एक छोटी सी चिप ने कैसे खराब किया मारुति का खेल? जानें पूरी कहानी

सेमीकंडक्टर चिप को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का ‘दिमाग’ कहा जाता है. ये चिप कंप्यूटर प्रोग्रामिंग पर आधारित होती है और वाहन के डेटा को भी प्रोसेस करती है.

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Wednesday, 03 August, 2022
फाइल फोटो

एक छोटी सी चिप ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए बड़ी परेशानी का सबब बन गई है. अकेले मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki) को चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में चिप की कमी के कारण 51,000 यूनिट्स के उत्पादन का नुकसान हुआ है. कई अन्य कंपनियां भी इस कमी से प्रभावित हुई हैं. तो ऐसे में यह सवाल लाजमी है कि आखिर ये चिप है क्या और क्यों इसके बिना कंपनियों का काम नहीं चल सकता?

कार से लेकर गैजेट्स तक
इस सेमीकंडक्टर चिप की ज़रूरत केवल ऑटोमोबाइल कंपनियों को ही नहीं है, बल्कि इसका इस्तेमाल स्मार्टफोन, कंप्यूटर, वॉशिंग मशीन से लेकर सभी तरह के गैजेट्स में होता है. इससे आप चिप की डिमांड का अंदाजा लगा सकते हैं. आजकल सभी गाड़ियां लेटेस्ट टेक्नोलॉजी पर बन रही हैं, जिनमें तमाम तरह के आधुनिक फीचर्स होते हैं. गाड़ियों की पावर स्टीयरिंग, ब्रेक सेंसर, एंटरटेनमेंट सिस्टम, एयरबैग और पार्किंग कैमरों में सेमीकंडक्टर चिप का इस्तेमाल की जाती है. 

एक कार में लगती हैं इतनी चिप्स
एक रिपोर्ट के मुताबिक, आमतौर पर एक वाहन में 1,000 से अधिक सेमीकंडक्टर चिप्स लगाईं जाती हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो सेमीकंडक्टर को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का ‘दिमाग’ कहा जाता है. ये चिप कंप्यूटर प्रोग्रामिंग पर आधारित होती है और वाहन के डेटा को भी प्रोसेस करती है. सेमीकंडक्टर का प्रमुख कार्य विद्युत प्रवाह को नियंत्रित करना होता है. इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि सेमीकंडक्टर चिप्स के बिना आधुनिक वाहनों का निर्माण असंभव है. आजकल कंपनियां बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक कारों पर भी फोकस कर रही हैं, जिनमें सेमीकंडक्टर चिप्स का काफी इस्तेमाल होता है. ऐसे में चिप की कमी के चलते कंपनियों का उत्पादन प्रभावित हो रहा है.

कैसे हुई चिप की कमी?
अब सवाल यह उठता है कि आखिर चिप की कमी आई कैसे और इसके कब तक दूर होने की उम्मीद है? चिप संकट के लिए रूस-यूक्रेन युद्ध सहित कई कारण हैं, लेकिन सबसे प्रमुख है कोरोना वायरस. महामारी के दौरान ऑटोमोबाइल कंपनियां ज़्यादातर बंद रहीं, इससे सेमीकंडक्टर चिप की डिमांड एकदम से कम हो गई. हालांकि, लॉकडाउन के वक्त वर्चुअल वर्क कांसेप्ट ने जोर पकड़ा, जिसकी वजह से कंप्यूटर जैसे इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स की मांग में तेजी आई. इस 'तेजी' के कारण चिप्स की डिमांड बढ़ी और चिप बनाने वाली कंपनियों ने ऑटोमोबाइल सेक्टर से ध्यान हटाकर दूसरे क्षेत्रों पर फोकस कर लिया. ऐसे में हालात सामान्य होने के बाद भी चिप बनाने वालीं कंपनियां ऑटो सेक्टर की डिमांड को पूरी करने में सफल नहीं हुईं और डिमांड-सप्लाई के बीच का फासला बढ़ता गया.

भारत आयात पर निर्भर
चिप की कमी की वजह से कार कंपनियों कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कम लोकप्रिय मॉडल के प्रोडक्शन में कमी कर दी है, ताकि ज्यादा पसंद किए जा रहे मॉडल्स की डिमांड को पूरा किया जा सके. हालांकि, इसके बावजूद कई कारों का वेटिंग पीरियड काफी ज्यादा है. समस्या यह है कि पूरी दुनिया में केवल कुछ ही कंपनियां ही सेमीकंडक्टर चिप बनाती हैं. इन कंपनियों ने अपना उत्पादन भी बढ़ाया है, लेकिन ये कमी 2023 तक बनी रह सकती है. भारत की कोई भी कंपनी सेमीकंडक्टर चिप नहीं बनाती है, लिहाजा देश इस मामले में पूरी तरह से आयात पर निर्भर है.

169 उद्योग हो रहे प्रभावित
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मारुति ने 2022-23 की जून तिमाही के दौरान 4,67,931 वाहन बेचे. कंपनी ने माना कि सेमीकंडक्टर की कमी उत्पादन संबंधित गतिविधियों की योजना बनाने में एक चुनौती बन रही है. वहीं, गोल्डमैन सॉक्स की एक रिपोर्ट बताती है कि 169 उद्योग चिप की कमी से जूझ रहे हैं. चिप के कारण दुनियाभर में वाहनों का उत्पादन धीमा पड़ गया है.
 


एक अप्रैल से इन कारों को खरीदना पड़ेगा महंगा, जानें किन कारणों से बढ़ रही कीमत?

1 अप्रैल 2024 से कई कंपनियों की गाड़ियों की कीमत बढ़ने वाली है. इसके पीछे कंपनियों ने कारण भी बताए हैं. आपको बता दें, कंपनियां 1 से 3 प्रतिशत तक कीमत बढ़ाने जा रही हैं.

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Thursday, 28 March, 2024
kia motors

अगर आप भी कोई नई कार खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो 2-4 दिन के अंदर ही ये काम कर लीजिए. अगर आपने अभी कार नहीं खरीदी, तो एक अप्रैल के बाद आपको कार के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी. आपको बता दें, कुछ कार कंपनियां अपनी गाड़ियों की कीमत बढ़ाने जा रही हैं, जिनमें किया (KIA) इंडिया सहित टोयोटा किर्लोस्कर (Toyota Kirloskar) शामिल हैं. ये कंपनियां अपनी कारों की कीमत में 1 से 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने जा रही हैं.  

टोयोटा ने कितनी बढ़ाई कीमत?
टोयोटा किर्लोस्कर मोटर ने आज यानी गुरुवार को घोषणा की है कि कंपनी 1 अप्रैल, 2024 से अपने विशिष्ट मॉडलों के कुछ ग्रेड की कीमतों में बढ़ोतरी करने की योजना बना रही है. कंपनी के अनुसार कीमतों में अनुमानित 1 प्रतिशत का इजाफा किया जाएगा. कंपनी ने इसके पीछे कारण बताते हुए कहा है कि वह बढ़ती इनपुट लागत और परिचालन व्यय के चलते कारों की कीमत बढ़ा रहे हैं. टोयोटा किर्लोस्कर हैचबैक ग्लैंजा से लेकर प्रीमियम एसयूवी फॉर्च्यूनर तक कई कारें बेचता है, जिनकी कीमत 6.86 लाख रुपये से 51.44 लाख रुपये के बीच है. ये सभी कारें खरीदना आपको अब महंगा पड़ेगा. 

किया ने कितनी बढ़ाई कीमत?
किया इंडिया ने अपनी पूरी प्रोडक्ट रेंज के दाम में बढ़ोतरी का ऐलान किया है. किया के अनुसार उसकी कारों की कीमत में 3 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की जाएगी. कंपनी ने इसके पीछे सप्लाई चेन से जुड़ी इनपुट कॉस्ट और कोमोडिटी प्राइस का हवाला दिया है. ऐसे में 1 अप्रैल से इन कंपनियों के गाड़ियां खरीदने वालों को अपनी जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ सकती है.मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत में पैसेंजर गाड़ियों की थोक बिक्री में इजाफा देखने को मिला है. फरवरी में सालाना आधार पर पैसेंजर गाड़ियों की बिक्री 11 प्रतिशत बढ़ी है. 

 किन कारणों से बढ़ रही कीमत?
ऑटोमोबाइल कंपनियों के अनुसार कच्चे माल की बढ़ती कीमत, ओवरऑल महंगाई और फॉरेन एक्सचेंज रेट्स में उतार-चढ़ाव जैसे कई फैक्टर्स की वजह से कार मैन्युफैक्चरिंग की लागत में बढ़ोतरी हो गई है. इस वजह से कीमतों में बढ़ोतरी का दबाव है. 


Maruti Suzuki ने मार्केट कैप में लगाई बड़ी छलांग, इन दिग्गज कंपनियों की लिस्ट में शामिल

मारुति सुजुकी के शेयरों की बात करें, तो आज कंपनी के शेयर करीब तीन फीसदी की उछाल पर बंद हुए हैं.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Wednesday, 27 March, 2024
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Wednesday, 27 March, 2024
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देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki) के शेयरों में आज तेजी देखने को मिली. इस तेजी की वजह से कंपनी का मार्केट कैप उछलकर 4 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंच गया. यह मुकाम हासिल करने वाली मारुति 19वीं भारतीय कंपनी बन गई है. अभी तक रिलायंस, TCS, HDFC बैंक और इंफोसिस सहित कुल 18 कंपनियों ने ही यह माइलस्टोन छुआ है. 

इस साल अब तक शानदार रिटर्न
मारुति सुजुकी के शेयर आज करीब 3 प्रतिशत की तेजी के साथ 12,560 रुपए पर बंद हुए. बीते 5 कारोबारी सत्रों में यह शेयर 5.70% ऊपर चढ़ चुका है. जबकि इस साल अब तक इसने 22.14% का शानदार रिटर्न दिया है. कंपनी के शेयरों में लगातार आ रही तेजी की वजह से मारुति 4 लाख करोड़ रुपए के मार्केट कैपिटल को पार करने वाली देश की 19वीं लिस्टेड कंपनी बन गई है. इस लिस्ट में केवल रिलायंस, TCS, HDFC बैंक, इंफोसिस, ICICI बैंक, भारती एयरटेल, SBI, LIC, HUL, ITC, एलएंडटी, बजाज फाइनेंस, अडानी एनर्जी, अडानी ग्रीन, HCL, अडानी एंटरप्राइजेज, कोटक महिंद्रा बैंक और अडानी टोटल गैस पहले से ही शामिल हैं.

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शेयरों पर बुलिश हैं एनालिस्ट्स
वहीं, एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मारुति स्टॉक को ट्रैक करने वाले 49 एनालिस्ट्स में से 40 ने इसे Buy रेटिंग दी है. 6 ने इसे होल्ड करने की सलाह दी है और तीन का कहना है कि इस शेयर को Sell कर देना चाहिए. बुधवार को जापान की करेंसी येन ने 34 साल का निचला स्तर छू लिया है. ऐसे में एनालिस्ट्स का मानना है कि कमजोर येन से मारुति के EBITDA को फायदा मिलेगा. इससे इम्पोर्ट होने गुड्स और सर्विसेज पर कंपनी की लागत में कमी आएगी. ऐसा इसलिए कि कंपनी कुछ आइटम्स के लिए येन में पेमेंट करती है. 

SUV सेगमेंट में बढ़ रहा दबदबा 
एनालिस्ट्स का यह भी कहना है कि SUV सेगमेंट में नई लॉन्चिंग से मारुति को तेजी से बढ़ते एसयूवी मार्केट में अपना दबदबा बढ़ाने में मदद मिल रही है. बता दें कि SUV सेगमेंट में मारुति की Grand Vitara को काफी पसंद किया जा रहा है. पहले कंपनी सेफ्टी के नाम पर सनरूफ देने से परहेज करते रही थी, लेकिन ग्रैंड विटारा से उसने ऐसा करना शुरू कर दिया है. Grand Vitara लुक्स के मामले में भी ग्राहकों की उम्मीदों पर खरी उतरी है. यह गाड़ी माइल्ड और स्ट्रांग हाइब्रिड ऑप्शन के साथ आती है.   


इस दिन लॉन्च होगी Xiaomi की पहली इलेक्ट्रिक कार, शानदार फीचर्स से होगी लैस

Xiaomi ने पिछले साल अपनी पहली इलेक्ट्रिक कार SU7 से पर्दा उठा दिया था. अब कंपनी इस कार को लॉन्च करने जा रही है. Xiaomi SU7 इलेक्ट्रिक कार की डिलीवरी भी उसी दिन शुरू हो जाएगी.

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Tuesday, 26 March, 2024
Xiaomi Car

टेक जायंट (Tech Giant) कंपनी शाओमी (Xiaomi) 28 मार्च को अपनी पहली इलेक्ट्रिक कार SU7 को चीन में लॉन्च करेगी. इस बात की जानकारी कंपनी के फाउंडर और CEO लेई जून (Lei Jun) ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स (X) पर दी. 28 मार्च को एक लॉन्च इवेंट में इस EV की कीमत की घोषणा की जाएगी. Xiaomi इलेक्ट्रिक कार की डिलीवरी भी उसी दिन शुरू हो जाएगी. पिछले साल नवंबर में इस कार की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की गई थी.

28 मार्च को लॉन्च होगी कार

शाओमी (Xiaomi) के फाउंडर और CEO लेई जून (Lei Jun) ने एक्स (X) पर जानकारी देते हुए बताया कि तीन साल पहले मैंने घोषणा की थी कि शाओमी EV मार्केट में एंट्री करने जा रहा है. मैं उस विजन पर अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगा रहा हूं जिस पर मुझे गहरा विश्वास है. पिछले तीन सालों में मुझे अनगिनत चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, लेकिन एक बात मेरे दिल में हमेशा बनी रही, वो थी ड्राइविंग फॉरवर्ड बनाए रखने का अटूट संकल्प. यह शाओमी EV के लिए एक पहला महत्वपूर्ण कदम होगा. मैं आप सभी ग्लोबल फैंस को 28 मार्च को 'शाओमी EV लॉन्च' लाइवस्ट्रीम में शामिल होने के लिए इनवाइट कर रहा हूं. 

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50 लाख के आस-पास होगी कीमत 

लेई जून (Lei Jun) ने बताया कि इस कार की कीमत 5 लाख युआन (करीब 58 लाख रुपए) से कम होगी. यह पहली बार है, जब कंपनी ने इस कार की हाईएस्ट प्राइस का ऐलान किया है. कंपनी ने कहा कि यह दिखने में स्टाइलिश और चलाने में सबसे आसान और स्मार्ट कार होगी. इस ऑल-इलेक्ट्रिक सेडान की मैन्युफैक्चरिंग बीजिंग ऑटोमोटिव इंडस्ट्री होल्डिंग कंपनी लिमिटेड (BAIC) में की जा रही है, लेकिन इसे MI की ब्रैंडिंग मिलेगी. कार तीन वैरिएंट- SU7, SU7 प्रो और SU7 मैक्स में आएगी. ग्लोबल मार्केट में इसका मुकाबला BMW i4, BYD सील और टेस्ला मॉडल 3 जैसी कारों से होगा. 

शानदार फीचर्स से लैस

इस कार का डिजाइन मैकलेरेंस 750S से प्रेरित है, जिसमें EV सेडान के रियर में स्लिम रैप अराउंड टेल-लाइट्स हैं. इसके साथ हाइटेक फीचर्स और एक्स्टीरियर डिजाइन को बढ़ावा देने के लिए एक्टिव रियर विंग का ऑप्शन भी है. शाओमी SU7 को दो पावरट्रेन ऑप्शन्स के साथ पेश किया जाएगा, जिसमें एक रियर-व्हील-ड्राइव एडिशन और एक डुअल-मोटर सेटअप शामिल हैं. इसके साथ दो बैटरी पैक का ऑप्शन भी होगा. इसके इंटीरियर में भी अनेक मॉडर्न फीचर्स की उम्मीद है.
 


अब मारुति ने वापस बुलाई इतनी हजार कारें, जानते हैं क्‍या रही है इसकी वजह?

मारूति इससे पहले पिछले साल भी अपनी दो मॉडल की कारों को वापस बुला चुकी है. इनमें मारुति S-presso और Eeco शामिल हैं. 

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Saturday, 23 March, 2024
Baleno

क्‍या आपके पास भी मारूति सुजुकी कंपनी के इन दो मॉडलों की कारें हैं. अगर हां तो ये खबर आपके लिए है. मारूति ने बलेनो और वैगेनआर मॉडल की 16000 कारों को वापस बुलाया है. कंपनी का कहना है कि इन कारों में फ्यूल पंप के एक हिस्‍से एक खराबी की संभावना है जिसके कारण कंपनी ने इन कारों को वापस बुलाया है. कंपनी ने जिन कारों को वापस बुलाया है वो जुलाई 2019 से लेकर नवंबर 2019 तक बनाई गई है.

कंपनी की ओर से एक्‍सचेंज को दी गई है जानकारी 
मारुति सुजुकी की ओर से एक्‍सचेंज को ये जानकारी दी गई है कि उसने 1 जुलाई 2019 से लेकर 1 नवंबर 2019 तक बनी बलेनो और वैगेनआर को वापस बुलाया है.  इनमें बलेनो की 11851 कारें हैं जबकि वैगेनआर की 4190 कारें हैं. कंपनी का कहना है कि संभावना ये है कि इनके फ्यूल पंप के एक हिस्‍से में थोड़ी खराबी आ सकती है. इसीलिए कंपनी की ओर से उन्‍हें ठीक करने के लिए इन्‍हें वापस बुलाया गया है. इससे पहले 2023 जुलाई में कंपनी S Presso और Eeco मॉडल की कारों को वापस बुला चुकी है. 

कंपनी के शेयर के लिए कैसा रहा शुक्रवार 
शुकवार को इस खबर के आने के बाद मारुति के शेयरों पर कोई खास असर नहीं दिखाई दिया. मारुति के शेयरों की स्थिति पर नजर डालें तो शुक्रवार को उसमें 3.55 प्रतिशत की तेजी देखने को मिली, जिसके बाद शेयर 12336.2 रुपये पर बंद हुआ. इस शेयर के 52 वीक के सबसे हाई परफॉर्मेंस पर नजर डालें तो 12423.45 रुपये है वहीं 52 वीक लो परफॉर्मेंस 8150 रुपये है जो उसने 28 मार्च को टच किया था. वहीं अगर कंपनी के तिमाही नतीजों पर नजर डालें तो कंपनी का नेट प्रॉफिट 33.3 फीसदी बढ़कर 3207 करोड़ रुपये रहा. कंपनी के मुनाफे में वजह के कारणों पर नजर डालें तो उसमें जिंस की कीमतों में नरमी और एसयूवी और सीएनजी कारों की ज्‍यादा बिक्री प्रमुख कारण रही है. 

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शहर ही नहीं, गांवों में भी बढ़ रही गाड़ियों की भीड़; Auto कंपनियों ने बढ़ाया फोकस 

पिछले कुछ सालों में ग्रामीण इलाकों में पैसेंजर वाहनों की बिक्री में तेजी देखने को मिली है.

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Monday, 18 March, 2024
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यदि आपको लगता है कि वाहन खरीदने वालों की संख्या केवल शहरों में ही बढ़ रही है, तो आप पूरी तरह गलत हैं. पिछले कुछ सालों में गांव-देहात में शहरों के मुकाबले ज्यादा पैसेंजर व्हीकल बिके हैं. यही वजह है कि ऑटो कंपनियां ऐसे इलाकों पर अधिक ध्यान देने लगी हैं. अनुमान है कि साल 2024-25 में यात्री वाहनों की बिक्री औसतन 3-5 प्रतिशत बढ़ सकती है. एक रिपोर्ट के अनुसार, मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स, महिंद्रा और हुंडई को गांव-देहात से अच्छे सेल्स फिगर मिले हैं, इसलिए कंपनियां वहां कारोबार को विस्तार देने की योजनाओं पर काम कर रही हैं.

कुल बिक्री में इतनी हिस्सेदारी
एक मीडिया रिपोर्ट में मारुति सुजुकी इंडिया (Maruti Suzuki India) के हवाले से बताया गया है कि बीते कुछ सालों के दौरान ग्रामीण इलाकों में शहरी क्षेत्र की तुलना में यात्री वाहनों की बिक्री ज्यादा रही है. कोरोना महामारी के दौरान जब शहरी इलाकों में वाहनों की बिक्री लगभग थम गई थी, तब गांव-देहात में इनकी बिक्री में तेजी देखने को मिली थी. कंपनी की पैसेंजर व्हीकल की कुल बिक्री में गांव-देहात की हिस्सेदारी लगभग 32-33 प्रतिशत है. इसलिए कंपनी अब इन इलाकों में अपना कारोबार फैलाने पर अब अधिक ध्यान दे रही है.

इतना बढ़ गया आंकड़ा 
मौजूदा वक्त में Maruti की करीब 45% कारें गांव-देहात में ही बिकती हैं, 2018-19 में यह आंकड़ा लगभग 38 प्रतिशत था. रिपोर्ट में टाटा मोटर्स के आंकड़ों का भी जिक्र है. वित्त वर्ष 2024 में टाटा मोटर्स की कारों की बिक्री वर्ष 2020 की तुलना में करीब 5 गुना अधिक रही है. इनमें गांव-देहात करीब 40 प्रतिशत बिक्री हुई है. इसे ध्यान में रखते हुए कंपनी ग्रामीण इलाकों में सेल्स और सर्विस जैसी फैसिलिटीज तैयार कर रही है. कंपनी ने ऐसे 800 से आउटलेट स्थापित किए हैं, जो विशेष तौर पर ग्रामीण ग्राहकों को अपनी सेवाएं देते हैं. इसके अलावा, टाटा ने 135 एक्सपीरियंस वैन या मोबाइल शोरूम भी स्थापित किए हैं.

इस वजह से मिल रहा बूस्ट
ग्रामीण इलाकों में पैसेंजर व्हीकल की बिक्री बढ़ने की एक प्रमुख वजह सड़कों की स्थिति में सुधार भी है. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में अब सड़क सुविधाओं में काफी सुधार हुआ है. पहले जहां पैदल चलना भी मुश्किल था, अब वहां काफी अच्छी सड़कें हो गई हैं. इस वजह से ग्रामीण इलाकों में कार जैसे वाहनों की बिक्री भी बढ़ रही है. महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रामीण इलाकों में कारोबार फैलाने की योजना आगे बढ़ रही है, ताकि ग्राहकों को सभी तरह की सुविधाएं आसानी से उपलब्ध कराई जा सकें. देश के शहरी इलाकों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी एसयूवी की बिक्री लगातार बढ़ रही है. 

अभी इतनी है गुंजाइश 
देश में कुल गांवों की संख्या की बात करें, तो Census 2011 के मुताबिक गांव की कुल संख्या 649,481 है. इनमें से करीब 4.10 लाख गांवों में कम से कम एक मारुति कार होने का दावा कंपनी करती है. ऐसे में मारुति के पास अब भी 2.50 लाख गांवों में पहुंचने की गुंजाइश है. पहले ग्रामीण इलाकों में केवल टाटा और महिंद्रा का ही दबदबा होता था, क्योंकि गांवों के कठिन रास्तों पर इन कंपनियों की रफ-टफ गाड़ियां बेहतर प्रदर्शन करती थीं, लेकिन अब गांव-देहात में सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं काफी बेहतर हो गई हैं, तो बाकी कंपनियों के लिए भी रास्ते खुल गए हैं. हालांकि, ग्रामीण इलाकों के लिए ऑटो कंपनियों को एकदम अलग रणनीति पर कम करना पड़ता है. 
 


नई EV Policy को मिल गई मंजूरी, अब जल्द Bharat की सड़कों पर फर्राटा भर सकेंगी Tesla की कारें

नई नीति के तहत इम्पोर्ट ड्यूटी में छूट की बात कही गई है, जिसका कुछ घरेलू कंपनियों ने विरोध किया था.

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Friday, 15 March, 2024
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केंद्र सरकार ने शुक्रवार को नई इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी (EV Policy) को मंजूरी दे दी है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार का कहना है कि वह देश को एक मैन्युफैक्चरिंग डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करना चाहती है और इसी को ध्यान में रखते हुए इलेक्ट्रिक वाहन नीति को तैयार किया गया है.  इस नीति के तहत, भारत में एंट्री की चाहत रखने वालीं विदेशी कंपनियों को भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करना होगा और कम से कम 4150 करोड़ रुपए का निवेश करना होगा.  

मस्क की मुराद पूरी!
सरकार की तरफ से आई इस खबर से जहां टाटा मोटर्स और महिंद्रा जैसी दिग्गज ऑटो कंपनियों को झटका लगेगा. वहीं, टेस्ला के मालिक एलन मस्क (Elon Musk) का चेहरा जरूर खिल जाएगा. क्योंकि नई इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी में आयात शुल्क में कटौती का भी जिक्र है. इस नीति के तहत भारत में न्यूनतम 4150 करोड़ रुपए का निवेश और इसके तीन साल के भीतर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने वाली कंपनी को इम्पोर्ट टैक्स में छूट दी जाएगी. अब तक टेस्ला जैसी कंपनियां भारी-भरकम आयात शुल्क के चलते ही भारत आने से बच रही थीं. अब उनकी एंट्री का रास्ता साफ हो गया है. खासकर एलन मस्क के लिए यह मुराद पूरी होने जैसा है.  

नीति की खास बातें 
सरकार का कहना है कि नई नीति से लेटेस्ट टेक्नोलॉजी तक पहुंच प्रदान करने, ईवी इकोसिस्टम को बढ़ाने और मेक इन इंडिया इनिशिएटिव को सपोर्ट करने में मदद मिलेगी. इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी में कहा गया है कि इच्छुक कंपनियों को 3 साल के भीतर भारत में मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी लगानी होगी और ई-व्हीकल का कमर्शियल प्रोडक्शन शुरू करना होगा. उन्हें कार बनाने के लिए स्थानीय बाजारों से 35 प्रतिशत कंपोनेंट्स का इस्तेमाल करना होगा. साथ ही इन निर्माताओं को पांच वर्षों के भीतर घरेलू मूल्य वर्धन (डोमेस्टिक एडेड वैल्यू - DVA) का 50 प्रतिशत तक पहुंचना होगा. इलेक्ट्रिक वाहनों पर आयात शुल्क घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया जाएगा. बशर्ते उनकी कीमत 35,000 डॉलर यानी लगभग 29 लाख रुपए से ज्यादा न हो. बता दें कि मौजूदा व्यवस्था के तहत भारत में लाई जाने वाली इलेक्ट्रिक कारों पर 70 से 100 प्रतिशत तक इंपोर्ट ड्यूटी लगती है.

काम नहीं आया विरोध
दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी टेस्ला शुरुआत से ही इम्पोर्ट शुल्क में कमी की मांग करती रही है. ऐसे में भारत की नई इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी उसके लिए राहत की बात है. अब एलन मस्क अपनी कंपनी की कारों को भारत में दौड़ते देख सकेंगे. हालांकि, ये बात अलग है कि Tata Motors और Mahindra सहित घरेलू EV निर्माताओं को इसके चलते चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, टाटा और महिंद्रा ने आयात शुल्क कम करने के प्रस्ताव का विरोध किया था. दोनों का कहना था कि इससे स्थानीय वाहन निर्माता प्रभावित होंगे. उनका ये भी कहना था कि इसके बजाये सरकार को स्थानीय EV निर्माताओं को प्रोत्साहित करना चाहिए. पिछले साल यह खबर सामने आई थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय (PMO) और अन्य विभागों के साथ बैठकों में टाटा ने आयात शुल्क कम करने की योजना का विरोध किया था. टाटा सहित घरेलू कंपनियों को लगता है कि इम्पोर्ट ड्यूटी में कमी के चलते टेस्ला जैसे इंटरनेशनल प्लेयर सस्ते में अपनी कारें लॉन्च कर सकेंगे, जिससे उनके लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी.  
 


क्या आप भी EV खरीदने की कर रहे हैं तैयारी, सरकार ने सब्सिडी को लेकर कर दिया है ये ऐलान

देश में ई-परिवहन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एक नई योजना की घोषणा कर दी है. इसके तहत सरकार दो पहिया और तिपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों पर सहायता देने वाली है.

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Thursday, 14 March, 2024
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मोदी सरकार ने देश में ई-व्हीकल को बढ़ावा देने के लिए एक नई योजना की घोषणा कर दी है. सरकार इसके तहत दो पहिया और तिपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों पर सहायता देने वाली है. अप्रैल, 2024 से जुलाई, 2024 तक (चार महीने) के लिए चलने वाली इस योजना पर 500 करोड़ रुपये खर्च होंगे. 

सरकार ने EMP स्कीम 2024 की घोषणा की

सरकार ने इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया वाहनों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए एक नई इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रमोशन स्कीम (EMPS) 2024 की घोषणा की है. भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडे ने कहा है कि केंद्र सरकार ने EMPS 2024 के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं.यह योजना 1 अप्रैल से 4 महीने के लिए जुलाई तक वैध है. नई अपडेटेड इलेक्ट्रिक व्हीकल प्रमोशन स्कीम फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (FAME-II) की जगह लेगी, जो 31 मार्च 2024 को समाप्त होने वाली है. 

इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन देने का लक्ष्य

भारी उद्योग मंत्री ने आगे कहा कि, सरकार का लक्ष्य लगभग 3.3 लाख दोपहिया वाहनों को सहायता प्रदान करना है. इस योजना के तहत दोपहिया वाहन को 10,000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी. छोटे तिपहिया वाहनों की खरीद के लिए 25,000 रुपये तक की सहायता दी जाएगी और बड़ा तिपहिया वाहन खरीदने पर 50,000 रुपये की वित्तीय मदद दी जाएगी.

सरकार ने IIT रुड़की के साथ MoU

भारी उद्योग मंत्रालय और रुड़की के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ने ऑटोमोटिव और इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) सेक्टर में इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए तथा एक साथ मिल कर काम करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए. इस समझौता ज्ञापन पर भारी उद्योग मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी, भारी उद्योग मंत्रालय और उत्तराखंड राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए.

2023 में 15.3 लाख इलेक्ट्रिक गाड़ियां बिकीं

देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की डिमांड और सेल्स तेजी से बढ़ी है. खास तौर पर दोपहिया और तिपहिया सेग्मेंट में ज्यादा ग्रोथ देखने को मिली है. इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की कुल सेल्स 2023 में 15.30 लाख यूनिट तक पहुंच गई है, जो 2022 में 10.2 लाख थी. ऐसे में कंपनियों का मानना है कि सरकार FAME 2 सब्सिडी के तीसरे चरण के तौर पर आगे बढ़ाती है तो इससे इंडस्ट्री को ग्रोथ करने में मदद मिलेगी. 


 


ये कंपनी लॉन्च करने जा रही है ई-ऑटोरिक्शा, जानें क्या है तैयारी

ये इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी आईपीओ की लिस्टिंग से पहले अगले कुछ महीनों में गीगाफैक्ट्री समेत कई घोषणाएं करने पर विचार कर रही है. इसके साथ ही ई-ऑटोरिक्शा भी कर सकती है लॉन्च

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Wednesday, 13 March, 2024
Last Modified:
Wednesday, 13 March, 2024
e-Autorickshaw

ओला इलेक्ट्रिक (Ola Electric) बाजार में अपना आईपीओ(IPO) उतारने से पहले अगले कुछ महीनों में गीगाफैक्ट्री समेत कई घोषणाएं करने पर विचार कर रही है. इसके साथ ही ओला अपना इलेक्ट्रिक ऑटोरिक्शा (e-Autorickshaw) लॉन्च करने की भी तैयारी कर रहा है. 

राही नाम से लॉन्च हो सकता है ऑटोरिक्शा

इलेक्ट्रिक ऑटोरिक्शा को ग्राहक सीधे कंपनी से खरीद सकेंगे. इस वाहन का नाम राही (Raahi) हो सकता है. इस महीने के अंत तक इसके लॉन्च हो जाने की उम्मीद है. राही बाजार में मौजूद अन्य इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर जैसे महिंद्रा ट्रेओ, पियाजियो एप ई-सिटी और बजाज आरई को टक्कर दे सकता है. ओला इलेक्ट्रिक इस प्रोजेक्ट पर कई सालों से काम कर रही है जो कमर्शियल व्हीकल मार्केट में उतरने की उसकी रणनीति का हिस्सा है. 

विस्तार योजनाओं में एक महत्वपूर्ण कदम

ई-ऑटोरिक्शा की शुरुआत ओला इलेक्ट्रिक की विस्तार योजनाओं में एक महत्वपूर्ण कदम है. कंपनी ने दिसंबर 2022 में ही आईपीओ के लिए आवेदन किया और उसका लक्ष्य 5,500 करोड़ रुपये तक जुटाना है. आईपीओ से पहले, ओला इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर मार्केट में अपनी स्थिति मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है. अपनी पेशकश को बेहतर बनाने के लिए, कंपनी ने हाल ही में अपने स्कूटर की बैटरी वारंटी को आठ साल तक बढ़ा दिया है. इसके अतिरिक्त, उसकी योजना और अधिक फास्ट-चार्जिंग पॉइंट स्थापित करने और अपने सर्विस नेटवर्क का विस्तार करने की है. 

गीगाफैक्ट्री की योजना पर भी कर रही है काम

ओला इलेक्ट्रिक अपनी गीगाफैक्ट्री लगाने की योजना पर भी काम कर रही है. इस फैक्ट्री में कंपनी बैटरी सेल बनाएगी. आईपीओ के माध्यम से जुटाए गए फंड का उपयोग गीगाफैक्ट्री के लिए किया जाएगा. साल 2023 में ओला इलेक्ट्रिक का इलेक्ट्रिक स्कूटर सेगमेंट में 41% बाजार का हिस्सा है. मार्च 2023 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में, कंपनी ने 2,631 करोड़ रुपये का रेवेन्यू दर्ज किया, लेकिन 1,472 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा भी हुआ. 

ओला इलेक्ट्रिक की स्थिति और होगी मजबूत

ओला इलेक्ट्रिक कमर्शियल व्हीकल मार्केट में अपनी विस्तार योजनाओं के हिस्से के रूप में राही नामक एक इलेक्ट्रिक ऑटोरिक्शा पेश करने के लिए तैयार है. कंपनी इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर सेगमेंट में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है और अपनी गीगाफैक्ट्री पर सक्रिय रूप से काम कर रही है. अपने आईपीओ के साथ, ओला इलेक्ट्रिक का लक्ष्य अपनी विकास पहलों का समर्थन करने के लिए पर्याप्त धन जुटाना है.
 


अभी तो पूरी नहीं होगी Tesla वाले Musk की मुराद, यह खबर जानकर पकड़ लेंगे माथा! 

सरकार ने बिना नाम लिए ये साफ कर दिया है कि टेस्ला को कोई खास रियायत नहीं दी जाएगी.

Last Modified:
Monday, 11 March, 2024
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टेस्ला (Tesla) के मालिक एलन मस्क (Elon Musk) अपनी इलेक्ट्रिक कारों को भारत में दौड़ते देखने के लिए बेताब हैं. बीच में कई ऐसे खबरें भी आईं कि मस्क ने मोदी सरकार को विशेष रियायत के लिए मना लिया है और जल्द ही उनकी भारत में एंट्री हो सकती है. हालांकि, केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार किसी एक कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए नीति नहीं बनाएगी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गोयल ने कहा कि हम ऐसी पॉलिसी नहीं लाएंगे, जिससे किसी एक कंपनी को फायदा हो.

प्लांट का किया था दौरा
पियूष गोयल ने कहा कि हम भारत के कानून और टैरिफ नियम को ऐसा बनाएंगे, जो सभी कंपनियों को एक-समान मौके दें और वे दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में अपना मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने के लिए प्रोत्साहित हों. केंद्रीय मंत्री ने टेस्ला का नाम लिए बगैर कहा कि सरकार किसी एक कंपनी या उसके हितों के लिए नीति नहीं बनाती. हर कोई अपनी मांग रखने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप जो मांग करते हैं, सरकार उसी के आधार पर फैसला लेगी. बता दें कि गोयल ने पिछले साल नवंबर में अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित टेस्ला के मैन्युफैक्चरिंग प्लांट का दौरा भी किया था.

चल रही है बातचीत 
उन्होंने आगे कहा कि सरकार एक मजबूत ईवी-इकोसिस्टम की जरूरत को समझती है, क्योंकि बैटरी से चलने वाले वाहनों के अधिक उपयोग से कार्बन उत्सर्जन के साथ-साथ कच्चे तेल के आयात बिल में भी कमी आएगी. साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार ऐसी नीतियां नहीं बनाएगी, जो किसी एक कंपनी के लिए फायदेमंद हो, बल्कि ऐसी नीतियां तैयार की जाएंगी, जो दुनिया के सभी इलेक्ट्रिक वाहन र्माताओं को भारत में आने के लिए प्रोत्साहित करें. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस संबंध में कई पहल पर काम जारी है. यूरोप, अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया और दुनियाभर के संभावित निवेशकों के साथ बातचीत चल रही है.  

Musk ने की है ये मांग
दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी की टेस्ला भारत में आने से पहले शुरुआती शुल्क रियायत मांग रही है. जिससे वह 40,000 डॉलर से कम दाम वाली कारों के लिए 70% और इससे अधिक कीमत वाली कारों के लिए 100% सीमा शुल्क की भरपाई कर सके. टेस्ला का कहना था कि यह रियायत मिलने के बाद ही वह भारत में अपना प्लांट लगाएगी. पिछले साल खबर आई थी कि सरकार भारत में निवेश और विनिर्माण के लिए प्रतिबद्ध वाहन निर्माताओं के लिए 100% EV आयात शुल्क को कम करके 15% तक लाने की प्रस्तावित नीति पर काम कर रही है. टेस्ला को इससे बड़ा फायदा हो सकता है, क्योंकि इम्पोर्ट ड्यूटी कम होने से उसकी कारों की कीमतों में इजाफा नहीं होगा. मौजूदा वक्त में कई विदेशी कंपनियां अपनी EV को भारत में इसलिए लेकर नहीं आतीं, क्योंकि 100 इम्पोर्ट ड्यूटी से उनकी कारें इतनी महंगी हो जाएंगी कि उनके खरीदार नहीं मिलेंगे.

इन्होंने जताई थी नाराजगी  
माना जा रहा है कि टाटा और महिंद्रा जैसी कंपनियों के विरोध के चलते सरकार Tesla को खास तवज्जो देने के मूड में नहीं है. मीडिया रिपोर्ट्स एक अनुसार, Tata Motors और Mahindra ने मुख्यतौर पर आयात शुल्क कम करने के प्रस्ताव का विरोध किया था. दोनों का कहना है कि इससे स्थानीय वाहन निर्माता प्रभावित होंगे. उनका ये भी कहना है कि इसके बजाये सरकार को स्थानीय EV निर्माताओं को प्रोत्साहित करना चाहिए. इस विरोध के चलते ही सरकार आयात शुल्क में कटौती के प्रस्ताव पर फैसला नहीं ले पाई है.  पिछले साल यह खबर सामने आई थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय (PMO) और अन्य विभागों के साथ बैठकों में टाटा ने आयात शुल्क कम करने की योजना का विरोध किया था. टाटा सहित घरेलू कंपनियों को लगता है कि इम्पोर्ट ड्यूटी में कमी के चलते टेस्ला जैसे इंटरनेशनल प्लेयर सस्ते में अपनी कारें लॉन्च कर सकेंगे, जिससे उनके लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी.  


TATA Motors ने अपने चाहने वालों को दिया झटका, फिर से बढ़ने वाले हैं गाड़ियों के दाम!

इससे पहले दिसंबर में भी टाटा मोटर्स ने अपने वाहनों की कीमतों में इजाफे का ऐलान किया था.

Last Modified:
Thursday, 07 March, 2024
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टाटा मोटर्स (Tata Motors) की गाड़ियां एक बार फिर से महंगी होने वाली हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनी 1 अप्रैल 2024 से अपने सभी कमर्शियल व्हीकल्स के दाम 2 प्रतिशत बढ़ाने जा रही है. इससे पहले, टाटा ने पिछले साल दिसंबर में ऐलान किया था कि 1 जनवरी 2024 से उसके कमर्शियल वाहन 3% तक महंगे हो जाएंगे. हालांकि, टाटा मोटर्स के कार जैसे पैसेंजर वाहनों की कीमतों में इस बढ़ोत्तरी का कोई असर नहीं पड़ेगा.   

अलग होगा कारोबार 
टाटा मोटर्स ने अपनी गाड़ियों की कीमत में बढ़ोतरी का ऐलान ऐसे वक्त किया है, जब वो अपने कमर्शियल और पैसेंजर व्हीकल्स कारोबार को अलग करने का फैसला ले चुकी है. कंपनी ने 4 मार्च को शेयर बाजार को बताया था कि वह पैसेंजर और कमर्शियल व्हीकल्स बिजनेस को डी-मर्ज करके अलग-अलग लिस्टेड एंटिटीज बनाएगी. यानी दोनों कारोबार अलग होंगे और फिर उन्हें शेयर बाजार में लिस्ट किया जाएगा. 

ब्रोकरेज फर्म हैं बुलिश
उधर, डी-मर्जर की खबर सामने आने के बाद कई ब्रोकरेज फर्म Tata Motors के शेयर को लेकर बुलिश हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म Morgan Stanley ने टाटा मोटर्स के लिए 'ओवरवेट' कॉल दी है. Nomura ने Buy रेटिंग देते हुए इसका टारगेट प्राइज 1057 रुपए कर दिया है. यह शेयर के मौजूदा भाव से करीब 7% ज्यादा है. इसी तरह, रेटिंग एजेंसी Moody's ने टाटा मोटर्स के लिए BA3 रेटिंग देते हुए आउटलुक पॉजिटिव रखा है. टाटा मोटर्स के शेयर आज यानी गुरुवार को 2 प्रतिशत की बढ़त के साथ 1,038 रुपए पर बंद हुए हैं. बीते पांच दिनों में कंपनी के शेयरों में 6.80% का उछाल आया है.

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पहले से अलग हैं CEO
टाटा मोटर्स की तरफ से हाल ही में बताया गया था कि डीमर्जर के बाद एक यूनिट कमर्शियल व्हीकल्स कारोबार और उससे जुड़े निवेश को देखेगी. वहीं दूसरी कंपनी पैसेंजर व्हीकल्स का कारोबार संभालेगी. इसमें इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, जागुआर और लैंड रोवर और उससे जुड़ा इंवेस्टमेंट शामिल है. टाटा मोटर्स का कहना है की पूरी प्रक्रिया नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के जरिए होगी और डीमर्जर पूरा होने में 12 से 15 महीने का समय लगेगा. बता दें कि टाटा मोटर्स का पैसेंजर व्हीकल्स, कमर्शियल व्हीकल्स और JLR कारोबार 2021 से ही अलग-अलग सीईओ द्वारा संचालित किया जा रहा है. अब कंपनी अपने कारोबार को दो भागों में विभाजित करने जा रही है.