रुपये की गिरावट के बीच FPIs ने किया ये काम, इकोनॉमी को मिलेगी राहत

एफपीआई के इस कदम से सरकार को विदेशी मुद्रा का भंडार बढ़ाने में मदद मिलेगी.

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Monday, 08 August, 2022
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नई दिल्लीः डॉलर के मुकाबले रुपये की लगातार गिरावट के बीच विदेशी संस्थागत निवेशकों ने अगस्त के पहले सप्ताह में ऐसा काम किया है, जिससे इकोनॉमी को बड़ी राहत मिलेगी. एफपीआई के इस कदम से सरकार को विदेशी मुद्रा का भंडार बढ़ाने में मदद मिलेगी. 

विदेशी निवेशकों ने डॉलर सूचकांक में नरमी के बीच अगस्त के पहले सप्ताह में 14,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया. यह पूरे जुलाई में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा किए गए लगभग 5,000 करोड़ रुपये के शुद्ध निवेश से कहीं अधिक था. 

नौ महीने लगातार निकालने के बाद किया निवेश

एफपीआई ने लगातार नौ महीनों तक भारत से पैसा निकालने के बाद जुलाई में खरीदार बने थे. अक्टूबर 2021 और जून 2022 के बीच, उन्होंने भारतीय इक्विटी बाजारों में 2.46 लाख करोड़ रुपये की भारी बिक्री की थी. यस सिक्योरिटीज के इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के लीड एनालिस्ट हितेश जैन ने कहा कि अगस्त के दौरान एफपीआई प्रवाह सकारात्मक रहने की उम्मीद है क्योंकि रुपये के लिए सबसे खराब स्थिति खत्म हो गई है और कच्चे तेल की कीमत एक सीमा में सीमित है. 

इतना किया इंवेस्टमेंट

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने अगस्त के पहले सप्ताह में भारतीय शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से 14,175 करोड़ रुपये का निवेश किया. एफपीआई रणनीति में बदलाव ने हालिया बाजार रैली को मजबूती प्रदान की है.

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वीके विजयकुमार ने कहा, "डॉलर इंडेक्स में पिछले महीने के 109 के उच्च स्तर से 106 से नीचे आना एफपीआई के द्वारा किए गए इंवेस्टमेंट के कारण है. यह आगे भी जारी रह सकता है."

मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर- मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि इसके अलावा, फेड चेयर जेरोम पॉवेल की टिप्पणी कि वर्तमान में अमेरिका मंदी में नहीं है, ने वैश्विक स्तर पर भावना और जोखिम को सुधारने में मदद की है. उन्होंने कहा कि भारतीय इक्विटी बाजारों में हालिया सुधार ने भी खरीदारी का अच्छा अवसर प्रदान किया है और एफपीआई उच्च गुणवत्ता वाली कंपनियों को चुनकर इसका फायदा उठा रहे हैं. 

इन सेक्टर्स में कर रहे हैं खरीदारी

एफपीआई पूंजीगत सामान, एफएमसीजी, निर्माण और बिजली जैसे क्षेत्रों में खरीदार बन गए हैं. इसके अलावा, एफपीआई ने समीक्षाधीन महीने के दौरान लोन मार्केट में 230 करोड़ रुपये की शुद्ध राशि डाली है. चीन और ताइवान के बीच बढ़ते तनाव से क्षेत्र में भू-राजनीतिक जोखिमों को और बढ़ा सकते हैं. इससे निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. 

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मिलिए चौथे चरण के टॉप 5 रईस कैंडिडेट्स से, लक्ष्मी इन पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान

लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में 13 मई को वोट डाले जाएंगे. इस चरण में कई दिग्गजों की किस्मत का फैसला होगा.

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Saturday, 11 May, 2024
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लोकसभा चुनाव 2024 के तीन चरणों की वोटिंग हो चुकी है और अब चौथे चरण में 13 मई को वोट डाले जाएंगे. 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की कुल 96 सीटों के लिए 13 मई को मतदान होना है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के साथ-साथ आंध्र प्रदेश, बिहार, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल की 96 सीटों से मैदान में उतरे प्रत्याशियों की किस्मत को जनता सोमवार को EVM में कैद करेगी. इस बार के चुनाव में उतरे उम्मीदवारों की संपत्ति का जो आंकड़ा अब तक सामने आया है, वो वाकई चौंकाने वाला है. खुद को 'जनता का सेवक' कहलवाने की हसरत वाले ये नेता दौलत के पहाड़ पर बैठे हैं.

ये हैं करोड़पति नाम
लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में भी करोड़पति प्रत्याशियों की अच्‍छी-खासी संख्या है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के मुताबिक, अपनी किस्मत आजमा रहे 1710 उम्मीदवारों में से 205 के पास 5 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति है. इसी तरह, 133 प्रत्याशियों के पास 2 करोड़ 5 करोड़ रुपए की दौलत है. जबकि 310 उम्मीदवारों की संपत्ति 50 लाख से 2 करोड़ रुपए के बीच है. चौथे चरण के टॉप 5 करोड़पति उम्मीदवारों की बात करें, तो इसमें डॉ चंद्रशेखर पेम्मासानी, कोंडा विश्वेश्वर रेड्डी, प्रभाकर रेड्डी वेमिरेड्डी, अमृता रॉय और सीएम रमेश का नाम शामिल है. इस चरण में बॉलीवुड अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्‍न सिन्‍हा की किस्मत का भी फैसला होना है. 

इनके पास सबसे ज्यादा दौलत
आंध्र प्रदेश के गुंटूर संसदीय क्षेत्र से Telugu Desam Party (TDP) के उम्मीदवार डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी चुनाव लड़ रहे हैं. पेम्मासानी के पास दौलत का पूरा पहाड़ है. उनके पास 5,705 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति है. पेम्मासानी लोकसभा चुनाव 2024 में अब तक के सबसे अमीर प्रत्याशी हैं. 48 वर्षीय पेम्मासानी पेशे से डॉक्टर हैं. वहीं, तेलंगाना की चेवेल्ला सीट से BJP प्रत्याशी कोंडा विश्वेश्वर रेड्डी चुनावी मौदान में हैं. रेड्डी की कुल संपत्ति 4,568 करोड़ रुपए से ज्‍यादा है. तीसरे नंबर पर हैं प्रभाकर रेड्डी वेमिरेड्डी. आंध्र प्रदेश के नेल्लोर लोकसभा क्षेत्र से TDP की टिकट पर चुनाव लड़ रहे  प्रभाकर रेड्डी वेमिरेड्डी के पास 716 करोड़ से अधिक की संपत्ति है.

BJP लीडर पर नोटों की बरसात
लिस्ट में चौथे नंबर पर हैं अमृता रॉय. पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर सीट से भाजपा की अमृता रॉय चुनाव लड़ रही हैं. अमृता को कृष्णानगर की राजमाता कहा जाता है. उनके पास 554 करोड़ रुपए से ज्‍यादा की दौलत है. इसी तरह, BJP उम्मीदवार सीएम रमेश के पास भी दौलत की कोई कमी नहीं है. पार्टी सांसद सीएम रमेश आंध्र प्रदेश की अनकापल्ले सीट से मैदान में हैं. रमेश के पास 497 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति है. वहीं, अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा तृणमूल कांग्रेस की टिकट पर पश्चिम बंगाल के आसनसोल से चुनाव लड़ रहे हैं. उनकी कुल संपत्ति 210 करोड़ रुपए से अधिक है.


इस सरकारी बैंक का शेयर है आपके पास, तो फिर मौजा ही मौजा; वजह भी जान लीजिए

बैंकिंग सेक्टर के शेयरों के पिछले दिनों बुरे हाल थे, लेकिन अब उनकी स्थिति सुधर गई है.

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Saturday, 11 May, 2024
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सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSU Banks) के शेयर मंदी के बवंडर से बाहर आ गए हैं. अधिकांश सरकारी बैंकों के स्टॉक में तेजी का माहौल है. इस बीच, एक सरकारी बैंक ने अपने निवेशकों को डिविडेंड देने का ऐलान किया है. यदि आपके पास भी इस बैंक के शेयर हैं, तो आपकी मौज होने वाली है. हम बात कर रहे हैं बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB) की. बैंक ने हाल ही में अपने वित्तीय परिणाम जारी किए हैं और उसका पिछले वित्त वर्ष की मार्च तिमाही में शुद्ध लाभ 2.3% की बढ़त के साथ 4,886 करोड़ रुपए रहा है. जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह आंकड़ा 4,775 करोड़ रुपए था.

NPA में भी हुआ सुधर
इस तिमाही में बैंक की कुल आय बढ़कर 33,775 करोड़ रुपए हुई है, जो पिछले साल की समान तिमाही में 29,323 करोड़ थी. BoB के लिए अच्छी बात यह है कि उसके NPA में सुधार हुआ है. उसका ग्रॉस नॉन- परफॉर्मिंग एसेट सुधार के साथ 2.92% पर आ गया है. जबकि साल भर पहले यह 3.79% था. वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में बैंक की ब्याज से प्राप्त आय बढ़कर 29,583 करोड़ रुपए पहुंच गई है. यह जनवरी-मार्च, 2023 में 25,857 करोड़ रही थी. 

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इतना मिलेगा डिविडेंड
पूरे वित्त वर्ष 2023-24 में बैंक ऑफ बड़ौदा का प्रॉफिट 26% उछलकर 17,789 करोड़ रुपए हो गया, जबकि वित्त वर्ष 2022-23 में यह 14,110 करोड़ था. इस दौरान, बैंक की कुल आय भी बढ़कर 1,27,101 करोड़ रुपए हो गई है. नतीजों से उत्साहित बैंक ने डिविडेंड का ऐलान किया है. बैंक के निदेशक मंडल ने 2 रुपए के फेस वैल्यू वाले शेयर पर 7.60 रुपए का डिविडेंड की अनुशंसा की है, जिसे 28वीं सालाना आमसभा में मंजूरी के लिए रखा जाएगा. वहीं, बैंक के शेयर की बात करें तो यह शुक्रवार को 255.10 रुपए पर बंद हुआ. हालांकि, कल बैंक के शेयर में 2.87% की गिरावट देखने को मिली है. इस साल अब तक ये शेयर 9.13% का रिटर्न दे चुका है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि शेयर की कीमत शॉर्ट टर्म में 280 रुपए तक जा सकती है.


सेना के हाथ मजबूत करेगा Adani का ड्रोन, डिफेंस सेक्टर के लिए कंपनी ने बनाया है बड़ा प्लान 

अडानी डिफेंस ने इसी साल जनवरी में नौसेना को हर्मीस-900 सौंपा था और अब आर्मी को यह मिलने जा रहा है.

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Saturday, 11 May, 2024
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गौतम अडानी (Gautam Adani) डिफेंस सेक्टर में अपनी मौजूदगी को और मजबूत करने में जुटे हैं. उनकी कंपनी अडानी डिफेंस बड़े प्लान के तहत आगे बढ़ रही है. इसी क्रम में कंपनी ने सेना के लिए खास ड्रोन तैयार किया है. 18 जून को भारतीय सेना को Adani Defence द्वारा निर्मित हर्मीस-900 स्टारलाइनर ड्रोन मिल जाएगा. दृष्टि-10 ड्रोन के नाम से पहचाने जाने वाले हर्मीस-900 को पाकिस्तान बॉर्डर पर तैनात किया जाएगा. 

पहले नेवी को मिला
अडानी डिफेंस सिस्टम्स इंडियन आर्मी, और इंडियन नेवी को हर्मीस-900 की सप्लाई कर रही है. इसी साल जनवरी में कंपनी ने नौसेना को पहला हर्मीस-900 सौंपा था और अब 18 जून को सेना को यह ड्रोन मिल जाएगा. रक्षा अधिकारियों का कहना है कि अडानी डिफेंस की तरफ से भारतीय सेना को मिलने वाले दो ड्रोनों में से पहला 18 जून को हैदराबाद में सेना को सौंप दिया जाएगा. सेना अपने भटिंडा बेस पर यह ड्रोन तैनात करेगी, ताकि पाकिस्तान के साथ पूरी पश्चिमी सीमा पर नजर रखी जा सके.  

इजरायल से है करार
आर्मी-नेवी को अभी एक-एक ड्रोन और मिलना है. भारतीय सेना ने आपातकालीन प्रावधानों के तहत दो ड्रोन के लिए ऑर्डर दिए हैं, जिसके अनुसार आपूर्ति किये जाने वाले ड्रोन 60% से अधिक स्वदेशी होने चाहिए. आर्मी पहले से ही हेरॉन मार्क-1 और मार्क-2 ड्रोन चला रही है और अब उसके बेड़े में दृष्टि-10 या हर्मीस-900 ड्रोन भी शामिल होने वाले हैं. अडानी डिफेंस ने ड्रोन के लिए टेक्नॉलोजी के लिए इजरायल के कंपनी एल्बिट के साथ करार किया था. साथ ही यह भी कहा था कि ड्रोन 70% तक स्वदेशी है. 

क्या कर सकता है ड्रोन?
हर्मीस 900 एक विशाल सैन्य ड्रोन है, जो बमबारी करने और मिसाइलें ले जाने में सक्षम है. इसका इस्तेमाल 'इंटेलिजेंस और निगरानी के लिए भी किया जा सकता है. इजराइल ने 2014 में गाजा पर 50 दिनों के हमले में पहली बार इसका इस्तेमाल किया था. हर्मीस 900 'इलेक्ट्रो ऑप्टिकल और इन्फ्रा-रेड सेंसर के साथ आता है और यह इजरायली वायु सेना का सबसे पसंदीदा ड्रोन है. 2023 और 2024 में, इजरायली सरकार ने गाजा पर बमबारी करने के लिए हर्मीस 900 ड्रोन का इस्तेमाल किया था. 

क्या है कंपनी की क्षमता?
अडानी डिफेंस एयरक्राफ्ट सर्विस, सर्विलांस और प्रोटेक्शन के लिए मानवरहित सिस्टम, काउंटर ड्रोन सिस्टम, छोटे हथियार और उसके साजोसामान, गोला-बारूद, मिसाइल सिस्टम तैयार करने की क्षमता रखती है. कंपनी डिफेंस सेक्टर में अपनी उपस्थिति लगातार मजबूत कर रही है. मार्च 2024 में अडानी डिफेंस के सीईओ ने कंपनी के प्लान के बारे में बताते हुए कहा था कि अगले 10 सालों में रक्षा क्षेत्र में बड़ा निवेश किया जाएगा. कंपनी मेक इन इंडिया पर फोकस कर रही है. उसका दावा है कि हर्मीस-900 70% स्वदेशी है.


LIC ने इस मामले में तोड़ दिए पिछले सारे रिकॉर्ड, नए शिखर पर पहुंचा कमाई का आंकड़ा 

एलआईसी के हर कैटेगिरी में नंबर ऑफ पॉलिसीज से लेकर रेवेन्‍यू में बड़ा इजाफा हुआ है. ये इजाफा 2014 के बाद सबसे बड़ा इजाफा है. 

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Friday, 10 May, 2024
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देश की सबसे बड़ी इंश्‍योरेंस कंपनी लाइफ इंश्‍योरेंस कंपनी (LIC) के अप्रैल महीने के प्रीमियम के आंकड़ों ने पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. अप्रैल में एलआईसी का प्रीमियम 12383 करोड़ रुपये से ज्‍यादा जमा हुआ है. अगर पिछले साल के इसी महीने के आंकड़े से इसकी तुलना करें तो ये 61 प्रतिशत ज्‍यादा है. जबकि 2023 में पिछले साल एलआईसी ने 5810 करोड़ रुपये का प्रीमियम वसूल किया था. 

इस उपलब्धि पर कंपनी ने कही ये बात 
कंपनी की इस उपलब्धि के लिए नई मार्केटिंग पॉलिसी को श्रेय दिया है जिसमें उसने कई नए इनोवेशन किए हैं. यही नहीं ग्राहक का विश्‍वास और कंपनी की रेप्यूटेशन(इज्‍जत) को भी इसका श्रेय दिया गया है. इन सभी वजहों का नतीजा ये हुआ है कि कंपनी के प्रीमियम का आंकड़ा अप्रैल में सभी पिछले रिकॉर्ड को तोड़ते हुए इस नए मुकाम तक पहुंच गया है. इससे पहले 2014 में प्रीमियम का ये आंकड़ा इस स्‍तर पर तक पहुंचा था. 

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किस प्रीमियम में हुआ कितना इजाफा? 
अप्रैल 2024 में जमा हुए इस प्रीमियम के ब्रेकअप पर नजर डालें तो व्‍यक्तिगत प्रीमियम कैटेगिरी में 3175.47 करोड़ रुपये जमा हुए. जबकि 2023 में अगर इस कैटेगिरी में जमा हुए प्रीमियम पर नजर डालें तो 2537.02 करोड़ रुपये रहा. इस कैटेगिरी में 2024 में ये 25.17 प्रतिशत ज्‍यादा है. इसी तरह से अगर ग्रुप प्रीमियम पर नजर डालें तो 2024 अप्रैल में वो 9141.34 करोड़ रुपये जमा हुआ जबकि 2023 में ये 3239.72 करोड़ रुपये रहा था. इसमें 182.16 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. यही नहीं सालाना ग्रुप प्रीमियम में 100.33 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. ये 2024 में 66.83 करोड़ रहा जबकि अप्रैल 2023 में ये 33.36 करोड़ रहा था. 

एलआईसी की पॉलिसीज में भी हुआ है इजाफा 
ऐसा नहीं है कि पुरानी पॉलिसी के नंबर पर ही कंपनी ने ये उपलब्धि पाई है. इस बार हर कैटेगिरी में कंपनी की पॉलिसी में भी इजाफा हुआ है. 2024 में नंबर ऑफ पॉलिसी में 9.12 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और ये 8.56 लाख तक जा पहुंचा है. वहीं इंडीविजुवल कैटेगिरी में स्‍कीम और पॉलिसी में 9.11 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और ये 8.55 लाख तक पहुंच गया है. ये अप्रैल 2023 में 7.84 लाख था. जबकि रिन्‍यूएबल पॉलिसीज और स्‍कीम में भी इजाफा हुआ है और ये 21.34 प्रतिशत बढ़ते हुए 2024 में 1120 तक जा पहुंचा है जो कि 2023 में 923 था. जबकि ग्रुप नंबर ऑफ पॉलिसीज और पॉलिसीज में हुए इजाफे में 15.53 प्रतिशत का इजाफा हुआ और ये अप्रैल में 305 तक पहुंच गया है.  जबकि अप्रैल 2023 में 264 तक था.


Tata Motors को हुआ मुनाफा तो भर दी निवेशकों की झोली, शेयरधारकों को मिला डबल डिविडेंड

ऑटो कंपनी टाटा मोटर्स ने नतीजों के साथ डिविडेंड का एलान किया. कंपनी ने शेयर होल्डर्स के लिए फाइनल डिविडेंड का एलान किया है. यही नहीं निवेशकों को स्पेशल डिविडेंड का तोहफा भी दिया है.

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Friday, 10 May, 2024
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टाटा ग्रुप की ऑटो कंपनी टाटा मोटर्स (Tata Motors) ने आज वित्त वर्ष 2024 की जनवरी-मार्च तिमाही (Q4) के लिए रिजल्ट्स जारी कर दिए हैं. एक्सचेंजों को दी गई जानकारी में कंपनी ने बताया कि FY2024 की चौथी तिमाही में उसका समेकित नेट मुनाफा (consolidated net profit) 222 फीसदी बढ़कर 17,407.18 करोड़ रुपये हो गया. पिछले साल की समान अवधि (Q4FY23) में यह 5,407.79 करोड़ रुपये रहा था. कंपनी की टैक्स क्रेडिट और लग्जरी कार Jaguar Land Rover की दमदार बिक्री से मुनाफा कमाने में मदद मिली. कंपनी ने अपनी परफॉर्मेंस के साथ निवेशकों के लिए फाइनल डिविडेंड की भी घोषणा की.

कंपनी का बढ़ा रेवेन्यू

टाटा मोटर्स का Q4FY24 में रेवेन्यू 13.3 फीसदी बढ़कर 119,986.31 करोड़ रुपये हो गया। पिछले साल की समान अवधि (Q4FY23) में यह 105,932.35 करोड़ रुपये रहा था. यह अब तक का किसी तिमाही का सबसे ज्यादा रेवेन्यू है. कंपनी का एबिटा (EBITDA) पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 26.6 फीसदी बढ़कर 17.9 हजार करोड़ रुपये हो गया.

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निवेशकों को मिलेगा फाइनल डिविडेंड 

एक्सचेंज फाइलिंग में टाटा मोटर्स ने कहा है कि उसने शेयर होल्डर्स के लिए फाइनल डिविडेंड का एलान किया है. यही नहीं कंपनी ने निवेशकों को स्पेशल डिविडेंड का भी तोहफा दिया है. टाटा मोटर्स ने 6 रुपये प्रति शेयर के अंतिम डिविडेंड का एलान किया है. साथ ही कंपनी ने 3 रुपये का स्पेशल डिविडेंड देने की भी घोषणा की है. टाटा मोटर्स की डिविडेंड ट्रैक रिपोर्ट अच्छी है. इससे पहले मई 2023 में कंपनी ने 2 प्रति शेयर का फाइनल डिविडेंड दिया था. फाइलिंग के अनुसार एलिजिबल शेयरधारकों को 28 जून, 2024 को या उससे पहले डिविडेंड का भुगतान किया जाएगा. 

पैसेंजर और कमर्शियल गाड़ियों की बढ़ी बिक्री

टाटा मोटर्स के मुनाफे को लग्जरी कार जगुआर और लैंड रोवर से काफी दम मिला है. चौथी तिमाही में JLR का रेवेन्यू 10.7 फीसदी बढ़कर 9.7 बिलियन यूरो हो गया. इसी तरह कमर्शियल वाहनों की बिक्री से कंपनी का रेवेन्यू 1.6 फीसदी बढ़कर 21.6 हजार करोड़ रुपये हो गया, जबकि पैसेंजर वाहनों की बिक्री से रेवेन्यू में 19.3 फीसदी का शानदार इजाफा देखने को मिला और कंपनी ने 14.4 हजार करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त किया. 

Tata Motors के शेयर उछले

अपने नतीजों के पहले टाटा मोटर्स के शेयरों में भी तेजी दर्ज हो रही थी. शुक्रवार के कारोबार में शेयर 1.62% तक उछला. स्टॉक 1,036 रुपये पर खुला था, और ये 1,047 पर बंद हुआ. टाटा ग्रुप की इस दिग्गज कंपनी का स्टॉक 6 महीनों में अपने निवेशकों को 60.28% का रिटर्न दे चुका है. 13 नवंबर, 2023 को इसकी कीमत 653 रुपये थी. अगर 1 साल का रिटर्न देखें तो शेयर 104.65% चढ़ा है.
 


आखिर क्‍या होती है जेंडर इलनेस और जेंडर फ्लूडिटी,क्‍यों इसे लेकर LinkedIn पर भड़के Ola CEO

दरअसल जेंडर आईडेंडिटी से जुड़े इस मामले को लेकर भाविश अग्रवाल ने कहा कि हमारी संस्‍कृति में सभी को सम्‍मान देने की परंपरा है इसलिए ये जहां से आई है वहीं वापस भेज दी जाए. 

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Friday, 10 May, 2024
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ओला सीईओ के लिंक्‍डिन पर उनके एक पोस्‍ट को हटाए जाने को लेकर बुरी तरह से भड़क गए. दरअसल ये पूरा मामला क्‍या है ये तो हम आपको आगे बताएंगे लेकिन उनके एक पोस्‍ट ने जेंडर इलनेस और जेंडर फ्लूडिटी पर लोगों की दिलचस्‍पी बढ़ा दी है. आज अपनी इस स्‍टोरी में हम आपको यही बताने जा रहे हैं क‍ि आखिर ये किस चिडि़या का नाम है. 

सबसे पहले समझिए आखिर क्‍या है ये पूरा मामला 
दरअसल एआई पर जब भाविश अग्रवाल ने ये पूछा कि आखिर वो कौन हैं. इस पर एआई की ओर से जो जवाब दिया गया उसमें उनके लिए He, She का इस्‍तेमाल करने की बजाए They, Their और Them का इस्‍तेमाल किया गया था. इसी पर भाविश अग्रवाल बिगड़ गए और उन्‍होंने लिंक्डिन पर एक पोस्‍ट लिखा. भाविश अग्रवाल लिखते हैं कि ‘डियर लिंक्डइन मेरी यह पोस्ट आपके एआई द्वारा भारतीय उपयोगकर्ताओं पर एक राजनीतिक विचारधारा थोपने के बारे में थी जो असुरक्षित, भयावह है.’ आपमें से अमीर लोग मेरी पोस्ट को असुरक्षित कहते हैं! यही कारण है कि हमें भारत में अपनी तकनीक और एआई बनाने की जरूरत है. अन्यथा हम दूसरों के राजनीतिक उद्देश्यों के मोहरे मात्र बनकर रह जायेंगे. 

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लिंक्‍डिन ने इस पोस्‍ट को हटा दिया
ओला सीईओ के इस पोस्‍ट को करने के बाद लिंक्डिन ने इसे अपने नियमों के विपरीत बताकर हटा दिया, जिसके भाविश भड़क गए. आगे भाविश कहते हैं कि भारत में अभी ज्‍यादातर लोगों को प्रोनाउस इलनेस की पॉलिटिक्‍स के बारे में जानकारी नहीं है. लोग ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्‍योंकि मल्‍टीनेशनल कंपनियों में उनसे ऐसी उम्‍मीद की जा रही है. बेहतर है कि इस बीमारी को वहीं वापस भेज दिया जाए जहां से ये आई है. हमारी संस्‍कृति में हमेशा सभी के लिए सम्‍मान रहा है. हमें किसी नए प्रोनाउन की जरूरत नहीं है. 

अब जानिए क्‍या होता है जेंडर इलनेस और जेंडर फ्लूडिटी? 
जेंडर इलनेस एक शब्द है जो मनुष्य के लिंग (जेंडर) और उनकी सामाजिक और मानसिक भावनाओं (इलनेस) को दर्शाता है. यह एक प्रकार की सामाजिक और प्राथमिकताओं की रूपरेखा हो सकती है जो व्यक्ति की व्यक्तित्व, विशेषताएँ और उनके अनुभवों को दिखाती है. यह शब्द अक्सर लिंग, जैसे कि पुरुष, महिला, और तृतीय लिंग के बाहर उनकी लिंगीय भावनाओं, भौगोलिक और सामाजिक भूमिकाओं के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

जेंडर फ्लूडिटी क्‍या होती है 
‘जेंडर फ्लूडिटी’ एक समाजशास्त्रिक और मनोविज्ञानिक शब्द है जो व्यक्ति की जेंडर भूमिकाओं और भावनाओं के बारे में बताता है. यह शब्द विभिन्न संदर्भों में प्रयोग किया जाता है, जैसे समाज में किसी की लिंग पहचान, व्यक्तित्व, और व्यवहार में विविधता और परिवर्तन को समझने के लिए इसका इस्‍तेमाल किया जाता है.  जेंडर फ्लूडिटी का अर्थ होता है कि व्यक्ति की जेंडर भूमिका या भावनाएँ न केवल एक ही स्थिति में स्थिर रहती हैं, बल्कि उनमें स्थिरता की बजाय परिवर्तन होता रहता है। यह व्यक्ति के अनुभवों, भावनाओं, और पहचान की विविधता को समझने का एक मानक हो सकता है.


 


आपकी सेहत से खिलवाड़ और नहीं! अब चिप्स में पाम ऑयल का इस्तेमाल होगा बंद

पेप्सिको अमेरिका में हार्ट हेल्दी ऑयल का इस्तेमाल स्नैक्स बनाने में काम करती है, लेकिन भारत में सस्ते पॉम ऑयल से प्रोडक्ट्स बनाती है.

Last Modified:
Friday, 10 May, 2024
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लेज चिप्स (Lay's Chips) बनाने वाली कंपनी पेप्सिको ने अपने चिप्स में पाम ऑयल का इस्तेमाल नहीं करने का फैसला किया है. पेप्सिको ने भारत में बिकने वाले लेज चिप्स में पाम तेल एवं पामोलीन की जगह सूरजमुखी और पामोलीन के मिक्सचर का ट्रायल शुरू कर दिया है. कंपनी ने यह फैसला भारत में पैकेज्ड फूड में अनहेल्दी मानी जानी वाले सस्ती सामग्री के इस्तेमाल पर आलोचना के बाद लिया है. पेप्सिको फिलहाल भारत में लेज ब्रांड नाम से बिकने वाली चिप्स में पाम तेल और पामोलीन के मिक्सचर का इस्तेमाल करती है.

सूरजमुखी तेल का होगा इस्तेमाल

आलोचना के बाद पेप्सिको इंडिया के प्रवक्ता ने कहा, हमने लेज चिप्स में पाम तेल और पामोलीन की जगह सूरजमुखी एवं पामोलीन के मिक्सचर के इस्तेमाल का ट्रायल एक साल पहले शुरू कर दिया है. आने वाले समय में भारत में भी सूरजमुखी एवं पामोलीन के मिक्सचर में पकाए चिप्स का ही इस्तेमाल होगा. साथ ही कहा, हम भारत में अपने स्नैक्स में नमक की मात्रा को 1.3 मिलीग्राम सोडियम प्रति कैलोरी से भी कम करने पर काम कर रहे हैं.

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अमेरिका में हार्ट हेल्दी ऑयल का इस्तेमाल

एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में प्रमुख स्नैक्स और पेय पदार्थ निर्माता पेप्सिको अपने लेज चिप्स के लिए सूरजमुखी, मक्का और कैनोला तेल जैसे तेलों का उपयोग करती है जो हार्ट के लिए नुकसानदेह नहीं होते. अपनी अमेरिकी वेबसाइट पर कंपनी कहती है कि हमारे चिप्स ऐसे तेलों में पकाए जाते हैं जिन्हें दिल के लिए स्वस्थ माना जा सकता है. 

भारत में धड़ल्ले से हो रहा है पॉम ऑयल का इस्तेमाल

भारत में तमाम फूड ब्रैंड्स, चाहे वे साल्टी स्नैक्स, बिस्किट, चॉकलेट, नूडल्स, ब्रेड्स या आइसक्रीम समेत अन्य खाद्य पदार्थों के हों, इनमें पॉम ऑयल का जबरदस्त इस्तेमाल होता है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा पाम आयातक देश है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2022 में दुनिया का 23% पॉम ऑयल भारत ने आयात किया, जबकि दूसरे नंबर पर चीन (11.4%), तीसरे पर पाकिस्तान (7.47%) और चौथे पर अमेरिका (4.75%) है. भारत पाम ऑयल इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से आयात करता है.
 


क्या है शेयर मार्केट को डुबोने वाला इंडिया VIX, इससे क्यों डर रहे निवेशक?

वॉलिटिलिटी इंडेक्स (India VIX) के लगातार बढ़ने से निवेशकों में डर बैठ रहा है, क्योंकि छोटे निवेशक मार्केट का उतार चढ़ाव नहीं देखना चाहते.

Last Modified:
Friday, 10 May, 2024
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शेयर मार्केट में लगातार आ रही गिरावट से निवेशक कुछ परेशान हो गए हैं.  हालांकि यह गिरावट हाई लेवल से प्रॉफिट बुकिंग और फ्रेश बिक्री दोनों को मिलाकर हुई है और डाउन सपोर्ट लेवल पर बाजार में खरीदारी नहीं आई, इसीलिए निफ्टी ने गुरुवार को 22000 के लेवल से नीचे जाकर क्लोज़ किया. वहीं, शुक्रवार को निफ्टी 22,055.20 पर क्लोज हुआ. 

क्या है वॉलिटिलिटी इंडेक्स?
इंडिया VIX के लगातार बढ़ने से निवेशकों में डर बैठ रहा है, क्योंकि छोटे निवेशक मार्केट का उतार चढ़ाव नहीं देखना चाहते. हालांकि बढ़ी हुई वॉलिटिलिटी में कुछ स्टॉक अच्छे भाव पर कैच करने वाले निवेशक भी बाजार में हैं.  आपको बता दें, एनएसई (NSE) ने शॉर्ट-टर्म मार्केट अस्थिरता और स्विंग के बारे में इंवेस्टर की अपेक्षाओं को ट्रैक करने के लिए 2003 में इंडिया वोलेटिलिटी इंडिकेटर (VIX) डेवलप किया. अस्थिरता इंडेक्स का इस्तेमाल मार्केट की अस्थिरता की अपेक्षाओं को निर्धारित करने के लिए किया जाता है. अस्थिरता "कीमतों में उतार-चढ़ाव की दर और परिवर्तन" को मापती है, जिसे वित्तीय बाजारों में "जोखिम" भी कहा जाता है. एक बढ़ता अस्थिरता इंडेक्स दर्शाता है कि बाजार कितना अस्थिर है और यह कितनी बार ऊपर और नीचे चलता है. इसके अतिरिक्त जैसा कि बाजार की स्थिति स्थिर और कम अस्थिर हो जाती है, अस्थिरता सूचकांक कम हो जाता है. इस इंडेक्स के अनुसार इन्वेस्टर अगले 30 दिनों में मार्केट परफॉर्म करने की अपेक्षा करते हैं.

इसकी गणना कैसे होती है?
अस्थिरता सूचकांक के रूप में भी जाना जाने वाला इंडिया VIX की गणना इंडेक्स विकल्पों की ऑर्डर बुक्स को देखकर और इसे प्रतिशत के रूप में व्यक्त करके की जाती है. दूसरी ओर, मूल्य सूचकांक, स्टॉक की कीमत के मूवमेंट पर विचार करता है. इंडिया VIX की गणना ब्लैक और स्कोल मॉडल का उपयोग करके की जाती है, जिसे ब्लैक और स्कोल मॉडल भी कहा जाता है. भारत VIX की गणना करने के लिए, एनएसई के भविष्य और विकल्पों (F&O) के बाजार से कोटेशन का उपयोग किया जाता है.

लॉन्ग टर्म इंवेस्टर के लिए खरीदी का मौका
मार्केट के बारे में कहा जाता है कि जब बाजार में दूसरे लोग डरने लगें तो आप खरीदिये और जब दूसरे मार्केट में लालच करने लगें तो आपको बेचना चाहिए. बाजार के एक्सपर्ट्स ने कहा कि बढ़ी हुई वॉलिटिलिटी की यह अवधि शेयर की कीमतों में उतार-चढ़ाव वाली है, जो लॉन्ग टर्म इंवेस्टर को खरीदारी के मौके देती है.

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बाजार पर चुनाव का दबाव
एक्सपर्ट्स के अनुसार लोकसभा चुनाव नतीजों पर अनिश्चितता और विदेशी निवेशकों की बिकवाली के कारण बाजार दबाव में है. इंडिया VIX (वॉलिटिलिटी इंडेक्स) अप्रैल के न्यूनतम स्तर से लगभग 80 प्रतिशत उछल गया है.

9 महीने के निचले स्तर के बाद मारी उछाल
एक्सपर्ट्स का कहना है कि इंडिया VIX स्पाइक बताता है कि हाई वॉलिटिलिटी कुछ समय तक बनी रहेगी. स्पाइक ऑप्शन ट्रेड की बढ़ती मात्रा के कारण है. कई निवेशक चुनाव परिणाम को लेकर अप्रत्याशित स्थिति में अपने पोर्टफोलियो की सुरक्षा के लिए पुट ऑप्शन खरीद रहे हैं. इंडिया VIX 23 अप्रैल को नौ महीने के निचले स्तर 10.2 से शुक्रवार 10 मई को 18.47 पर पहुंच गया. अक्टूबर 2022 के बाद इंडिया VIX का यह हाईएस्ट नंबर है


क्या Apple से विदा होने वाले हैं Tim Cook, कौन संभालेगा कंपनी की कमान?

एपल आज सफलता की जिस ऊंचाई पर खड़ी है, उसमें कंपनी के सीईओ टिम कुक का अहम योगदान है.

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Friday, 10 May, 2024
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आईफोन (iPhone) बनाने वाली कंपनी एपल (Apple) की लीडरशिप में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. दरअसल, कंपनी के सीईओ टिम कुक (Tim Cook) इस साल 64 साल के हो जाएंगे. ऐसे में माना जा रहा है कि वह जल्द ही रिटायरमेंट ले सकते हैं. यदि ऐसा होता है, तो टिम कुक की जगह कंपनी की कमान कौन संभालेगा, यह फिलहाल स्पष्ट नहीं है. लेकिन मीडिया में नए एपल सीईओ के तौर पर जॉन टर्नस (John Ternus) की चर्चा जरूर शुरू हो गई है.

सीधे कुक को रिपोर्ट करते हैं टर्नस 
वैसे, एपल के मौजूदा चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर जेफ विलियम्स का नाम भी अगले सीईओ की दौड़ में शामिल बताया जा रहा है, लेकिन चर्चा सबसे ज्यादा जॉन टर्नस की है. टर्नस एपल के हार्डवेयर इंजीनियरिंग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हैं. उन्होंने आईफोन, आईपैड, एयरपॉड जैसे कंपनी के कई उत्पादों बनाने में अहम योगदान दिया है. टर्नस सीधे टिम कुक को रिपोर्ट करते हैं. वह साल 2001 में एपल का हिस्सा बने थे. 

अभी निभा रहे हैं ये जिम्मेदारी
जॉन टर्नस ने प्रोडक्ट डिजाइन टीम के सदस्य के रूप पर Apple में अपने करियर की शुरुआत की थी और 2013 से वह कंपनी की हार्डवेयर इंजीनियरिंग के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. उनके नेतृत्व में ही आईपैड के विभिन्न मॉडल्स, मौजूदा आईफोन सीरीज और एयरपॉड का उत्पादन हुआ है. टर्नस एपल से जुड़ने से पहले वर्चुअल रिसर्च सिस्टम नामक कंपनी में मैकेनिकल इंजीनियर के तौर पर काम कर चुके हैं. उनकी शिक्षा की बात करें तो उन्होंने पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया है. 

इसलिए टर्नस की दावेदारी है मजबूत
जॉन टर्नस के अलावा, जेफ विलियम्स, एपल के सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के उपाध्यक्ष क्रेग फेडरीगी, रिटेल उपाध्यक्ष डेरड्रे ओ ब्रायन, डैन रिकियो और फिल शीलर भी टिम कुक की कुर्सी पर बैठने की दौड़ में शामिल हैं. हालांकि, टर्नस का दावा इसलिए मजबूत माना जा रहा है, क्योंकि वह लंबे समय से एपल के साथ जुड़े हैं और उन्हें मौजूदा सीईओ टिम कुक का करीबी माना जाता है. बता दें कि टिम कुक Apple के लिए लकी रही हैं, उनकी लीडरशिप में कंपनी का मार्केट कैप 2.83 ट्रिलियन डॉलर पहुंच गया है. 

ऐसे सीईओ की कुर्सी तक पहुंचे थे कुक
टिम कुक ने 1998 में Apple ज्वाइन की थी. ये वो दौर था जब कंपनी मुश्किल आर्थिक हालातों का सामना कर रही थी. 2000 में कुक को Apple के सेल्स और मैनेजमेंट विभाग का वाइस प्रसिडेंट बनाया गया. 2004 में उन्होंने मैकिन्टोश डिवीजन के अंतरिम सीईओ की जिम्मेदारी संभाली और 2009 में जब स्टीव जॉब्स खराब सेहत के चलते छुट्टी पर गए, तो कुक को अंतरिम सीईओ बनाने की घोषणा की गई. अगस्त 2011 में स्टीव जॉब्स के निधन के बाद टिम को Apple का सीईओ बनाया गया और इस दौरान उन्होंने कंपनियों को सफलता के नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया. 


दिव्यांगों को सशक्त कर रहा Amazon का ये प्रोग्राम, 700 लोकेशन पर मिल रही ट्रेनिंग

भारत में दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन (Amazon) दिव्यांग लोगों को ट्रेनिंग देकर, उन्हें रोजगार दिलाने की दिशा में काम कर रही है.

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Friday, 10 May, 2024
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अब बड़ी बड़ी कंपनियां दिव्यांग (People With Disabilies) उम्मीदवारों की डिमांड कर रही हैं. वहीं, कंपनियां जितनी डिमांड कर रही हैं, उसकी तुलना में कैंडिडेट्स नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन भारत में दिव्यांग लोगों को ट्रेनिंग देकर, उन्हें नौकरी दिलाने के लिए तेजी से काम कर रहा है. 

700 लोकेशन पर चल रहा प्रोग्राम
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अमेजन देशभर में 700 से अधिक लोकेशन पर ये ग्लोबल रिसोर्स सेंटर (GRC) के तहत ट्रेनिंग प्रोग्राम चला रहा है, जिनमें से 500 लोकेशन गांव में है. गुरुग्राम स्थित ग्लोबल रिसोर्स सेंटर (GRC) में देश के 20 अलग-अलग राज्यों के बच्चों को ट्रेंड किया जा रहा है. 

रोजगारार्थी ऐप के जरिए रोजगार का मौका
जीआरसी मूक-बधिर, नेत्रहीन और लोकोमोटर विकलांगता वाले छात्रों की सेवा करता है. वहां अमेजन की टेक टीम छात्रों को इस तरीके से ट्रेंड करती है, जिससे उन्हें नौकरी करने का अवसर मिल सके. प्रतिभागियों को अंग्रेजी भाषा से लैस करती है, मोबाइल डिवाइस प्रदान करती है और 20,000 रुपये तक का मासिक वेतन भी प्रदान करती है और साथ में यात्रा और आवास में मदद करती है. रोजगारार्थी ऐप इस कार्यक्रम का एक प्रमुख हिस्सा है और पीडब्ल्यूडी उम्मीदवारों को अमेजन और अन्य संगठनों में रोजगार के अवसरों से जोड़ता है. 

एक बच्चे को तैयार करने में कितना आता है खर्च?
एक बच्चे की ट्रेंनिंग में करीब 16,500 रुपये का खर्च आता है. अभी तक 70 हजार से अधिक बच्चों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है. अमेजन का लक्ष्य हर साल 7 हजार नए बच्चों को ट्रेंड करना है.

सरकार भी कर रही मदद
अमेजन ने कहा है कि अब कंपनियां पीडब्ल्यूडी उम्मीदवारों की डिमांड कर रही हैं, लेकिन उस संख्या में ट्रेंड बच्चे अभी नहीं हैं. यानी अगर बच्चे ट्रेंड हो जाते हैं, तो उन्हें रोजगार से जुड़े मौकों की कमी नहीं होती है. इसमें सरकार योजनाओं से भी आर्थिक मदद मिलती है, जिससे बच्चों को अलग-अलग डिवाइस खरीद कर दिया जाता है.

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