अगले हफ्ते खुल रहा है इस दिग्गज कंपनी का IPO, जानें इसके बारे में सबकुछ

अगले हफ्ते यानी 13 मार्च को दिग्गज स्टोन कंपनी ग्लोबल सर्फेसेज का आईपीओ खुलने जा रहा है. कंपनी आईपीओ के जरिए 155 करोड़ रुपये जुटाना चाहती है.

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Saturday, 11 March, 2023
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यदि आप इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी कि IPO में निवेश करते हैं, तो आपके लिए अच्छी खबर है. अगले हफ्ते एक कंपनी का आईपीओ खुलने जा रहा है, यानी आपके पास निवेश करके मुनाफा कमाने का मौका है. ग्लोबल सर्फेसेज (Global Surfaces) का आईपीओ 13 मार्च को खुलेगा और निवेशक 15 मार्च तक आईपीओ में पैसा लगा सकते हैं. कंपनी इस आईपीओ के जरिए कैपिटल मार्केट से 155 करोड़ रुपये जुटाना चाहती है. ग्लोबल सर्फेसेज ने 133 से 140 रुपए प्रति शेयर आईपीओ का प्राइज बैंड तय किया है. 

दोनों एक्सचेंज पर होगी लिस्ट 
ग्लोबल सर्फेसेज का शेयर BSE और NSE दोनों ही स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्‍ट होगा. कंपनी के IPO का साइज 155 करोड़ रुपए का है. इसमें 8,520,000 इक्विटी शेयरों का फ्रेश इश्‍यू होगा. जबकि ऑफर फॉर सेल के तहत 2,550,000 शेयर बेचे जाएंगे. करीब 25.5 लाख शेयर कंपनी के प्रमोटर मयंक शाह और श्वेता शाह ऑफर फॉर सेल के जरिए बेचेंगे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, Global Surfaces के IPO के तहत 35 फीसदी हिस्‍सा रिटेल निवेशकों के लिए रिजर्व रखा गया है. वहीं, 50% हिस्‍सा क्‍वालिफाइड इंस्‍टीट्यूशनल बायर्स के लिए और 15% नॉन इंस्‍टीट्यूशनल इन्‍वेस्‍टर्स के लिए रिजर्व है.

कितना निवेश जरूरी?
अब जानते हैं कि इसमें कम से कम कितना निवेश करना होगा. 1 लॉट में 100 शेयर होंगे. जिसका मतलब है कि कम से 14,000 रुपए का निवेश जरूरी होगा. वहीं अधिकतम 14 लॉट के लिए बोली लगाई जा सकेगी और यह अधिकतम 196,000 रुपए होगी. Global Surfaces आईपीओ के जरिए जुटाई गई रकम का इस्तेमाल दुबई में मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी लगाने के लिए करेगी. कंपनी की वित्तीय सेहत की बात करें, तो वित्त वर्ष 2022 में कंपनी का रिवेन्यु 190.31 करोड़ रुपए रहा, जबकि एक साल पहले यह 175.37 करोड़ था. हालांकि, इस अवधि में नेट प्रॉफिट पिछले वर्ष के 33.93 करोड़ से बढ़कर 35.63 करोड़ रुपए हो गया था.

क्या करती है कंपनी?
Global Surfaces देश की प्रतिष्ठित कंपनी है, जिसे दुनियाभर में पहचान मिली हुई है. कंपनी माइनिंग, प्रोडक्शन और नेचुरल स्टोन के एक्सपोर्ट से जुड़ी हुई है. इतना ही नहीं, दुनिया की स्टोन इंडस्ट्री में इसका बड़ा योगदान है. कंपनी की शुरुआत 2004 में Global Stone के रूप में राजस्थान के जयपुर से हुई थी. बाद में कंपनी का कारोबार फैलता गया और यह Global Surfaces Limited बन गई.


Jio Financial ने मुकेश अंबानी को उनके बर्थडे पर दिया ऐसा तोहफा, खुश हो जाएंगे बॉस

जियो फाइनेंशियल के शेयरों में आज नतीजे आने का कोई खास असर देखने को नहीं मिला है. जानकारों का मानना है कि सोमवार को इसका असर देखने को मिल सकता है. 

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Friday, 19 April, 2024
Jio Financial

आज रिलायंस इंडस्‍ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी का जन्‍मदिन है. उनके जन्‍मदिन के मौके पर उनकी कंपनी जियो फाइनेंशियल ने अपने बॉस को बड़ा गिफ्ट दिया है. रिलायंस इंडस्‍ट्रीज की कंपनी जियो फाइनेंशियल ने अपनी चौथी तिमाही के नतीजों को जारी कर दिया है. कंपनी को चौथी‍ तिमाही में 310 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है. जबकि कंपनी के नेट इनकम पर नजर डालें तो वो  418 करोड़ रुपये रही है. 

क्‍या कह रहे हैं चौथी तिमाही के आंकड़े? 
जियो फाइनेंशियल के चौथी तिमाही के नतीजों पर नजर डालें तो नेट इंट्रस्‍ट इनकम इस क्‍वॉर्टर में 280 करोड़ रुपये रही है. वहीं कंपनी की टोटल इनकम 418 करोड़ और रेवेन्‍यू 418 करोड़ रुपये रहा है. वहीं इससे पहले अगर अगस्‍त के नतीजों पर नजर डालें तो नेट प्रॉफिट 293 करोड़ रुपये रहा है. वहीं कंपनी की टोटल इंट्रस्‍ट इनकम 414 करोड़ और रेवेन्‍यू 413 करोड़ रुपये रहा है. 

नतीजों का शेयर पर पड़ा क्‍या असर? 
वहीं अगर कंपनी के शेयर पर नजर डालें तो उसमें 2.22 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है, जिसके बाद कंपनी का शेयर 370 रुपये पर बंद हुआ. इस शेयर का 52 हफ्तों का हाई 384.40 रुपये है जबकि 52 हफ्तों का लो 202.80 रुपये है. पिछले पांच दिनों में शेयर की स्थिति पर नजर डालें तो ये 368.70 रुपये का था जबकि आज शेयर 370 रुपये पर बंद हुआ है. कंपनी के शेयरों में इस ग्रोथ का असर सोमवार को देखने को मिल सकता है. 

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युद्ध के हालात या भारत में चुनाव, विदेशियों ने 4 दिन में क्यों निकाले 20 हजार करोड़?

विदेशी निवेशक जिनसे भारतीय शेयर बाजार को ग्रोथ मिल रही थी वो तेजी से पैसा निकाल रहे हैं. क्या इसके पीछे- ईरान-इजराइल युद्ध है या भारत में चुनाव के नतीजों को लेकर आशंका ? इसे समझते हैं 

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Friday, 19 April, 2024
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दुनिया में मौजूदा समय में घट रहे कुछ महत्‍वपूर्ण घटनाक्रमों के बीच भारत के शेयर बाजार पर इसका बड़ा असर पड़ रहा है. पिछले चार दिनों में एफआईआई ने बाजार से 20 हजार करोड़ रुपये निकाले हैं, जिसने बाजार को लाल निशान में ला दिया है. एक ओर जहां ईरान-इजराइल के बीच युद्ध चल रहा है वहीं दूसरी ओर भारत में लोकसभा का चुनाव चल रहा है. लेकिन बाजार के एक्‍सपर्ट इसे लेकर इतनी चिंता में नहीं है. उनका कहना है कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है और ये ज्‍यादा दिनों तक चलने वाला भी नहीं है. 

क्‍या है बाजार का हाल? 
अगर शुक्रवार की स्थिति पर नजर डालें तो बाजार में 600 प्‍वॉइंट्स की बढ़त देखने को मिली. बाजार 73088 प्‍वॉइंटस पर बंद हुआ. लेकिन इस स्थिति के बावजूद बाजार से पिछले चार दिनों में एआईआई ने 2000 करोड़ रुपये से ज्‍यादा की बिकवाली की है. एफआईआई की इस बिकवाली ने बाजार को लाल निशान में ला दिया है. हालांकि बाजार पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ा है. लेकिन नेशनल सिक्‍योरिटीज डिपॉजिटरी के आंकड़ों पर नजर डालें तो जनवरी से लेकर अप्रैल तक एफआईआई (फॉरेन इंस्‍टीट्यूशनल इनवेस्‍टर) ने इक्विटी से ज्‍यादा डेट में निवेश किया है. एफआईआई ने बाजार में जहां मात्र 13067 रुपये का निवेश किया है वहीं डेट में 55630 करोड़ रुपये का निवेश किया है. जानकारों का ये भी कहना है कि एफआईआई के इस व्‍यवहार का बाजार पर कोई खास असर नहीं पड़ रहा है. क्‍योंकि बाजार की घरेलू मांग पूरी हो रही है और निवेश के दूसरे साधनों के माध्‍यम से बाजार में पैसा आ रहा है. 

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घरेलू बाजार में हो रहा है बड़ा निवेश 
EquityRush के सीईओ और बाजार के जानकार कुनाल सारोगी कहते हैं कि हम देख रहे हैं कि लगातार एफआईआई की बिकवाली चल रही है, बाजार में जो गिरावट आ रही है वो उन्‍हीं की वजह से है. इसकी कई वजह हैं जिनमें ईरान का विवाद, चुनाव के क्‍या परिणाम निकल कर आएंगे, डॉलर में तेजी आ रही है उससे भी एफआईआई बाहर जा रहे हैं. ये एक तरह का एडजस्‍टमेंट है. लेकिन हमारे वहां जो घरेलू निवेश है वो बहुत स्‍ट्रांग है. म्‍यूचुअल फंड से लेकर स्‍मॉल कैप और मिड कैप में इतना पैसा आया है कि एक्‍सचेंज को और रेग्‍यूलेटर को उस पर रोक लगानी पड़ी. अगर घरेलू निवेश नहीं होता तो बड़ी गिरावट आ जाती लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. मुझे लगता है कि एक बार अगर एफआईआई चुनावों को लेकर कयास खत्‍म हो जाएंगे तो एआईआई का पैसा भी लौट आएगा. कुनाल ये भी कहते हैं कि ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी युद्ध का असर दिखा हो इससे पहले इजराइल हमास के युद्ध का भी असर दिखा था लेकिन वो भी रिकवर हो गया. 

रेट कट न होने तक जारी रह सकता है सिलसिला 
एक अन्‍य एक्‍सपर्ट इस बारे में अपनी बात कहते हुए कहते हैं ऐसा नहीं है कि ये पिछले चार दिनों में एफआईआई का बिकवाली का दौर दिखा है ये लंबे समय से दिख रहा है. उनका कहना है कि जब भी बाजार में तेजी बढ़ी है तब तब एफआईआई की बाजार में तेजी देखने को मिली है. इसका कारण ये है कि इंडियन मार्केट पहले से ही ऑल टाइम हाई पर ट्रेड कर रहा है. वो लोग पहले से ही प्रॉफिट में है और वो लोग किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाह रहे हैं. इसका एक कारण हमारे चुनाव हैं दूसरा अमेरिका में चुनाव है, तीसरा जो ब्‍याज दरें हैं वो भी एक बड़ी वजह है. इस साल जून में जो ब्‍याज दरों में कटौती की उम्‍मीद लगाई जा रही है, लेकिन इस बीच अमेरिका में महंगाई के जो आंकड़े सामने आए हैं उससे लग ये रहा है कि ये जुलाई अगस्‍त में ही देखने को मिलेगा. इन सभी की वजह से जो प्रॉफिट बुकिंग एफआईआई देखने को मिली है. मुझे लगता है कि जब तक रेट कट नहीं होता है तब तक रेट कट देखने को ना मिले. 


 
 


जिनके फ्लैट फंसे उनके लिए खुशखबरी. NBCC बना रहा है अपना बैंक

NBCC 100 मिलियन डॉलर से अधिक की बचत के लिए अपनी स्वयं की NBFC बैंक स्थापित करने की योजना बना रही है.

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Friday, 19 April, 2024
NBFC

भारत की सरकारी कंपनी एनबीसीसी इस वर्ष के अंत में अपनी स्वयं की गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी (NBFC) स्थापित करने की योजना बना रही है, ताकि कई  इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए उधार लेने की लागत कम की जा सके. निर्माण एवं रियल एस्टेट डेवलपर का अनुमान है कि इस कदम से उन्हें अगले दो वर्षों में ब्याज लागत में 108 मिलियन डॉलर की बचत करने में मदद मिलेगी. NBCC नई सरकार से बैंक के लिए मंजूरी मांगेगी, जिसका चुनाव शुक्रवार से शुरु हुए लोकसभा चुनाव के बाद जून में होगा. कंपनी को भारतीय रिजर्व बैंक से भी लाइसेंस की आवश्यकता होगी, जिसके लिए अभी तक आवेदन नहीं किया है. 

बैंक से NBCC को मिलेगा फायदा

वर्तमान में, NBCC को अन्य NBFC के साथ काम करते समय 12 से 14 प्रतिशत तक उधार लेना पड़ता है. अपनी खुद की NBFC की स्थापना से इन लागतों में 1-2 प्रतिशत की कमी आने की उम्मीद है, जिससे वित्तीय राहत मिलेगी. इसके अतिरिक्त, इन-हाउस एनबीएफसी अन्य सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं से जुड़े रिडेवलपमेंट और मॉनेटाइज़ेशन वेंचर के लिए सीड फंडिंग हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है. NBCC द्वारा बैंक बनाए जाने से फ्लैट के ग्राहकों को इसका फायदा मिलेगा. मीडिया रिपोर्ट ने कहा गया है कि बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए उधार लेने की लागत को कम किया जाएगा. इसके साथ ही कम ब्याज दर ग्राहकों को लोन दिया जा सकता है.  

2016 में NBFC खोलने की कोशिश की थी

NBCC द्वारा हाल ही में स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) और भारतीय रेलवे से रिडेवलपमेंट परियोजनाओं का अधिग्रहण, इसकी आगामी NBFC की क्षमताओं का लाभ उठाने के लिए इसकी रणनीतिक स्थिति को दर्शाता है. एनबीसीसी ने इससे पहले 2016 में एक NBFC स्थापित करने पर विचार किया था, हालांकि उसे सफलता नहीं मिली थी.

नोएडा में फ्लैट बना रहा है NBCC

आम्रपाली बॉयर्स को एनबीसीसी (NBCC) की तरफ से 22000 फ्लैट का हैंड ओवर मार्च 2025 तक कर द‍िया जाएगा. आम्रपाली के प्रोजेक्‍ट में 135000 अत‍िर‍िक्‍त फ्लैट का न‍िर्माण क‍िया जाएगा. इनकी ब‍िक्री भी एनबीसीसी की तरफ से ही की जाएगी. इसके लिए 10 हजार करोड़ का निवेश किया जाएगा. अथॉर‍िटी ने खाली पड़ी जमीन पर निर्माण करने की अनुमति दे दी है. एनबीसीसी को उम्मीद है कि फ्लैट की ब‍िक्री से 15,000 करोड़ रुपये का रेवेन्‍यू मिलेगा. इस पैसे से रुके हुए प्रोजेक्ट्स को पूरा करने की लागत, बैंकों का लोन चुकाने और सरकारी विभागों की देनदारी न‍िपटाने में आसानी होगी.
 


नारायण मूर्ति का 6 महीने का पोता करोड़पति, ये हैं दुनिया के सबसे अमीर बच्चे

दुनिया के अरबपति कारोबारियों के बारे में तो आप जानते होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया के सबसे अमीर बच्चे कौन हैं?

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Friday, 19 April, 2024
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अंबानी, अडानी से लेकर दुनियाभर के अरबपतियों की दौलत की खबरें हर रोज सामने आती रहती हैं. कभी कोई एक झटके में करोड़ों कमा लेता है, तो कभी अरबों गंवा भी देता है. लेकिन आज हम कुछ ऐसे बच्चों के बारे में जानेंगे, जो खेलने-कूदने की उम्र में ही दौलत के पहाड़ पर बैठे हैं. इतने पास इतना पैसा है कि क्या कहने. इस लिस्ट की शुरुआत एक भारतीय बच्चे से करते हैं, जिसके बारे में आपने हाल ही में सुना होगा. हम बात कर रहे हैं इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) पोते एकाग्र की.   

उम्र 6 महीने और दौलत 200 करोड़ से ज्यादा
नारायण मूर्ति ने एकाग्र को 15 लाख शेयर दिए हैं, जो कंपनी में 0.04% हिस्सेदारी के बराबर है. इन शेयरों का मूल्य लगभग 210 करोड़ रुपए है. अब 6 महीने के एकाग्र ने बतौर डिविडेंड पहली कमाई के रूप में 4 करोड़ रुपए हासिल किए हैं. दरअसल, इंफोसिस की ओर से एकाग्र को पहला डिविडेंड (Infosys Dividend) 4 करोड़ रुपए का दिया गया है. इंफोसिस के शेयर की वैल्यू 1400 रुपए से अधिक है. डिविडेंड का भुगतान 1 जुलाई को किया जाएगा. इस तरह छोटी से उम्र में ही एकाग्र करोड़पति बन गए हैं और उन्होंने पहली कमाई भी कर ली है. बता दें कि इंफोसिस ने चौथी तिमाही के नतीजे घोषित करते हुए 28 रुपए के डिविडेंड का ऐलान किया था. 

5 अरब डॉलर की मालकिन हैं Princess Charlotte
ब्रिटिश शाही परिवार की सदस्य Princess Charlotte प्रिंस विलियम, ड्यूक ऑफ कैम्ब्रिज की दूसरी संतान हैं. महज 8 साल की उम्र में ही वह पांच अरब डॉलर की कुल संपत्ति की मालकिन हैं. यह संपत्ति उन्हें शाही परिवार से प्राप्त हुई है. ब्रिटिश राजशाही के उत्तराधिकार के क्रम में राजकुमारी Charlotte चार्ल्स, प्रिंस ऑफ वेल्स, प्रिंस विलियम, ड्यूक ऑफ कैम्ब्रिज और प्रिंस जॉर्ज ऑफ कैम्ब्रिज के बाद आती हैं. हालांकि, Perth Agreement के लागू होने के परिणामस्वरूप वह उत्तराधिकार की पंक्ति में अपने भाई से ऊपर रैंक पाने वाली पहली ब्रिटिश राजकुमारी बन गईं हैं.

बहन की तरह भाई के पास भी दौलत का पहाड़
कैम्ब्रिज के प्रिंस जॉर्ज, राजकुमारी Charlotte के बड़े भाई हैं. वह प्रिंस विलियम, ड्यूक ऑफ कैम्ब्रिज और कैथरीन, डचेस ऑफ कैम्ब्रिज की पहली संतान हैं. 8 साल की छोटी सी उम्र में प्रिंस जॉर्ज तीन अरब डॉलर से अधिक की संपत्ति के मालिक हैं. यह संपत्ति उन्हें शाही परिवार से मिली है. वह अपने पिता प्रिंस विलियम और दादा प्रिंस चार्ल्स के बाद उत्तराधिकार की पंक्ति में तीसरे स्थान पर हैं. इसकी पूरी संभावना है कि एक दिन वह यूनाइटेड किंगडम के सिंहासन पर बैठेंगे.

Blue Ivy Carter ने दौलत के साथ कमाया नाम
अमेरिकी सिंगर ब्लू आइवी कार्टर Beyoncé और Jay-Z की बेटी हैं. उनके जन्म के दो दिन बाद ही TIME द्वारा उन्हें दुनिया की सबसे प्रसिद्ध बच्ची करार दिया गया था. दुनिया की तीसरी सबसे अमीर संतान, ब्लू आइवी कार्टर को अपनी अधिकांश संपत्ति अपने अरबपति माता-पिता से विरासत में मिली है. Beyoncé के सिंगल 'ब्राउन स्किन गर्ल' के लिए, उन्हें सर्वश्रेष्ठ संगीत वीडियो के लिए ग्रैमी पुरस्कार से नवाजा गया था. उन्होंने सबसे कम उम्र की ग्रैमी पुरस्कार विजेता होने का नया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है.

अमीर बच्चों की लिस्ट में Suri Cruise का भी नाम 
सूरी क्रूज के पास भी बेशुमार दौलत है. सूरी हॉलीवुड के मशहूर स्टार्स Tom Cruise और Katie Holmes की बेटी हैं. अपने अमीर माता-पिता की बदौलत वह दुनिया के सबसे धनवान बच्चों में शामिल हैं. 16 साल की उम्र में वह 800 मिलियन डॉलर की संपत्ति की मालकिन हैं. बता दें कि टॉम क्रूज की फिल्मों को भारत में भी काफी पसंद किया जाता रहा है. 

सोशल मीडिया सनसनी हैं Stormi Webster
काइली जेनर और ट्रैविस स्कॉट की चार वर्षीय बेटी स्टॉर्मी वेबस्टर 700 मिलियन डॉलर से अधिक की मालकिन हैं. स्टॉर्मी सोशल मीडिया पर काफी फेमस हैं. उनकी एक फोटो को 12 घंटे से भी कम समय में 12,400,000 से अधिक लाइक्स मिले थे. स्टॉर्मी वेबस्टर के पास खुद का एक प्लेहाउस है, जो उन्हें उनकी दादी ने दिया था. 

खेल-खेल में ही Ryan Guan ने कमा डाले लाखों
Ryan Guan छह वर्षीय यूट्यूबर हैं. उन्होंने नए खिलौनों का मूल्यांकन करके और उनका उपयोग करते हुए अपने वीडियो पोस्ट करके बेशुमार दौलत कमाई है. यूट्यूब पैसा कमाने का एक अच्छा माध्यम है. सैकड़ों की तादाद में लोग YouTube पर वीडियो पोस्ट करके कमाई करते हैं. Ryan Guan को सेल्फ मेड लखपति कहा जा सकता है. 


चुनावी कैंपेन के लिए आई 50 हजार की नौकरी, कैसे मिलेगी यहां जानिए

देश में लोकसभा चुनाव चल रहा हैं. इस दौरान कई कंपनियां और चुनावी पार्टियां 1-3 महीने तक की जॉब ऑफर कर रही हैं.

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Friday, 19 April, 2024
JOB

आज पहले चरण वोटिंग है लेकिन 6 चरण की वोटिंग अभी भी बाकी है. आप भी इस लोकतंत्र के महापर्व में पैसा  कमा सकते हैं. जी हां, इस चुनावी माहौल में रोजगार के भी कई अवसर पैदा होते हैं और अगर आप इस मौके पर इन अवसर का इस्तेमाल करते हैं तो अपने नॉर्मल काम के साथ एक्सट्रा कमाई भी कर सकते हैं. इसके लिए बस आपको एक्सट्रा मेहनत करनी है और इसके लिए अच्छे पैसे कमा सकते हैं. आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर चुनावी टाइम में किस तरह से पैसा कमाए जा सकता है. लेकिन, अगर आप अपने टैलेंट और पढ़ाई के जरिए इस अवसर का फायदा उठा सकते हैं. ऐसे में जानते हैं कि आप किस तरह से कैसे पैसे कमा सकते हैं

फ्रीलांस काम करने का मौका

जब भी चुनाव आते हैं तो आपके लिए फ्रीलांस काम करने के अवसर काफी आते हैं. अगर आप लिखने के शौकीन हैं तो इस वक्त उम्मीदवारों और पार्टियों को स्लोगन, स्पीच आदि लिखने के लिए राइटर्स की आवश्यकता होती है, ऐसे में आप उनके लिए काम कर सकते हैं. इसमें आपको कुछ दिन काम करना होता है और आपको 80 हजार रुपये तक मिल सकते हैं.

सोशल मीडिया मैनेजर

आजकल प्रचार के लिए सोशल मीडिया एक नया जरिया बन गया है. ऐसे में हर कोई उम्मीदवार या पार्टी अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स के जरिए लोगों तक पहुंचने की कोशिश करती है. अगर आपको सोशल मीडिया की बारीकियां पता है तो आप उनसे बात करके कुछ दिन के लिए उनका कैंपेन कर सकते हैं. इस कैपेनिंग के लिए कई सोशल मीडिया एक्सपर्ट्स अच्छा पैसा चार्ज कर रहे हैं, ऐसे में आपको भी ये मौका चूकना नहीं चाहिए. इसके लिए आपको कम से कम 30 हजार से 80 हजार रुपये तक कमा सकते हैं.

डाटा एनालिटिक्स और स्ट्रैटजी

अगर आप भी डेटा एनालिटिक्स है तो चुनाव के दौरान आपके पास कमाई का अच्छा मौका है आप फ्रीलांस के जरिए डाटा एनालिटिक्स और स्ट्रैटजी कर 2 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं. डेटा एनालिसिस में आप डेटा सेट स्थापित करना, प्रोसेसिंग के लिए डेटा तैयार करना, मॉडलों को लागू करना, प्रमुख निष्कर्षों की पहचान करना और रिपोर्ट बनाना आदि.

कैंडिडेट पीआर

लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव के लिए मीडिया मैनेजमेंट, रैली मैनेजमेंट, सोशल मीडिया मैनेजमेंट तथा पोस्टर-वार आदि कराने के लिए इन मैनेजमेंट कंपनियों से संपर्क साध रही हैं. अगर आप PR में फ्रीलांस काम करने के इच्छुक है तो आप भी 40 हजार से 1 लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं

इवेंट मैनेजमेंट

जो लोग इवेंट मैनेजमेंट काम करते हैं, उनके लिए भी ये टाइम काफी अच्छा है. दरअसल, इस वक्त पार्टियों को इन लोगों की तलाश होती है, जो उनके लिए सभा आदि का इंतजाम कर देते हैं. अगर आपको इस काम में अनुभव है तो आप इस वक्त का अच्छे से फायदा उठा सकते हैं और 25 से 70 हजार रुपये कमा सकते हैं.

ग्राफिक डिजाइनर

अगर आप ग्राफिक डिजाइनिंग का काम जानते हैं तो यह आपके लिए सबसे शानदार वक्त है. सभी उम्मीदवारों को अपने पोस्टर्स और सोशल मीडिया पर प्रचार करने के लिए अपने बैनर-ग्राफिक्स की आवश्यकता होती है, जिसके जरिए आपको कई ऑफर मिलते हैं. कई डिजाइनर्स तो कई उम्मीदवारों का काम करते हैं और अच्छा पैसा कमाते हैं. ऐसे में अगर आप ये काम कर पाते हैं तो आप उम्मीदवारों से काम ले सकते हैं. इसके लिए आपको कम से कम 20 से लेकर 80 हजार रुपये तक कमा सकते हैं.
 


अब AI से नहीं हो पाएगा फ्रॉड, कंपनी ने भारत में उठाया ये बड़ा कदम... 

पिछले लंबे समय से सामने आए डीपफेक वीडियो को लेकर सरकार की ओर से भी गाइडलाइन बनाई गई है. लेकिन अब इस नियुक्ति के बाद ज्‍यादा जवाबदेही की उम्‍मीद जताई जा रही है. 

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Friday, 19 April, 2024
OPEN AI

AI के क्षेत्र में दुनियाभर में भले ही तेजी से काम हो रहा हो लेकिन उससे हो रहे फ्रॉड इस सेक्‍टर की कंपनियों के लिए भी सिरदर्द बने हुए हैं. भारत में भी पिछले दिनों में डीपफेक वीडियो के कई मामले सामने आए हैं. लेकिन इन समस्‍याओं के बीच अब ओपन एआई कंपनी ने भारत के लिए अपनी पहली नियुक्ति कर दी है. कंपनी ने पब्लिक पॉलिसी और सरकार से संबंधित मामलों की देखरेख के लिए प्रज्ञा मिश्रा की नियुक्ति की है. 

आखिर कौन हैं प्रज्ञा मिश्रा? 
प्रज्ञा मिश्रा इससे पहले Truecaller के लिए यही काम कर रही थी. प्रज्ञा मिश्रा वहां भी सरकार से संबंधित मामलों को देख रही थी. हालांकि अभी उनकी नियुक्ति को कंपनी की ओर से सार्वजनिक नहीं किया है. 39 साल की प्रज्ञा मिश्रा ओपन एआई की भारत की पहली नियुक्ति के रूप में जल्‍द काम करना शुरू कर सकती हैं. Truecaller के लिए काम करने से पहले वो तीन साल तक Meta के लिए काम कर रही थी. वो इससे पहले Ernst & young और रॉयल दानिश अंबेसी के लिए काम कर चुकी हैं. प्रज्ञा मिश्रा ने अपने अपना एमबीए इंटरनेशनल मैनेजमेंट इंस्‍टीट्यूट से 2012 में किया है. 

क्‍या अब रूक पाएगा AI से होने वाला फ्राड? 
दुनियाभर में तेजी से विकसित हो रहे AI के बीच लगातार फ्राड के मामले में भी सामने आ रहे हैं. सबसे बड़ी समस्‍या अभी डीपफेक वीडियो को लेकर आ रही है. भारत सहित दुनिया भर की सरकारें इसे लेकर रेग्‍यूलेशन बनाने को लेकर काम कर रहे हैं. भारत की 1.4 बिलियन की आबादी के बीच ये एक बहुत बड़ी चुनौती है. ओपन एआई को गूगल से बड़ी चुनौती मिल रही है. गूगल  इंडिया के लिए एक ऐसे एआई प्‍लेटफॉर्म पर काम कर रहा है जो उसे भाषाई सहुलियत प्रदान करेगा. 

ओपन एआई सीईओ ने कही थी ये बात 
Open AI के सीईओ ने पिछले साल भारत के दौरे पर आने के बाद ये कहा था कि वो एआई की हेल्‍थकेयर में बड़ी भूमिका को देखते हैं. उन्‍होंने लगातार तेजी से विकसित हो रही एआई की भूमिका को लेकर सरकार को और अधिक सक्रिय होने की बात भी कही थी. उन्‍होंने भारत में आकर ये भी कहा था कि आखिर दूसरी सेवाओं को कैसे एआई के साथ जोड़ा जा सकता है. 

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कहां बनती है वोटिंग वाली स्याही, जानते हैं कितने करोड़ का है ये बिजनेस?

वोटिंग करने के बाद अंगुली पर लगने वाली स्याही कर्नाटक के एक कारखाने में बनती है. करीब 1962 से इसकी सप्लाई हो रही है.

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Friday, 19 April, 2024
Vote

लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) के लिए पहले चरण के मतदान शुक्रवार से शुरू हो गए हैं. देश के किसी भी चुनाव में वोटिंग के बाद अंगुली पर एक स्याही (Ink) लगाई जाती है. ये स्याही इसलिए लगाई जाती है, ताकि एक बार वोट कर चुका व्यक्ति दोबारा वोट न कर पाए. एक पहचान के तौर पर इस अमिट स्याही को लगाया जाता है. क्या आपको पता है ये स्याही आती कहां से है? इस पर कितने करोड़ों का खर्चा होता है? अगर नहीं तो चलिए आपको आज इस स्याही से जुड़ी कई जरूरी जानकारी देते हैं. 
 
यहां से आती है स्याही
देश के किसी भी चुनाव में वोटिंग के बाद अंगुली पर लगने वाली स्याही 1937 में स्थापित मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड (Mysore Paints and Varnish) बनाती है,  ये कंपनी कर्नाटक सरकार की पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (PSU) है. कंपनी का कारखाना मैसूर में है. ये देश की एक मात्र ऐसी कंपनी है, जिसके पास इस स्याही को बनाने का अधिकार है. 1962 के बाद से लेकर अब तक हुए देश के सभी चुनावों में इसी कारखाने से तैयार हुई स्याही का इस्तेमाल हुआ है. इसी स्याही का इस्तेमाल गांव के सरपंच से लेकर लोकसभा के चुनाव तक किया जाता है.

इतने करोड़ का है इसका बिजनेस
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पिछले लोकसभा चुनाव में करीब 384 करोड़ लागत की स्याही का उपयोग हुआ था. आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कंपनी को चुनाव आयोग से 26.55 लाख शीशियों का अब तक का सबसे बड़ा ऑर्डर मिला है, जिसकी कीमत 55 करोड़ रुपये है. वहीं, वित्तीय वर्ष 2006-2007 में कंपनी ने 18 मिलियन  का मुनाफा कमाया. भारत के 2004 के आम चुनाव के लिए  कंपनी ने  40 मिलियन के ऑर्डर की आपूर्ति की. 2008 के कम्बोडियन आम चुनाव में स्याही की आपूर्ति करके 12.8 मिलियन कमाए. 

एक शीशी की कीमत 174 
अमिट स्याही निर्माण में एक प्रमुख घटक सिल्वर नाइट्रेट की कीमत में उतार-चढ़ाव के कारण, प्रत्येक शीशी की कीमत पिछले चुनाव में 160 से बढ़ाकर 174 कर दी गई है. इस अमिट स्याही की प्रत्येक 10 मिलीग्राम शीशी लगभग 700 मतदाताओं को चिह्नित कर सकती है. अमिट स्याही की आपूर्ति 5 मिली, 7.5 मिली, 20 मिली, 50 मिली और 80 मिली की मात्रा वाली शीशियों में की जाती है. करीब 300 मतदाताओं के लिए 5 एमएल की एक शीशी का उपयोग किया जा सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एमपीवीएल पारंपरिक कांच की शीशियों के विकल्प के रूप में मार्कर पेन विकसित करने की संभावना भी तलाश रहा है, यह उत्पाद अभी विकास चरण में है. 

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20 दिन तक रहता है स्याही का निशान
वोट देने के बाद मतदाता की अंगुली के नाखून पर मुख्य रूप से सिल्वर नाइट्रेट से बनी स्याही का उपयोग किया जाता है. जिसे मिटाना आसान नहीं होता है. सूरज की रोशनी के संपर्क में आने पर स्याही त्वचा और नाखूनों पर बैंगनी रंग का दाग लगा देती है. यह निशान अंगुली पर करीब 20 दिनों तक रहता है. यह मतदाता को दोबारा मताधिकार का प्रयोग करने से रोकता है और इस प्रकार धोखाधड़ी पर रोक लगाता है. 

दुनियाभर के 30 देशों में देते हैं स्याही
एमपीवीएल के एमडी कुमारस्वामी ने बताया कि मलेशिया, कंबोडिया, दक्षिण अफ्रीका, मालदीव, तुर्की, अफगानिस्तान, नाइजीरिया, पापुआ न्यू गिनी, बुर्कीना फासो, बुरुंडी और टोगो समेत एशिया और अफ्रीका के करीब 30 देश हैं, जहां के आम चुनाव में मैसूर की ये स्याही उपलब्ध करवाई जा चुकी है. 


 


बड़ा सवाल: सब भाग रहे शेयर मार्केट की तरफ, लेकिन कितनों को हो रहा है फायदा?

डीमैट अकाउंट्स की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है, जो दर्शाता है कि बाजार में निवेश करने वालों की संख्या बढ़ रही है.

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Friday, 19 April, 2024
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शेयर मार्केट में पैसा लगाने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. तेजी से खुल रहे डीमैट अकाउंट्स इसका प्रमाण हैं कि स्टॉक मार्केट का आकर्षण लोगों को लगातार अपनी तरफ खींच रहा है. पिछले महीने तक देशभर में डीमैट अकाउंट्स की संख्या बढ़कर 15.138 करोड़ हो गई है. सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज (CDSL) और नेशनल सिक्योरिटी डिपॉजिट लिमिटेडज (NSDL) के आंकड़े बताते हैं कि अकेले मार्च 2024 में ही 31.30 लाख नए डीमैट खाते खोले गए हैं. हालांकि, सबसे बड़ा सवाल यह है कि डीमैट अकाउंट्स की संख्या की तरह क्या बाजार से मुनाफा कमाने वालों की संख्या भी बढ़ रही है?

इसलिए बढ़ रहा आकर्षण  
फाइनेंशियल ईयर 2022-23 के मुकाबले 2023-24 में डीमैट अकाउंट्स की संख्या में 32.25% की बढ़ोतरी हुई है. वित्त वर्ष 24 के आखिरी 4 महीने में सबसे ज्यादा तेजी से डीमैट खाते खुले हैं. दिसंबर से मार्च के बीच हर महीने औसतन 40 लाख अकाउंट्स ओपन हुए हैं. अकेले जनवरी में यह आंकड़ा 46 लाख नए अकाउंट का था. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि शेयर बाजार किस तरह लोगों को आकर्षित कर रहा है. दरअसल, हमारा शेयर बाजर दुनिया के तमाम बाजारों की तुलना में मजबूती से आगे बढ़ रहा है. हाल के महीनों में इसने कई बार ऑल टाइम हाई का रिकॉर्ड बनाया है. कई आईपीओ जबरदस्त हिट साबित हुए हैं, इन सबके चलते आम निवेशकों का भरोसा बाजार में बढ़ा है. 

गंवाने वालों में Male आगे
अब यह भी जान लेते हैं कि शेयर मार्केट में पैसा लगाने वालों का सक्सेस रेट क्या है. पिछले साल की शुरुआत में बाजार नियामक सेबी (SEBI) की एक स्टडी सामने आई थी. इसमें बताया गया था कि शेयर बाजार के फ्यूचर एंड ऑप्शन (F&O) सेगमेंट यानी वायदा कारोबार में करीब 90% निवेशकों ने पैसा गंवाया है. इस ट्रेडिंग में पैसा तेजी से बनता है, लेकिन उसके डूबने की आशंका भी ज्यादा होती है. स्टडी में बताया गया था कि 10 में से 9 इक्विटी F&O ट्रेडर्स को नुकसान उठाना का पड़ा. घाटा उठाने वाले निवेशकों में से 88% पुरुष थे और 75% की उम्र 40 वर्ष से कम थी. इस आंकड़े देश की 10 टॉप ब्रोकरेज फर्म से डेटा जुटाया गया था.

89% को उठाना पड़ा नुकसान
SEBI के अध्ययन के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022 के दौरान सभी इंडिविजुअल ट्रेडर्स में से 89% को घाटा हुआ एयर औसत घाटा 1.1 लाख रुपए था. जबकि एक्टिव ट्रेडर्स में यह आंकड़ा 90% रहा और औसतन घाटा 1.25 लाख रुपए. FY22 के दौरान 11% इंडिविजुअल ट्रेडर्स ने मुनाफा कमाया. उनका औसत लाभ 1.5 लाख रुपए था. वहीं, एक्टिव यूजर्स के मामले में यह आंकड़ा महज 10% रहा. इंडिविजुअल इन्वेस्टर्स में HUFs और NRI शामिल होते हैं और Proprietary Traders, Institutions और Partnerships Firms को इससे बाहर रखा जाता है. वहीं, एक्टिव ट्रेडर्स वो होते हैं, जिन्होंने एक वर्ष में इक्विटी F&O सेगमेंट में 5 बार से अधिक कारोबार किया है.

क्या होता है फ्यूचर्स एंड ऑप्शन?
फ्यूचर्स एंड ऑप्शन (F&O) एक तरह के फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट हैं, जो इन्वेस्टर्स निको स्टॉक, कमोडिटी, करेंसी में कम पैसा लगाकर बड़ी पोजीशन हासिल करने देते हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो फ्यूचर्स और ऑप्शन, एक तरह के डेरिवेटिव कॉन्ट्रेक्ट होते हैं, जिनकी एक अवधि होती है. अब उन्हें अलग-अलग करके आसान भाषा में सबझते हैं. फ्यूचर ट्रेडिंग के तहत आप भविष्य की किसी कीमत पर ट्रेडिंग कर सकते हैं. यानी आपके पास आज ही भविष्य की कीमत पर शेयर खरीदने की डील करने का मौका होता है. इसके बाद तय तारीख पर आपको संबंधित शेयर उसी कीमत पर मिलता है, जिस पर आपने उसे खरीदने की डील की होती है. फ्यूचर ट्रेडिंग में निवेशक को पूरा लॉट खरीदना होता है और एक लॉट की कीमत लाखों में हो सकती है. हालांकि, शुरुआत में आपको शेयर के पूरे दाम नहीं देने होते हैं. उदाहरण के तौर पर आप 1 लाख रुपए में 2-3 लाख के शेयर खरीद सकते हैं. वहीं, ऑप्शन ट्रेडिंग को फ्यूचर ट्रेडिंग का बदला स्वरूप कह सकते हैं. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो रहा है इसमें आपको विकल्प मिलता है. आप डील छोड़ भी सकते हैं. इस ट्रेडिंग में लॉट खरीदने की जरूरत नहीं होती. आप अपनी क्षमता के हिसाब से ऑप्शन खरीद सकते हैं. 

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जानते हैं कौन से हैं वो साल के चार दिन जब भारतीयों ने जमकर किया खर्च

ये पूरे आंकड़े बता रहे हैं कि चार दिनों में लोगों ने जो खर्च किया है वो दैनिक खर्च से कई गुना ज्‍यादा है. यही नहीं निवेश और बचत में भी खर्च का इजाफा बढ़ा है. 

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Friday, 19 April, 2024
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भारत की नामी पेमेंट कंपनी रेजरपे की ओर से 1 अप्रैल 2023 से लेकर 31 मार्च 2024 तक भारतीयों की ओर से खर्च किए गए ब्‍यौरे की जानकारी को साझा किया गया है. आप जानते हैं कि पिछले साल में पांच मौके ऐसे आए हैं जब भारतीयों ने सबसे ज्‍यादा खर्च किया है. आज हम आपको पिछले साल के उन्‍हीं पांच मौकों के बारे में विस्‍तार से बताने जा रहे हैं जिनमें भारतीयों ने सबसे ज्‍यादा खर्च किया है. 

1 अप्रैल को जमकर हुई खरीददारी 
रोजरपे के करोड़ों यूजर हैं जो उसकी पेमेंट सेवाओं का इस्‍तेमाल करते हैं. कंपनी ने उसी डेटा का एनालिसिस करके ये जानकारी साझा की है, जिसमें बताया गया है कि उन पांच मौकों में एक मौका एक अप्रैल का है जब सबसे ज्‍यादा लोगों ने अपने बच्‍चों की किताबों की शॉपिंग की है. कंपनी के पेमेंट सिस्‍टम पर एक साल में 1 अरब से ज्‍यादा पेमेंट का लेन देन हुआ है. कंपनी ने ये भी बताया है कि इसमें 3 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला है. 

धनतेरस और न्‍यू ईयर पर हुई जबरदस्‍त खरीददारी 
रेजरपे की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, 2023 में धनतेरस 10 नवंबर को था. क्‍योंकि इस दिन हिंदुओं में कुछ खरीदना शुभ माना जाता है जिसमें लोग अक्‍सर सोना या ज्‍वैलरी से लेकर कई अन्‍य तरह के सामान खरीदते हैं. इसलिए उस दिन जबरदस्‍त खरीददारी देखने को मिली है. रेजरपे के आंकड़े बता रहे हैं कि उस दिन दैनिक औसत से इसमें 9 गुना ज्‍यादा का इजाफा देखने को मिला है. इसी तरह से 31 दिसंबर 2023 को जब देश दुनिया में न्‍यू ईयर ईव मनायी जाती है उस दिन दोगुने ऑनलाइन फूड ऑर्डर किए गए थे. रेजरपे के आंकड़े ये भी बता रहे हैं कि 31 दिसंबर को ऑनलाइन फूड डिलीवरी में सामान्‍य दिनों से 60 प्रतिशत ज्‍यादा का इजाफा देखने को मिला है. 

भारत आस्‍ट्रेलिया का मैच भी रहा सुपरहिट 
पिछले साल भारत में वर्ल्‍ड कप के मुकाबले खेले गए थे. ऐसे में  भारत आस्‍ट्रेलिया का मैच 19 नवंबर को खेला गया. 19 नवंबर को लाखों लोगों ने घर पर मैच देखा. लोगों के घर पर रहने के कारण कैब भुगतान दोपहर 2 बजे से लेकर 10 बजे के बीच 28 प्रतिशत तक कम हो गया. आंकड़े कुछ और भी जानकारी दे रहे हैं जिसमें म्‍यूचुअल फंड निवेश में 86 फीसदी को इजाफा देखने को मिला है. यही नहीं पिछले साल ट्रेडिंग में भी 62 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला है. यही नहीं इंश्‍योरेंस प्रीमियम का भुगतान 56 प्रतिशत तक बढ़ा है. 

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हैप्पी बर्थडे: अंबानी की सफलता का मंत्र जानते हैं? जान गए तो आपकी भी जीत है पक्की 

एशिया के सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अंबानी आज अपना जन्मदिन सेलिब्रेट कर रहे हैं.

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Friday, 19 April, 2024
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रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी आज यानी 19 अप्रैल को अपना जन्मदिन सेलिब्रेट कर रहे हैं. 67 साल के अंबानी एशिया के सबसे अमीर कारोबारी हैं और दुनिया के दौलतमंदों की लिस्ट में उनका नंबर 11वां है. अंबानी की सफलता सभी को प्रभावित करती है. पिता धीरूभाई अंबानी के जुलाई 2002 में निधन के बाद रिलायंस के साम्राज्य को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी मुकेश अंबानी के कंधों पर आ गई थी, जिसे उन्होंने बखूबी संभाला. छोटे भाई अनिल अंबानी से प्रॉपर्टी विवाद सुलझने के बाद उन्होंने न केवल रिलायंस इंडस्ट्रीज को एक अलग पहचान दिखाई बल्कि नए-नए सेक्टर्स में भी कदम रखा. 

जिम्मेदारी की समझ और सम्मान
मुकेश अंबानी के अब तक के सफ़र से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं. इसमें सबसे पहले है जिम्मेदारी को समझना और सम्मान. बताया जाता है कि अंबानी स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन पिता के कहने पर वह पढ़ाई बीच में छोड़कर कारोबार संभालने के लिए वापस लौट आए. मुकेश 1981 में रिलायंस से जुड़े थे. धीरूभाई अंबानी ने बड़े बेटे मुकेश को उनकी जिम्मेदारियों का अहसास दिलाया और वह पूरे मन से पिता की बातों का सम्मान करते हुए उन्हें पूरा करने में जुट गए.  

अनुशासन और काम के प्रति जुनून
जीवन में अनुशासन बेहद जरूरी है और मुकेश अंबानी की सफलता में इसका बड़ा योगदान रहा है. अंबानी एक बेहद अनुशासित लाइफ जीते हैं. उनके ऑफिस जाना, परिवार के साथ समय बिताना, सबका टाइम निर्धारित है. इस उम्र में भी वह अपने काम के प्रति जुनूनी हैं. अंबानी आज इस पोजीशन पर हैं कि उन्हें कोई भी काम खुद करने की जरूरत नहीं है. वह घर बैठे-बैठे फोन पर भी सबकुछ मैनेज कर सकते हैं, लेकिन इसके बावजूद वह अपना काम खुद करते हैं.   

लक्ष्य का ज्ञान और लगातार प्रयास
कामयाबी के लिए लक्ष्य का पता होना बेहद ज़रूरी होता है. मुकेश अंबानी को शुरू से ही पता था कि उन्हें क्या करना है. संपत्ति के बंटवारे के बाद उन्होंने एक लक्ष्य निर्धारित किया और उसकी प्राप्ति के लिए जी-जान से जुट गए. अंबानी ने कभी शॉर्टकट में विश्वास नहीं रखा, वह चुटकियों में कामयाबी की तलाश में नहीं रहे. वह अपने लक्ष्य पर केन्द्रित रहे और धीरे-धीरे उसकी तरफ आगे बढ़ते गए. आज उनके पास अरबों का साम्राज्य है. 

पॉजिटिविटी और खुद पर फोकस
अंबानी की सक्सेस की एक बड़ी वजह है पॉजिटिविटी. वह हमेशा पॉजिटिव सोच के साथ आगे बढ़ते हैं. भाई से प्रॉपर्टी विवाद के समय भी उन्होंने पॉजिटिविटी का दामन नहीं छोड़ा था. मुकेश अंबानी की सक्सेस हमें यह भी सिखाती है कि दूसरों को कॉपी करने की गलती न करें. रिलायंस के बंटवारे के समय दोनों भाई लगभग एक जैसी ही स्थिति में थे, लेकिन अनिल अंबानी दूसरों की देखादेखी बिना कुछ सोचे-विचारे ऐसे सेक्टर्स में भी उतर गए जहां उन्हें तगड़ा नुकसान उठाना पड़ा. इसके उलट मुकेश अंबानी अपनी सोच और रणनीति के तहत आगे बढ़े. 

दौलत का पहाड़ फिर भी साथ है सादगी  
मुकेश अंबानी के पास दौलत का पहाड़ है, लेकिन वह सादगी पसंद इंसान हैं. अपने बेटे अनंत अंबानी के प्री-वेडिंग फंक्शन में जिस तरह उन्होंने लोगों को खाना परोसा, वह दर्शाता है कि कामयाबी के शिखर पर पहुंचने के बाद भी उनमें घमंड नहीं है. अपने अच्छे दिनों में अनिल अंबानी मीडिया में छाए रहते थे, जबकि मुकेश अंबानी तब भी लाइमलाइट से दूर रहते थे और अब भी उन्हें ऐसा कोई शौक नहीं है.    

बंटवारे में मिली थीं ये कंपनियां  
मुकेश और अनिल अंबानी का झगड़ा नवंबर 2004 में पहली बार सामने आया था. भाइयों के इस विवाद से उनकी मां कोकिलाबेन इतनी परेशान हो गई थीं कि उन्होंने बिजनेस का बंटवारा कर दिया. मुकेश अंबानी के हिस्से में रिलायंस इंडस्ट्रीज, इंडियन पेट्रोल कैमिकल्स कॉर्प लिमिटेड, रिलायंस पेट्रोलियम, रिलायंस इंडस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड जैसी कंपनियां आईं. जबकि छोटे भाई अनिल को आरकॉम, रिलायंस कैपिटल, रिलायंस एनर्जी, रिलायंस नेचुरल रिसोर्सेज जैसी कंपनियां मिलीं. मुकेश अंबानी लगातार अपना कारोबार बढ़ा रहे हैं, लेकिन अनिल का कारोबार डूब गया है.

इसलिए सबसे खास है रिलायंस 
रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप आज 19.62 लाख करोड़ रुपए का है. कंपनी के पास जामनगर में एशिया का सबसे बड़ा मैंगो प्लांटेशन है. रिलायंस स्पोर्ट्स से भी जुड़ी हुई है.  2008 में रिलायंस ने आईपीएल की टीम मुंबई इंडियंस को खरीदा था. साथ ही कंपनी ने फुटबॉल की इंडियन सुपर लीग शुरू की थी और वो एक टेनिस इवेंट भी ऑर्गेनाइज करती है. रिलायंस मीडिया सेक्टर में भी मौजूदगी रहती है. इसके अलावा, रिलायंस के पास गुजरात के जामनगर में दुनिया की सबसे बड़ी पेट्रोलियम रिफाइनरी है. पिछले कुछ वक्त में रिलायंस ने कई विदेशी कंपनियों से हाथ मिलाया है. अंबानी का पूरा फोकस इस समय अपने कारोबार का विस्तार करना और बच्चों को विरासत सौंपने पर है.