टेटमेंट्स, कार्ड ब्लॉक और अन्य सेवाएं उपलब्ध होंगी.

इन खर्चों पर मिलेंगे रिवार्ड्स
1. आपको  डाइनिंग एवं एंटरटेंमेंट कैटेगरी- बुक MyShow और  Zomato, ट्रैवल कैटेगरी- मेक माय ट्रिप और उबर, Grocery कैटेगरी- Blinkit और रिलायंस स्मार्ट बाजार, इलेक्ट्रॉनिक्स कैटेगरी- क्रोमा और रिलायंस डिजिटल, फैशन कैटेगरी- Nykaa और Myntra, इनमें से दो पैक पर 5 प्रतिशत कैशबैक मिलेगा.

2. Amazon या फ्लिपकार्ट या PayZapp, इन ई-कॉमर्स वेबसाइट पर 3 प्रतिशत का कैशबैक मिलेगा. 
3.अन्य खर्चों पर 1 प्रतिशत का अनलिमिटेड कैशबैक मिलेगा.

कार्ड प्राप्त करने के लिए ये होंगी शर्तें
इस क्रेडिट कार्ड के लिए 21 वर्ष से लेकर 60 वर्ष आयु वर्ग के वेतनभोगी (Salaried) यूजर्स आवेदन कर सकते हैं. यूजर्स का मासिक वेतन 25 हजार रुपये होना चाहिए. सेल्फ एम्पलॉयड ग्राहक, जिनकी उम्र 21-65 वर्ष के बीच है और आईटीआर 6 लाख रुपये सलाना है, वे आवेदन कर सकते हैं.
 


CBI ने इस कंपनी के पूर्व डायरेक्टर को गिरफ्तार, 34000 करोड़ घोटाले का है आरोप

धीरज वाधवान पर 17 बैंकों के साथ 34000 करोड़ का लोन फ्रॉड करने का मामला है. इससे पहले भी वाधवान यस बैंक भ्रष्टाचार मामले में जेल जा चुके हैं और बेल पर बाहर थे.

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Wednesday, 15 May, 2024
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केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्प लिमिटेड (DHFL) के पूर्व डायरेक्टर धीरज वधावन को गिरफ्तार कर लिया है. यह गिरफ्तारी 34000 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले में की गई है. इसके साथ ही वधावन को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. अधिकारियों ने बताया कि वधावन को मुंबई से हिरासत में लिया गया, उन्होंने आगे कहा कि वधावन को दिल्ली की एक स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

17 बैंकों से फ्रॉड का आरोप

सीबीआई ने नई दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल कोर्ट में DHFL के तबके सीएमडी कपिल वधावन और डायरेक्टर धीरज वधावन समेत कुल 74 लोगों और 57 कंपनियों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया था. इनपर 17 बैंकों के साथ फ्रॉड करने का आरोप है. चार्जशीट में सीईओ हरशिल मेहता के नाम को भी शामिल किया गया था.

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34,000 करोड़ के बैंकिंग फ्रॉड का आरोप

34,000 करोड़ रुपये की 17 बैंकों की कंसोर्टियम से धोखाधड़ी के मामले में सीबीआई पहले ही मामला दर्ज कर चुकी है. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया इस बैंकों की कंसोर्टियम की अगुवाई कर रही है. बैंक फ्रॉड मामले में सीबीआई की चार्जशीट में 2022 में ही धीरज वधावन के नाम को शामिल कर लिया गया था. वहीं, देश के बैंकिंग इतिहास का इसे सबसे बड़ा फ्रॉड माना जाता है. इससे पहले भी सीबीआई धीरज वधावन को यस बैंक घोटाले मामले में गिरफ्तार कर चुकी थी और इस मामले में फिलहाल वो जमानत पर था.

क्या है पूरा मामला?

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत पर जो FIR दर्ज की गई उसमें कहा गया कि DHFL के कपिल वधावन धीरज वधावन जो कि डायरेक्टर था उसने दूसरे आरोपियों के साथ मिलकर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले 17 बैंकों को कंसोर्टियम के साथ फ्रॉड को अंजाम देने के लिए आपराधिक साजिश रची और इन बैंकों पर 42,871.42 करोड़ रुपये कर्ज देने को कहा. कर्ज के हिस्से की बड़ी रकम को निकालकर उसका दुरुउपयोग किया गया. सीबीआई के मुताबिक DHFL के बुक्स में हेराफेरी की गई. शिकायत में ये आरोप लगाया गया कि 31 जुलाई, 2020 तक बकाये रकम के 17 बैंको के कंसोर्टियम को 34615 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
 


Open AI के इस को फाउंडर ने आखिर क्‍यों दिया इस्‍तीफा? जानिए इसकी पूरी वजह

पिछले साल नवंबर में जब ओपनएआई (Open AI) में लीडरशिप क्राइसेस हुआ था उस वक्‍त भी उन्‍होंने बोर्ड की कार्रवाई में अपनी भूमिका को लेकर माफी मांगी थी. 

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Wednesday, 15 May, 2024
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कुछ दिन पहले AI (ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) के अब तक सबसे शक्तिशाली वर्जन G-40 को लॉन्‍च करने वाली कंपनी Open AI  में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. कंपनी के को-फाउंडर इल्‍या सुत्‍सकेवर ने इस्‍तीफा दे दिया है. सुत्‍सकेवर ने अभी तक अपनी भविष्‍य की योजनाओं को लेकर कोई खुलासा नहीं किया है लेकिन अपने ट्वीट में उन्‍होंने Open  AI को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मेरी कामना है कि वो एक सुरक्षित एजीआई का निर्माण करेगा. 

अपने ट्वीट में उन्‍होंने क्‍या कहा? 
लिवा सुत्‍सकेयर ने ट्वीट में अपनी बात कहते हुए कहा, लगभग एक दशक तक काम करने के बाद, मैंने OpenAI छोड़ने का निर्णय लिया है. कंपनी का अब तक का सफर किसी चमत्कार से कम नहीं रहा है और मुझे विश्वास है कि ओपनएआई(OpenAI) एजीआई का निर्माण करेगा जो कि सैम ऑल्‍टमैन के नेतृत्व में सुरक्षित और फायदेमंद होगा. उन्‍होंने कंपनी के कुछ अहम लोगों को टैग करते हुए लिखा उन सभी के साथ काम करना सम्मान और सौभाग्य की बात थी और मैं सभी को बहुत याद करूंगा. इतना लंबा समय, और हर चीज़ के लिए धन्यवाद. मैं आगे जो आने वाला है उसके लिए उत्साहित हूं - एक परियोजना जो मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से बहुत सार्थक है जिसके बारे में मैं उचित समय पर विवरण साझा करूंगा.  

 

Open AI प्रमुख ने इस्‍तीफे पर कही ये बात 
इल्या और ओपनएआई अलग होने जा रहे हैं. ये मेरे लिए बहुत दुखद है. इल्या हमारी पीढ़ी की बेहतरीन प्रतिभाओं में से एक हैं,  हमारे क्षेत्र के मार्गदर्शक हैं और एक प्रिय मित्र हैं. उनकी प्रतिभा और दूरदर्शिता को सभी जानते हैं. उनकी गर्मजोशी और करुणा के बारे में कम लोग जानते हैं लेकिन कम महत्वपूर्ण नहीं हैं.
OpenAI उसके बिना वैसा नहीं होता जैसा आज है. हालाँकि उनके पास व्यक्तिगत रूप से कुछ सार्थक है जिस पर वह काम करने जा रहे हैं, उन्होंने यहां जो किया उसके लिए मैं हमेशा आभारी हूं और जिस मिशन को हमने साथ मिलकर शुरू किया था उसे पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हूं. मुझे खुशी है कि इतने लंबे समय तक मैं ऐसी सचमुच बेहतरीन प्रतिभा के करीब रहा, और किसी ने मानवता के बेहतर भविष्य के लिए अपना फोकस लगाया.  

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इल्‍या की जगह लेने जा रहे हैं जैकब 
सैम ऑल्‍टमैन ने अपने ट्वीट में बताया कि इल्‍या की जगह अब जैकब हमारे मुख्‍य वैज्ञानिक बनने जा रहे हैं. जैकब भी आसानी से हमारी पीढ़ी के सबसे महान दिमागों में से एक है, मैं रोमांचित हूं कि वह यहां कमान संभाल रहे हैं. उन्होंने हमारी कई सबसे महत्वपूर्ण परियोजनाएं चलाई हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि वह यह सुनिश्चित करने के हमारे मिशन की दिशा में तेजी से और सुरक्षित प्रगति करने में हमारा नेतृत्व करेंगे कि एजीआई से सभी को लाभ हो.

लीडरशिप क्राइसेस के 6 महीने बाद छोड़ी कंपनी 
पिछले साल नवंबर में बोर्ड की कार्रवाई के बाद सैम ऑल्‍टमैन ने इस्‍तीफा दे दिया था उस वक्‍त भी इल्‍या सुतस्‍केवर ने अपने ट्वीट किया था और बोर्ड की कार्रवाई में अपनी भूमिका को लेकर माफी मांगी थी. उन्‍होंने उस वक्‍त जो ट्वीट किया था उसमें लिखा था कि ‘मुझे बोर्ड के कार्यों में अपनी भागीदारी पर गहरा खेद है.  मेरा कभी भी OpenAI को नुकसान पहुँचाने का इरादा नहीं था. मुझे वह सब कुछ पसंद है जो हमने मिलकर बनाया है और मैं कंपनी को फिर से एकजुट करने के लिए हर संभव प्रयास करूंगा ’.


 


Mutual Funds की फेवरेट हैं ये कंपनियां, बीते 3 सालों में 35 अरब डॉलर किए इन्वेस्ट

HDFC बैंक और रिलायंस जैसी कंपनियों पर म्यूचुअल फंड्स का भरोसा बढ़ा है. पिछले कुछ वक्त में फंड्स ने इनमें काफी पैसा लगाया है.

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Wednesday, 15 May, 2024
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घरेलू म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) ने शेयर बाजार की कुछ कंपनियों पर काफी प्यार लुटाया है. बीते तीन सालों में अलग-अलग क्षेत्रों की 27 टॉप कंपनियों में फंड्स ने करीब 35 अरब डॉलर का निवेश किया है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, खासतौर पर HDFC बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज और टाटा समूह की TCS जैसी कंपनियों में म्यूचुअल फंड्स इन्वेस्टमेंट काफी बढ़ चुका है. इससे पता चलता है कि फंड्स को इन कंपनियों पर सबसे ज्यादा भरोसा है.

इन सेक्टर्स पर है फोकस
म्यूचुअल फंड्स फाइनेंस, ऑटोमोबाइल, एनर्जी, IT और कंज्यूमर गुड्स जैसे सेक्टर्स पर सबसे ज्यादा फोकस किए हुए हैं. इन सेक्टर्स से जुड़ी प्रमुख कंपनियों में Mutial Funds ने जमकर निवेश किया है. रिपोर्ट में नुवामा अल्टरनेटिव एंड क्वांटिटेटिव रिसर्च के प्रमुख अभिलाष पगारिया के हवाले से बताया गया है कि म्यूचुअल फंड द्वारा इक्विटी बाजार में निवेश बढ़ते रहने की संभावना है. फिलहाल, सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) से करीब 2.3 अरब डॉलर की रकम बाजार को एनर्जी दे रही है.

ये हैं टॉप 10 कंपनियां
रिपोर्ट के अनुसार, HDFC बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज, मारुति सुजुकी, कोटक महिंद्रा बैंक, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज यानी TCS, पावर ग्रिड कॉर्प, हिंदुस्तान यूनिलीवर, इंडिगो की पैरेंट कंपनी इंटरग्लोब एविएशन, बजाज फाइनेंस, कोफोर्ज, वो टॉप 10 कंपनियां हैं, जिनमें म्यूचुअल फंड्स ने बीते कुछ समय में काफी पैसा लगाया है. पिछले महीने खबर आई थी कि फंड मैनेजर्स ने वित्त वर्ष-24 की मार्च तिमाही (Q4FY24) में व्हर्लपूल इंडिया (Whirlpool Of India) में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 31.14% कर दी है. 31 दिसंबर को समाप्त पिछली तिमाही में यह 11.12% थी. इसी तरह, फंड्स ने आवास फाइनेंसर्स (Aavas Financiers) में अपनी हिस्सेदारी को 12.05% से बढ़ाकर 21.13% कर दिया है. जबकि इनोवा कैपटैब (Innova Captab) में उनकी हिस्सेदारी 3.40% से बढ़कर 12.38% तक हो गई है.

म्यूचुअल फंड के प्रकार
म्यूचुअल फंड अलग-अलग प्रकार के होते हैं. इक्विटी म्यूचुअल फंड: निवेशकों की रकम को सीधे शेयर बाजार लगाते हैं. लंबी अवधि में ये आपको अच्छा रिटर्न दे सकते हैं. डेट म्यूचुअल फंड डेट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं. ये स्कीम शेयरों की तुलना में कम जोखिम वाली होती हैं. साथ ही बैंकों की FD की तुलना में बेहतर रिटर्न देती हैं. हाइब्रिड म्यूचुअल फंड: इसके तहत इक्विटी और डेट दोनों में निवेश किया जाता है.  सल्यूशन ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड:
ये स्कीम किसी खास लक्ष्य या समाधान के हिसाब से बनी होती है. उदाहरण के लिए इनमें रिटायरमेंट स्कीम या बच्चों की शिक्षा जैसे लक्ष्य हो सकते हैं. इसमें आपको कम से कम 5 साल के लिए निवेश करना जरूरी होता है.


जिनसे मिलने के लिए लाइन में खड़े रहते हैं दुनियाभर के रईस, वो PM मोदी खुद कितने हैं अमीर?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी हलफनामे में अपनी संपत्ति का ब्यौरा दिया है. उन्होंने बताया है कि उनके पास कुल कितनी संपत्ति है.

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Wednesday, 15 May, 2024
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने वाराणसी लोकसभा सीट (Varanasi Lok Sabha Seat) से नामांकन दाखिल कर दिया है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कैबिनेट के साथियों की मौजूदगी में PM मोदी ने मंगलवार को अपना नॉमिनेशन फाइल किया. सभी प्रत्याशियों को नामांकन के साथ एक हलफनामा भी देना होता है, जिसमें उनकी संपत्ति का ब्यौरा होता है. PM मोदी ने भी चुनाव आयोग को बताया है कि उनके पास कुल कितनी दौलत है. चलिए आपको बताते हैं कि देश चलाने वाले मोदी कितने अमीर हैं.

SBI में हैं दो अकाउंट    
प्रधानमंत्री मोदी के पास 3.02 करोड़ रुपए की कुल संपत्ति है. हालांकि, उनके पास न तो अपना कोई घर है और न ही गाड़ी. कैश के तौर पर मोदी के पास 52,920 रुपए हैं. जबकि बैंक में उनके करीब 2.85 करोड़ रुपए ज्यादा जमा हैं. PM मोदी के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) में दो खाते हैं. एक गुजरात के गांधीनगर में और वाराणसी की शिवाजी नगर शाखा में. गुजरात वाले खाते में 73 हजार 304 और वाराणसी वाले अकाउंट में सात हजार रुपए हैं. मोदी ने गोल्ड में 2.67 रुपए निवेश किया हुआ है. उनके पास सोने की 4 अंगूठियां हैं. 

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PM के ऊपर कोई कर्ज नहीं  
वाराणसी से चुनावी मैदान में उतरा मोदी ने नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) में 9.12 लाख रुपए का इन्वेस्टमेंट किया है. एनएससी में उनका निवेश 2019 में 7.61 लाख रुपए था, जिसमें लगभग 2 लाख रुपए का इजाफा हुआ है. मोदी के ऊपर कोई देनदारी नहीं है. उन्होंने कोई लोन नहीं लिया है. उन्होंने अपनी आय के स्रोतों के रूप में सरकार से मिलने वाला वेतन और बैंक से मिलने वाला ब्याज का हवाला दिया है. प्रधानमंत्री ने घोषणा की है कि उनके पास गुजरात विश्वविद्यालय से MA की डिग्री है. वहीं, उन्होंने 1978 में दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया है.  

इनसे है मोदी का मुकाबला
लोकसभा चुनाव के लिए इस बार भी प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश की वाराणसी सीट को ही चुना है. वह पहली बार 2014 में वाराणसी से ही सांसद चुने गए थे और फिर देश के प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी संभाली. इसके बाद 2019 में भी मोदी इसी सीट से चुनावी मैदान में उतरे और प्रचंड जीत हासिल की. अब 2024 के चुनावी रण में भी उन्होंने वाराणसी को ही चुना है. कांग्रेस के अजय राय और बहुजन समाज पार्टी के अतहर जमाल लारी भी वाराणसी से किस्मत अजमाने के लिए नामांकन दाखिल कर चुके हैं. वाराणसी में 1 जून को वोट डाले जाएंगे. 

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बाजार की चाल आज कैसी भी रहे, इन शेयरों में निवेश से चेहरा खिलने की संभावना है हाई!

शेयर बाजार की चाल आज कैसी रहेगी सटीक तौर पर बताना मुश्किल है, लेकिन कुछ शेयरों में तेजी के संकेत ज़रूर मिले हैं.

Last Modified:
Wednesday, 15 May, 2024
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शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश करने वालों के लिए मंगलवार का दिन अच्छा रहा. अप्रैल में खुदरा महंगाई दर में आई नरमी के साथ ही कुछ दिग्गज शेयरों में लिवाली के चलते बाजार में मजबूती आई. इस दौरान, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का 30 शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 328.48 अंक चढ़कर 73,104.61 और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 113.80 अंक उछलकर 22,217.85 पर बंद हुआ. Sensex की कंपनियों में SBI, M&M, JSW स्टील, लार्सन एंड टुब्रो, NTPC और इंडसइंड बैंक जैसे शेयर लाभ में रहे. चलिए जानते हैं कि आज कौनसे शेयर ट्रेंड में रह सकते हैं.

MACD के ये हैं संकेत
शुरुआत करते हैं MACD के संकेतों से. मोमेंटम इंडिकेटर मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डिवर्जेंस (MACD) ने आज के लिए केवल 4 शेयरों में तेजी का रुख दर्शाया है. HG Infra Engineering, BEML, Honeywell Automation और Symphony के भाव में उछाल देखने को मिल सकता है. HG इंफ़्रा के शेयर कल 15% की शानदार तेजी के साथ 1,370 रुपए पर बंद हुए थे. BEML 3.36% की बढ़त के साथ 3,800, Honeywell करीब 1 प्रतिशत की मजबूती के साथ 47,700 और Symphony करीब 4 प्रतिशत की तेजी एक साथ 994 रुपए पर पहुंच गया था. इसी तरह, MACD ने Axis Bank, Carborundum Universal, Colgate-Palmolive और TRF में मंदी का संकेत दिया है. लिहाजा इन शेयरों में निवेश को लेकर सावधान रहें.

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इन पर भी बनाए रखें नजर
अब उन शेयरों के बारे में जानते हैं जिनमें मजबूत खरीदारी देखने को मिल रही है. इस लिस्ट में अनिल अग्रवाल की वेदांता के साथ ही Finolex Industries, Timken India, Apar Industries, JSPL, CG Power, Industrial Solutions और M&M शामिल हैं. Vedanta के शेयर कल करीब 5 प्रतिशत चढ़कर 433.05 रुपए पर पहुंच गए थे. बीते 5 दिनों में इस शेयर ने 7.38% और इस साल अब तक 68.40% का रिटर्न दिया है. इसी तरह, Finolex Industries के लिए भी कल का दिन बेहद शानदार रहा. कंपनी का शेयर इस दौरान करीब 11 प्रतिशत की मजबूती हासिल करते हुए 299.50 रुपए के लेवल पर पहुंच गया. वहीं, Clean Science & Technology के शेयरों में बिकवाली का दबाव नजर आ रहा है.

(डिस्क्लेमर: शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन है. 'BW हिंदी' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. सोच-समझकर, अपने विवेक के आधार पर और किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह के बाद ही निवेश करें, अन्यथा आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है).


भारतीय Airtel के तिमाही नतीजों में कमी के बावजूद डिविडेंड देगी कंपनी , इतनी हुई गिरावट 

एयरटेल इंडिया के नतीजों पर नजर डालें तो उसका राजस्‍व 28513 करोड़ रुपये रहा इसमें सालाना आधार पर 12.9 प्रतिशत का इजाफा हुआ है.

Last Modified:
Tuesday, 14 May, 2024
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टेलीकॉम सेक्‍टर की बड़ी कंपनी भारती एयरटेल ने अपनी चौथी तिमाही के नतीजों को जारी कर दिया है. कंपनी को चौथी तिमाही में 2072 करोड़ रुपये का समेकित शुद्ध लाभ हुआ है. ये शुद्ध लाभ पिछले साल से 31 प्रतिशत कम है. कंपनी का Q4 राजस्‍व 37599 करोड़ रुपये रहा जो पिछले साल से 4 प्रतिशत से ज्‍यादा है. इस अवधि के दौरान विशेष तौर पर नाइजीरियाई मुद्रा के अवमूल्‍यन से नुकसान हुआ है. कंपनी ने 8 रुपये प्रति शेयर डिविडेंड का ऐलान भी किया है. 

क्‍या कह रहे हैं कंपनी की चौथी तिमाही के आंकड़े? 
कंपनी ने एक्‍सचेंज को दी गई जानकारी के अनुसार, Q4 में एयरटेल ने 7.8 मिलियन स्‍मार्टफोन ग्राहक जोड़े और कंपनी के एआरयूपी में भी इजाफा देखने को मिला है. Q423 में जहां ये 193 रुपये था वहीं Q424 में ये 209 रुपये दर्ज किया गया. कंपनी ने अपने नतीजों के ऐलान के बाद 5 रुपये की फेस वैल्‍यू पर 8 रुपये प्रति शेयर डिविडेंड देने का ऐलान किया है. वहीं बाजार के जानकारों ने एयरटेल का शुद्ध लाभ 2201 करोड़ रुपये से 5309 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया था. 

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भारत के राजस्‍व में हुआ है इजाफा 
एयरटेल इंडिया के नतीजों पर नजर डालें तो उसका राजस्‍व 28513 करोड़ रुपये रहा इसमें सालाना आधार पर 12.9 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. सालाना आधार पर 4जी और 5 जी ग्राहकों की संख्‍या में हुए इजाफे के कारण राजस्‍व में सालाना आधार पर 12.9 प्रतिशत की ग्रोथ हुई है. वहीं अगर तिमाही में समेकित मोबाइल डेटा ट्रैफिक पर नजर डालें तो 26.2 प्रतिशत की स्‍वस्‍थ बढ़ोतरी के साथ 17702 पीबी था. 

PAT और EBITDA के क्‍या हैं आंकड़े? 
चौथी तिमाही के नतीजों में अगर कंपनी प्रॉफिट ऑफ्टर टैक्‍स के नतीजों पर नजर डालें तो वो 3005 करोड़ रुपये रहा है. अगर गैर नियंत्रित ब्‍याज जोड़ने के साथ PAT बढ़कर 4226 करोड़ रुपये हो गया है, जबकि राजस्‍व 36009 करोड़ रुपये रहा है. वहीं EBITDA पर नजर डालें तो Q424 एयरटेल का समेकित EBITDA सालाना आधार पर 4.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 195890 करोड़ रुपये रहा है. भारत का EBITDA मार्जिन Q423 में 53.1 प्रतिशत से बढ़कर Q424 में 53.6 प्रतिशत रहा है. 


13 महीने के उच्‍च स्‍तर पर पहुंची थोक महंगाई, खाने-पीने की चीजों ने बिगाड़ा बजट

आंकड़ों के अनुसार अप्रैल, 2024 में खाद्य वस्तुओं, बिजली, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस और कंस्‍ट्रक्‍शन से जुड़ी चीजों की कीमतों में वृद्धि के चलते महंगाई बढ़ गई है.

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Tuesday, 14 May, 2024
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खाद्य पदार्थों की कीमतों में हो रही लगातार बढ़ोतरी समेत दूसरी चीजों के दाम बढ़ने से थोक महंगाई दर में इजाफा हुआ है. वाणिज्य मंत्रालय की ओर से मंगलवार को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल में इसमें 1.26 फीसद का उछाल देखने को मिला है. ये 13 महीने के उच्‍चतम स्‍तर पर पहुंच गई है, जबकि मार्च में महंगाई दर 0.53 प्रतिशत बढ़ी थी. प्‍याज की आपूर्ति में कमी आ सकती है.

थोक महंगाई 13 महीने के सबसे उच्‍चतर स्‍तर पर

कॉमर्स मिनिस्‍ट्री का कहना है कि मैन्‍युफैक्‍चरिंग प्रोडक्‍ट के दाम भी बढ़े हैं. इन्हीं कारणों के चलते थोक महंगाई 13 महीने के सबसे उच्‍चतर स्‍तर पर पहुंच गई. इससे पहले साल 2023 के मार्च महीने में थोक महंगाई की दर 1.34% दर्ज की गई थी. थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल 2023 में 0.79 प्रतिशत और मार्च 2024 में 0.53 प्रतिशत थी.

WPI का आम आदमी पर असर

थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहने से ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर पर इसका बुरा असर पड़ता है. अगर थोक मूल्य बहुत ज्यादा समय तक ऊंचे स्तर पर रहता है, तो प्रोड्यूसर इसका बोझ कंज्यूमर्स पर डाल देते हैं. सरकार केवल टैक्स के जरिए WPI को कंट्रोल कर सकती है. जैसे कच्चे तेल में तेज बढ़ोतरी की स्थिति में सरकार ने ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी कटौती की थी. हालांकि, सरकार टैक्स कटौती एक सीमा में ही कम कर सकती है. WPI में ज्यादा वेटेज मेटल, केमिकल, प्लास्टिक, रबर जैसे फैक्ट्री से जुड़े सामानों का होता है.

कैसे मापी जाती है महंगाई?

भारत में दो तरह की महंगाई होती है. एक रिटेल, यानी खुदरा और दूसरी थोक महंगाई होती है. रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है. इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते हैं. वहीं, होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) का अर्थ उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है. महंगाई मापने के लिए अलग-अलग आइटम्स को शामिल किया जाता है. जैसे थोक महंगाई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 63.75%, प्राइमरी आर्टिकल जैसे फूड 20.02% और फ्यूल एंड पावर 14.23% होती है. वहीं, रिटेल महंगाई में फूड और प्रोडक्ट की भागीदारी 45.86%, हाउसिंग की 10.07% और फ्यूल सहित अन्य आइटम्स की भी भागीदारी होती है.

रिटेल महंगाई में आई गिरावट

इससे पहले अप्रैल में खुदरा महंगाई (रिटेल इन्फ्लेशन) दर 11 महीने में सबसे कम रही. अप्रैल में यह घटकर 4.83% पर आ गई है. जून 2023 में यह 4.81% थी. हालांकि अप्रैल में खाने-पीने की चीजें महंगी हुई हैं. नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस ने सोमवार 14 मई को ये आंकड़े जारी किए थे. वहीं एक महीने पहले यानी मार्च 2024 में महंगाई की दर 4.85% रही थी. खाद्य महंगाई दर 8.52% से बढ़कर 8.78% पर पहुंच गई है. ग्रामीण महंगाई दर 5.45% से घटकर 5.43% आ गई और शहरी महंगाई दर 4.14% से घटकर 4.11% पर आ गई है.
 


भारत में AI पर खर्च 3 गुना बढ़ा, 2027 तक हो सकता है 500 करोड़ रुपये का निवेश

देश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर खर्च 2027 तक 3 गुना बढ़ाकर 500 करोड़ हो सकता है. भारत तीसरा सबसे बड़ा ग्लोबल बाजार है.

Last Modified:
Tuesday, 14 May, 2024
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देश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में निवेश बढ़ाने की तैयारी में है. भारत में एआई पर हर साल तेजी के खर्च हो रहा है. जानकारी के अनुरसार 2027 तक एआई पर खर्च 3 गुना बढ़ाकर 500 करोड़ होने की उम्मीद है. 2023 में भारत ने 170.38 करोड़ अमेरिकी डॉलर खर्च किए हैं.

हर साल 25 से 35 प्रतिशत बढ़ रहा एआई बाजार
भारत का एआई बाजार हर साल 25 से 35 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है और इसके 2027 तक 500 करोड़ रुपये (5 अरब डॉलर) तक पहुंचने का अनुमान है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह ग्रोथ उद्यम प्रौद्योगिकी (enterprise technology) खर्च में बढ़ोतरी, भारत के बढ़ते एआई प्रतिभा आधार और एआई निवेश में उल्लेखनीय बढ़ोतरी सहित कई कारकों से प्रेरित है. रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में एआई पर खर्च 2027 तक 500 करोड़ हो सकता है. भारत में विभिन्न संस्थाओं ने 2023 में एआई पर 170.38 करोड़ अमेरिकी डॉलर खर्च किए हैं.

2027 तक हर जगह मौजूद होगा AI 
जानकारी के अनुसार भारत में एआई खर्च 2023 से 2027 के बीच 31.5 प्रतिशत की सीएजीआर के साथ 500 करोड़ तक बढ़ने की उम्मीद है. 2027 तक एआई हर जगह मौजूद होगा. 2023 में एआई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोविजनिंग और संबंधित सॉफ्टवेयर द्वारा 20.9 करोड़ अमेरिकी डॉलर का बड़ा खर्च किया गया. कुल खर्च में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोविजनिंग सबसे बड़ा योगदानकर्ता बना रहेगा.

भारत में प्रोड्यूस होता है दुनिया का करीब 20 प्रतिशत डेटा
भारत एआई के लिए पूरी तरह से तैयार है, क्योंकि दुनिया का करीब 20 प्रतिशत डेटा भारत में ही उत्पादित होता है. यह तीसरा सबसे बड़ा वैश्विक बाजार है. प्रौद्योगिकी कौशल उपलब्धता के मामले में भारत विश्व स्तर पर अग्रणी है.

अपने सेगमेंट का विस्तार कर रही हैं कंपनियां
भारत की टेक कंपनियां जेनरेटिव एआई के आगमन के साथ, एआई-संचालित एनालिटिक्स, इंटेलिजेंट ऑटोमेशन और व्यक्तिगत ग्राह चर्चा को शामिल करने के लिए पारंपरिक आईटी और बिजनेस प्रोसेस प्रबंधन से परे अपने सेगमेंट का विस्तार कर रही हैं. कंपनियां सिर्फ एआई को नहीं अपना रही हैं, वे अपनी सेवा पेशकशों को फिर से परिभाषित कर रही हैं. अपने ग्राहकों के लिए अधिक मूल्य बना रही हैं और नए उद्योग मानक स्थापित कर रही हैं.

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