चावल की सबसे बेहतरीन किस्म कही जाने वाली बासमती पर इस महीने हुई असमय बारिश ने ऐसा कहर ढाया है कि उत्पादन के काफी कम होने के आसार बन रहे हैं.
नई दिल्लीः चावल की सबसे बेहतरीन किस्म कही जाने वाली बासमती पर इस महीने हुई असमय बारिश ने ऐसा कहर ढाया है कि उत्पादन के काफी कम होने के आसार बन रहे हैं. हरियाणा में ज्यादा बारिश होने की वजह से धान के खेतों में कुछ ज्यादा ही पानी भर गया है. ऐसे में दानों के काला पड़ने की आशंका है.
पानी न निकला तो होगा ज्यादा नुकसान
खेतों से पानी अगर पानी ज्यादा दिन रहा तो फिर इससे काफी नुकसान होने की संभावना है. ऐसे में भारी बारिश ने भारत के हरियाणा के मुख्य बासमती उत्पादक बेल्ट के कई हिस्सों में खड़े धान को नुकसान पहुंचाया है - और किसानों द्वारा राज्य के स्वामित्व वाली एपीएमसी (कृषि उपज बाजार समिति) मंडियों को दरकिनार करते हुए अपनी फसल सीधे चावल मिलों को बेचने की मांग की है.
करनाल जिले और तहसील के दादूपुर रोरान गांव के किसान रघबीर सिंह ने तीन दिन पहले ही अपनी पांच एकड़ जमीन में से दो की कटाई जल्दी पकने वाली पूसा-1509 बासमती धान के तहत की थी. वह काफी उत्साहित थे, क्योंकि धान की यह किस्म 3,500-3,600 रुपये प्रति क्विंटल थी, जबकि पिछले साल इसी समय 2,800-2,900 रुपये थी. रघबीर सिंह ने कहा, "अनाज में उच्च नमी के कारण उसका रंग फीका पड़ जाएगा या अंकुरित कम हो जाएगा, जिससे उसकी कीमत कम हो जाएगी." उन्होंने कहा, "उनके पास एपीएमसी के विपरीत धान सुखाने वाले हैं, जिनमें नमी को कम करने और अनाज को खराब होने से बचाने की सुविधा नहीं है. "
लेकिन पिछले 3-4 दिनों से हरियाणा में आढ़तियों (कमीशन एजेंटों) द्वारा बुलाई गई हड़ताल के कारण वह कटी हुई फसल को नहीं बेच सके. फिर, उन्होंने इसे अपने मवेशी शेड में रखने का फैसला किया. हालांकि, अब उनकी समस्याएं पिछले दो दिनों के दौरान लगातार हो रही बारिश से और बढ़ गई हैं - जिससे शेष तीन एकड़ में उनकी पकी हुई पूसा-1509 फसल भी प्रभावित हुई है.
बासमती बेल्ट में हुई ज्यादा बारिश
अकेले शुक्रवार को हरियाणा और दिल्ली में क्रमश: 739 फीसदी और 1,027 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई. सोनीपत और पानीपत से लेकर करनाल, कुरुक्षेत्र और अंबाला तक पूरे बासमती बेल्ट में भारी बारिश हुई. इससे भी बुरी बात यह है कि अगले दो दिनों तक बारिश की भी संभावना जताई गई है.
खड़ी फसल का नुकसान होने की आशंका
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक एके सिंह ने कहा कि खड़ी फसल के रहने से नुकसान हो सकता है और परिपक्व अनाज पौधे में ही अंकुरित हो जाता है. हालांकि, पूसा-1121 बासमती और अन्य लंबी अवधि की धान की किस्मों को कोई नुकसान नहीं हुआ है. “नुकसान मुख्य रूप से कम अवधि की बासमती किस्मों जैसे पूसा-1509 और पूसा-1692, और PR-126 (एक गैर-बासमती किस्म) को होगा, जो 115-125 दिनों में परिपक्व होती है. यदि इन्हें 1 जुलाई से पहले रोपा गया और लगभग 25 दिन पहले नर्सरी में बोया गया, तो वे कटाई के लिए तैयार हो जाएंगे.“
करनाल जिले की घरौना तहसील के फरीदपुर गांव के एक किसान जतिंदर मिगलानी ने कहा, मैं 3 एकड़ में अपनी कटी हुई और परिपक्व फसल दोनों को लेकर चिंतित हूं. मिगलानी अब और 20 एकड़ में अपनी पूसा-1121 की फसल पर उम्मीद लगा रहे हैं.
सरकार दे चावल मिलों तक धान को लाने की अनुमति
अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने कहा कि हरियाणा सरकार को दो काम करने चाहिए. पहला यह है कि किसानों को अपनी फसल सीधे चावल मिलों में लाने की अनुमति दी जाए. इनमें से लगभग 1,200 हरियाणा में हैं और इनमें धान सुखाने की सुविधा है.
दूसरा, अगले तीन हफ्तों में बिकने वाले धान को 6.5 प्रतिशत तक लेवी से छूट देना है: 2 प्रतिशत एपीएमसी बाजार शुल्क, 2 प्रतिशत ग्रामीण विकास उपकर और 2.5 प्रतिशत आढ़ती कमीशन. “एपीएमसी मंडियां 30 प्रतिशत तक नमी वाले धान को संभाल नहीं सकती हैं. सरकार को तीन सप्ताह के लिए एपीएमसी में बाजार शुल्क लगाने के साथ-साथ अनिवार्य बिक्री को निलंबित करना चाहिए ताकि किसानों को बारिश से क्षतिग्रस्त धान पर कम कीमत की वसूली का नुकसान न हो.”
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रायबरेली में BJP और कांग्रेस के बीच नाक की लड़ाई होगी. राहुल गांधी यहां से BJP के दिनेश प्रताप सिंह के खिलाफ लड़ रहे हैं. ये शहर आर्थिक रूप से यूपी की नाक ऊंची रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
कांग्रेस लीडर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) अमेठी के बजाए रायबरेली (Raebareli) से चुनाव लड़ रहे हैं. पहले उनके अमेठी से मैदान में उतरने की खबर थी. रायबरेली उत्तर प्रदेश की सबसे चर्चित लोकसभा सीट है. सालों तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा, लेकिन अब स्थिति काफी अलग है. रायबरेली का जहां अपना एक दिलचस्प राजनीतिक इतिहास है. वहीं, ये शहर उत्तर प्रदेश की अर्थव्यस्था में अहम योगदान भी देता रहा है. यहां बहुत कुछ ऐसा है, जो इसे दूसरों से खास बनाता है. रायबरेली में पारंपरिक कलाओं का भी बहुत लंबा इतिहास है. सेमरौता के जूते, महराजगंज के पीतल के बर्तन और ककोरन के मिट्टी के खिलौने इस जिले की शान को हमेशा से बढ़ाते रहे हैं.
इतनी है इंडस्ट्रियल GDP
रायबरेली की अर्थव्यवस्था पहले केवल कृषि पर ही आधारित थी, लेकिन सत्तर के दशक में यह जिला देश के औद्योगिक मानचित्र पर नजर आने लगा. आजाद भारत की पहली पब्लिक सेक्टर यूनिट मेसर्स इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने यहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. इसके बाद कई औद्योगिक घरानों ने रायबरेली का रुख किया. कुछ वक्त पहले तक शहर इंडस्ट्रियल GDP प्रति वर्ष 4% की दर से बढ़ रही थी, जो राष्ट्रीय औसत के अनुकूल है. आज रायबरेली में कई मेजर और मिनी इंडस्ट्रियल एरिया हैं, जहां से कई कंपनियां कारोबार कर रही हैं. हालांकि, रायबरेली पेपर मिल्स, मित्तल फर्टिलाइजर्स, नेशनल स्विचगियर, वेस्पा कंपनी सहित कुछ उद्योग बंद भी हुए हैं. लेकिन योगी सरकार इस दिशा में सुधार के लिए तेजी से काम कर रही है.
NTPC सहित कई बड़े नाम
फिरोज गांधी थर्मल पावर प्रोजेक्ट की शुरुआत रायबरेली में 27 जून 1981 को की गई थी. यह यूनिट पूरे भारत में उच्चतम प्लांट लोड फैक्टर के लिए जानी जाती है. इस इकाई को 1992 में NTPC को सौंप दिया गया था. 840 मेगावाट की उत्पादन क्षमता अब 1500 मेगावाट पर अपग्रेड हो गई है. NTPC की यह यूनिट थर्मल पावर इकाइयों के लिए रोल मॉडल की तरह है. इस जिले में नंदगंज सिरोही चीनी मिल भी स्थित है. गन्ना किसानों की समस्याओं को समझने के बाद 1979 में इस मिल की स्थापना की गई थी. 1998 में मिल का विस्तार किया गया और तब से इसका दैनिक उत्पादन 1500 क्विंटल हो गया. यह चीनी मिल स्थानीय गन्ना उत्पादकों को एक अच्छा बाजार प्रदान करती है. साथ ही इस मिल से स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिला हुआ है. इसके अलावा, यहां बिड़ला सीमेंट फैक्ट्री, श्री भवानी पेपर मिल्स लिमिटेड, कॉन्सेप्टा केबल्स लिमिटेड भी मौजूद हैं. श्री भवानी पेपर मिल्स की शुरुआत वर्ष 1983 में हुई थी. पेपर मिल प्रतिदिन लगभग 45 से 50 टन कागज का उत्पादन कर रही है. कागज के उत्पादन के लिए कच्चा माल जिले से ही खरीदा जाता है, जिससे जिले के चावल मिल मालिकों और व्यापारियों को लाभ होता है. जबकि कॉन्सेप्टा केबल्स की फैक्ट्री की स्थापना 1983 में हुई थी.
हैंडीक्राफ्ट बिजनेस काफी लोकप्रिय
रायबरेली में रेल कोच फैक्ट्री भी है. यहां देश की तीसरी रेल कोच निर्माण इकाई है, जिसे नवंबर 2012 में सोनिया गांधी द्वारा बतौर सांसद स्थापित किया गया था. रायबरेली, देश के औद्योगिक कारोबार में अपना एक अलग स्थान रखता है और उत्तर प्रदेश की इकॉनमी में महत्वपूर्ण योगदान देता है. Vishakha Industries Ltd, U. P. State Spinning Mill Company, Malwika Cement Pvt., Shri Niwasji Oil, Refiners और Shreya Engineering भी रायबरेली के प्रमुख उद्योगों में शामिल हैं. इसके अलावा, यहां कई स्मॉल स्केल इंडस्ट्री भी मौजूद हैं, जो जिले की बढ़ती अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करते हैं. यहां का हैंडीक्राफ्ट बिजनेस काफी लोकप्रिय है. जिले में कई बेहतरीन एजुकेशन इंस्टीटूट भी हैं.
पर्यटन से कमाई में भी योगदान
उत्तर प्रदेश को पर्यटन से होने वाली कमाई में रायबरेली भी कॉन्ट्रिब्यूशन देता है. 250 से अधिक पक्षी प्रजातियों की विविधता वाला समसपुर पक्षी अभयारण्य, बेहटा ब्रिज और 1986 में स्थापित इंदिरा गांधी मेमोरियल बॉटनिकल गार्डन जैसे कुछ बेहतरीन पर्यटन स्थल यहां मौजूद हैं. इसके अलावा मुगल काल और अवध राजवंश के प्रमुख आकर्षण पर्याप्त संख्या में पर्यटकों को रायबरेली की ओर खींचते हैं. पिछले साल रायबरेली जिले में 1262 करोड़ रुपए की लागत से 80 उद्योग लगाने के लिए प्रस्ताव आए थे, जिससे बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार भी मिलेगा. योगी सरकार इस शहर के महत्व को समझती है, इसलिए इसे लगातार बेहतर बनाने के प्रयास जारी हैं.
पूंजीगत व्यय 3 गुना हायर मल्टिप्लायर के माध्यम से अधिक बड़ा और उच्च गुणवत्ता वाला लाभ प्रदान करता है और शेष विश्व के मुकाबले भारत को बेहतर स्थिति में बनाए रखना चाहिए.
सच्चिदानंद शुक्ला
कीमतों के दबाव को कम करने के लिए केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में तेज बढ़ोतरी के बावजूद वैश्विक अर्थव्यवस्था आश्चर्यजनक रूप से लचीली रही है, लेकिन अब इसकी कोई खबर नहीं है. परंतु कुछ समय पहले, मॉडलों द्वारा समर्थित अधिकांश पूर्वानुमानों में निराशा का भाव था और वे अमेरिका, यूरोपीय संघ में मंदी का संकेत दे रहे थे और फिर बाद में इसे धीमी वृद्धि में बदल दिया, अंत में विकास में मजबूती के सामने घुटने टेक दिए. आर्थिक मॉडल और धारणाएं नीति में कठोरता लाती हैं लेकिन वे विनाश भी लाती हैं.
अर्थव्यवस्थाओं में दिखी सकारात्मकता
दो अर्थव्यवस्थाएँ, खास तौर पर अमेरिका और भारत ने अपने डेटा और विकास पूर्वानुमानों में उम्मीदों की तुलना में महत्वपूर्ण सकारात्मकता दिखाई है. वास्तव में अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मजबूती अब विकास के कारण के बारे में नए सिद्धांतों को जन्म दे रही है. अमेरिका में कुछ विशेषज्ञों ने एक ऐसा सवाल पूछना शुरू कर दिया है जो अजीब लग सकता है. वे पूछते हैं, क्या होगा अगर पिछले दो सालों में ब्याज दरों में की गई बढ़ोतरी वास्तव में अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रही है? वे कहते हैं कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था कम समय में 5 गुना बढ़ी उच्च ब्याज दरों के बावजूद नहीं बल्कि उनके कारण बढ़ रही है.
लेकिन ऐसे सिद्धांत अभी भी प्रचलन में हैं क्योंकि अर्थशास्त्री और शोधकर्ता इससे भी अधिक गूढ़ सिद्धांत लेकर आते हैं. कुछ समय पहले का MMT याद है? समय में थोड़ा पीछे जाएं, 1978 में एक युवा शोधकर्ता ने एक अध्ययन शुरू किया जिसका शीर्षक था; इंटरस्टेलर व्यापार सिद्धांत को समझना, प्रकाश की गति से यात्रा करने पर वस्तुओं पर ब्याज कैसे लगाया जाना चाहिए. यह शोध प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के तत्वावधान में किया गया था और अंदाजा लगाइए कि उस शोध के लेखक कौन थे, वह पॉल क्रुगमैन थे, जिन्होंने वर्ष 2008 में अर्थशास्त्र में नोबेल जीता था.
अमेरिका ने किया है बेहतर प्रदर्शन
अमेरिका के मामले में, निजी खपत में अपेक्षा से अधिक वृद्धि तथा श्रम बाजार में कमी के कारण यह प्रदर्शन बेहतर रहा. रोजगार में मजबूती बनी रही, मार्च में 303,000 नौकरियां जुड़ीं जो एक साल से अधिक समय में सबसे बड़ी वृद्धि है तथा बेरोजगारी दर भी कम होकर 3.8 प्रतिशत पर आ गई. इसके साथ ही कॉर्पोरेट मुनाफा भी मजबूत बना हुआ है.
भारत के GDP के अनुमान में हुई है बढ़ोत्तरी
आइए अब भारत पर नज़र डालें, IMF ने वित्त वर्ष 2024 में भारत की जीडीपी वृद्धि के लिए अपने पूर्वानुमान को 110 BPS बढ़ाकर 7.8 प्रतिशत कर दिया है, जो संयोग से NSO द्वारा अपने दूसरे एडवांस अनुमान में देखी गई 7.6% की विस्तार दर से भी अधिक है. इसने वित्त वर्ष 2025 के लिए जीडीपी ग्रोथ अनुमान को भी 30 BPS बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया और वित्त वर्ष 2026 के लिए पूर्वानुमान को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा. हमने हाल ही में ORCD, विश्व बैंक, S&P और फिच आदि को एक के बाद एक अपने पूर्वानुमान बढ़ाते हुए देखा है.
US फेड की आक्रामक दर डाल सकती है असर
लेकिन क्या अच्छी खबरों की बाढ़ जैसे कि मजबूत विकास डेटा, ऊपर की ओर संशोधन आदि में कोई समस्या है? मुद्दा यह है - यह सब सकारात्मक लगता है, लेकिन ये सभी रुझान जरूरी नहीं कि उन बाजारों के लिए ‘अच्छी खबर’ हों जो 2023 की दूसरी छमाही से दर में कटौती की उम्मीद कर रहे हैं. US फेड आक्रामक दर बढ़ोतरी के माध्यम से अर्थव्यवस्था को धीमा करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन निरंतर लचीलापन इसे कटौती के बजाय दरें बढ़ाने के लिए भी मजबूर कर सकता है, एक ऐसा कदम जो विकास को प्रभावित कर सकता है और नौकरी के नुकसान को ट्रिगर कर सकता है. निरंतर मजबूत विकास, लेबर की शॉर्टेज में कमी, प्रोडक्टिविटी में उछाल इस बात के संकेत हैं कि पाइपलाइन में आगे भी अव्यक्त मुद्रास्फीति दबाव हो सकता है और इसका हिसाब केंद्रीय बैंक को देना होगा.
पिछले साल के आखिर में बाजार वित्त वर्ष 2024 में फेड से लगभग 150 BPS की दर कटौती की उम्मीद कर रहे थे. लेकिन अब यह अधिकांश के लिए 50 BPS और कुछ के लिए शून्य तक गिर गया है. भारत में भी निकट भविष्य में वायदा दरों में कटौती की संभावना नहीं दिख रही है.
अमेरिका का राजकोषीय घाटा चिंताजनक स्तर पर पहुंचा
इन व्याख्याओं में जो कमी रह गई है, वह राजकोषीय खर्च की भूमिका हो सकती है. वर्ष 2024 में दुनिया की आधी से ज़्यादा आबादी वाले रिकॉर्ड संख्या में देश में चुनाव हो रहे हैं. IMF दिखाता है कि सरकारें चुनाव के वर्षों में ज़्यादा खर्च करती हैं और कम टैक्स लगाती हैं और इसलिए गैर-चुनावी वर्षों की तुलना में घाटा जीडीपी के 0.4 प्रतिशत अंकों से पूर्वानुमान से ज़्यादा होता है.
अमेरिका की राजकोषीय नीति अस्वाभाविक रूप से लचर है और राजकोषीय घाटा चिंताजनक स्तर तक पहुंच गया है. ढीली वित्तीय स्थितियों ने फेड की आक्रामक दर वृद्धि को बेअसर कर दिया है. जैसे-जैसे महामारी गुज़री, राजकोषीय नीति को सख्त करने की व्यापक रूप से आवश्यकता होने की उम्मीद थी. हालाँकि, IRA और CHIPS एक्ट ने राजकोषीय सख्ती की प्रक्रिया को आंशिक रूप से उलट दिया और सरकार का घाटा जीडीपी के 5.3% से बढ़कर 6.3% हो गया.
भारत अपना रहा है स्मार्ट खर्च नीति
IMF ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया को अब तक के सबसे बड़े चुनावी वर्ष में राजकोषीय रिस्ट्रेन की जरूरत है और सरकारों को बढ़ते कर्ज के बीच राजकोषीय समेकन पर बने रहना चाहिए. पिछले दो वर्षों में ऋण और घाटे में तेजी से सुधार के बाद पिछले साल राजकोषीय नीति विस्तारवादी हो गई, लेकिन दुनिया की केवल आधी अर्थव्यवस्थाओं ने 2023 में राजकोषीय नीति को कड़ा किया, जो 2022 में लगभग 70% था.
हालांकि, इस बात पर जोर दिया जाना चाहिए कि भारत अपने 'स्मार्ट' खर्च राजकोषीय दृष्टिकोण के साथ अलग खड़ा है, जो आम चुनावी वर्ष की फिजूलखर्ची से बचता है, जो एक उल्लेखनीय बदलाव है. महामारी के दौरान राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 9.2 प्रतिशत के शिखर से घटाकर वित्त वर्ष 25 में लक्षित 5.1 प्रतिशत पर लाया गया है. साथ ही भारत की वृद्धि 'अच्छे' राजकोषीय खर्च यानी बुनियादी ढांचे में मजबूत सार्वजनिक निवेश से प्रेरित हो रही है. पूंजीगत व्यय के लिए केंद्र का बजट आवंटन महामारी से पहले वित्त वर्ष 2019 में सकल घरेलू उत्पाद के 1.6 प्रतिशत से दोगुना होकर वित्त वर्ष 2025 में सकल घरेलू उत्पाद का 3.4 प्रतिशत हो गया है. राज्यों को भी पूंजीगत व्यय पर अधिक खर्च करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है. कैपिटल एक्सपेंडिचर 3 गुना हायर मल्टिप्लायर के माध्यम से पैसे के लिए एक बड़ा और उच्च गुणवत्ता प्रदान करता है और इसे दुनिया के बाकी हिस्सों के मुकाबले भारत को अच्छी स्थिति में जारी रखना चाहिए.
(यह लेख L&T की ग्रुप चीफ इकोनॉमिस्ट सच्चिदानंद शुक्ला के निजी विचार है)
किशोरी लाल शर्मा वैसे तो मूल रूप से लुधियाना के रहने वाले हैं लेकिन 80 के दशक में जब राजीव गांधी उन्हें अमेठी लेकर आए तो उसके बाद वो यहीं के होकर रह गए.
लंबे समय से चले आ रहे संशय के बीच आखिरकार गांधी परिवार ने रायबरेली और अमेठी से अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. रायबरेली से जहां राहुल गांधी चुनाव लड़ने जा रहे हैं वहीं अमेठी से जिस शख्स पर गांधी परिवार ने भरोसा जताया है उसकी हर ओर चर्चा हो रही है. अमेठी से जिस शख्स पर पार्टी ने भरोसा जताया है उसका नाम है किशोरी लाल शर्मा. आखिर कौन है ये किशोरी लाल शर्मा आज अपनी इस स्टोरी में हम आपको यही इनसाइड स्टोरी बताने जा रहे हैं.
गांधी परिवार से लंबे समय से जुड़े हैं किशोरी लाल
किशोरी लाल शर्मा मूल रूप से लुधियाना पंजाब के रहने वाले हैं. कहा जाता है कि 1983 के आसपास राजीव गांधी उन्हें लुधियाना से अमेठी लेकर आए थे. तब से वो अमेठी में ही रह रहे हैं और यहीं के होकर रह गए. 1991 में राजीव गांधी की मौत के बाद वो लगातार पार्टी के लिए लगातार काम करते रहे. इसके बाद जब रायबरेली से जब सोनिया गांधी लगातार सांसद रही तो किशोरी लाल ही उनकी अनुपस्थिति में उनकी भूमिका निभाते थे. वो सोनिया गांधी के सांसद प्रतिनिधि थे. क्योंकि इस बार सोनिया गांधी ने रायबरेली के लोगों को भावनात्मक खत लिखकर चुनाव न लड़ने की बात कही थी तो ऐसे में कयास यही लगाए जा रहे थे कि पार्टी किशोरी लाल को यहां से अपना उम्मीदवार बनाएगी. लेकिन इस बीच राहुल के एक बार फिर अमेठी और प्रियंका के रायबरेली से चुनाव लड़ने की खबरों के बीच किशोरी लाल का नाम चर्चा से दूर हो गया. लेकिन पार्टी की रणनीति में बदलाव होते ही पार्टी ने रायबरेली से राहुल को तो अमेठी से किशोरी लाल को उम्मीदवार बना दिया है.
आज अमेठी और रायबरेली में होगा नामांकन
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अमेठी और रायबरेली सीट में चुनाव लड़ने के लिए आज नामांकन प्रक्रिया का आखिरी दिन है. इसी कड़ी में राहुल गांधी भी आज नामांकन दाखिल करने जा रहे हैं. साथ ही कांग्रेस पार्टी की ओर से अमेठी से उम्मीदवार बनाए गए के एल शर्मा भी आज नामांकन दाखिल करने जा रहे हैं. केएल शर्मा के सामने बीजेपी की कद्दावर नेता स्मृति ईरानी चुनाव लड़ रही हैं. वो अमेठी से पिछले चुनाव में राहुल गांधी को हराकर चुनाव जीती थी.
अमेठी, रायबरेली से रहा है गांधी परिवार का पुरान रिश्ता
अमेठी और रायबरेली से गांधी परिवार का पुराना रिश्ता रहा है. इस सीट पर सबसे पहले फिरोज गांधी ने 1952 और 1957 में चुनाव लड़ा था. इसके बाद 1967 में हुए लोकसभा चुनावों में यहां से इंदिरा गांधी लड़ी और जीतकर लोकसभा में पहुंची. इसके बाद 1971 में भी वो रायबरेली से लड़ी और जीतीं लेकिन आपातकाल के बाद 1977 में वो इस सीट से चुनाव हार गई. ये वो दौर था जब कांग्रेस पार्टी ही चुनाव हार गई थी. लेकिन इसके बाद 1980 में हुए चुनावों में इंदिरा गांधी ने यहां से फिर चुनाव लड़ा और वो जीत गई. वहीं अमेठी सीट से कांग्रेस पार्टी का रिश्ता 1980 के दशक के जुड़ा, जब संजय गांधी इस सीट से जीतकर लोकसभा पहुंचे. संजय गांधी की मौत हो जाने के बाद 1981 में हुए चुनाव में राहुल गांधी ने यहां से चुनाव लड़ा और वो जीतकर लोकसभा पहुंचे. लेकिन उसके बाद 1991 से 1999 तक गांधी परिवार को कोई भी आदमी इस सीट पर नहीं रहा. लेकिन उसके बाद 2004 से राहुल गांधी इस सीट से लड़े और 2014 तक सांसद रहे. लेकिन 2019 में स्मृति ईरानी यहां से चुनाव जीत गई. अब 2024 में किशोरी लाल इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
गौतम अडानी ग्रुप की छह कंपनियों को भारत के पूंजी बाजार नियामक सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड आफ इंडिया से कारण बताओ नोटिस भेजा गया है.
हिंडनबर्ग की छाया से अभी अडानी ग्रुप मुक्त हुआ ही था कि SEBI ने इसकी 6 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस थमा दिया. SEBI ने गौतम अडानी ग्रुप की छह कंपनियों पर आरोप लगाया है कि रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन के मामले में इन कंपनियों ने नियमों का उल्लंघन किया है. इसके साथ ही इन कंपनियों पर शेयर बाजार में लिस्टिंग के नियमों का पालन नहीं करने और ऑडिटर के सर्टिफिकेट की वैधता से जुड़े आरोप लगाए गए हैं.
कंपनी ने खुद से दी जानकारी
सेबी से कारण बताओ नोटिस मिलने की जानकारी खुद अडानी एंटरप्राइजेज ने दी है. कंपनी ने मार्च तिमाही के रिजल्ट के साथ शेयर बाजारों को एक दिन पहले गुरुवार को नोटिस के बारे में जानकारी दी. कंपनी ने बताया कि सेबी से उसे जो कारण बताओ नोटिस मिले हैं, वे कथित तौर पर लिस्टिंग एग्रीमेंट के सेबी के प्रावधानों व डिसक्लोजर की जरूरतों (एलओडीआर रेगुलेशंस) का अनुपालन नहीं करने के चलते है.
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की जांच के बाद नोटिस
ये नोटिस अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों की सेबी की जांच के बाद जारी किए गए है. कारण बताओ नोटिस कोई अभियोग नहीं है. यह कंपनियों से यह बताने के लिए कहता है कि उनके खिलाफ मोनेटरी पेनॉल्टी सहित कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए. आरोप हैं कि कंपनी ने अपेक्षित अप्रूवल प्राप्त नहीं किया है, और फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स/एन्युअल रिपोर्ट में आवश्यक खुलासा नहीं किया है. अडानी पावर ने कहा कि उसने सेबी के नोटिस का जवाब दे दिया है.
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नोटिस का असर होने की संभावना नहीं
अडानी ग्रुप की इन कंपनियों ने कहा कि कानूनी आधार पर नियामक के नोटिस का असर होने की संभावना नहीं है. हालांकि, अडानी विल्मर और अडानी टोटल गैस को छोड़कर, इन संस्थाओं के ऑडिटर्स की राय के अनुसार सेबी की जांच के नतीजे भविष्य में फाइनेंशियल स्टेटमेंट को प्रभावित कर सकते हैं. अडानी एंटरप्राइजेज के ऑडिटरों ने कहा कि परिस्थितियों में किसी भी बदलाव या उपलब्ध अतिरिक्त जानकारी के आधार पर हम अपनी राय पर इस मामले के प्रभाव का मूल्यांकन करना जारी रखेंगे.
अडानी ग्रुप को सुप्रीम कोर्ट से मिली है राहत
अडानी ग्रुप के लिए एक बड़ी राहत के रूप में जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अदाणी-हिंडनबर्ग मामले की जांच सेबी से स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम को ट्रांसफर करने का कोई आधार नहीं है. इसके अलावा, अदालत ने सेबी को अपनी दो पेंडिंग इनवेस्टिगेशन को तीन महीने के भीतर पूरा करने और अपनी पूरी जांच को कानून के अनुसार लॉजिकल कनक्लुजन तक ले जाने का निर्देश दिया. उस समय सेबी ने अदाणी ग्रुप की 24 में से 22 जांच पूरी कर ली थीं.
बता दें कि 31 मार्च 2023 को समाप्त तिमाही के दौरान हिंडनबर्ग ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें अडानी ग्रुप की कंपनियों पर स्टॉक मैनिपुलेशन के साथ ही कई गंभीर आरोप लगाए गए थे. हालांकि, अडानी ग्रुप ने इन सभी आरोपों का खंडन किया था.
राहुल गांधी केरल के वायनाड के साथ-साथ रायबरेली से भी चुनाव लड़ रहे हैं. रायबरेली से आज नामांकन दाखिल कर रहे हैं.
रायबरेली और अमेठी को लेकर चले आ रहे संशयों के बीच पार्टी ने अमेठी और रायबरेली से अपना उम्मीदवार तय कर लिया है. पार्टी ने रायबरेली से राहुल गांधी का नाम फाइनल कर दिया है तो वहीं अमेठी से परिवार के भरोसेमंद के एल शर्मा को मैदान में उतारा है. इन दो सीटों से जारी संशय के बीच पार्टी ने अमेठी सीट को फिलहाल छोड़़ दिया है. हालांकि खबरें ऐसी थी कि अमेठी से राहुल गांधी और रायबरेली से प्रियंका गांधी चुनाव लड़ सकती हैं. लेकिन आखिरी मौके पर पार्टी ने रायबरेली से राहुल गांधी को उतारने का निर्णय ले लिया.
परिवार की पुरानी सीट है रायबरेली
अमेठी सीट पर नामांकन का आज आखिरी दिन है. 1981 में भी कुछ ऐसा ही माहौल निर्मित हुआ था. जब राजीव गांधी ने आखिरी समय में अपने नाम की घोषणा के साथ ही पर्चा दाखिल किया था. कुछ उसी तर्ज पर आज पार्टी ने आखिरी दिन राहुल गांधी का नाम रायबरेली से तय कर दिया. जबकि पार्टी ने अमेठी से के एल शर्मा को मैदान में उतारा है. केएल शर्मा वो शख्स हैं जो कांग्रेस कार्यकर्ता होने के साथ साथ गांधी परिवार के भी भरोसेमंद माने जाते हैं. उन्हें 1981 में राजीव गांधी लुधियाना से लेकर आए थे
अकूत दौलत के मालिक
राहुल गांधी केरल की वायनाड सीट से सांसद हैं और इस बार भी उन्होंने इस सीट से नामांकन दाखिल कर दिया है. अपने नामांकन के साथ राहुल ने एक एफिडेविट भी दाखिल किया है, जिसमें उनकी संपत्ति का विवरण है. चलिए जानते हैं कि कांग्रेस के युवराज के पास कुल कितनी दौलत है. कांग्रेस लीडर के पास कुल चल संपत्ति 9,24,59,264 और अचल संपत्ति करीब 11,14,02,598 रुपए की है. इस तरह से उनके पास कुल 20,38,61,862 रुपए की संपत्ति है. राहुल ने चुनाव आयोग को जानकारी दी है उसके मुताबिक वित्तीय वर्ष 2022-23 में राहुल गांधी की वार्षिक आय 1,02,78,680 करोड़ रुपए रही. 21-22 में उन्होंने 1,31,04,970 करोड़, 20-21 में 1,29,31,110 करोड़, 19-20 में 1,21,54,470 करोड़ और 18-19 में 1,20,37,700 करोड़ रुपए कमाए.
स्टॉक मार्केट में लगा है पैसा
राहुल के बैंक अकाउंट में 26,25,157 रुपए हैं. वहीं, उनके पास कैश में केवल 55 हजार रुपए है. कांग्रेस लीडर ने स्टॉक मार्केट में भी निवेश किया हुआ है, जिसकी वैल्यू करीब 4.3 करोड़ रुपए है. उन्होंने म्यूचुअल फंड्स में भी 3.81 करोड़ रुपए का निवेश किया हुआ है. राहुल गांधी के पास यंग इंडियन के 1900 शेयर हैं. कांग्रेस के युवराज ने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में 15,21,740 रुपए का निवेश किया है. इसके अतिरिक्त, पोस्ट ऑफिस, बीमा पॉलिसी में उनके 61,52,426 रुपए लगे हैं. वायनाड सांसद के पास 4,20,850 रुपए की ज्वेलरी भी है.
राहुल पर है इतनी देनदारी
राहुल गांधी पर 49,79,184 रुपए की देनदारी भी है. उनके पास दिल्ली के मेहरौली में दो कृषि भूमि हैं, जो उन्हें विरासत में मिली हैं. इसकी वर्तमान कीमत 2,10,13,598 रुपए है. दौलत का पहाड़ होने के बावजूद राहुल के पास खुद का घर नहीं है. हालांकि, गुरुग्राम में उनके नाम पर 2 कॉमर्शियल बिल्डिंग हैं, जिसकी कीमत 9 करोड़ से ज्यादा है. अगर राहुल गांधी आज अमेठी से नामांकन दाखिल कर देते हैं, तो इस सीट पर चुनाव एक बार फिर रोचक हो जाएगा.
शेयर बाजार के लिए आज सप्ताह का आखिरी कारोबारी दिन है और आज के लिए कुछ शेयरों में तेजी के संकेत मिले हैं.
एक दिन की छुट्टी के बाद शेयर बाजार (Stock Market) गुरुवार को वापस ट्रैक पर लौट आया. बाजार के वापस तेजी वाले ट्रैक पर लौटने के कई कारण रहे, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है विदेशी संस्थागत निवेशकों का पूंजी प्रवाह. विदेशी निवेशक हमारे शेयर बाजार में फिर से खरीदारी कर रहे हैं. कल यानी गुरुवार को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का 30 शेयरों वाला सूचकांक सेंसेक्स 128.33 अंकों की उछाल के साथ 74,611.11 और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 43.35 अंकों की बढ़त के साथ 22,648.20 पर बंद हुआ. चलिए जानते हैं कि आज कौनसे शेयर ट्रेंड में रह सकते हैं.
ये हैं MACD के संकेत
मोमेंटम इंडिकेटर मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डिवर्जेंस (MACD) ने आज के लिए M&M, Oberoi Realty, Vadilal Industries, Sanofi India और BASF India में तेजी के संकेत दिया हैं. इसका मतलब है कि आज उन शेयरों के भाव उछल सकते हैं. ऐसे में आपके लिए उन पर दांव लगाकर मुनाफा कमाने की गुंजाइश भी बन सकती है. हालांकि, BW हिंदी आपको सलाह देता है कि स्टॉक मार्केट में निवेश से पहले किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से परामर्श ज़रूर कर लें, अन्यथा आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसी तरह, MACD ने Godrej Properties, Data Patterns, KPI Green Energy, Honeywell Automation और Senco Gold में मंदी का रुख दर्शाया है.
इन पर भी रखें नजर
अब उन शेयरों के बारे में भी जान लेते हैं, जिनमें मजबूत खरीदारी देखने को मिल रही है. इस लिस्ट में कमर्शियल व्हीकल कंपनी Ashok Leyland के साथ-साथ REC, KFin Technologies, Raymond, Carborundum Universal, Trent और Triveni Turbine शामिल हैं. इनमें से कुछ शेयरों ने अपना 52 वीक का हाई लेवल पार कर लिया है. वहीं, Kotak Mahindra Bank के शेयर में बिकवाली का दबाव दिखाई दे रहा है. RBI की कार्रवाई के बाद से कोटक के शेयरों में गिरवाट है. कल इसमें 2.83% की नरमी आई और पिछले 5 सत्रों में यह 4.53% टूट चुका है.
(डिस्क्लेमर: शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन है. 'BW हिंदी' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. सोच-समझकर, अपने विवेक के आधार पर और किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह के बाद ही निवेश करें, अन्यथा आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है).
ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म की इस राय का शेयर पर क्या असर पड़ेगा ये तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा. लेकिन पिछले पांच दिनों में कंपनी के शेयर में बढ़त दिख रही है.
क्या आप भी उन निवेशकों में है जिन्होंने वोडाफोन आईडिया के शेयरों में निवेश किया है. अगर हां तो आपके लिए खबर ये है कि ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म बोफा ने वोडा आईडिया की रैंकिंग में सुधार कर दिया है. वोडा आईडिया को इस फर्म की ओर से अंडरपरफॉर्म से न्यूट्रल कर दिया है. कंपनी ने वोडा आईडिया के मार्केट शेयर को लेकर भी कई घोषणाएं की है जिनके बाद अंदाजा लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में कंपनी का शेयर और तेजी पकड़ सकता है.
ब्रोकरेज फर्म ने किस आधार पर की है घोषणा
ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म ने इसे पहले अंडरपरफॉर्मर की श्रेणी में रखा था, लेकिन अब इसे वहां से निकालकर न्यूट्रल कर दिया है. यही नहीं सबसे खास बात ये है कि पहले फर्म ने इसे सेल कैटेगिरी में रखा था. फर्म की राय में ये बदलाव कंपनी की हालिया परफॉर्मेंस से हुई है. हालिया समय में कंपनी की ओर से जुटाए गए फंड ने उसकी रैंकिंग में बदलाव किया है. अब फर्म ने इसका टारगेट 9 रुपये से बढ़ाकर 14.5 रुपये तक कर दिया है. लेकिन फर्म ने ये भी कहा है कि इसके आगे जाने में उसे परेशानी हो सकती है.
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क्यों नहीं की है खरीदने की सिफारिश?
सबसे ध्यान देने योग्य बात ये है कि रैंकिंग में बदलाव के बावजूद अभी भी फर्म ने इसे लेकर खरीदने की सिफारिश नहीं की है. फर्म ने 2025/26 के लिए अपने ईपीएस अनुमान को क्रमश: 2.7 रुपये और 1.5 रुपये पर समायोजित किया है. पहले फर्म ने इसे लेकर 10प्रतिशत से लेकर 15 प्रतिशत का अनुमान जताया था लेकिन अब उसे बढ़ाकर 20 प्रतिशत से लेकर 25 प्रतिशत कर दिया है.
आज क्या रही है शेयर की स्थिति?
वोडाफोन आईडिया के शेयर की गुरुवार की स्थिति पर नजर डालें तो दिखता है कि आज कंपनी का शेयर 13.25 रुपये पर खुला था जबकि 13.20 रुपये पर बंद हो गया. इसी तरह से पिछले पांच दिन की स्थिति पर नजर डालें तो ये शेयर 12.90 रुपये का था. जबकि आज 13.20 रुपये पर पहुंचा है. वहीं अगर इस शेयर के 52 हफ्ते के हाई लेवल पर नजर डालें तो ये 18.40 रुपये था जबकि 52 वीक का लो 6.55 रुपये रहा है.
नोट- BW HINDI की इस खबर का मकसद आपको जानकारी मुहैया कराना है. शेयर बाजार में कोई भी निवेश करने से पहले अपने फाइनेंशियल एक्सपर्ट से राय जरूर लें.
दुनियाभर में लगातार बदलते मौसम के बीच चर्चा ये हो रही है कि आखिर क्लाइमेट रिस्क से कैसे बचा जा सकता है. इसी को लेकर दुनियाभर की वित्तिय संस्थाएं काम कर रही हैं.
इस साल फरवरी में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से जारी की किए गए क्लाइमेट रिस्क ड्राफ्ट को लेकर अब द सेंटर फॉर फाइनेंशियल अकाउंटेबिलिटी की ओर से आरबीआई को सुझाव दिया है. सीएफए ने कहा है कि इस मामले में आरबीआई को जलवायु जोखिम के बारे में अपनी समझ को और बढ़ाने के साथ फाइनेंशियल संस्थानों द्वारा होने वाले खुलासे के स्तर को बढ़ाने और व्यापक जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त निरीक्षण तंत्र का पता लगाने की जरूरत है.
आखिर क्या है ये पूरा मामला?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दरअसल आरबीआई की ओर से इस साल फरवरी में क्लाइमेट रिस्क को लेकर ड्रॉफ्ट रिपोर्ट जारी की गई थी. इस रिपोर्ट के अनुसार, वित्तिय संस्थानों को अपनी गवर्नेंस स्ट्रक्चर, रणनीति, जोखिम प्रबंधन को लेकर रेग्यूलर तरीके से रिपोर्ट देनी होती है. इसका मकसद उनके द्वारा किए गए निवेश की गई राशि की जलवायु आपातकाल में सुरक्षा करना है. आरबीआई ने जब ये ड्रॉफ्ट रिपोर्ट बनाई गई थी उसके बाद इस पर फीडबैक मांगा गया था. अब इसी मामले को लेकर उस पर सीएफए ने अपनी राय दी है.
सीएफए ने अपने फीडबैक में क्या कहा है
CFA की ओर से अपने फीडबैक को लेकर कई अहम बातें कही है. सीएफए ने कहा है कि जबकि ये ड्राफ्ट सभी वित्तिय संस्थानों को स्किल्स, क्षमता, डेटा की उपलब्धता, के बारे में जानकारी मांगता है लेकिन इसमें जानकारियों को देने की आवश्यकता के बारे में स्थिति साफ नहीं है, न ही इसमें ये बताया गया है कि आखिर उन्हें दूर करने का उपाय क्या है. सीएफए की ओर से ये भी कहा गया है कि अगर इसका प्रभावी तरीके से लागू करना है तो उसके लिए जरूरी है कि डिस्क्लोजर की जरूरतों के बारे में विस्तार से बताया जाए. सीएफए ने इस मामले में स्पष्ट निवेश मानकों, लक्ष्यों, सीमाओं, और निवारण तंत्रों को स्थापित करने के महत्व पर भी जोर दिया है.
जलवायु जोखिम क्या है?
जलवायु जोखिम, जलवायु परिवर्तन के कारण अलग-अलग उद्योगों को होने वाले नुकसान और हानि की तरह हैं. इंडस्ट्री पर ये प्रभाव बाढ़, जंगल की आग, अत्यधिक गर्मी, सूखे और तटीय बाढ़ जैसी लॉन्ग टर्म जलवायु घटनाओं के कारण होते हैं. मौजूदा समय में अब इंडस्ट्री को इसी रिस्क को पहचानने और उससे निपटने के लिए तैयार करने को हो रही है. कई कई बार जलवायु परिवर्तन इंडस्ट्री के लिए बेहद खतरनाक हो सकते हैं. ऐसे में इसके प्रभाव को समझने के लिए आरबीआई की ओर से ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार की गई है.
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भाजपा ने कैसरगंज लोकसभा सीट से करण भूषण सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. यह उनका पहला चुनाव है.
भाजपा ने विवादों में घिरे सांसद बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) का टिकट काट दिया है. पार्टी ने उत्तर प्रदेश की कैसरगंज लोकसभा सीट से उन्हें मैदान में नहीं उतारने का फैसला लिया है. हालांकि, BJP के इस फैसले से बात-बात पर नाराज होने वाले बृजभूषण के नाराज होने की कोई गुंजाइश नहीं है. क्योंकि पार्टी ने उनकी जगह उनके बेटे करण भूषण को टिकट दिया है. अब करण कैसरगंज लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे.
नेशनल खिलाड़ी हैं करण
करण भूषण सिंह (Karan Bhushan Singh) बीजेपी के मौजूदा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के छोटे बेटे हैं. 13 दिसंबर 1990 को जन्मे करण एक बेटी और एक बेटे के पिता हैं. वह डबल ट्रैप शूटिंग के नेशनल खिलाड़ी भी रह चुके हैं. करण ने डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय से BBA और LLB की डिग्री लेने के बाद ऑस्ट्रेलिया से बिजनेस मैनेजमेंट में डिप्लोमा किया है. वर्तमान में वह उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के साथ ही सहकारी ग्राम विकास बैंक (नवाबगंज, गोण्डा) के अध्यक्ष हैं. यह करण भूषण का पहला चुनाव है.
चलाते हैं कई स्कूल-कॉलेज
माना जा रहा है कि करण कल अपना नामांकन दाखिल कर सकते हैं. प्रत्याशियों को नामांकन के साथ एक हलफनामा भी दाखिल करना पड़ता है, जिसमें उनकी संपत्ति का विवरण होता है. लिहाजा, कल यह पता चलेगा कि करण के पास कुल कितनी संपत्ति है. वैसे, कुछ रिपोर्ट्स में बताया गया है कि करण अपने पिता के 50 से अधिक स्कूल-कॉलेज संभालते हैं. इनमें से कुछ स्कूल-कॉलेज देवी पाटन मंडल के चारों जिले - गोंडा, बलरामपुर, बहराइच और श्रावस्ती में हैं. यहां से उन्हें मोटी कमाई होती है.
पिता के पास अकूत दौलत
वहीं, उनके पिता बृजभूषण शरण सिंह की बात करें, तो उनके पास दौलत का पहाड़ है. साल 2019 में दाखिल चुनावी हलफनामे में बृजभूषण ने बताया था कि उनके पास 10 करोड़ से अधिक की संपत्ति है. BJP सांसद लग्जरी कारों के भी शौकीन हैं. उनके कारों के कलेक्शन में Endevo, महिंद्रा स्पोर्पिंयो जैसी गाड़ियां शामिल हैं. बृजभूषण सिंह की पत्नी के पास 63,444,541 की संपत्ति है. वाइफ के नाम पर 18 लाख की टोयोटा और 20 लाख की फॉर्च्यूनर भी है. बृजभूषण सिंह के पास 1 पिस्टल, 1 राइफल, 1 रैपिटर है. जबकि पत्नी के नाम पर 1 राइफल और 1 रैपिटर है. करण के पिता के पास करीब 1 करोड़ की खेतीहर जमीन और 2 करोड़ की गैर-कृषि भूमि है. उनके नाम पर 25 लाख की एक कॉर्मिशियल बिल्डिंग और 2 करोड़ की रेजिडेंशियल बिल्डिंग भी है.
ईडी ने गेमिंग घोटाले के मामले में ईडी ने कुल 163 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त और कुर्क की है, जिसमें नकदी, क्रिप्टोकरेंसी, बैंक खाते की शेष राशि और कुछ कार्यालय शामिल हैं.
प्रवर्तन निदेशालय (ED) कोलकाता ने 'ई-नगेट' नामक एक प्रमुख 'ऑनलाइन गेमिंग ऐप घोटाले' के खिलाफ सफल ऑपरेशन को अंजाम दिया है. गेमिंग प्लेटफॉर्म के रूप में पेश किए गए ई-नगेट ऐप ने उपयोगकर्ताओं को उनके निवेश पर रिटर्न का वादा किया था. चलिए जानते हैं क्या है ये पूरा मामाल?
ज्यादा मुनाफे के झांसे में आए यूजर्स
यह जांच एक ई-नगेट नाम के एक फर्जी गेमिंग ऐप से संबंधित है. खुद को एक गेमिंग मंच बताने वाली ई-नगेट ने वास्तविक पैसे पर दांव लगाने और भारी कमीशन देने का वादा किया था. हालांकि, निवेश किए जाने के बाद ऐप बंद हो गया और निवेशकों को अपने धन को वापस पाने का कोई रास्ता नहीं मिला. इस संबंध में कोलकाता के पार्क स्ट्रीट थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी. उसी के आधार पर धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों तहत ईडी ने यह कार्रवाई की है.
2022 में हुआ खुलासा
जानकारी के अनुसार ईजी ने 2022 में इस घोटाले का खुलासा किया. इस दौरान पता चला कि गलत तरीके से कमाए गए लाभ का एक हिस्सा डिजिटल संपत्तियों में निवेश किया गया था. जांच के दौरान लगभग 2,500 डमी बैंक खातों की पहचान की गई और उनका विश्लेषण किया गया.
19 करोड़ की नकद राशि हुई थी जब्त
इस मामले में घोटाले के मास्टरमाइंड आमिर खान और रोमेन अग्रवाल को भी गिरफ्तार किया गया और वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है. ईडी ने कई एक्सचेंजों से विशेष रूप से बिनेंस, जेबपे और वजीरएक्स के कई क्रिप्टो वॉलेट का विवरण मांगा. बिनेंस और अन्य एक्सचेंजों से इकट्ठा जानकारी के कारण 70 खातों में 90 करोड़ की धनराशि रोक दी गई. बिनेंस, जेबपे और वजीरएक्स के पास रखे गए 70 खातों में 90 करोड़ रुपये उपलब्ध हैं, जो घोटाले से जुड़े थे. इन क्रिप्टो संपत्तियों को ईडी ने अपने कब्जे में लेकर ईडी के क्रिप्टो वॉलेट में स्थानांतरित कर दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 90 करोड़ क्रिप्टो करेंसी सहित ईडी ने कुल 163 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त और कुर्क की है, जिसमें नकदी, बैंक खाते की शेष राशि और कुछ कार्यालय शामिल हैं.