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वॉट्सएप से कॉल करने वालों के लिए बुरी खबर, सरकार उठाने जा रही है ये कदम
2008 के प्रस्ताव में कहा गया था कि इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को सामान्य टेलीफोन नेटवर्क पर इंटरनेट कॉल प्रदान करने की अनुमति दी जा सकती है. हालांकि, उन्हें इंटरकनेक्शन फीस के लिए भुगतान करना होगा.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
वॉट्सएप और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया ऐप्स मुफ्त कॉलिंग की सुविधा देते हैं. इंटरनेट बेस्ड इस कॉलिंग का चलन दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है. अब सरकार इस कॉल को रेग्युलेट करना चाहती है. इसलिए आने वाले दिनों में इस सुविधा के लिए पैसे देने पड़ सकते हैं. दूरसंचार विभाग (DoT) ने इस संबंध में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) से उसकी राय मांगी है. ट्राई की सहमति के बाद इंटरनेट बेस्ड कॉलिंग फ्री नहीं रह जाएगी.
पुराने प्रस्ताव पर विचार
मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि 2008 में इस आशय का एक प्रस्ताव आया था, जब भारत में मोबाइल इंटरनेट अपने शुरुआती चरण में था. हालांकि, बात आगे नहीं बढ़ सकी. अब जब सरकार इंटरनेट कॉलिंग को रेग्युलेट करना चाहती है, तो उस प्रस्ताव पर फिर से विचार किया जा रहा है. दूरसंचार विभाग ने ट्राई से प्रस्ताव पर व्यापक संदर्भ के साथ आने के लिए कहा है. नए नियम इंटरनेट टेलीफोन ऑपरेटरों और यहां तक कि ओटीटी प्लेयर्स खिलाड़ियों को भी ध्यान में रखकर बनाए जाएंगे.
क्या था प्रस्ताव में?
2008 के प्रस्ताव में कहा गया था कि इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (आईएसपी) को सामान्य टेलीफोन नेटवर्क पर इंटरनेट कॉल प्रदान करने की अनुमति दी जा सकती है. हालांकि, उन्हें इंटरकनेक्शन फीस के लिए भुगतान करना होगा, वैध अवरोधन उपकरण स्थापित करना होगा और कई सुरक्षा एजेंसियों के निर्देशों का पालन करना होगा. इसके बाद 2016-17 में एक बार फिर इस मुद्दे को उठाया गया था जब नेट न्यूट्रैलिटी का मुद्दा चर्चा में था. लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी. हालांकि, दूरसंचार विभाग अब प्रस्ताव पर विचार कर रहा है.
लोगों को लगेगा झटका
यदि इंटरनेट बेस्ड कॉलिंग को पेड बनाया जाता है, तो लोगों को बड़ा झटका लगेगा. क्योंकि बड़े पैमाने पर लोग इसका इस्तेमाल करते हैं. इंटरनेट पैक में ही उनका कॉल करने का खर्चा शामिल हो जाता है. ऐसे में यह भी संभावना है कि इस सेवा को पेड करते ही इसके इस्तेमाल करने वालों की संख्या में गिरावट आ जाएगी. बता दें कि टेलीकॉम ऑपरेटर लंबे समय से सभी इंटरनेट आधारित कॉलिंग और मैसेजिंग सेवाओं के लिए एक समान कानून की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि समान सेवा, समान नियम के आधार पर सभी के लिए एक जैसी स्थिति होनी चाहिए.
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