JLR की तिमाही सेल ने Tata Motors के शेयरों पर लगाए पंख, यहां तक जा सकता है स्‍टॉक 

कंपनी के सेल के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि दूसरी तिमाही से इस तीसरी तिमाही में उसमें ग्रोथ देखने को मिली है. 

Last Modified:
Tuesday, 09 January, 2024
JLR

TATA Motors की सब्सिडियरी कंपनी JLR (Jaguar And Land Rover) की सेल के तिमाही आंकड़े जारी होने के बाद टाटा मोटर्स के शेयरों को लेकर एक्‍सपर्ट नए अनुमान जता रहे हैं. कंपनी ने इस तिमाही में जबरदस्‍त थोक बिक्री करते हुए 101043 कारों को सेल करने का दावा किया है. अगर देखा जाए तो ये सालाना आधार पर 27 प्रतिशत की ग्रोथ है. यही नहीं कंपनी ने पिछले 11 तिमाही में सबसे ज्‍यादा सेल दर्ज की है. 

कंपनी के प्रोडक्‍ट की बाजार में बनी हुई है बड़ी डिमांड
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, टाटा मोटर्स की ऑर्डर बुक में JLR प्रोडक्‍ट की बड़ी मांग बनी हुई है. कंपनी के पास तीसरी तिमाही के अंत में 1,48,000 क्‍लाइंट के ऑर्डर मौजूद हैं. जबकि दूसरी तिमाही के नतीजों को देखें तो कंपनी के पास उस वक्‍त 168000 ऑर्डर मौजूद थे. लेकिन इस बार के आंकड़े बता रहे हैं कि कंपनी ग्राहकों को ज्‍यादा वाहनों की डिलीवरी देने में कामयाब रही है. जिन कारों की मांग इस तिमाही में भी सबसे ज्‍यादा देखने को मिल रही है उनमें रेंज रोवर, रेंज रोवर स्‍पोर्ट और डिफेंडर जैसी कारें शामिल हैं. 

क्‍या कह रहे हैं एक्‍सपर्ट? 
जानकारों का कहना है कि JLR में मजबूत सुधार आने वाले दिनों में भी स्‍वस्‍थ रहेगा. टाटा मोटर्स की पैसेंजर व्‍हीकल सेल और कमर्शियल व्‍हीकल सेल आने वाले साल में सामान्‍य रहने की उम्‍मीद है. जबकि ग्‍लोबल पैसेंजर  डिमांड से JLR की सेल को सपोर्ट मिलता रहेगा. जानकारों का ये भी कहना है कि स्‍ट्रांग ऑर्डर बुक के कारण भी सेल को सपोर्ट मिलता रहेगा. 

किस कार की बिकी कितनी यूनिट 
बिक्री के आंकड़े बता रहे हैं कि रेंज रोवर स्‍पोर्ट की 16921 यूनिट बिकी हैं ये 49 प्रतिशत ज्‍यादा है, जबकि रेंज रोवर की होलसेल बिक्री 18843 यूनिट रही जो कि 12 प्रतिशत ज्‍यादा है. वहीं अगर डिफेंडर के आंकड़ों पर नजर डालें तो ये 14 प्रतिशत ग्रोथ के साथ 27117 पर रही है. वहीं जेएलआर का इस वित्‍तीय वर्ष में होलसेल  बिक्री का आंकड़ा 291113 पर रहा है, जो कि पिछले साल से 28 प्रतिशत ज्‍यादा है. 

TATA MOTORS के शेयर्स की रही है कैसी परफॉरर्मेंस 
वहीं अगर टाटा मोटर्स के शेयर की स्थिति पर नजर डालें तो पिछले एक महीने में इसमें 9.48 प्रतिशत की ग्रोथ देखने को मिली है. जबकि पिछले एक साल में इसमें 102 प्रतिशत ग्रोथ देखने को मिली है. जानकार ये भी कह रहे हैं कि स्‍टॉक इस साल में 18 प्रतिशत तक ग्रोथ कर सकता है. जबकि 15.9 प्रतिशत की ग्रोथ ये FY25 में कर सकता है. जानकारों ने इस स्‍टॉक को BUY रेटिंग दी है. 

यह भी पढ़ें: नए साल की शुरुआत में Flipkart से आई ये बुरी खबर, कंपनी उठा सकती है बड़ा कदम

नोट : शेयर बाजार जोखिमों के अधीन है इसलिए वहां सोच समझकर निवेश करें. BW Hindi एक्‍सपर्ट के आधार पर न्‍यूज पब्लिश करता है, हमारी खबर का किसी तरह की सलाह से कोई संबंध नहीं है. निवेश करने से पहले विशेषज्ञ से संपर्क जरूर करें. 
 


13 महीने के उच्‍च स्‍तर पर पहुंची थोक महंगाई, खाने-पीने की चीजों ने बिगाड़ा बजट

आंकड़ों के अनुसार अप्रैल, 2024 में खाद्य वस्तुओं, बिजली, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस और कंस्‍ट्रक्‍शन से जुड़ी चीजों की कीमतों में वृद्धि के चलते महंगाई बढ़ गई है.

Last Modified:
Tuesday, 14 May, 2024
BWHindia

खाद्य पदार्थों की कीमतों में हो रही लगातार बढ़ोतरी समेत दूसरी चीजों के दाम बढ़ने से थोक महंगाई दर में इजाफा हुआ है. वाणिज्य मंत्रालय की ओर से मंगलवार को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल में इसमें 1.26 फीसद का उछाल देखने को मिला है. ये 13 महीने के उच्‍चतम स्‍तर पर पहुंच गई है, जबकि मार्च में महंगाई दर 0.53 प्रतिशत बढ़ी थी. प्‍याज की आपूर्ति में कमी आ सकती है.

थोक महंगाई 13 महीने के सबसे उच्‍चतर स्‍तर पर

कॉमर्स मिनिस्‍ट्री का कहना है कि मैन्‍युफैक्‍चरिंग प्रोडक्‍ट के दाम भी बढ़े हैं. इन्हीं कारणों के चलते थोक महंगाई 13 महीने के सबसे उच्‍चतर स्‍तर पर पहुंच गई. इससे पहले साल 2023 के मार्च महीने में थोक महंगाई की दर 1.34% दर्ज की गई थी. थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल 2023 में 0.79 प्रतिशत और मार्च 2024 में 0.53 प्रतिशत थी.

WPI का आम आदमी पर असर

थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहने से ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर पर इसका बुरा असर पड़ता है. अगर थोक मूल्य बहुत ज्यादा समय तक ऊंचे स्तर पर रहता है, तो प्रोड्यूसर इसका बोझ कंज्यूमर्स पर डाल देते हैं. सरकार केवल टैक्स के जरिए WPI को कंट्रोल कर सकती है. जैसे कच्चे तेल में तेज बढ़ोतरी की स्थिति में सरकार ने ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी कटौती की थी. हालांकि, सरकार टैक्स कटौती एक सीमा में ही कम कर सकती है. WPI में ज्यादा वेटेज मेटल, केमिकल, प्लास्टिक, रबर जैसे फैक्ट्री से जुड़े सामानों का होता है.

कैसे मापी जाती है महंगाई?

भारत में दो तरह की महंगाई होती है. एक रिटेल, यानी खुदरा और दूसरी थोक महंगाई होती है. रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है. इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते हैं. वहीं, होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) का अर्थ उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है. महंगाई मापने के लिए अलग-अलग आइटम्स को शामिल किया जाता है. जैसे थोक महंगाई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 63.75%, प्राइमरी आर्टिकल जैसे फूड 20.02% और फ्यूल एंड पावर 14.23% होती है. वहीं, रिटेल महंगाई में फूड और प्रोडक्ट की भागीदारी 45.86%, हाउसिंग की 10.07% और फ्यूल सहित अन्य आइटम्स की भी भागीदारी होती है.

रिटेल महंगाई में आई गिरावट

इससे पहले अप्रैल में खुदरा महंगाई (रिटेल इन्फ्लेशन) दर 11 महीने में सबसे कम रही. अप्रैल में यह घटकर 4.83% पर आ गई है. जून 2023 में यह 4.81% थी. हालांकि अप्रैल में खाने-पीने की चीजें महंगी हुई हैं. नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस ने सोमवार 14 मई को ये आंकड़े जारी किए थे. वहीं एक महीने पहले यानी मार्च 2024 में महंगाई की दर 4.85% रही थी. खाद्य महंगाई दर 8.52% से बढ़कर 8.78% पर पहुंच गई है. ग्रामीण महंगाई दर 5.45% से घटकर 5.43% आ गई और शहरी महंगाई दर 4.14% से घटकर 4.11% पर आ गई है.
 


भारत में AI पर खर्च 3 गुना बढ़ा, 2027 तक हो सकता है 500 करोड़ रुपये का निवेश

देश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर खर्च 2027 तक 3 गुना बढ़ाकर 500 करोड़ हो सकता है. भारत तीसरा सबसे बड़ा ग्लोबल बाजार है.

Last Modified:
Tuesday, 14 May, 2024
BWHindia

देश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में निवेश बढ़ाने की तैयारी में है. भारत में एआई पर हर साल तेजी के खर्च हो रहा है. जानकारी के अनुरसार 2027 तक एआई पर खर्च 3 गुना बढ़ाकर 500 करोड़ होने की उम्मीद है. 2023 में भारत ने 170.38 करोड़ अमेरिकी डॉलर खर्च किए हैं.

हर साल 25 से 35 प्रतिशत बढ़ रहा एआई बाजार
भारत का एआई बाजार हर साल 25 से 35 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है और इसके 2027 तक 500 करोड़ रुपये (5 अरब डॉलर) तक पहुंचने का अनुमान है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह ग्रोथ उद्यम प्रौद्योगिकी (enterprise technology) खर्च में बढ़ोतरी, भारत के बढ़ते एआई प्रतिभा आधार और एआई निवेश में उल्लेखनीय बढ़ोतरी सहित कई कारकों से प्रेरित है. रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में एआई पर खर्च 2027 तक 500 करोड़ हो सकता है. भारत में विभिन्न संस्थाओं ने 2023 में एआई पर 170.38 करोड़ अमेरिकी डॉलर खर्च किए हैं.

2027 तक हर जगह मौजूद होगा AI 
जानकारी के अनुसार भारत में एआई खर्च 2023 से 2027 के बीच 31.5 प्रतिशत की सीएजीआर के साथ 500 करोड़ तक बढ़ने की उम्मीद है. 2027 तक एआई हर जगह मौजूद होगा. 2023 में एआई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोविजनिंग और संबंधित सॉफ्टवेयर द्वारा 20.9 करोड़ अमेरिकी डॉलर का बड़ा खर्च किया गया. कुल खर्च में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोविजनिंग सबसे बड़ा योगदानकर्ता बना रहेगा.

भारत में प्रोड्यूस होता है दुनिया का करीब 20 प्रतिशत डेटा
भारत एआई के लिए पूरी तरह से तैयार है, क्योंकि दुनिया का करीब 20 प्रतिशत डेटा भारत में ही उत्पादित होता है. यह तीसरा सबसे बड़ा वैश्विक बाजार है. प्रौद्योगिकी कौशल उपलब्धता के मामले में भारत विश्व स्तर पर अग्रणी है.

अपने सेगमेंट का विस्तार कर रही हैं कंपनियां
भारत की टेक कंपनियां जेनरेटिव एआई के आगमन के साथ, एआई-संचालित एनालिटिक्स, इंटेलिजेंट ऑटोमेशन और व्यक्तिगत ग्राह चर्चा को शामिल करने के लिए पारंपरिक आईटी और बिजनेस प्रोसेस प्रबंधन से परे अपने सेगमेंट का विस्तार कर रही हैं. कंपनियां सिर्फ एआई को नहीं अपना रही हैं, वे अपनी सेवा पेशकशों को फिर से परिभाषित कर रही हैं. अपने ग्राहकों के लिए अधिक मूल्य बना रही हैं और नए उद्योग मानक स्थापित कर रही हैं.

इसे भी पढ़ें-Clover Infotech ने हर्ष जैन को सौंपी CFO की कमान, कॉर्पोरेट फाइनेंस में है इनकी विशेषज्ञता


घर की सजावट करने के लिए चाहिए लोन, ये Finance Company लाई है 'द कम्प्लीट होम लोन'

कंपनी ने अपने इस विज्ञापन की सीरिज में 'Kum Nahi, Complete’ टैगलाइन के साथ प्रमुख पेशकश को प्रदर्शित करने वाले तीन टीवी विज्ञापन भी पेश किए हैं.

Last Modified:
Tuesday, 14 May, 2024
BWHindia

देश की प्रमुख रिटेल फाइनेंशियल सेवाओं में शामिल एल एंड टी फाइनेंस लिमिटेड (एलटीएफ -LTF) ने दिल्ली के ग्राहकों के लिए 'द कम्प्लीट होम लोन' लॉन्च किया है, जिसमें उन्हें अपना घर खरीदने का सपना पूरा करने के लिए सभी जरूरी सहायता मिलेगी. 'द कम्प्लीट होम लोन' में होम डेकोर फाइनेंस की सुविधा है, जो ग्राहकों को एक समर्पित रिलेशनशिप मैनेजर के साथ डिजिटल प्रक्रिया के माध्यम से पेश किया जाता है.

आखिर क्‍या है कंपनी की इस स्‍कीम का लक्ष्‍य 
होम डेकोर फाइनेंस का लक्ष्य रहने की आरामदायक जगह के लिए फर्निशिंग (साज सज्जा) के सामान खरीदने में आसान सुविधा प्रदान करना है. डिजिटल प्रक्रिया के चलते लोन पाने की पूरी यात्रा और ज्यादा आसान हो जाती है. वहीं, ग्राहक की सुविधा को ध्‍यान में रखते हुए फाइनेंस कंपनी ने एक डेडीकेटेड रिलेशनशिप मैनेजर की व्‍यवस्‍था की है जो एक सहज और बेहतर अनुभव के साथ लोन की प्रक्रिया के दौरान ग्राहक के लिए संपर्क बिंदु के रूप में कार्य करता है, जिससे ग्राहकों को पूरी तरह से संतुष्टि मिलती है.

फाइनेंस कंपनी ने लॉन्‍च किए हैं तीन विज्ञापन 
अपनी नवीनतम पेशकश को बढ़ावा देने के लिए, कंपनी ने तीन नए टीवी विज्ञापनों का भी खुलासा किया है. ये विज्ञापन टैगलाइन, 'Kum Nahi, Complete’ के साथ समझदारी से हास्य और संबंधित स्थितियों का मिश्रण करते हैं. पहला टीवी विज्ञापन 'होम डेकोर फाइनेंस' पेश करता है, जबकि दूसरा और तीसरा 'डिजिटल प्रक्रिया' और 'रिलेशनशिप मैनेजर' से होने वाले लाभ को दिखाते हैं.

ये भी पढ़ें: अब आपके शहर में और बढ़ेगी एयर कनेक्टिविटी, इंडिगो उठाने जा रही है ये कदम

इस मौके पर क्‍या बोले एलटीएफ के एमडी और सीईओ? 
इस सर्विस के लॉन्च पर एलटीएफ के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ सुदीप्ता रॉय ने कहा कि हमारे ग्राहकों की लगातार बढ़ती जरूरतों के अनुसार, हमें 'द कम्प्लीट होम लोन' की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है. यह हमारे द्वारा संचालित एक गतिशील ग्राहक केंद्रित पेशकश है, जो इनोवेशन के प्रति प्रतिबद्धता और ग्राहकों की जरूरतों के अनुसार काम करने पर ध्यान केंद्रित करती है.

जमीनी स्तर पर सावधानीपूर्वक रिसर्च के माध्यम से, हमने ग्राहकों की उन जरूरतों की पहचान की, जो अधूरी हैं. इससे  होम लोन के लिए वन-स्टॉप सॉल्यूशन पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिली. यह नई पेशकश बाजार में फाइनेंसिंग के लिए प्रमुख समाधान प्रदान करने के साथ ही हमारे मूल्यवान ग्राहकों, भागीदारों व हितधारकों के लिए मूल्य स्‍थापित करने पर हमारे निरंतर फोकस का एक प्रमाण है. हमारे नए टीवी विज्ञापनों का उद्देश्य ब्रैंड की दृश्यता को बढ़ाना और हमारी पेशकश को प्रभावी ढंग से ग्राहकों तक पहुंचाना है. हमें भरोसा है कि वे दर्शकों को पसंद आएंगे, जिससे होम लोन अधिक आसान हो जाएगा.

क्‍या बोले कंपनी के चीफ ए‍क्‍जीक्‍यूटिव?  
एलटीएफ में चीफ एक्‍जीक्‍यूटिव - अर्बन फाइनेंस, संजय गरियाली ने कहा कि दिल्ली हमारे लिए एक प्रमुख बाजार है, और 'द कम्प्लीट होम लोन' के लॉन्च के माध्यम से, हम मुख्य रूप से नए घर खरीदारों को टारगेट कर रहे हैं, जो तैयार संपत्तियों (तैयार घरों) या अंडर कंस्‍ट्रक्‍शन (निर्माण किए जा रहे घरों) के लिए होम लोन की तलाश कर रहे हैं. ग्राहकों की जरूरतों को समझकर, हमें रिसर्च के आधार पर डिजाइन किए गए 'द कम्प्लीट होम लोन' पेश करने पर गर्व है, जिसका उद्देश्य ग्राहकों को बेहतर समाधान प्रदान करना है. इसमें पहले बताई गई विशेषताओं के अलावा , पेपरलेस प्रोसेसिंग, बिना किसी परेशानी के डॉक्युमेंटेशन (दस्तावेजीकरण) और सबसे अच्छे सेवा मानक और आकर्षक ब्याज दरों जैसी विशेषताएं इस पेशकश को बहुत खास बना देती हैं. 


क्या सट्टा बाजार और शेयर मार्केट चुनाव के रुझान को प्रभावित कर रहे हैं? रिपोर्ट में जानिए

2019 के चुनावों की तुलना में 2024 के लिए मतदान प्रतिशत कम था, आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि यह वास्तव में स्वतंत्रता के बाद से भारत के चुनावी इतिहास में सबसे अधिक है.

Last Modified:
Tuesday, 14 May, 2024
BWHindia

पिछले दो हफ्तों से सट्टा बाज़ार के रुझान शेयर बाज़ार की चाल को काफ़ी हद तक प्रभावित कर रहे हैं. सट्टा बाज़ार के अनुसार, मार्च में मतदान के पहले चरण से पहले, भाजपा अकेले 338 सीटें जीत रही थी. लेकिन जैसे-जैसे मतदान का 5वां चरण नज़दीक आ रहा है, सट्टा बाज़ार ने भाजपा की सीटों की संख्या घटाकर 290 कर दी है, जो दर्शाता है कि मोदी लहर जिसने भाजपा को सत्ता में पहुंचाया था, वह कमज़ोर पड़ रही है. 290 के साथ भाजपा अभी भी बहुमत के आकड़े से ऊपर है, लेकिन शेयर बाज़ार के निवेशकों ने कई तरह के परिदृश्यों की कल्पना करना शुरू कर दिया है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुर्सी चली जाना और भारतीय रुपये में तेज़ गिरावट शामिल है अगर भाजपा की सीटों की संख्या 272 के निशान से थोड़ी भी कम रह गई.  

सट्टेबाजों का भाजपा को कम सीटें मिलने का यह अनुमान इस तथ्य पर आधारित है कि 2019 की तुलना में 2024 में मतदान प्रतिशत कम रहा. इस तरह के अनुमानों के कारण बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी में 3 मई को अपने सर्वकालिक उच्च स्तर 22794 से लगभग 1000 अंकों की गिरावट आई है. केवल 10 दिनों में, निफ्टी इंडेक्स ने 13 मई को 21,821 का निचला स्तर छुआ. इंडेक्स को छोड़कर, PSU कंपनियों के कई शेयरों में 20 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है. साथ ही, पीएम मोदी के करीबी माने जाने वाले समूह अडानी एंटरप्राइजेज के शेयर की कीमत पिछले कुछ दिनों में 10 प्रतिशत से अधिक गिर गई है. लेकिन क्या शेयर बाजार और सट्टेबाज रुझानों को गलत तरीके से समझ रहे हैं? शेयर बाजार और सट्टा बाजार में आखिर ऐसी निराशा की क्या वजह है?

आंकड़ों का खेल 

पिछले दो चुनावों और हाल ही में संपन्न हुए 2023 के राज्य चुनावों को देखते हुए, जहां भाजपा ने चार में से तीन विधानसभा चुनाव जीते, इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत में जनता राहुल गांधी और क्षेत्रीय दलों की तुलना में पीएम मोदी से अधिक प्रभावित है, जिन्हें पिछले 10 वर्षों में चुनावों के बाद अधिकांश जनता ने नकार दिया है. तो फिर इस बार बाजारों में डर और घबराहट क्यों पैदा हो रही है?

राष्ट्रीय चुनावों के पहले चार चरणों में कम मतदान ही एकमात्र कारण है, जिसके आधार पर सट्टेबाज भावनाओं को खराब करने का प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि इससे संकेत मिलता है कि पीएम मोदी और भाजपा को हिंदू कमोडिटी मतदाताओं से कम वोट शेयर मिलेगा, जिनके बारे में माना जाता है कि वे 2019 की तुलना में अधिक संख्या में मतदान नहीं करेंगे. जबकि कांग्रेस और अन्य दलों के लिए अनुमान यह है कि वे इस बार वोट शेयर में बढ़ोतरी करेंगे, क्योंकि उनका मतदाता आधार, जिसे बड़े पैमाने पर मुस्लिम समुदाय माना जाता है, कभी भी मतदान नहीं छोड़ता है और बड़ी संख्या में मतदान करता है.

ऊपर बताए गए अनुमान की तरह अकेले ही बड़े शेयर बाजार निवेशकों और सट्टेबाजों में चिंता पैदा हो रही है, जो अपनी पोजीशन कम कर रहे हैं, जिससे निफ्टी इंडेक्स और शेयरों में गिरावट आ रही है. विदेशी निवेशक और भारत के  HNI दोनों ही भाजपा को कम सीटें मिलने की स्थिति में निफ्टी में गिरावट और रुपये के गिरने का परिणाम हैं. ऐसा अनुमान है कि अगर भाजपा 300 सीटें जीतती है तो मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने रहेंगे और बाजार में तेजी आएगी, लेकिन अगर पार्टी बहुमत के आंकड़े से पीछे रह जाती है और उसे सहयोगियों से समर्थन लेना पड़ता है, तो प्रधानमंत्री मोदी को किनारे कर दिया जाएगा और बाजार व रुपये में तेज गिरावट आएगी.

डर फैलाने और जोड़-तोड़ करने वाले क्या छिपा रहे हैं? 

फाइनेंशियल मार्केट एक्सपर्ट और पूर्व फंड मैनेजर अजय बग्गा कहते हैं कि पहले चार चरणों में अब तक के रुझान को देखते हुए, 2019 में 60 करोड़ मतदाताओं की तुलना में 2024 में 63 करोड़ मतदाता वोट डालेंगे. संख्या वास्तव में अधिक हो सकती है क्योंकि मतदान के अंतिम तीन चरण उन राज्यों में हैं जो भाजपा का गढ़ हैं. 2019 में मात्र 37 प्रतिशत वोट शेयर से भाजपा को 303 सीटें मिलीं. मतदाताओं की संख्या बढ़ने की संभावना के साथ, भाजपा का वोट शेयर भी बढ़ जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप अधिक सीटें मिलेंगी.

प्रतिशत के लिहाज से इस बार मतदान प्रतिशत 2019 के मुकाबले कम दिख रहा है क्योंकि मतदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. 2019 में 91 करोड़ मतदाता थे लेकिन तुलनात्मक रूप से 2024 में 98 करोड़ मतदाता हैं, इसलिए स्वाभाविक रूप से प्रतिशत के लिहाज से इस बार मतदान प्रतिशत 2019 के मुकाबले कम दिख रहा है. 2019 में 67 प्रतिशत मतदाता वोट डालने निकले थे जो घटकर 63 प्रतिशत या 64 प्रतिशत रह जाने की संभावना है. लेकिन कुल संख्या के लिहाज से 2019 के मुकाबले वोट डालने वाले मतदाताओं की संख्या में कम से कम 5-7 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने की संभावना है. इसलिए, यह मानकर चलें कि कम मतदान से प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा को नुकसान होगा, यदि अधिक संख्या में मतदाता वोटिंग के लिए निकलेंगे तो इससे सत्तारूढ़ पार्टी और प्रधानमंत्री को भारी जीत मिलेगी.

अजय बग्गा ने इसके साथ ही कहा कि 98 करोड़ मतदाताओं और 63 करोड़ वोटों की संभावित संख्या के इस विशाल पैमाने पर, कोई भी सर्वेक्षण सटीक होने का दावा नहीं कर सकता. इसमें सोशल मीडिया का प्रभाव भी शामिल है, जिसे बॉट्स और टूल किट के साथ हेरफेर किया जाता है. इससे मूड और नब्ज को सही ढंग से समझना बहुत मुश्किल हो जाता है, खासकर तब जब कोई व्यापक लहर न हो. बहुत सारे शोध बताते हैं कि मतदान परिणाम का सटीक पूर्वानुमान नहीं है. उस परिप्रेक्ष्य में, मतदान प्रतिशत के आधार पर भारी जीत के दावे भम्र पैदा कर रहे हैं.

कैसे काम करता है हेरफेर?

सूत्रों का कहना है कि सट्टा बाजार में, सट्टेबाजों को भाजपा की सीटों की संख्या को कम करके जो भी नुकसान हो रहा था, वे शेयर बाजारों में शॉर्ट करके उसे कवर कर रहे थे. यह विपक्षी दलों के करीबी बड़े सट्टेबाजों के लिए एक बेहतरीन बचाव है, क्योंकि उन्होंने भावनाओं को खराब करके शेयर बाजारों में जीत हासिल की है, जिसके कारण निफ्टी इंडेक्स और कई अन्य शेयरों में लगभग 1000 अंकों की गिरावट आई है, जबकि वैश्विक बाजार स्थिर हैं जो लंबे समय तक टूट रहे थे. पांचवें चरण के मतदान के बाद, जब 20 मई को 538 में से लगभग 450 सीटों के लिए मतदान होगा, तो सट्टा बाजार का रुझान उलट सकता है क्योंकि जिन लोगों ने भाजपा को शॉर्ट किया था, वे प्रतिशत के हिसाब से नहीं बल्कि मतदान की संख्या को देखते हुए कवर करने के लिए वापस आएंगे.

बाजार की स्थिति

स्ट्राइक मनी एनालिटिक्स और इंडियाचार्ट्स के संस्थापक रोहित श्रीवास्तव ने कहा कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की स्थिति में बाजार में अत्यधिक बिकवाली हो रही है. लेकिन बाजार 21,800 के निकट एक डबल बॉटम बना सकता है, जो आगे एक तेजी का संकेत दे रहा है और चुनावों से पहले निफ्टी के 22800 के उच्च स्तर दोबारा छूने की संभावना है. 
 
NSE द्वारा इंडेक्स कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए लॉट साइज के हालिया संशोधन के आंकड़ों के अनुसार, 13 मई तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारतीय शेयर बाजारों में इंडेक्स डेरिवेटिव सेगमेंट में 158874 कॉन्ट्रैक्ट्स के बराबर नेट इंडेक्स शॉर्ट पोजीशन होल्ड कर रहे हैं. घरेलू ट्रेडर्स जो मुख्य रूप से हाई नेट वर्थ वाले खिलाड़ी हैं, जिन्होंने कोविड के बाद से बाजारों में बाजार की चाल को सही तरीके से समझा है वो 230074 कॉन्ट्रैक्ट्स के बराबर नेट लॉन्ग पोजीशन होल्ड कर रहे हैं. अप्रैल 2020 में कोविड के दौरान, घरेलू ट्रेडर्स इंडेक्स में 288132 के बराबर नेट लॉन्ग पोजीशन होल्ड कर रहे थे. हाल ही में, जब निफ्टी इंडेक्स अक्टूबर 2023 में निचले स्तर पर पहुंचा और वहां से तेजी से बढ़ा, तब भी घरेलू सट्टेबाज 292822 कॉन्ट्रैक्ट्स के बराबर नेट लॉन्ग पोजीशन होल्ड कर रहे थे जिससे यह पता चलता है कि हवा किस तरफ बह रही है.

एफपीआई का हाल

सूत्रों का कहना है कि प्रमुख एफपीआई और विदेशी बैंकों ने अपने ग्राहकों के लिए कुछ परिदृश्य तैयार किए हैं, जिसके अनुसार अगर भाजपा 272 के बहुमत के आंकड़े से पीछे रह जाती है तो बाजार में और रुपये में गिरावट आ सकती है. उस स्थिति में, मोदी भारत के प्रधानमंत्री नहीं रह सकते हैं और कई अन्य लोग अपना दावा पेश करने के लिए आगे आ सकते हैं. अगर भाजपा कम से कम 290 सीटें जीतती है, जैसा कि सट्टा बाजार भविष्यवाणी कर रहा है, तो बाजार में ज्यादा गिरावट नहीं आएगी, लेकिन विपक्ष के मजबूत होने के कारण तेजी की संभावना नहीं है. भाजपा के लिए 300 से अधिक सीटें बजट सत्र तक बाजार में तेजी का कारण बनेंगी, जो चुनाव के बाद कुछ महीनों से भी कम समय में पेश होगा.
 


अब आपके शहर में और बढ़ेगी एयर कनेक्टिविटी, इंडिगो उठाने जा रही है ये कदम

इंडिगो पिछले जून में 500 विमानों का ऑर्डर देकर इतिहास रच चुकी है. कंपनी मौजूदा समय में देश की नंबर वन कंपनी है और उसके पास 60 प्रतिशत हिस्‍सेदारी है. 

Last Modified:
Tuesday, 14 May, 2024
BWHindia

केन्‍द्र सरकार ने उड़ान योजना के तहत छोटे शहरों में एयरपोर्ट तो बना दिए लेकिन वहां कनेक्टिविटी को लेकर अक्‍सर शिकायत रहती है. लेकिन अब इंडिगो कंपनी ऐसा कदम उठाने जा रही है जिससे छोटे शहरों की कनेक्टिविटी को और बढ जाएगी. देश की नंबर वन एयरलाइन कंपनी इंडिगो अपने बेड़े में 100 और विमानों का जोड़ने की योजना बना रही है. कंपनी जल्‍द ही छोटे विमानों का ऑर्डर दे सकती है जिससे छोटे शहरों तक कनेक्टिविटी बढ़ाया जा सके. 

100 विमानों का ऑर्डर दे सकती है कंपनी 
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, डिगो घरेलू रूटों पर अपनी कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए जिन 100 विमानों का ऑर्डर दे सकती है उसमें 78 सीटर 45 एटीआर-72 विमान शामिल हैं, और कंपनी को इस साल के अंत तक पांच ऐसे विमान मिलने वाले हैं. इसके बाद कंपनी के पास विमानों की संख्‍या 47 हो जाएगी. लेकिन छोटे शहरों तक कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए कंपनी एटीआर से सौदा कर सकती है. लेकिन एम्‍ब्रेयर और एयरबस पहले से ही इस रेस में मौजूद हैं. 

ये भी पढ़ें: भ्रामक विज्ञापन मामले में IMA को फटकार और बाबा रामदेव को मिली ये राहत,फैसला हुआ सुरक्षित

छोटे शहरों तक पहुंचने की कर रही है कोशिश 
इंडिगो देश की सबसे बड़ी विमान कंपनी है जिसके पास इस सेक्‍टर की 60 प्रतिशत हिस्‍सेदारी है. देश के बड़े शहरों से लेकर विदेशों में यात्रा करवाने वाली इंडिगो लगातार छोटे शहरों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है. लेकिन देश में कई रूट्स ऐसे हैं जिनमें 180 सीटों वाले विमानों की जरूरत नहीं है. छोटे शहरों के इन एयरपोर्ट का भूगोल कुछ ऐसा है कि कंपनी को यहां छोटे विमानों की जरूरत है. ऐसे में कंपनी अब यहां अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए छोटे विमानों का ऑर्डर देने की तैयारी कर रही है. 

इससे पहले 500 विमानों का दे चुकी है ऑर्डर 
इंडिगो पिछले साल जून में 500 विमानों का ऑर्डर दे चुकी है. कंपनी मौजूदा समय में 300 विमानों का संचालन कर रही है. जबकि उसके पास कुल 480 विमानों के पिछले ऑर्डर भी हैं. लेकिन 500 विमानों के ऑर्डर के साथ कंपनी की विमान क्षमता 1000 तक जा पहुंची है. इंडिगो ने 500 विमानों में जिस कैटेगिरी के विमानों का ऑर्डर दिया है उनमें A320 NEO, A 321 NEO, A 321 XLR जैसे विमान शामिल हैं. कंपनी 500 विमानों के इस ऑर्डर की कीमत 50 अरब डॉलर रुपये है. 
 


Clover Infotech ने हर्ष जैन को सौंपी CFO की कमान, कॉर्पोरेट फाइनेंस में है इनकी विशेषज्ञता

वर्तमान में हर्ष जैन Clover Infotech में वीपी-फाइनेंस हैं. वहीं, अब वह मुख्य वित्तीय अधिकारी (Chief Financial Officer) के रूप में प्रमोट हो गए हैं.

Last Modified:
Tuesday, 14 May, 2024
BWHindia

ग्लोबल टेक्नोलॉजी सर्विस और कंसल्टिंग फर्म क्लोवर इन्फोटेक (Clover Infotech) ने 1 अप्रैल 2024 से हर्ष जैन को अपने नए चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (Chief Financial Officer) के रूप में प्रमोट किया है. अपनी नई भूमिका में हर्ष कंपनी के वित्तीय संचालन की देखरेख करेंगे और रणनीतिक वित्तीय पहल को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.

कॉर्पोरेट फाइनेंस में दो दशकों का अनुभव
हर्ष कॉर्पोरेट फाइनेंस क्षेत्र में दो दशकों से भी अधिक अनुभव, ज्ञान और विशेषज्ञता लेकर आए हैं. उन्होंने पीडब्ल्यूसी (PwC) जैसे प्रसिद्ध संगठनों में नेतृत्व की भूमिका निभाई है. वह एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) हैं और उन्होंने Indirect Taxes पर एक किताब के लिए लेखन भी किया है. वह सीए के इच्छुक छात्रों के लिए अकाउंटेंसी और टैक्सेशन (Accountancy and Taxation) पर अपनी विशेषज्ञता साझा करने वाले एक फैकल्टी के सदस्य भी रहे हैं.

क्लोवर इन्फोटेक के चेयरमैन ने दी शुभकामनाएं
इस मौके पर क्लोवर इन्फोटेक के चेयरमैन जावेद तापिया (Javia Tapia) ने हर्ष को शुकामनाएं देते हुए कहा कि हर्श एक आधुनिक सीएफओ एक रणनीतिक भागीदार है, जो किसी संगठन की वित्तीय स्थिरता और लेखांकन मानकों और विनियमों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए सी-स्तर के साथियों के साथ मिलकर काम करेंगे. साथ ही विक्रेता संबंधों को प्रबंधित करने, सटीक वित्तीय रिपोर्ट तैयार करने और नकदी, पूंजी और संसाधनों से संबंधित जोखिमों का प्रबंधन करते हुए कंपनी की वित्तीय आईटी प्रणालियों की प्रभावी ढंग से देखरेख करने में कुशल साबित होंगे. 

व्यवसाय को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे हर्ष

क्लोवर इन्फोटेक के सीईओ कुणाल नागरकट्टी ने कहा कि हर्ष चीफ फाइनेंशियल मैट्रिक्स में उनके व्यवसाय को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. डिलीवरी ऑपरेशन्स, बिक्री, मार्केटिंग, टेक्नोलॉजी, ह्यूमन रिसोर्सिज और एडमिनीस्ट्रेशन में पहल के वित्तीय पहलुओं (Financial Aspects) में उनकी अंतर्दृष्टि हमें अच्छी तरह से सूचित रणनीतिक निर्णय (Strategic Decisions ) लेने में सक्षम बनाने में अमूल्य होगी. कंपनी को हर्ष की वित्तीय समझदारी, व्यावसायिक कौशल को बनाए रखने के प्रयासों से लाभ होगा. 

इसे भी पढ़ें-तलाक के बाद अब बिल गेट्स की पत्नी ने छोड़ा Gates फाउंडेशन, मिलेंगे 1 लाख करोड़ रुपये

कंपनी की ग्रोथ और डेवलपमेंट के लिए करेंगे काम
क्लोवर इन्फोटेक के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर हर्ष जैन ने कहा कि वह इस पद पर आकर सम्मानित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि क्लोवर इन्फोटेक एक तेजी से विकसित होने वाला संगठन है और हम विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों, इंडस्ट्री, टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट्स और सर्विस डिलीवरी मॉडल्स पर काम करते हैं. उन्होंने कहा कि वह अपनी सर्वोत्तम क्षमताओं के साथ कंपनी की ग्रोथ और डेवलपमेंट को गति देने में योगदान देने के लिए तैयार हैं.


Fintech सेक्‍टर की प्रतिस्‍पर्धा से इस कंपनी ने की तौबा, वापस लौटा दिए लाइसेंस 

कंपनी इससे पहले आईसीआईसीआई बैंक की मदद से यूपीआई लाइसेंस भी ले चुकी है. लेकिन इस बार कंपनी ने आरबीआई को लाइसेंस वापस कर दिए हैं. 

Last Modified:
Tuesday, 14 May, 2024
BWHindia

Fintech सेक्‍टर की सबसे बड़ी कंपनी Paytm के खिलाफ हुई कार्रवाई से भले ही सभी कंपनियां सहमी हुई हों लेकिन अभी भी इस सेक्‍टर में कई कंपनियां काम कर रही हैं. इन्‍हीं कंपनियों में शामिल होने के लिए फूड डिलीवरी कंपनी Zomato ने Zomato पेमेंट के लिए आरबीआई से लाइसेंस लिया था लेकिन अब कंपनी ने वो लाइसेंस वापस कर दिया है. कंपनी को इसी साल ऑनलाइन पेमेंट एग्रीगेटर लाइसेंस और प्रीपेड पेमेंट इंस्‍टूमेंट लाइसेंस जारी किया गया था. 

जोमैटो को मिल चुका था बड़ा निवेश 
जोमैटो ने जब से अपने जोमैटो पेमेंट प्राइवेट लिमिटेड के लिए निवेश जुटाना शुरू किया था तब से कंपनी को 39 करोड़ रुपये का निवेश भी मिल चुका था. लेकिन कंपनी उस निवेश को भी वापस लौटा चुकी है. कंपनी को आरबीआई ने इसी पेमेंट कंपनी को चलाने के लिए ऑनलाइन पेमेंट एग्रीगेटर लाइसेंस और प्रीपेड पेमेंट इंस्‍टूमेंट लाइसेंस जारी किया गया था, उसे भी कंपनी की ओर से वापस कर दिया गया है. 

ये भी पढ़ें: IMF प्रमुख ने क्‍यों कहा कि सुनामी की तरह नौकरी खा रहा है AI

पीछे हटने की ये रही है वजह 
जोमैटो मौजूदा समय में चार कंपनियों में काम कर रही है. इसमें जोमैटो, ब्लिंकिट, हायर प्‍योर, और गोइंग आउट शामिल हैं. दरअसल लाइसेंस वापस करने को लेकर जो वजह सामने आई है उसके अनुसार, कंपनी ने जब लाइसेंस के लिए अप्‍लाई किया था उस वक्‍त उसे इस पेमेंट सेक्‍टर में बड़ी संभावनाए नजर आ रही थी. लेकिन जब उसे लाइसेंस मिला तब बाजार में उसके अनुसार इसका स्‍कोप उसे ज्‍यादा नजर नहीं आ रहा है. इसलिए कंपनी ने इसे शुरू करने से पहले इसे बंद करने का निर्णय लेना बेहतर समझा. 

लागत को कम करना चाहता था Zomato 
दरअसल मौजूदा समय में अपने फूड डिलीवरी ऐप पर थर्ड पार्टी पेमेंट का इस्‍तेमाल करने के लिए जोमैटो को दूसरी कंपनियों को एक बड़ी रकम देनी पड़ती है. कंपनी का इस पेमेंट वेंचर के माध्‍यम से उस लागत में भी कमी लाने का प्‍लान था. लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. अब इसके चलते फिलहाल जब तक कंपनी आने वाले दिनों में एक बार फिर इसे शुरू नहीं करती है तब तक उसे पहले ही तरह भुगतान करना होगा. कंपनी इससे पहले आईसीआईसीआई बैंक की मदद से यूपीआई सेवा की शुरूआत कर चुकी है. 
 


तलाक के बाद अब बिल गेट्स की पत्नी ने छोड़ा  Gates फाउंडेशन, मिलेंगे 1 लाख करोड़  रुपये

बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन में 7 जून को मेलिंडा फ्रेंच गेट्स (Melinda French Gates) का आखिरी दिन होगा.

Last Modified:
Tuesday, 14 May, 2024
BWHindia

दुनियाभर के अरबपतियों की लिस्ट में शामिल बिल गेट्स की पूर्व पत्नी मेलिंडा फ्रेंच गेट्स (Melinda French Gates) ने बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन में को-चेयरपर्सन पद से इस्तीफा दे दिया है. बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन दुनियाभर में समाज सेवा के काम करती हैं, लेकिन अब उन्होंने इस काम को यहीं विराम दे दिया है. मेलिंडा गेट्स का गेट्स फाउंडेशन में आखिरी दिन 7 जून होगा.
 
सोशल मीडिया पर शेयर की इस्तीफे की जानकारी
मेलिंडा गेट्स ने अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर कर अपने इस्तीफे की जानकारी दी है. मेलिंडा ने लिखा है कि काफी सोच-विचार के बाद उन्होंने बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन से इस्तीफा देने का फैसला किया है. फाउंडेशन में उनका आखिर दिन 7 जून होगा. मेलिंडा ने लिखा कि मैंने और बिल ने मिलकर एक कमाल का संगठन बनाया है, जो दुनियाभर में असमानता से निपट रहा है. मेलिंडा ने अपने पोस्ट में लिखा कि फाउंडेशन इसके सीईओ मार्क सुजमैन के नेतृत्व में मजबूत हाथों में है. अब सही वक्त है, जब उन्हें आगे बढ़ना चाहिए और परोपकार के नए अध्याय में दाखिल होना चाहिए.

समझौते के तहत मिलेंगे इतने डॉलर
मेलिंडा गेट्स को समझौते के तहत 1 लाख करोड़  रुपये मिलेंगे. मेलिंडा गेट्स ने कहा कि बिल गेट्स के साथ उनके समझौते की शर्तों के तहत फाउंडेशन छोड़ने पर उन्हें 12.5 बिलियन डॉलर (1 लाख करोड़ रुपये) मिलेंगे. ये रुपये उन्हें महिलाओं और उनके परिवार की मदद करने के लिए अतिरिक्त होंगे. 

फाउंडेशन का नाम भी बदलेगा
जानकारी के अनुसा मेलिंडा गेट्स के इस्तीफे के बाद अब बिल गेट्स ही फाउंडेशन के एकमात्र चेयरमैन होंगे. ऐसे में अब बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेश का नाम बदलकर गेट्स फाउंडेशन किया जाएगा. 
 

इसे भी पढ़ें-चुनाव के बाद महंगा होगा मोबाइल रिचार्ज, जानिए टेलीकॉम कंपनियां क्यों उठाने जा रही ये कदम?

3 साल पहले हुआ था तलाक
मेलिंडा गेट्स के इस्तीफे के बाद बिल गेट्स ने भी सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए मेलिंडा गेट्स को उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया. बिल और मेलिंडा गेट्स ने 27 साल की शादी के बाद साल 2021 में तलाक ले लिया था, लेकिन फाउंडेशन में साथ काम करने की बात कही थी. हालांकि उन्होंने ये भी कहा था कि वे दोनों साल 2023 तक एक ट्रायल पीरियड में गेट्स फाउंडेशन के लिए साथ काम करते रहेंगे, लेकिन अगर लगेगा कि साथ काम नहीं कर सकते तो दोनों अलग हो जाएंगे.
 


ब‍िकने वाला है हल्दीराम! हजारों करोड़ की इस डील में अब कौन होगा हल्दीराम का नया मालिक?

यह पहली बार नहीं है जब हल्दीराम में हिस्सेदारी के लिए कोशिश की गई है. इससे पहले से कई कंपनियां हिस्सेदारी हासिल करने के लिए कोशिश कर रही है.

Last Modified:
Tuesday, 14 May, 2024
BWHindia

देश की द‍िग्‍गज स्‍नैक्‍स कंपनी हल्दीराम स्‍नैक्‍स फूड प्राइवेट लिमिटेड (Haldiram Snacks Food Pvt Ltd) पर दुन‍ियाभर की बड़ी कंपन‍ियों की न‍िगाह है. हल्दीराम में माल‍िकाना हक खरीदने के ल‍िए दुन‍िया की कई बड़ी कंपन‍ियों के बीच होड़ है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दुनिया की सबसे बड़ी प्राइवेट इक्‍व‍िटी फंड ब्लैकस्टोन (Blackstone), जीआईसी सिंगापुर (GIC Singapore) और अबु धाबी इन्‍वेस्‍टमेंट अथॉरिटी (ADIA) की तरफ से हल्‍दीराम में ह‍िस्‍सेदारी खरीदने का प्रस्‍ताव द‍िया गया है.

कितनी हिस्सेदारी खरीदने पर चल रही है बात?

रिपोर्ट के अनुसार ब्लैकस्टोन और उनके सहयोगी मिलकर हल्दीराम स्नैक्स फूड प्राइवेट लिमिटेड में 74 प्रतिशत से 76 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदना चाहते हैं. लेकिन ब्लैकस्टोन के सहयोगी अबुधाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी और जीआईसी की हिस्सेदारी बहुत अधिक नहीं रहेगी. बता दें, अगर यह डील सफल रही तो ब्लैकस्टोन की भारत में यह सबसे हिस्सेदारी की खरीद होगी. 87 साल पुरानी स्नैक्स फूड प्राइवेट लिमिटेड में हिस्सेदारी खरीद के मामले में अभी तक कुछ आधिकारिक ऐलान नहीं किया गया है. वहीं, स्नैक्स फूड प्राइवेट लिमिटेड ने भी पूरे मामले में बयान जारी नहीं किया है. इस पूरी डील की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि हल्दीराम के नागपुर और दिल्ली बिजनेस का सफलतापूर्वक मर्जर हो जाए.

दुनिया का पहला Denim Jeans ब्रैंड हुआ 151 साल का, जींस के रोचक इतिहास से वाकिफ हैं आप?

एक हफ्ते पहले भेजा शेयर खरीदने का प्रस्‍ताव

तीनों ही कंपन‍ियों ने संयुक्‍त रूप से म‍िलकर हल्दीराम स्‍नैक्‍स में कंट्रोलिंग शेयर खरीदने का प्रस्‍ताव कंपनी को करीब एक हफ्ते पहले भेजा है. रिपोर्ट में यह भी दावा क‍िया गया क‍ि हल्‍दीराम की मार्केट वैल्‍यू 8 से 8.5 बिलियन डॉलर (66,400 करोड़ से 70,500 करोड़ रुपये) के बीच आंकी गई है. बताया जा रहा है क‍ि यह बातचीत हल्दीराम के नागपुर और द‍िल्‍ली के बिजनेस में हिस्सेदारी खरीदने की चल रही है.

मर्जर के बाद क्‍या होगा?

अभी हल्दीराम फैमि‍ली का कारोबार तीन हिस्सों में बंटा हुआ है. नागपुर बिजनेस की ज‍िम्‍मेदारी हल्दीराम फूड्स इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड और दिल्ली बिजनेस को हल्दीराम स्‍नैक्‍स प्राइवेट लिमिटेड संभालता है. इन दोनों के मर्जर की बात फाइनल होती है तो हल्दीराम स्‍नैक्‍स फूड्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से नई कंपनी बनेगी. इस मर्जर के बाद दिल्ली के मनोहर अग्रवाल और मधु सुदन अग्रवाल की इसमें हिस्सेदारी 55 प्रतिशत होगी. वहीं नागपुर के कमलकिशन अग्रवाल की हिस्सेदारी 45 प्रतिशत रहेगी. इस मर्जर प्रोसेस से हल्दीराम को पूर्वोत्तर में बिजनेस दे रही कंपनी अलग है.
 


दुनिया का पहला Denim Jeans ब्रैंड हुआ 151 साल का, जींस के रोचक इतिहास से वाकिफ हैं आप?

लेवी स्ट्रॉस ने ब्लू जींस के 151वें जन्मदिन का सेलिब्रेशन शुरू कर दिया है. कंपनी इस मौके पर बोनस पॉइंट भी दे रही है.

Last Modified:
Tuesday, 14 May, 2024
BWHindia

बीते कुछ सालों में जींस (Jeans) जितनी तेजी से ट्रेंड में आई है, उतनी ही तेजी से इसे बनाने वाली कंपनियों की संख्या में इजाफा हुआ है. आज ढेरों ब्रैंड जींस तैयार कर रहे हैं, लेकिन दशकों पहले केवल एक ही कंपनी को इस काम के लिए जाना जाता था. Levi Strauss सही मायनों में नीली जींस (Blue Jean) की जन्मदाता है. कंपनी इसी 20 मई को 151 साल की होने वाली है और उसने अभी से सेलिब्रेशन शुरू कर दिया है.  

ऐसे शुरू हुई अविष्कार की कहानी
वैसे जींस का इतिहास काफी पुराना है, लेकिन सही मायनों में इसका जन्म 20 मई 1873 को माना जाता है. इसी दिन जर्मन मूल के अमेरिकी व्यापारी लेवी स्ट्रॉस (Levi Strauss) और टेलर जैकब डेविस ने ब्लू जींस का पेटेंट करवाया और अपने नाम से पहली डेनिम जींस बेचने की शुरुआत की. खासबात ये है कि दुनिया की पहली जींस को किसी रईस के लिए नहीं, बल्कि गरीब मजदूर के लिए तैयार किया गया था. दरअसल, एक दिन किसी मजदूर की पत्नी टेलर जैकब के पास पहुंची और अपने पति की पतलून को ज्यादा मजबूत बनाने की गुजारिश की. उस दौर में मजदूरों के लिए डेनिम के कपड़े की पतलून बनती थीं. बस यहीं से दुनिया की पहली जींस के अविष्कार की कहानी शुरू हुई.

दोनों ने मिलकर कराया पेटेंट
जैकब ने मजदूर की पतलून की उन जगहों पर रिवेट यानी लोहे के पेंच लगा दिए, जहां से उसके फटने का ज्यादा अंदेशा था. उसका ये डिजाइन मजदूर की पत्नी को काफी पसंद आया. जैकब डेविस ने सोचा कि इस तरह का डिजाइन मजदूरों के लिए काफी अच्छा हो सकता है, क्योंकि इससे कपड़े के जल्दी फटने की आशंका भी कम हो जाती है. जैकब ने अपने डिज़ाइन का पेटेंट करवाने का फैसला लिया, लेकिन यह बेहद खर्चीला काम था. इसलिए उसने लेवी स्ट्रॉस से संपर्क किया, जिनके स्टोर से वह डेनिम लिया करता था. लिवाय को भी जैकब का डिजाइन पसंद आया और दोनों ने इसका पेटेंट करवा लिया. 20 मई 1873 को उन्हें अमेरिकी पेटेंट एंड ट्रेडमार्क ऑफिस से Patent No #139,121 मिल गया. 

मजबूती दर्शाता है कंपनी का ट्रेडमार्क
Levi Strauss की पहली जींस मजदूरों के लिए थी, लेकिन धीरे-धीरे यह सभी वर्ग के लोगों की चहेती बन गई. हालांकि, पहले इसे Waist Overalls या Overalls के नाम से जाना जाता था. 1960 में इसे जींस नाम मिला. Levi Strauss & Co 20 मई को ब्लू जींस का जन्मदिन मनाती है. कंपनी का कहना है कि भले ही डेनिम का इस्तेमाल इससे पहले से होता आ रहा है, लेकिन इसमें रिवेट लगाकर उसे नया रूप और मजबूती देने की शुरुआत 20 मई 1873 से ही हुई थी. कंपनी का ट्रेडमार्क 2 घोड़ों वाला है, जो जींस की मजबूती को दर्शाता है.  

कंपनी के पास सबके लिए कुछ न कुछ  
Levi Strauss & Co आज जींसवेयर के मामले में ग्लोबल लीडर है. कंपनी Levi's®, Dockers®, Beyond Yoga, Signature by Levi Strauss & Co.™ and Denizen® ब्रैंडनेम से अलग-अलग प्रोडक्ट्स तैयार करती है. पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं और बच्चों के लिए भी कंपनी के प्रोडक्ट पोर्टफोलियो में बहुत कुछ है. 2023 में कंपनी के नेट रिवेन्यु 6.2 बिलियन डॉलर रहा है. San Francisco, Brussels और Singapore मुख्यालय वाली इस कंपनी में 19 हजार से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं, जिनमें से 9500 अमेरिका में हैं. Levi Strauss & Co के उत्पाद 100 से ज्यादा देशों में बेचे जाते हैं. बता दें कि ब्लू जींस के बर्थडे के उपलक्ष्य में कंपनी अपने ग्राहकों को बोनस पॉइंट भी दे रही है.