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दो देशों के विवाद में भारत को मिलेगा 'आर्थिक' फायदा, जानें कैसे?
ताइवान की सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार फॉक्सकॉन (Foxconn) पहले से ही भारत में मौजूद है. अब कंपनी यहां अपने बिज़नेस को बढ़ाना चाहती है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तेजी से बदल रहे माहौल का फायदा भारत को मिल सकता है. चीन और ताइवान के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर ताइवान की कंपनियां चीन में अपना एक्सपोजर कम कर रही हैं. इन कंपनियों बेहतर विकल्पों की तलाश है और भारत उनकी पहली पसंद हो सकता है. ताइवान की सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार फॉक्सकॉन (Foxconn) पहले से ही भारत में मौजूद है. अब कंपनी यहां अपने बिज़नेस को बढ़ाना चाहती है. जाहिर है आर्थिक लिहाज से भारत के लिए यह अच्छी खबर है.
क्या करती है फॉक्सकॉन?
फॉक्सकॉन ऐपल (Apple), श्याओमी (Xiaomi) सहित कई कंपनियों के लिए स्मार्टफोन बनाती है. तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में फॉक्सकॉन की तीन फैक्ट्रियां हैं. अब कंपनी की योजना इस संख्या को बढ़ाने की है. इन फैक्ट्रियां में स्मार्टफोन के अलावा, कई ब्रांडों के लिए इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट भी तैयार किए जाते हैं. फॉक्सकॉन की भारतीय इकाई भारत FIH अब आईपीओ लाने की भी तैयारी में है. इसके अलावा, यह ताइवानी कंपनी वेदांता के साथ मिलकर भारत में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज के लिए डिस्प्ले पैनल और सेमीकंडक्टर चिप्स बनाने का ऐलान कर चुकी है. यानी फॉक्सकॉन भारतीय बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है.
चेयरमैन ने दिया संकेत
कुछ वक्त पहले, फॉक्सकॉन के चेयरमैन यंग लिउ (Foxconn Chairman Young Liu) ने भारत को लेकर जो कुछ कहा था, उससे यह साफ संकेत मिलता है कि कंपनी यहां अपना कारोबार बढ़ाना चाहती है. उन्होंने कहा था, भारत आने वाले समय में एक बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है. कुल मिलाकर मैं देखता हूं कि भारत में हमारा कारोबार सही दिशा में आगे बढ़ रहा है. भारत में हमारे ग्रुप का डेवलपमेंट विस्तार पाने वाला है'. यंग लिउ ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी.
चीन से निकलने की तैयारी
चीन और ताइवान के बीच वैसे तो विवाद काफी पुराना है, लेकिन मौजूदा वक्त में यह चरम पर पहुंच गया है. इसलिए ताइवान की कंपनियां चीन में अपना बिज़नेस बढ़ाने के बजाए वहां से बाहर निकलने पर सोच रही हैं. एशिया में केवल भारत ही है, जो चीन को टक्कर दे सकता है. इसके अलावा, यहां विदेशी कंपनियों के लिए माहौल भी अनुकूल है. कई विदेशी कंपनियां भारत में अच्छी ग्रोथ कर रही हैं. इन सब कारणों के चलते आने वाले समय में कुछ और ताइवानी कंपनियों की भारत में एंट्री हो सकती है. जिससे चीन को बड़ा नुकसान उठाना होगा.
ऐसे हुई भारत में एंट्री
फॉक्सकॉन सबसे पहले 2006 में भारत आई थी, उसने चेन्नई से 50 किमी दूर Sriperumbudur में नोकिया के लिए हैंडसेट बनाने का काम शुरू किया था. लेकिन 201 4 में जब माइक्रोसॉफ्ट ने नोकिया का अधिग्रहण किया, तब उसने भारत छोड़ दिया. 2015 में उसने महाराष्ट्र सरकार के साथ MoU साइन किया. इसी साल चीनी मोबाइल कंपनी Xiaomi ने घोषणा की कि
फॉक्सकॉन उसके लिए भारत में स्मार्टफोन बनाएगी.
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