पतंजलि फूड्स लिमिटेड का नाम पहले रुचि सोया इंडस्ट्रीज था, लेकिन पतंजलि के इसका अधिग्रहण करने के बाद नाम बदल दिया गया.
योग गुरु बाबा रामदेव (Baba Ramdev) तेजी से कारोबारी दुनिया में पैर फैलाते जा रहे हैं. बाबा की कंपनी पतंजलि फूड्स लिमिटेड (Patanjali Foods Limited) ने कई नए प्रोडक्ट लॉन्च करके बाजार में अपनी हिस्सेदारी मजबूत करने की कोशिश की है. कंपनी ने विभिन्न कंज्यूमर सेगमेंट के लिए कुल 14 नए उत्पाद पेश किए हैं. इसमें नए रागी बिस्किट, 7-ग्रेन बिस्किट, डाइजेस्टिव बिस्किट, स्पोर्ट्स ड्रिंक और ब्रैंडेड ड्राई फ्रूट्स भी शामिल हैं.
बाबा को मुनाफे की आस
पतंजलि ने स्पोर्ट्स से जुड़े लोगों के लिए Nutrela Sports लॉन्च किया है. इसमें स्पोर्ट्स ड्रिंक और स्पोर्ट्स विटामिन एंड मिनरल सप्लीमेंट शामिल है. इसके अलावा कंपनी ने न्यूट्रेला मैक्स मिलेट्स और न्यूट्रेला मैक्सएक्सनट्स भी बाजार में पेश कर दिया है. दरअसल, स्पोर्ट्स न्यू्ट्रिशन प्रोडक्ट्स की डिमांड में तेजी देखने को मिली है. एक रिपोर्ट बताती है कि भारतीय स्पोर्ट्स न्यूट्रिशन इंडस्ट्री साल 2028 तक 18 फीसदी की CAGR (Compound Annual Growth Rate) से बढ़ने का अनुमान है. इसी के साथ ही बढ़कर 8000 करोड़ रुपए की हो जाएगी. इसी को ध्यान में रखते हुए बाबा रामदेव ने न्यूट्रेला स्पोर्ट्स लॉन्च लॉन्च किया है.
45000 करोड़ का टर्नओवर
नए प्रोडक्ट्स की लॉन्चिंग के दौरान रामदेव ने बताया कि पतंजलि का टर्नओवर लगभग 45000 करोड़ रुपए है. हम दुनिया में करीब 200 करोड़ और भारत में 70 करोड़ लोगों तक पहुंच गए हैं. बाबा बे आगे कहा कि हमने कई विदेशी कंपनियों को शीर्षासन कराकर भारतीय बाजार से विदाई दे दी है.
भारत में पहले विदेशी कंपनियों का कब्जा था. बिस्किट से लेकर घी, तेल, आटा और चावल सहित पूरी रसोई विदेशी कंपनियों के सामान से भरी रहती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है. पतंजलि के उत्पादों ने पूरी तस्वीर उलटकर रख दी है. आज आपको घर-घर में पतंजलि का सामान देखने को मिल जाएगा.
उछाल मार रहे शेयर
पतंजलि फूड्स लिमिटेड का नाम पहले रुचि सोया इंडस्ट्रीज था, लेकिन सितंबर, 2019 में पतंजलि के इसका अधिग्रहण करने के बाद पिछले साल ही रुचि सोया का नाम बदलकर पतंजलि फूड्स किया गया. उधर, नए प्रोडक्ट्स की लॉन्चिंग के साथ ही शेयर बाजार में पतंजलि के शेयर उछाल पर हैं. खबर लिखे जाने तक इनमें 1.23% की तेजी आ चुकी थी. पिछले 5 कारोबारी सत्रों में ये शेयर 10.75% का रिटर्न दे चुके हैं और एक महीने में यह आंकड़ा 18.48% रहा है.
टाटा के बाद अब बिड़ला ग्रुप ने भी ज्वैलरी सेगमेंट में एंट्री ली है. कंपनी ने 'Indriya' के नाम से ज्वैलरी ब्रांड को लॉन्च किया है.
आदित्य बिड़ला ग्रुप ने ज्वैलरी सेगमेंट में एंट्री मार ली है. कंपनी ने 'Indriya' नाम से ब्रांड लॉन्च किया है. देश के तीन शहरों में 4 स्टोर्स के साथ कंपनी मैदान में उतरी है. इंद्रिय के स्टोर दिल्ली के करोल बाग, जयपुर और इंदौर में खोले गए हैं. कंपनी ने कहा कि अगले 5 साल में भारत का तीसरा सबसे बड़ा ज्वैलरी रिटेल ब्रांड बनने का लक्ष्य लेकर वह चल रही है. इस बिजनेस में विस्तार के लिए 5000 करोड़ का निवेश किया जाएगा.
अगले 6 महीनों में खोले जाएंगे 11 स्टोर
भारत में ज्वैलरी का बाजार करीब 6.7 लाख करोड़ रुपए का है. इस ज्वैलरी बाजार में बिड़ला ग्रुप ने एंट्री ली है. कंपनी ने कहा कि फिलहाल 3 शहरों में चार रीटेल स्टोर खोले गए हैं. अगले 6 महीने में 11 शहरों में इंद्रिय स्टोर खोलने की योजना कंपनी की है. कंपनी ने 5000 एक्सक्लूसिव डिजाइन के साथ हर 45 दिन में नया डिजाइन लॉन्च करने की बात की है.
इन बड़े ब्रांड के साथ होगी टक्कर
बिड़ला समूह ने ब्रांडेड ज्वेलरी के रिटेल बिजनेस में ऐसे समय कदम रखा है, जब देश में अनब्रांडेड आभूषणों की तुलना में ब्रांडेड आभूषणों का आकर्षण बढ़ा है. ग्राहकों का एक बड़ा हिस्सा अब पारंपरिक सर्राफा दुकानों के बजाय ब्रांडेड आभूषणों को खरीदना पसंद कर रहा है. इस सेगमेंट में पहले से मौजूद कई दिग्गजों से बिड़ला की सीधी टक्कर होने वाली है. तनिष्क ब्रांड के जरिए टाटा समूह, रिलायंस जेवेल्स के माध्यम से रिलायंस समूह के अलावा ब्रांडेड ज्वेलरी के सेगमेंट में कल्याण ज्वेलर्स, जोयालुक्कास, मालाबार आदि जैसे ब्रांड इस सेगमेंट में पहले से हैं.
टॉप-3 ब्रांड में एक बनने का लक्ष्य
कुमार मंगलम बिड़ला ने अपने समूह के ज्वेलरी ब्रांड इंद्रीय की लॉन्चिंक के मौके पर कहा कि इस ब्रांड को अगले पांच साल में देश के टॉप-3 ज्वेलरी ब्रांड में से एक बनाना लक्ष्य है. कुमार मंगलम बिड़ला अभी आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन हैं. उन्होंने बताया कि अभी उनके समूह का लगभग 20 फीसदी राजस्व कंज्युमर बिजनेस से आ रहा है. उन्हें अगले पांच साल में यह आंकड़ा 25 फीसदी से ज्यादा हो जाने और 25 बिलियन डॉलर के करीब पहुंच जाने की उम्मीद है.
सेबी ने अपनी जांच में पाया कि विजय माल्या फर्जी तरीके से अपनी ही ग्रुप के शेयरों में लेन-देन कर रहे थे जो कि निवेशकों के लिए हानिकारक था.
भगोड़े विजय माल्या पर सरकार की ओर से बड़ी कार्रवाई की गई है. ये कार्रवाई शेयर बाजार रेगुलेटर SEBI की ओर से हुई है. SEBI ने भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को सिक्योरिटी मार्केट्स से बैन करने के साथ ही उन्हें तीन साल के लिए किसी भी लिस्टिड कंपनी से जुड़ने से रोक दिया. SEBI ने यह कार्रवाई यूबीएस एजी के साथ विदेशी बैंक अकाउंट्स का इस्तेमाल कर इंडियन सिक्योरिटी मार्केट में पैसा भेजने के मामले में की है. भारत सरकार माल्या को उनकी अब बंद हो चुकी कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस से संबंधित धोखाधड़ी के आरोपों का सामना करने के लिए ब्रिटेन से प्रत्यर्पित करने का प्रयास कर रही है.
SEBI का आदेश फौरी तौर पर लागू
सेबी ने जारी अपने आदेश में कहा, विजय माल्या किसी भी हैसियत में लिस्टेड कंपनी या कोई भी प्रस्तावित लिस्टेड कंपनी के साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर आदेश के जारी होने की तारीख से लेकर अगले तीन सालों तक नहीं जुड़े रहेंगे. इस अवधि के दौरान विजय माल्या की किसी भी सिक्योरिटीज की होल्डिंग जिसमें म्यूचुअल फंड्स में यूनिट्स भी शामिल है वो फ्रीज रहेगा. सेबी का विजय माल्या को लेकर जारी आदेश फौरी तौर पर लागू हो चुका है.
ऐसे भेज रहा था पैसा
SEBI ने जनवरी 2006 से मार्च 2008 तक की अवधि की जांच में पाया कि माल्या ने अपने ग्रुप की कंपनियों- हर्बर्टसन लिमिटेड और यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड (USL) के शेयरों का गोपनीय ढंग से कारोबार करने के लिए विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) मैटरहॉर्न वेंचर्स का इस्तेमाल किया. इसके लिए विभिन्न विदेशी खातों के माध्यम से धन भेजा गया. पूर्व शराब कारोबारी माल्या ने मैटरहॉर्न वेंचर्स का इस्तेमाल कर यूबीएस एजी के साथ विभिन्न खातों के माध्यम से भारतीय प्रतिभूति बाजार में धन लगाया. उसने अपनी असली पहचान छिपाने के लिए विभिन्न विदेशी संस्थाओं का इस्तेमाल किया.
2019 में विजय माल्या को भगोड़ा घोषित
किंगफिशर एयरलाइंस समेत कई कंपनियों के मालिक रहे भारतीय बिजनेसमैन विजय माल्या पर देश के 17 बैंकों के करीब 9 हजार करोड़ रुपए बकाया हैं. माल्या 2016 में देश छोड़कर ब्रिटेन भाग गया था, जहां से भारत सरकार उसे देश लाने का प्रयास कर रही है. माल्या पर फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग के केस चल रहे हैं. 5 जनवरी 2019 को अदालत ने विजय माल्या को भगोड़ा घोषित कर दिया था.
पूंजी बाजार नियामक ने जुलाई में तीन आईपीओ के कागजात को पीछे धकेल दिया है.
विशाल मेगा मार्ट (Vishal Mega Mart) और अवांसे फाइनेंशियल सर्विसेज (Avanse Financial Services) के आईपीओ का इंतजार अभी और लंबा हो सकता है. इसकी वजह ये है कि बाजार नियामक सिक्योरिटीज (SEBI) के IPO पेपर को वापस भेज दिया है. अब इन कंपनियों को सोमवार तक फिर से आईपीओ के लिए प्रॉस्पेक्टस फाइल करना है. सेबी ने आईपीओ के ड्राफ्ट को खारिज नहीं किया बल्कि किसी अन्य वजह से उन्हें फिर से आवेदन करने का निर्देश दिया है.
तकनीकी कारणों से वापस भेजा ड्राफ्ट
विशाल मेगा मार्ट ने करीब दो हफ्ते पहले गोपनीय फाइलिंग के तहत आईपीओ का ड्राफ्ट प्रॉस्पेक्टस दाखिल किया था. वहीं अवांसे फाइनेंशियल ने 21 जून को अपने आईपीओ का ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) फाइल किया था. मीडिया रिपोर्ट्स ने जो जानकारी दी है, उसके मुताबिक सेबी ने इनके प्रॉस्पेक्टस को खारिज नहीं किया है बल्कि इसे वापस भेजने की वजह तकनीकी है और इन कंपनियों को सोमवार तक फिर से ड्राफ्ट फाइल करना है.
एक और अन्य IPO पर भी लगाई रोक
इस महीने की शुरुआत में सेबी ने एक और नॉन-बैंक लेंडर एसके फाइनेंस के भी प्रस्तावित आईपीओ को रोक दिया था. सेबी ने 8 जुलाई को अपनी वेबसाइट पर इसका खुलासा किया था. इसने मई में आईपीओ के लिए ड्राफ्ट फाइल किया था. इसकी योजना 500 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी करने की थी. इसके अलावा 1700 करोड़ रुपये के शेयरों की प्रमोटर्स और मौजूदा शेयरहोल्डर्स ऑफर फॉर सेल विंडो के तहत बिक्री करते.
दोनों कंपनियों के बारे में
केदार कैपिटल (Kedaara Capital) और पार्टनर्स ग्रुप (Partners Group) के निवेश वाली विशाल मेगा मार्ट देश में फैशन से जुड़ी हाइपरमार्केट चेन चलाती है. इसका लक्ष्य आईपीओ के दरिए 100 करोड़ डॉलर जुटाने का है. इसके आईपीओ के लिए लीड इनवेस्टमेंट बैंकर्स कोटक महिंद्रा कैपिटल, जेफरीज, जेपी मॉर्गन, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज और मॉर्गन स्टेनले हैं. वहीं अवांसे फाइनेंशियल सर्विसेज एक NBFC है जिसका फोकस एडुकेशन पर है. यह एडुकेशन लोन मुहैया कराती है. इसमें वारबर्ग पिनकस, इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन, केदार कैपिटल, मुबादला इनवेस्टमेंट कंपनी और एवेंडुस फ्यूचर ने निवेश किया हुआ है.
कंपनी भारत में अपने प्रोडक्शन को और बढ़ाने की तैयारी कर रही है, इसके तहत कर्नाटक में एक प्लांट लगाने जा रही है.
भारत में मेड इन इंडिया आईफोन के सफल उत्पादन के बाद अब कंपनी आने वाले दिनों में भारत में आईपैड बनाने जा रही है. एप्पल के लिए फोन और आईपैड बनाने का काम फॉक्सकॉन करती है. फॉक्सकॉन आने वाले दिनों में अपने प्लांट का विस्तार करने जा रही है. इस विस्तार के बाद कंपनी उसमें आईपैड का भी निर्माण करने लगेगी. इस प्लांट के विस्तार का काम पूरा होने के बाद कंपनी भारत में ही आईपैड की असेंबलिंग करना शुरू कर देगी.
आखिर क्या है कंपनी की पूरी योजना?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, फॉक्सकॉन अपने तमिलनाडु स्थित प्लांट का विस्तार करने जा रही है. कंपनी के इस प्लांट में मुख्य रूप से आईफोन बनाने का काम हो रहा है. लेकिन अब कंपनी इस प्लांट में विस्तार करने के साथ यहां आईपैड की असेंबलिंग का काम भी करने जा रही है. खबर आ रही है कि कंपनी श्रीपेरुबंदुर में कंपनी आने वाले दिनों में एप्पल की असेंबलिंग करने का काम करेगी.
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भारत के साथ कई और देशों में जा रहे हैं आईफोन
भारत में असेंबल हुए आईफोन की सिर्फ देश में ही घरेलू आपूर्ति नहीं हो रही है बल्कि उन्हें दुनिया के कई अन्य देशों में भी निर्यात किया जा रहा है. खास बात ये भी है कि इस समय भारत में एप्पल 14 फीसदी फोन की असेंबलिंग कर रही है. भारत में मौजूदा समय में आईफोन 12,आईफोन 13, आईफोन 14 और आईफोन 15 बनाए जा रहे हैं. वहीं 23 जुलाई को पेश हुए बजट में सरकार से इलेक्ट्रॉनिक इक्यूपमेंट के आयात पर कस्टम ड्यूटी को 20 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया है. इस कस्टम फीस के कम होने से भारत में इलेक्ट्रॉनिक इक्यूपमेंट का आयात कम हो जाएगा. इससे कीमतों में भी कमी आने की संभावना है.
कंपनी कर्नाटक में भी लगा रही है प्लांट
फॉक्सकॉन आने वाले दिनों में भारत में अपने प्रोडक्शन को बढ़ाने की भी तैयारी कर रही है. फॉक्सकॉन की सहयोगी कंपनी 1200 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है जिसके माध्यम से कंपनी कर्नाटक में एक और प्लांट लगाने की तैयारी कर रही है. सबसे विशेष बात ये भी है कि कंपनी उसमें आने वाले दिनों में एप्पल और उसके दूसरे प्रोडक्ट का प्रोडक्शन शुरू करने की तैयारी कर रही है. फॉक्सकॉन गूगल से भी उसके पिक्सल फोन की असेंबलिंग के लिए बातचीत कर रही है. अगर ये बात बनती है तो माना जा रहा है कि कंपनी उसकी असेंबलिंग भी यहां कर सकती है.
शुक्रवार को बाजार नए रिकॉर्ड ऊपरी स्तर पर बंद हुआ. IT और मेटल शेयरों में सबसे ज्यादा तेजी देखने को मिली.
शेयर मार्केट के लिए हफ्ते का आखिरी कारोबारी सत्र निवेशकों के लिए राहत लेकर आया है. पांच दिनों से जारी गिरावट पर आज ब्रेक लग गया. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी ऑलटाइम हाई बनाने में कामयाब रहा है. आईटी, ऑटो, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और फार्मा स्टॉक्स में खरीदारी के चलते सेंसेक्स 1350 अंकों के उछाल के साथ बंद हुआ है. जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 444 अंकों के उछाल के साथ 24,850 अंकों पर बंद हुआ है. निवेशकों की संपतति में 7 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है.
रिकॉर्ड स्तर पर बंद हुआ मार्केट
अब इक्विटी बेंचमार्क इंडेक्सों की बात करें तो बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) आज 1,292.92 प्वाइंट्स यानी 1.62 फीसदी की तेजी के साथ 81,332.72 और निफ्टी 50 (Nifty 50) 428.75 प्वाइंट्स यानी 1.76 फीसदी के उछाल के साथ 24,834.85 पर बंद हुआ है. सेंसेक्स का सिर्फ एक शेयर ही आज रेड जोन में बंद हुआ तो निफ्टी 50 के 47 शेयरों में तेजी रही. इंट्रा-डे में निफ्टी 24,860.05 के नए हाई पर पहुंच गया था.
फार्मा-हेल्थकेयर-ऑटो-आईटी स्टॉक्स में तेजी
निफ्टी ऑलटाइम हाई को छूने में कामयाब रहा तो निफ्टी के 50 शेयरों में 47 तेजी के साथ बंद हुए जबकि केवल तीन शेयर गिरकर बंद हुए. निफ्टी में तेजी में जिन स्टॉक्स का योगदान रहा है उसमें Shriram Finance है जो 9.18 फीसदी, Divi's Lab 5.36 फीसदी, Cipla 5 फीसदी, Bharti Airtel 4.50 फीसदी, Apollo Hospitals 4.37 फीसदी, Adani Enterprises 3.60 फीसदी, Adani Ports 3.75 फीसदी, Wipro 3.54 फीसदी के उछाल के साथ बंद हुआ है. केवल ONGC 1.25 फीसदी, Tata Consumer Products 0.81 फीसदी, Nestlé 0.15 फीसदी की गिरावट के साथ क्लोज हुआ है.
सभी सेक्टर्स तेजी के साथ बंद
बाजार में तेजी में सभी सेक्टर्स का इंडेक्स हरे निशान में बंद हुआ है. सबसे बड़ी तेजी निफ्टी आईटी में रही, इसके अलावा ऑटो स्टॉक्स, बैंकिंग, फार्मा, हेल्थकेयर, एनर्जी, मेटल्स, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, ऑयल एंड गैस, मीडिया और रियल एस्टेट स्टॉक्स तेजी के साथ बंद हुए. भारतीय बाजार में तेजी को ग्लोबल मार्केट का बड़ा सपोर्ट मिला है. अमेरिकी शेयर बाजार गुरुवार को तेजी के साथ बंद हुए थे. तो शुक्रवार के सत्र में यूरोपीय बाजार तेजी के साथ कारोबार कर रहा हैं. बाजार में आई इस शानदार तेजी के बाद उतार-चढ़ाव मापने वाला इंडेक्स इंडिया VIX 3.01 फीसदी की कमजोरी के साथ क्लोज हुआ है.
निवेशकों की दौलत में 7.10 लाख करोड़ का उछाल
एक कारोबारी दिन पहले यानी 25 जुलाई 2024 को बीएसई पर लिस्टेड सभी शेयरों का कुल मार्केट कैप 4,49,82,435.88 करोड़ रुपये था. आज यानी 26 जुलाई 2024 को इक्विटी मार्केट का कारोबार बंद होने पर यह 4,56,92,671.33 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. इसका मतलब हुआ कि निवेशकों की पूंजी 7,10,235.45 करोड़ रुपये बढ़ गई है.
(डिस्क्लेमर: शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन है. 'BW हिंदी' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. सोच-समझकर, अपने विवेक के आधार पर और किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह के बाद ही निवेश करें, अन्यथा आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है).
मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले इंडिया (Nestle India) ने वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के नतीजे जारी किए.
मैगी बनाने वाली कंपनी नेस्ले इंडिया (Nestle India) ने 25 जुलाई को वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के नतीजे जारी किए हैं. वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही (Q1) में कंपनी का मुनाफा सालाना आधार (YoY) 7% बढ़कर 746 करोड़ रुपये हो गया. एक साल पहले की इसी तिमाही (Q1FY23-24) में कंपनी को 698 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था.
रेवेन्यू 4,813.95 करोड़ रुपए हुआ
नेस्ले इंडिया के ऑपरेशन से रेवेन्यू यानी आय में सालाना आधार पर 3.33% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में ऑपरेशन से रेवेन्यू 4,813.95 करोड़ रुपये का रहा. एक साल पहले की समान तिमाही यानी वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में रेवेन्यू 4,658.53 करोड़ रुपये था.
टोटल इनकम 3.65% बढ़ी
पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2025) में कंपनी की टोटल इनकम सालाना आधार (YoY) पर 3.65% की बढ़त के साथ 4,853 करोड़ रुपये रही, जो पिछले साल की समान तिमाही में 4,682 करोड़ रुपये थी. वहीं तिमाही आधार पर कंपनी की टोटल इनकम 8.33% घटी है.नतीजे आने के बाद नेस्ले का शेयर में 2.50% की गिरावट दर्ज की गई और यह 2,477 रुपये पर बंद हुआ. बीते एक साल में शेयर केवल 8.81% चढ़ा है.
भारत में कितनी है हिस्सेदारी
नेस्ले इंडिया लिमिटेड, मल्टीनेशनल कंपनी नेस्ले की इंडियन सब्सिडियरी है. इसे 28 मार्च 1959 को भारत में स्थापित किया गया था. इसका हेडक्वार्टर हरियाणा के गुड़गांव में है. कंपनी फूड, बेवरेजेस, चॉकलेट और कन्फेक्शनरी जैसे प्रोडक्ट्स बनाती है. पेरेंट कंपनी नेस्ले की नेस्ले इंडिया में 60% से ज्यादा की हिस्सेदारी है. नेस्ले इंडिया की पूरे देश में 9 प्रोडक्शन फैसिलिटीज हैं.
IEEE के अध्यक्ष और सीईओ टॉम कुगलिन ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि तेज तकनीकी प्रगति और इंडस्ट्री के बदलती तस्वीर के लिए इंजीनियरिंग शिक्षा में कई बदलाव की आवश्यकता है.
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के कारण पूरी दुनिया में नौकरी को लेकर जताई जा रही चिंताओं को लेकर IEEE की होने वाली प्रेसीडेंट जुड़े सुरक्षा विषयों पर अपनी बात रखते हुए कहती हैं कि 2024 IEEE प्रेसिडेंट-इलेक्ट कैथलीन ए क्रेमर ने कहा कि दुनिया में लोग समझ रहे हैं कि एआई के आने के बाद सबकुछ स्वर्ग जैसा हो जाएगा. लेकिन मैं इसे ऐसा मानती हूं कि 30 मिनट का वीडियो देखकर ये एक तरह से एक्सपर्ट होने वाली बात है. उन्होंने कहा कि एआई का सबसे अच्छा इस्तेमाल ये होगा कि वो इंसान की गलतियों को पकड़े. 2024 IEEE प्रेसिडेंट-इलेक्ट कैथलीन ए क्रेमर ने IEEE के दिल्ली में हुए शिखर सम्मेलन में कही.
क्या बोली IEEE की अगली प्रेसीडेंट?
2024 IEEE प्रेसिडेंट-इलेक्ट कैथलीन ए क्रेमर ने BW Hindi से बात करते हुए कहा कि एआई से जाने वाली नौकरियों की संभावना को लेकर कहा कि कि मैं मानती हूं कि एआई का एक काम ये भी है वो लोगों की वर्किंग को और आसान बनाने में अपनी भूमिका निभाए. 2024 IEEE प्रेसिडेंट-इलेक्ट कैथलीन ए क्रेमर ने एआई से इंसानियत की सुरक्षा जैसे मामले को लेकर कहा कि हम देख रहे हैं कि इस वक्त पूरी दुनिया में एआई को लेकर एक तरह बबल चल रहा है. उन्होंने कहा कि मैं दो एरिया में इसके इस्तेमाल को देख रही हूं जिसमें पहला हथियारों से जुड़ा मामला है और दूसरा एयरोस्पेस से जुड़ा क्षेत्र है. अगर हम एयरोस्पेस में उसका इस्तेमाल करते हैं तो हम क्रैश होने को कितना स्वीकार कर सकते हैं. इसी तरह से कई और भी तरह के ऐप हैं जिन्हें लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं. सवाल ये है कि क्या हम उनके परीक्षण के लिए तैयार हैं.
क्या बोले IEEE के प्रेसीडेंट?
IEEE के अध्यक्ष और सीईओ टॉम कुगलिन ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि तेज तकनीकी प्रगति और इंडस्ट्री के बदलती तस्वीर के लिए इंजीनियरिंग शिक्षा में कई बदलाव की आवश्यकता है. फ्लेक्सिबल और अंतःविषय दृष्टिकोण को अपनाकर और इंडस्ट्री एवं शिक्षा जगत के बीच मजबूत साझेदारी बनाकर, हम इंजीनियरों की अगली पीढ़ी को कौशल और ज्ञान प्रदान कर सकते हैं जिनकी उन्हें इनोवेशन के लिए और वैश्विक समस्याओं को हल करने के लिए आवश्यकता है. IEEE इन परिवर्तनों का समर्थन करने और यह सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है कि भारत में इंजीनियरिंग शिक्षा उत्कृष्ट बनी रहे.
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कैसे हासिल किए जा सकते हैं नए शोध
IEEE CASS और CSS दिल्ली चैप्टर के अध्यक्ष, NXP सेमीकंडक्टर्स में इंडिया इनोवेटिव इकोसिस्टम के हेड प्रीत यादव ने इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स से इंडस्ट्री की अपेक्षाओं के बारे में बात की. पैनलिस्ट डॉ. मधु चितकारा (प्रोफेसर-चांसलर, चितकारा यूनिवर्सिटी), डॉ. राहुल के. गज्जर ( वीसी गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी), डॉ. एस. वी. कोटा रेड्डी ( VC, VIT AP ) और दीपक माथुर ( 2024 VP, मेंबर एंड ज्योग्राफिक एक्टिविटी, IEEE) ने इस बारे में बात की कि साझेदारी कैसे वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल कर सकती है, नवीनतम शोध को शामिल कर सकती है और बेस्ट प्रेक्टिसिस को बढ़ावा दे सकती है. उन्होंने आज की तकनीकी और सामाजिक चुनौतियों के लिए कार्यबल तैयार करने के लिए सैद्धांतिक ज्ञान को व्यावहारिक कौशल के साथ मिश्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया.
शुक्रवार का दिन पेटीएम के निवेशकों के लिए काफी अच्छा रहा. दरअसल, कंपनी का शेयर 10 प्रतिशत की तेजी के साथ अपर सर्किट पर पहुंच गया, जिससे निवेशकों के हिस्से में अच्छा रिटर्न आया.
पेटीएम (Paytm) के निवेशकों के लिए लंबे समय बाद एक अच्छी खबर आई है. शुक्रवार को कंपनी का शेयर 10 प्रतिशत के अपर सर्किट को छू गया. दरअसल सरकार ने पेमेंट एग्रीगेटर बिजनेस के लिए पेटीएम के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. तो आइए जानते हैं इस खबर के बाद पेटीएम के शेयर की कीमत कितनी हो गई है?
शेयर में आई 10 प्रतिशत की उछाल
देश की सबसे बड़ी ऑनलाइन पेमेंट कंपनी पेटीएम (Paytm) का शेयर शुक्रवार को 10 प्रतिशत की तेजी के साथ अपर सर्किट पर पहुंच गया. सरकार ने पेमेंट एग्रीगेटर बिजनेस के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इस खबर के बाद पेटीएम की पेरेंट कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस का शेयर 10 प्रतिशत तेजी के साथ 509.05 रुपये पर पहुंच गया. इस शेयर का 52 हफ्ते का हाई प्राइस 998.30 रुपये है. वहीं, 52 हफ्ते का लो प्राइस 310 रुपये है.
पेटीएम को मिलेगा अपनी पेमेंट कंपनी को मजबूत करने का मौका
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पेटीएम पेमेंट एग्रीगेटर लाइसेंस हासिल करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से संपर्क कर सकता है. वहीं, आरबीआई भी इस पर आगे विचार कर सकता है. पेटीएम में चीन की कंपनी एंट ग्रुप की हिस्सेदारी के कारण सरकार उसे लाइसेंस देने के लिए संशय में थी, लेकिन पिछले कुछ महीनों में एंट ने धीरे-धीरे पेटीएम में अपनी हिस्सेदारी कम की है. इससे सरकार के रुख में नरमी आई है और उसने कंपनी को एफडीआई की मंजूरी दे दी. इस मंजूरी के बाद अब पेटीएम को अपनी पेमेंट कंपनी को मजबूत करने का मौका मिलेगा. बता दें, पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर शर्मा ने पिछले साल एंट से कैशलेस डील में 10.3 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल की और इसके साथ ही वह वन97 कम्युनिकेशंस में सबसे बड़े शेयरधारक बन गए. कंपनी में उनकी हिस्सेदारी 24 प्रतिशत से थोड़ी ज्यादा थी.
हाल में पेटीएम पर लगाए गए थे कई प्रतिबंध
आपको बता दें, इस समय पेटीएम काफी मुश्किल दौर से गुजर रही है. आरबीआई ने साल 2022 में पेटीएम पेमेंट्स सर्विसेज के पेमेंट एग्रीगेटर बनने के आवेदन को रोक दिया था. वहीं, हाल में पेटीएम पेमेंट बैंक (Paytm Payment Bank) की कई सेवाओं पर भी बैन लगा दिया था. पेटीएम का आईपीओ आठ नवंबर 2021 को सब्सक्रिप्शन के लिए खुला था. इसका इश्यू प्राइस 2,150 रुपये था. बड़ी संख्या में रिटेल इनवेस्टर्स ने हिस्सा लिया था, लेकिन यह शेयर कभी भी अपने इश्यू प्राइस के आसपास नहीं पहुंच सका.
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सैन फ्रैसिस्को में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में उनके साथ उनकी पत्नी अंजली पिचई को भी सम्मानित किया गया. अंजली ने भी आईआईटी कानपुर से 1993 में कैमिकल इंजीनियरिंग से बीटेक किया है.
Google के सीईओ सुंदर पिचई आज भले ही दुनिया की टॉप फाइव कंपनियों में शामिल गूगल के सीईओ हों लेकिन उनके जीवन के संघर्ष को ज्यादातर लोग जानते हैं. उनके इसी संघर्ष के बीच उनके माता पिता की एक ख्वाहिश थी कि उन्हें डॉक्ट्रेट से सम्मानित किया जाए. आखिरकार शुक्रवार को उनके माता पिता का ये सपना तब पूरा हो गया जब आईआईटी कानपुर ने पिचई को डॉक्ट्रेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया. इस मौके पर उनकी पत्नी को भी सम्मानित किया गया.
सुंदर पिचई डॉक्ट्रेट की मानद उपाधि से हुए सम्मानित
सुंदर पिचई ने इसे लेकर इंस्टाग्राम पर ट्वीट करते हुए लिखा कि मैं आईआईटी खड़गपुर का मुझे डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित करने के लिए आभारी हूं. मेरे माता-पिता को हमेशा आशा थी कि मुझे डॉक्टरेट की उपाधि मिलेगी, मुझे लगता है कि मानद उपाधि अभी भी मायने रखती है. आईआईटी में शिक्षा और प्रौद्योगिकी तक पहुंच ने मुझे Google की राह पर ला दिया और अधिक लोगों को प्रौद्योगिकी तक पहुंचने में मदद की. तकनीक में आईआईटी की भूमिका एआई क्रांति के साथ ही महत्वपूर्ण हो जाएगी, और मैं वहां बिताए गए समय के लिए हमेशा आभारी रहूंगा.
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उनके माता पिता चाहते थे उन्हें मिले ये सम्मान
दरअसल सुंदर पिचई के माता पिता की इच्छा थी कि उन्हें डॉक्ट्रेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया जाए. इसके बारे में खुद पिचई ने अपने ट्वीट में जानकारी दी. सैन फ्रैसिस्को में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में उनके साथ उनकी पत्नी अंजली पिचई को भी सम्मानित किया गया. अंजली ने भी आईआईटी कानपुर से 1993 में कैमिकल इंजीनियरिंग से बीटेक किया है. उनके इस सम्मान कार्यक्रम में उनकी बेटी और माता पिता सहित कई अन्य परिवार के लोग भी मौजूद रहे. आईआईटी की ओर से इस पुरस्कार का ऐलान 69 वें दीक्षांत समारोह में ही कर दिया गया था लेकिन उनके लिए विशेष तौर पर इस कार्यक्रम को आयोजित किया गया.
डॉ. पिचई को प्रियंका चोपड़ा ने दी बधाई
डॉ. सुंदर पिचई को उनके फॉलोवर बधाई दे रहे हैं. उन्हें बधाई देने वालों में बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा भी शामिल हैं. डॉ. सुंदर पिचई को एक इंस्टाग्राम फॉलोवर बधाई देते हुए लिखे रहे हैं कि आप युवाओं के लिए एक प्रेरणा हैं. जबकि एक यूजर लिखते हैं कि अब आपको अपनी आईडी को सुबदरपुहाई की जगह डॉ. सुंदर पिचई रख देना चाहिए. ये काफी बेहतर दिखाई देगा.
इंडिगो के खिलाफ अमेरिका में जुर्माने की कार्रवाई हुई है. वहीं, इस्तांबुल वाले मामले में उसे आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.
देश की सबसे बड़ी एयरलाइंस इंडिगो (IndiGo) के खिलाफ अमेरिका में कार्रवाई हुई है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा विभाग (US Customs & Border Protection Department) ने इमीग्रेशन यूजर फीस के भुगतान में देरी के लिए इंडिगो पर 5,832.60 डॉलर यानी 4,88,333 रुपए का जुर्माना लगाया है. अमेरिकी विभाग ने निर्धारित तिथि के बाद फीस में भुगतान के लिए जुर्माने की कार्रवाई की है. उधर , इंडिगो जुर्माने से बचने के रास्ते तलाश रही है. साथ ही कंपनी न स्पष्ट किया है कि इससे उसके ऑपरेशंस पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
बेअसर दिखे शेयर
इंडिगो के खिलाफ हुई जुर्माने की इस कार्रवाई का उसके शेयर पर कोई असर देखने को नहीं मिला है. इंडिगो की मूल कंपनी इंटरग्लोब एविएशन के शेयर आज एक प्रतिशत स अधिक की बढ़त के साथ बंद हुए हैं. इस साल अब तक यह शेयर अपने निवेशकों को शानदार 50.63% का रिटर्न दे चुका है. जबकि बीते 1 साल में यह आंकड़ा 76.65% है. फिलहाल, भारत क आकाश में इंडिगो क दबदबा है. दिसंबर 2023 के आंकड़े के अनुसार, इंडिगो का मार्केट शेयर 60.5 प्रतिशत है. वहीं, टाटा समूह की एयर इंडिया का 9.7%, विस्तारा का 9.1%, एयर एशिया का 7.1%, स्पाइसजेट का 5.5%, दिवंगत निवेशक राकेश झुनझुनवाला की अकासा एयर का 4.2% और अन्य का 3.9 प्रतिशत है.
नाम हैं की रिकॉर्ड
पिछले साल जून में कंपनी एक लाख करोड़ रुपए का मार्केट कैप हासिल करने वाली देश की पहली एयरलाइन बनी थी. एक साल में 10 करोड़ से ज्यादा पैसेंजर्स ले जाने का रेकॉर्ड भी इसी के नाम है. IndiGo के बेड़े में 370 विमान हैं और कंपनी रोजाना लगभग 2,000 फ्लाइट्स ऑपरेट करती है. इंडिगो का ऑन-टाइम परफॉरमेंस (OTP) रेट में दूसरी एयरलाइन के मुकाबले काफी बेहतर रहा है. इंडिगो की शुरुआत 2006 में राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल ने की थी. हालांकि, बाद में दोनों के बीच मनमुटाव शुरू हो गया, लेकिन तब तक इंडिगो इतनी ऊंचाई पर पहुंच चुकी थी कि जमीन पर चल रहा यह विवाद उसकी उड़ान को प्रभावित नहीं कर पाया. इंडिगो को 2004 में ही लाइसेंस मिल गया था, लेकिन इसकी सेवाएं 2006 तक शुरू हो सकीं क्योंकि उसके पास विमान नहीं थे.
यहां हो रही आलोचना
वहीं, एक अन्य मामले में इंडिगो को आलोचना का सामना करना पड रहा है. दरअसल, इस्तांबुल से नई दिल्ली आ रहे इंडिगो के एक विमान में तकनीकी खराबी आ गई थी, जिस वजह से विमान समय से उड़ान नहीं भर पाया. विमान के 200 से ज्यादा यात्री करीब 11 घंटे तक इस्तांबुल एयरपोर्ट पर फंसे रहे. एयरलाइन ने इस पूरे घटनाक्रम क लिए माफी मांग ली है. इंडिगो ने एक बयान जारी कर बताया कि विमान में तकनीकी खराबी के कारण इस्तांबुल से दिल्ली जाने वाली इंडिगो की फ्लाइट 6E 12 में देरी हुई. यात्रियों को देरी के बारे में बताया दिया गया. साथ ही उन्हें जलपान भी उपलब्ध कराया गया है.