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PM Modi को मिले 1200 गिफ्ट्स की होगी नीलामी, इस प्रोजेक्ट में जाएगी कमाई हुई आय
पिछले साल की तरह, इस बार भी प्रधानमंत्री को मिले 1200 से अधिक गिफ्ट्स को नीलामी के जरिए बेचा जाएगा.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्लीः पीएम मोदी को देश-विदेश के दौरों पर कई सारी गिफ्ट्स मिलती हैं. पिछले साल की तरह, इस बार भी प्रधानमंत्री को मिले 1200 से अधिक गिफ्ट्स को नीलामी के जरिए बेचा जाएगा. इससे प्राप्त होने वाली आय को सरकार नमामि गंगे मिशन में लगाएगी. नीलामी की यह प्रक्रिया 17 सितंबर से शुरू होगी.
इन वस्तुओं की होगी नीलामी
जिन वस्तुओं को नीलाम किया जाएगा उनमें मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा भेंट की गई रानी कमलापति की प्रतिमा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा भेंट की गई हनुमान की मूर्ति तक, राष्ट्रमंडल खेलों के विजेताओं के रैकेट, मुक्केबाजी के दस्ताने और भाला, और ग्रामीण जीवन पर कोविद -19 के प्रभाव को दर्शाने वाली मधुबनी कलाकारों द्वारा बनाए गए पेंटिंग शामिल हैं.
इस तारीख तक चलेगी नीलामी
वस्तुओं की नीलामी 2 अक्टूबर तक वेबसाइट pmmementos.gov.in के माध्यम से की जाएगी और आय नमामि गंगे मिशन में जाएगी. पिछले साल 1,348 स्मृति चिन्हों के लिए 8,600 से अधिक बोलियां लगाई गई थीं. अन्य वस्तुओं में हिमाचल प्रदेश के सीएम जयराम ठाकुर द्वारा पीएम को उपहार में दिया गया एक त्रिशूल, सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा एक सूर्य चित्र, राकांपा नेता अजीत पवार द्वारा उपहार में दी गई कोल्हापुर महालक्ष्मी की एक प्रतिमा, मध्य प्रदेश भाजपा इकाई द्वारा उपहार में दी गई अयोध्या की मिट्टी के साथ एक अमृत कलश और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी द्वारा उपहार में दी गई भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति भी शामिल है.
1.5 करोड़ रुपये में बिका था भाला
पिछली बार की नीलामी में ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा द्वारा हस्ताक्षरित भाला के लिए उच्चतम बोली 1.5 करोड़ रुपये थी. इस बार सबसे कम बोली कर्नाटक से भगवान गणेश की तस्वीर के लिए है जो कि 100 रुपये है. बीसीसीआई, जेएसडब्ल्यू ग्रुप और सोलर इंडस्ट्रीज के प्रतिनिधियों ने पिछले साल ई-नीलामी में 20 सबसे मूल्यवान वस्तुओं को हासिल किया था.
नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट के डायरेक्टर-जनरल, मूर्तिकार अद्वैत गडनायक ने बताया कि आम पुरुषों और महिलाओं से मिले उपहारों से पता चलता है, कि वैश्विक वास्तविकताओं को शामिल करने के लिए भारत में कला और कल्पना कैसे विकसित हो रही थी, लेकिन इसकी जड़ें स्थानीय संदर्भ में हैं.
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